इक्विटी निवेश

निजी इक्विटी निवेश रियल एस्टेट में क्यों बढ़ रहा है?
दो वर्षों से, भारतीय शहरों में रियल एस्टेट की कीमतें स्थिर रही हैं, निजी इक्विटी (पीई) के निवेश में एक अपवाद है वाणिज्यिक अचल संपत्ति कंपनी कुशमैन और वेकफील्ड के एक अध्ययन के मुताबिक, 2015 में भारत की रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेश 72% तक बढ़ गया था। यह 2008 के बाद से सबसे ज्यादा है। भारतीय रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेशकों द्वारा 25,683 करोड़ रुपये का निवेश 18,000 करोड़ रुपये आवासीय क्षेत्र में थे। आम तौर पर अचल संपत्ति क्षेत्र में बढ़ते पीई निवेश और विशेष रूप से आवास के कारण क्या हो सकता है? पीई निवेशकों के पास समय-समय पर अपनी परियोजनाओं को वितरित करने वाले प्रसिद्ध डेवलपर्स की प्रमुख वाणिज्यिक परियोजनाओं में अचल संपत्ति संपत्ति के लिए एक मजबूत प्राथमिकता है इससे पता चलता है कि पीई निवेशक अचल सम्पत्ति की अधिक संपत्ति खरीद रहे हैं, फिर भी वे सावधानी से चुन रहे हैं कि निवेश करने के लिए कहां निवेश करें। वे सबसे अच्छा भारतीय शहरों में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2015 में रेपो रेट (जिस दर पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है) को कम कर दिया है। मुद्रास्फीति में गिरावट ने आरबीआई को रेपो रेट में कटौती इक्विटी निवेश के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे घर लौट आए ऋण ब्याज दरों में गिरावट यह आवास की मांग बढ़ाने की संभावना है जब सातवें वेतन आयोग के प्रस्ताव लागू किए जाते हैं, सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की संभावना है। पीई निवेशकों ने अनुमान लगाया है कि आवासीय मांग 2016 और 2017 में अधिक होगी। आवासीय इकाइयों की मांग अभी भी पूरी तरह से निर्मित परियोजनाओं में उच्च है बड़े भारतीय शहरों में बेची गई इन्वेंट्री में से अधिकतर निर्माणाधीन परियोजनाएं हैं इसलिए, निजी इक्विटी निवेशकों को लगता है कि विकसित किए जाने वाले प्रोजेक्ट्स में निवेश करना धन की जरूरत होती है, यह एक अच्छा निवेश अवसर है। पीई निवेशक पूरे विश्व में बाजारों में रुचि रखते हैं भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है बड़े बड़े शहरों में प्रमुख नीतिगत प्रस्ताव और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चल रही हैं, इसलिए अगले कुछ सालों में अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे रियल एस्टेट की इक्विटी निवेश मांग बढ़ेगी।
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Sensex 61000 के पार, क्या आपको इक्विटी फंड के SIP में निवेश रोक देना चाहिए?
