मुद्रा का दबाव

विशेषज्ञों को आने वाले हफ्तों में रुपए के और कमजोर होने का अंदेशा है क्योंकि निवेशक भारतीय वित्तीय बाजारों से लगातार रुखसत हो रहे हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने 2022 में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 1.68 लाख करोड़ रुपए निकाले. अकेले सितंबर में ही 7,600 करोड़ रुपए निकाले गए. अगर आरबीआइ रुपए को टेका लगाने के लिए देश के विदेशी मुद्रा भंडार से रकम निकालता रहता है तो इसमें और ज्यादा कमी आ सकती है. फिलहाल देश के पास आठ माह के आयात के मूल्य के बराबर विदेशी मुद्रा भंडार है. चार महीने से कम के बराबर मूल्य को खतरे का निशान माना जाता है.
देश में विदेशी मुद्रा के पर्याप्त भंडार, ऋण संबंधी दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम: एसएंडपी
ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे देश ऋण संबंधी दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम है। एसएंडपी सॉवरेन एंड इंटरनेशनल पब्लिक फाइनेंस रेटिंग्स के निदेशक एंड्रयू वुड ने वेबगोष्ठी - इंडिया क्रेडिट स्पॉटलाइट-2022 में कहा कि देश का बाह्य बही-खाता मजबूत है और विदेशी कर्ज सीमित है। इसलिए कर्ज चुकाना बहुत अधिक महंगा नहीं है।
वुड ने कहा, ‘‘हम आज जिन चक्रीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, देश ने उनके खिलाफ बफर का निर्माण किया है।’’ उन्होंने कहा कि रेटिंग एजेंसी को नहीं लगता है कि निकट अवधि के दबावों का भारत की साख पर गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) मुद्रा का दबाव में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।’’
भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और ऋण संबंधी दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम: एसएंडपी
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे देश ऋण संबंधी दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम है। एसएंडपी सॉवरेन एंड इंटरनेशनल पब्लिक फाइनेंस रेटिंग्स के निदेशक एंड्रयू वुड ने वेबगोष्ठी – इंडिया क्रेडिट स्पॉटलाइट-2022 मुद्रा का दबाव में कहा कि देश का बाह्य बही-खाता मजबूत है और विदेशी कर्ज सीमित है। इसलिए कर्ज चुकाना बहुत अधिक महंगा नहीं है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि रेटिंग एजेंसी को नहीं लगता है कि निकट अवधि के दबावों का भारत की साख पर गंभीर असर पड़ेगा। इस साल अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये में लगभग सात प्रतिशत की गिरावट आई है, हालांकि रुपये का प्रदर्शन अन्य उभरते बाजारों की तुलना में बेहतर रहा है।
Rupee VS Dollar : फेड के ब्याज दरें बढ़ाते ही कमजोर हो गया रुपया, रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंची भारतीय मुद्रा
- News18Hindi मुद्रा का दबाव
- Last Updated : September 22, 2022, 12:24 IST
हाइलाइट्स
रुपया डॉलर के मुकाबले 80.47 के नए निचले स्तर पर चला गया.
एक दिन पहले रुपया 79.98 के स्तर पर बंद हुआ था.
इससे पहले 29 अगस्त को रुपये ने अपना सबसे निचला स्तर छुआ था.
नई दिल्ली. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने आज जैसे ही अपनी ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की भारतीय मुद्रा पर भी दबाव बढ़ गया. फॉरेक्स बाजार में आज कारोबार शुरू होते ही डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रिकॉर्ड निचले स्तर पर चली गई.
फॉरेक्स बाजार में कारोबार शुरू होने के कुछ ही मिनट में रुपया डॉलर के मुकाबले 80.47 के नए निचले स्तर पर चला गया. सुबह 9.15 बजे रुपया 80.36 पर ट्रेड कर रहा था, जबकि एक दिन पहले यह 79.98 के स्तर पर बंद हुआ था. फेडरल रिजर्व ने आगे भी ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत दिया है, जिससे माना जा रहा है कि भारतीय मुद्रा की कमजोरी भी आगे जारी रहेगी. साथ ही यह डॉलर के मुकाबले और नीचे जा सकती मुद्रा का दबाव है. इससे पहले 29 अगस्त को रुपये ने अपना सबसे निचला स्तर छुआ था, तब इंट्राडे में भारतीय मुद्रा 80.13 तक गिर गई थी.
S&P Global Ratings ने कहा, भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार; कर्ज का दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम
Forex Reserve of India वैश्विक रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल ने कहा है कि भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है। इस वजह से वह कर्ज का दबाव झेलने में पूरी तरह सक्षम है। इसने चालू वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ्ज्ञ 7.3% रहने का अनुमान किया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने गुरुवार को कहा कि भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा का दबाव मुद्रा भंडार (Forex Reserve) है। इसकी बदौलत वह ऋण संबंधी दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम है। एसएंडपी सावरेन एंड इंटरनेशनल पब्लिक फाइनेंस रेटिंग्स के निदेशक एंड्रयू वुड ने वेबगोष्ठी - इंडिया क्रेडिट स्पाटलाइट-2022 में कहा कि देश का बाहरी बही-खाता मजबूत है और विदेशी कर्ज सीमित है। इसलिए कर्ज चुकाना बहुत अधिक महंगा नहीं है।
इधर खींचो, उधर उघाड़
- नई दिल्ली,
- 10 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 10 अक्टूबर 2022, 6:00 PM IST)
इस साल जुलाई में भारतीय रुपए ने तब पहली बार प्रति डॉलर 80 का मनोवैज्ञानिक स्तर पार किया, जब महंगाई पर लगाम कसने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें कई बार बढ़ाईं, नतीजतन डॉलर मजबूत हुआ. कुछ दिन थमने के बाद रुपए ने 28 सितंबर को एक बार फिर प्रति डॉलर 80 का निशान पार कर लिया और 81.9 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया. थोड़ा संभला पर 3 अक्तूबर को फिर 81.7 पर आ लगा.
भारत के लिए ज्यादा फिक्र की बात यह है कि रुपए की गिरावट को मुद्रा का दबाव थामने की आरबीआइ की कोशिशें आंशिक तौर पर ही कामयाब रही हैं. इतना ही नहीं, रुपए को थामने के चक्कर में वह देश का विदेशी मुद्रा भंडार उलीच रहा है, जो पिछले साल 3 सितंबर को 642 अरब डॉलर (52.4 लाख करोड़ रुपए) से घटते-घटते 23 सितंबर को 537 अरब डॉलर (43.9 लाख करोड़ रुपए) पर आ गया. दरअसल, आरबीआइ की तरफ से सरकारी बैंक डॉलर की भारी खरीद का सहारा ले रहे हैं.