स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है। यह मुंबई में स्थित है। इसकी स्थापना 1992 मे 25 करोड़ रुपये की समता पूँजी के साथ हई थी। कारोबार के लिहाज से यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना देश में वित्तीय सुधार के लिए M.J. शेरवानी समिति की सिफारिस स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? के आधार पर की गयी थी |
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है। यह मुंबई में स्थित है। इसकी स्थापना 1992 मे 25 करोड़ रुपये की स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? समता पूँजी के साथ हई थी। कारोबार के लिहाज से यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना देश में वित्तीय सुधार के लिए M.J. शेरवानी समिति की सिफारिस के आधार पर की गयी थी | इसके वीसैट (VSAT) टर्मिनल भारत के 320 शहरों तक फैले हुए हैं| नेशनल स्टाक एक्सचेंज का देशव्यापी नेटवर्क फैला हुआ है| निफ्टी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अंतर्गत आने वाला सूचकांक है | इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड हैं , जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (स्थापना 1875) के अंतर्गत सिर्फ 30 कम्पनियाँ हैं | इसे, एक आधुनिक व पूरी तरह से स्वचालित, स्क्रीन आधारित व्यापार प्रणाली प्रदान करने के लिए शीर्ष संस्थाओं द्वारा स्थापित किया गया था| नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, सुप्रीम पारदर्शिता, दक्षता, गति, सुरक्षा और बाजार अखंडता के बारे में मजबूती लाने के लिए लाया गया है|
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज नें ट्रेडिंग वॉल्यूम और बाजार प्रथाओं के मामले में भारतीय प्रतिभूति बाजार के पुनर्गठन में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है| आज यह बाजार विविध उत्पादों के सन्दर्भ में एक सक्षम और पारदर्शी व्यापार प्रक्रिया और निपटान तंत्र के सन्दर्भ में राज्य के अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है, और उत्पादों और सेवाओं में कई नवाचारों से सम्बंधित कार्यों को सम्पादित करता है| शेयर बाजार शासन, निपटान चक्र के संपीड़न, स्क्रीन आधारित ट्रेडिंग, प्रतिभूतियों के सन्दर्भ में अनेक कार्य और इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण, प्रतिभूतियों के उधार लेने, प्रतिभूतियों के उधार, जोखिम प्रबंधन प्रणाली, समाशोधन के कार्य करता है|
स्टॉक मार्किट सूचकांक की विशेषता यह होती है कि इसमें कुछ प्रतिनिधि कंपनियों के शेयरों के आधार पर स्टॉक मार्केट में होने वाली दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों या परिवर्तनों की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला जाता है |सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है | पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी कम्पनियाँ जो सर्वोत्तम होतीं है, को शामिल किया जाता है |
उद्देश्य
यह संस्था लोगों की वित्तीय भलाई को बढ़ाने के लिए समर्पित है और उनके लाभ के सन्दर्भ में अपने कार्यों को सम्पादित करता है|
दृष्टि
एक नेता किभुमिका अदा करना और की संस्थान वैश्विक उपस्थिति को मजबूत बनाये रखना. साथ ही लोगों को वित्तीय उपलब्धि के सन्दर्भ में मदद करना|
भारत में बैंकिंग क्षेत्र की संरचना
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निम्नलिखित बुनियादी मूल्यों के लिए समर्पित है:
1. वफ़ादारी
2. ग्राहक केंद्रित संस्कृति
3. व्यक्ति के प्रति सम्मान, देखभाल और विश्वास
4. टीमवर्क
5. उत्कृष्टता के लिए जुनून
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में अंतर
1. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में 50 कम्पनियाँ शामिल हैं जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 30 कम्पनियाँ हैं | इसी कारण नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है |
2. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अंतर्गत आने वाला सूचकांक निफ्टी है जबकि सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अंतर्गत आता है |
इन दोनों सूचकांकों में समानता यह है कि दोनों ही संवेदी सूचकांक हैं और दोनों का काम शेयर बाजार की सही स्थिती निवेशकों को बताना है |
आईपीओ क्या होता है व निवेश करते समय ध्यान में रखने वाली बातें
शेयर बाज़ारों के सन्दर्भ में ‘आईपीओ’ या ‘प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव’ (Initial Public Offering) सबसे अधिक प्रयोग होने वाले शब्दों में से एक है। पिछले दो वर्षों में भारतीय परिदृश्य में लगभग हर निवेशक ने इसके विषय में अवश्य पढ़ा, सुना या इसमें निवेश किया होगा।
आईपीओ क्या है ?