Moneycontrol 3 घंटे पहले Moneycontrol Hindi
© Moneycontrol द्वारा प्रदत्त Sensex 61000 के पार, क्या आपको इक्विटी फंड के SIP में निवेश रोक देना चाहिए? Sensex 61000 के पार निकल गया है। 23 नवंबर को मार्केट खुलने पर सेंसेक्स में तेजी दिखी। सुबह 10 बजे यह 90 अंक की तेजी के साथ 61,509 अंक पर था। 22 नवंबर इक्विटी निवेश को यह 61,418 अंक पर बंद हुआ था। यह 11 नवंबर, 2022 के 61,795 अंक के अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंच गया है। मार्केट में आई तेजी के बीच म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बनी हुई है। म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गया है। AMFI के डेटा के मुताबिक, अक्टूबर में SIP से निवेश 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा। इसका ज्यादातर हिस्सा म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीमों में गया। इससे यह संकेत मिलता है कि शेयरों को लेकर इनवेस्टर्स का उत्साह बना हुआ है। हालांकि, ग्लोबल इक्विटी मार्केट में तेज करेक्शन देखने को मिला है। क्या है एक्सपर्ट्स की राय? एक्सपर्ट्स का मानना है कि मार्केट चाहे किसी लेवल पर हो, आपको अपना इनवेस्टमेंट जारी रखना चाहिए। SIP लंबी अवधि में लगातार निवेश के लिए सबसे अच्छा माध्यम है। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मार्केट हाई पर होने की स्थिति में आप शेयरों को महंगे भाव पर खरीदते (एमएफ के जरिए) हैं। ऐसे में सवाल यह है कि अगर मार्केट में शेयर महंगे हैं तो क्या आपको अपना SIP रोक देना चाहिए? पिछले अनुभव से ले सकते हैं सबक हमने यह देखा कि जब मार्केट अपने पीक पर था तो SIP शुरू करने पर निवेशकों का रिटर्न कैसा रहता। इसके लिए हमने दो टाइम पीरियड लिया। पहला साल 2000 का पीक था, जब इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी शेयरों में तेजी के चलते बाजार में तेजी आई थी। दूसरा, 2008 का पीक था, जब दुनियाभर के शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिली थी। मान लीजिए आपने Nifty 50 में निवेश किया था। अगर आपने मार्च 2000 में निफ्टी को खरीदना शुरू किया होता और तब तक अपना निवेश जारी रखा होता जब यह करेक्शन के बाद दिसंबर 2003 में फिर से अपने पीक पर पहुंच गया था तो आपने अपने निवेश पर 1.4 गुना कमाई की होती। इसमें यह माना गया है कि इस दौरान आपने हर महीने एक फिक्स्ड अमाउंट इनवेस्ट किया है। आईथॉट एडवायजरी के फाउंडर श्याम शेखर के मुताबिक, रिटेल निवेशकों का निवेश इक्विटी में जितना हो सकता है, उससे काफी कम है। मार्केट में चाहे तेजी हो या नहमी अपने निवेश को जारी रखना बहुत जरूरी है। अपने निवेश को बढ़ाया भी जा सकता है। अगर आपने जनवरी 2008 में निफ्टी 50 में निवेश किया होता, जब मार्केट पीक पर था। और आपने करेक्शन के दौरान भी निवेश जारी रखा होता तो अक्टूबर 2010 में मार्केट के फिर से पीक पर पहुंचने के दौरान आपका इनवेस्टमेंट बढ़कर 1.4 गुना हो गया होता। यह करीब 25 फीसदी का रिटर्न (XIRR) है। आप मान लीजिए कि अक्टूबर 2010 तक आप हर महीने सिप के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश किया था। तो आपने 25 फीसदी का रिटर्न (XIRR) हासिल किया होता, जबकि साल 2000 के पीक के दौरान आपने 20 फीसदी रिटर्न (XIRR) हासिल किया था। पीक से हर करेक्शन अलग होगा और मार्केट को रिकवर करने में लगा समय भी अलग-अलग होगा। SIP से आपका रिटर्न सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि आप कितने इक्विटी निवेश समय तक इनवेस्टेड रहते हैं बल्कि इसमें इस बात का भी रोल है कि मार्केट में कितना करेक्शन आता है और कब तक मार्केट करेक्शन मोड में रहता है। इन बातों का रखें ध्यान तो होगी जोरदार कमाई जब मार्केट में कमजोरी होती है तो SIP शुरू करना ज्यादा फायदेमंद होता है और अगर आप मार्केट में दोबारा तेजी आने तक अपना निवेश जारी रखते हैं तो फिर आपका रिटर्न बहुत शानदार रहता है। लेकिन, यह कहना आसान है और इस पर अमल करना मुश्किल है। फिर भी, आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पहला, इक्विटी निवेश बाजार में तेजी होने पर भी अपने SIP को जारी रखें। दूसरा, अगर आप अपना SIP बंद कर देते हैं तो फिर आपके लिए सही समय पर एंट्री करना मुश्किल होगा। तीसरा, अगर आप शेयरों में पैसा तीन साल से कम समय के लिए लगाते हैं तो फिर आपको शानदार रिटर्न मिलने की संभावना कम होगी। आपको कुछ पैसा हमेशा अपने पास रखना चाहिए। मार्केट में गिरावट आए तो इस पैसे का निवेश करना चाहिए। आखिर में इस बात का गांठ बांध लें कि अगर आप बहुत अच्छा रिटर्न कमाना चाहते हैं तो आपको कम से कम 5 साल तक अपने निवेश को बनाए रखना होगा।
SIP VS RD: निवेश का ये विकल्प है सबसे बेस्ट, 5 साल बाद देगा बंपर रिजल्ट…देखें कैलकुलेशन
SIP VS RD: लंबी अवधि में धन उत्पन्न करने के लिए एक निवेशक जिन दो जगह निवेश कर सकता है, वे इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट हैं (Equities, Debt Instruments)। इक्विटी में निवेश एक निवेशक को एक कंपनी में स्वामित्व देता है, जबकि ऋण निवेश को उधार के रूप में माना जाता है, जिसमें कंपनी या बैंक आपको पैसा देंगे।
RD क्या है?
RD – आवर्ती जमा (Recurring deposit) एक विशिष्ट समय सीमा के लिए आवधिक बैंक या डाकघर जमा हैं। एक निवेशक के रूप में, आप छह महीने से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए हर महीने एक आरडी में निवेश कर सकते हैं। पोस्ट ऑफिस आरडी को 10 रुपये से शुरू किया जा सकता है, जबकि बैंकों में 100 रुपये से शुरू किया जा सकता है।
आरडी एक प्रकार का फिक्स्ड डिपॉजिट उत्पाद है जो कम जोखिम रखता है और एक स्थिर रिटर्न प्रदान करता है। जमा की अवधि के आधार पर ब्याज दर भिन्न होती है।
SIP क्या है?
जब निवेश की आवधिकता की बात आती है तो SIP – व्यवस्थित निवेश योजनाएं (Systematic investment plans) आरडी की तरह होती हैं। हालांकि, बैंक में जमा के बजाय, निवेश म्यूचुअल फंड योजनाओं में होता है। निवेश की आवृत्ति इक्विटी निवेश दैनिक निवेश से वार्षिक निवेश में भिन्न होती है। फ्रैंकलिन टेम्पलटन के एसआईपी में न्यूनतम निवेश राशि 500 रुपये से शुरू होती है। निवेशक अपने एसआईपी निवेश पर रिटर्न की गणना और अनुमान लगाने के लिए एसआईपी कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
उच्च जोखिम क्षमता वाले निवेशक और विशिष्ट वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लोग एसआईपी के माध्यम से निवेश कर सकते हैं। वे इक्विटी के लिए एक्सपोजर प्रदान करते हैं लेकिन ऋण-विशिष्ट या संयोजन भी हो सकते हैं।
बता दें कि प्रत्येक निवेश मार्ग के अपने लाभ हैं और निवेशकों के एक निश्चित समूह को आकर्षित करते हैं।
RD के लाभ
- गारंटीड रिटर्न
- फ्लेक्सिबल टाइम होराइजन
- आसान निवेश
- वरिष्ठ नागरिक लाभ
SIP के लाभ
- लिक्विडिटी
- फ्लेक्सिबिलिटी
- अधिक रिटर्न
- टैक्स ब्रेक
- मार्केट टाइमिंग
SIP vs RD – कौन सा बेहतर है?
चूंकि दोनों निवेशों के अलग-अलग लाभ हैं, उपयुक्तता एक निवेशक के रूप में आवश्यकताओं पर निर्भर करेगी। हालांकि, जोखिम से बचने वाले उन निवेशकों के लिए RD एक अच्छा निवेश विकल्प है जो हर महीने पैसा निवेश करना चाहते हैं। आरडी शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं।
वहीं, वैकल्पिक रूप से, एसआईपी उन निवेशकों के लिए हैं जो संभावित रूप से अधिक रिटर्न के लिए उच्च जोखिम लेने को तैयार हैं।
5 साल बाद क्या होगा? चेक करें कैलकुलेशन
RD: यदि पोस्ट ऑफिस की आरडी में हर महीने 500 रुपये का निवेश करते हैं तो पांच साल बाद आपको मैच्योरिटी पर 69,694 रुपये मिलेंगे। इसमें आपका कुल निवेश 60,000 रुपये होगा और 9,694 रुपये आपको ब्याज से इनकम होगी। ऐसे ही ज्यादा निवेश करेंगे तो ज्यादा फायदा।
SIP: यदि म्यूचुअल फंड में 1,000 रुपये मंथली SIP शुरू करते हैं। औसतन 12 फीसदी सालाना रिटर्न रहता है, तो 5 साल बाद आपको 82,486 रुपये मिल सकते हैं। इसमें आपका निवेश 60,000 रुपये और 22,486 रुपये का ब्याज शामिल होगा। ऐसे ही ज्यादा निवेश करेंगे तो ज्यादा फायदा।
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क्या Mutual Fund में 60 प्रतिशत तक मिलता है रिटर्न? जानें निवेश का सबसे बेहतरीन विकल्प
Mutual Fund: सबसे पहले मैं यहां आपको बताना चाहूंगा कि इस खबर को पढ़ने के बाद आप अपनी पूरी फाइनेंशियल प्लानिंग करके उठेंगे. अगर आप ये पूरी खबर पढ़ते हैं तो आपके दिमाग में संदेह नहीं होगा. आप यह समझेंगे कि अगर आपको घर, गाड़ी, बच्चों की शादी के लिए पैसा और रिटायरमेंट के लिए धन चाहिए तो कैसे प्लानिंग करें. कहां से पैसा आएगा, कितना सेव करना और कितना पैसा कहां निवेश करना यह सबकुछ क्लियर होने वाला है.
पैसा जोड़ो मत, निवेश करो
यहां मैं आपको बता दूं कि पैसा जोड़ो मत, निवेश करो. उदाहरण के लिए अगर 3 साल पहले आपने अपने पास 10 लाख रुपये जोड़कर रखे थे तो आज भी उनकी वैल्यू 10 लाख ही होगी, बल्कि कम होगी. क्योंकि इन तीन सालों में महंगाई कहीं ज्यादा बढ़ गई है. वहीं, अगर इन 10 लाख रुपए का आप गोल्ड खरीदकर रख लेते तो उसकी वैल्यू आज 15 इक्विटी निवेश से 18 लाख रुपए होती.
महंगाई- जैसा कि आप जानते हैं कि महंगाई लगाता बढ़ रही है. कल जो एक लीटर दूध 30 रुपये का था आज वो 60 रुपए का है और कल उसकी कीमत 100 रुपये होगी. इसलिए पैसे की वैल्यू को बढ़ाना बहुत जरूरी है.
गोल्स- इसके साथ ही हमारे बहुत सारे गोल्स होते हैं. जैस की घर खरीदना, गाड़ी खरीदना, बच्चों की शादी और रिटारमेंट के लिए पैसा आदि.
इसके साथ ही पैसों को निवेश करने के हमारे कुछ विकल्प हैं-
-सेविंग अकाउंट
-FD
-RD
-गोल्ड और ज्वैलरी
-LIC में निवेश
-रियल एस्टेट
-क्रिप्टो
-स्टॉक मार्केट
-म्यूचुअल फंड
आज हम बात करेंगे निवेश के सबसे चर्चित और ट्रेंडिंग माध्यम म्यूचुअल फंड की-
Debt- जहां आपका पैसा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, सरकारी बोंड्स और एफडी जैसी चीजों में लगता है. डेट म्यूचुअल फंड में रिस्क सबसे कम होता है और अच्छा रिटर्न भी मिलता है.
लिक्विड फंड- अगर आपके पास शॉर्ट टर्म के लिए कुछ पैसा पड़ा है और आप उस पर रिटर्न या ब्याज कमाना चाहते हैं. मान लो कि आपके बास 5 से 6 दिनों के लिए 10 लाख रुपया पड़ा है, जिसके कुछ दिन आपको यह रकम किसी को देनी है. ऐसे में अगर आप उसको अपने बैंक अकाउंट में ही रहने देते हैं तो आपको शून्य रिटर्न मिलता है, लेकिन अगर आप इस रकम को लिक्विड फंड में लगा देते हैं तो आपको कुछ एफडी जितना ब्याज मिल जाता है. मतलब आपका पैसा ब्याज के साथ वापस आएगा.
अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड- अगर आपके पास 6 माल के लिए पैसा पड़ा है तो आप अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड में पैसा निवेश कर इक्विटी निवेश इक्विटी निवेश सकते हैं.
लॉ ड्यूरेशन फंड- अगर आपके पास 9 माह तक के लिए पैसा रखा है तो आप लॉ ड्यूरेशन फंड में पैसा डाल सकते हैं.
शॉर्ट टर्म फंड- कम से एक साल के लिए पैसा होना चाहिए
मिड टर्म फंड- एक से दो साल के लिए
गिल्ट फंड- यहां आपके पास कम से कम दो साल के लिए पैसा होना चाहिए. ये पैसा सरकारी सिक्योरिटीज में लगता है.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि Debt में सेफ इंवेस्टमेंट होता है, लेकिन यहां रिटर्न इक्विटी से कम आता है. इसके साथ यहां समय यानी ड्यूरेशन बहुत मायने रखती है. म्यूचुअल फंड में आपके निवेश की अवधि जितनी कम होनी रिटर्न कम मिलेगा. इसके उलट अवधि जितनी ज्यादा होगी रिटर्न उतना ही बेहतर यानी 60 प्रतिशत तक मिलेगा. लेकिन यहां रिस्क रेट बहुत ही कम है, बिल्कुल न के बराबर.
Equity- अगर आप अपने पैसे पर ज्यादा ग्रोथ यानी रिटर्न चाहते हैं तो इक्विटी आपके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है. यहां इक्विटी निवेश आपका पैसा शेयर मार्केट में लगता है.
लार्ज कैप- इसका मतलब बड़ी कंपनियों से है. इनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन बड़ी है. यहां कम से कम तीन साल के लिए पैसा इंवेस्ट होता है.
मिड कैप- इनका मार्केट कैपिटलाइजेशन ठीक-ठाक होता है. इसका मतलह है कि आपके पास ड्यूरेशन जितना ज्यादा होगा आप मिड कैप में पैसा लगा सकते हैं. यहां कम से कम 5 साल के लिए पैसा निवेश होना चाहिए.
स्मॉल कैप- ये वो कंपनियां हैं, जिनकी मार्केट कैप बहुत कम होती है. इसमे दोनों तरह की कंपनियां होती हैं लार्ज कैप और स्मॉल कैप. मसलन कुछ कंपनियां आपको कम रिटर्न देंगी तो कुछ बेहतर देंगी.
मल्टी या फ्लेक्सी कैप- यहां 6 साल या उससे ज्यादा के लिए पैसा निवेश होता है
अब शेयर के बदले मिलेगा लोन. नये नियम से हुआ Investment और आसान. ब्याज भी मात्र 9% सालाना होगा
L oan Against Shares : अगर आप मुश्किल भरे समय में आप लोन लेना चाहते हैं तो अब आप अपने शेयरों को गिरवी रख कर भी लोन ले सकते हैं. मिरे एसेट ग्रुप की नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) मिरे एसेट फाइनेंशियल सर्विसेज ( Mirae Asset Financial Services) ने ग्राहकों के लिए ‘लोन अगेंस्ट शेयर्स’ ( Loan Against Shares ) की सुविधा शुरू कर दी है.
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यह लोन एनएसडीएल-रजिस्टर्ड डीमैट खातों वाले सभी यूजर्स के लिए MAFS मोबाइल ऐप के माध्यम से उपलब्ध होगा. मिरे एसेट फाइनेंशियल सर्विसेज शेयरों के बदले में एंड-टू-एंड डिजिटल लोन प्रदान करने वाली चुनिंदा कंपनियों में से एक है.
NSDL डीमैट खातों वाले ग्राहक अपने इक्विटी निवेश को ऑनलाइन गिरवी रखकर 10,000 रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक की लोन अगेंस्ट शेयर्स (Loan Against Shares) का लाभ उठा सकते हैं. ग्राहक एप्रूव्ड इक्विटी की एक बड़ी लिस्ट से अपने शेयरों को गिरवी रख सकते हैं और उसी दिन एक लोन अकाउंट बना सकते हैं. ग्राहक जब चाहें और जहां भी जरूरत हो, मोबाइल ऐप के माध्यम से जरूरत की राशि निकाल सकते हैं. लोन की राशि उसी दिन सीधे ग्राहक के बैंक खाते में जमा करा दी जाती है. जहां तक ब्याज की बात है तो उपयोग की गई और अवधि पर 9% सालाना होगा.
यूजर्स MAFS मोबाइल ऐप के माध्यम से इस लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं और आवश्यक राशि वापस ले सकते हैं और वापस चुका भी सकते हैं. इस ऐप के ही जरिए लोन अकाउंट को बंद कराया जा सकता है और साथ ऐप पर अन्य कई गतिविधियों की सुविधा मिलती है.
समय इक्विटी निवेश की होगी बचत
पहले लोन के लिए जटिल आवेदन प्रक्रिया और लोन अकाउंट बनाने में लगने वाला लंबा समय अक्सर ग्राहकों को निराश करता था. मिरे एसेट फाइनेंशियल सर्विसेज Loan Against Shares म्यूचुअल फंड यानी म्यूचुअल फंड के खिलाफ लोन की सुविधा पहले से ही दे रहा है. अब शेयर के बदले में लोन भी ग्राहकों को मिल सकेगा. बिना किसी कागजी कार्यवाही के उसी दिन शेयरों पर लोन देने की क्षमता प्रोडक्ट को चलाने के लिए ब्रॉन्ड के प्रयास का एक प्रमुख फैक्टर होगा.
खर्च की जरूरतें होंगी आसान
इस सुविधा के शुरू किए जाने पर मिरे एसेट फाइनेंशियल सर्विसेज (इंडिया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कृष्ण कन्हैया ने कहा कि हमारे प्रोडक्ट फोलियो में एनएसडीएल के साथ शेयरों के बदले डिजिटल लोन को जोड़ना रोमांचक है. NSDL की प्रौद्योगिकी पहल को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि इसने हमें ग्राहकों को अपने शेयर ऑनलाइन गिरवी रखने और उसी दिन शेयरों के बदले लोन देने में सक्षम बनाने की अनुमति दी है.
इसके पहले हमने म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के बदले लोन सुविधा भी शुरू की थी, जिसे बहुत अच्छा रिस्पांस मिला है. मुझे भरोसा है कि शेयरों पर लोन हमारे ग्राहकों को अचानक से पड़ने वाले खर्च को मैनेज करने के लिए और अधिक विकल्प देगा. शेयर निवेशकों के बढ़ते रिटेल मार्केट ने लोन अगेंस्ट शेयर्स प्रोडक्ट को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है. क्योंकि यह निवेशकों को अपने निवेश को प्रोटेक्ट करने और एक ही समय में यात्रा, चिकित्सा पर खर्च, घर की मरम्मत जैसे शॉर्ट टर्म खर्चों का प्रबंधन करने के लिए लिक्विडिटी देता है.