आईपीओ के द्वारा ‘निजी’ स्वामित्व (ownership) वाली कंपनी अपने हिस्से अथवा शेयरों को आम जनता को बेचकर व अपने स्वामित्व को घटा कर ‘सार्वजनिक’ बन सकती है। यह बिलकुल नई, नव – निर्मित अथवा पुरानी कारोबारी संस्था हो सकती है स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? जो अब तक निजी कंपनी के रूप में काम कर रही थी।
आम तौर पर, जब कोई कंपनी निजी प्रबंधन के रूप में स्थापित होती है, तो उसके शेयर या उसके हिस्से मुख्य रूप से उसके मालिकों, परिवार के करीबी सदस्यों, दोस्तों, बड़े निवेशकों, निजी संस्थाओं या फाइनेंसर्स के पास होते हैं।
आईपीओ के माध्यम से इन शेयरों को आम निवेशकों को खरीदने या हिस्सेदारी लेने का विकल्प दिया जाता है।
आईपीओ के लिए आवश्यक है :
आईपीओ एप्लीकेशन कैसे करें
ऑफ़लाइन
इसमें निवेशक को सारी आवश्यक जानकारी के साथ फॉर्म भरना होता है। इसके साथ आवश्यक राशि का चेक ब्रोकर या बैंक में जमा करना होता है। ऑफलाइन प्रक्रिया में 2 – 3 दिन का समय लग सकता है।
ऑनलाइन
यह एक आसान तरीका है जिससे निवेशक अपने ट्रेडिंग खाते में लॉग – इन करके शेयरों की संख्या का चयन कर सकते हैं। उसके हिसाब से आवश्यक राशि उनके अकाउंट में ब्लॉक हो जाती है। यदि निवेशक को शेयर आवंटित किए जाते हैं तभी उतनी राशि उनके खाते से डेबिट होती है।
आईपीओ में निवेश से पहले निवेशकों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1 कंपनी का मूल्यांकन (Valuation)
आम निवेशकों के लिए कंपनी का मूल्यांकन करना आसान नहीं है, इसलिए उन्हें अधिक से अधिक जानकारी जुटाने का प्रयास करना चाहिए। निवेशक प्रॉस्पेक्टस और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध अन्य जानकारी कंपनी की वेबसाइट, कॉर्पोरेट फाइलिंग (corporate filings) आदि से जुटाकर उसका आकलन कर सकते हैं। निवेशकों को इन माध्यमों से ये भी जानने का प्रयास करना चाहिए कि अपने कार्य – क्षेत्र में कंपनी की स्थिति कैसी है, उसकी रणनीति क्या है और भविष्य में व्यापार की क्या संभावनाएं हैं। वे उसी क्षेत्र में समान व्यापार (similar businesses) वाली कंपनियों के विषय में भी जानकारी जुटा सकते हैं।
2 आवश्यक प्रकटीकरण (Disclosure)
आईपीओ लाने वाली कंपनी को अपने व्यवसाय, प्रमोटर्स, वित्तीय जानकारी, पूंजी उपयोग व वित्तीय स्थिति, प्रबंधन टीम, भविष्य के लक्ष्य व उद्देश्य आदि के विषय में सभी महत्वपूर्ण जानकारी का अनिवार्य रूप से अपने प्रॉस्पेक्टस में खुलासा करना होता है। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है और इसे ध्यान और बारीकी से पढ़ा जाना चाहिए।
3 व्यापार के लिए जोखिम
निवेशकों को कंपनी के प्रॉस्पेक्टस को पढ़कर उसके व्यवसाय के लिए वर्तमान और भविष्य के जोखिमों का आकलन करने का प्रयास करना चाहिए। कंपनी के व्यवसाय से जुड़े प्रमुख जोखिमों का पता लगाना उसमें निवेश से पहले अत्यंत आवश्यक है – किसी भी पुराने सौदे, उधार, बकाया देनदारियां या मुकदमे को स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? बारीकी से देखा जाना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के जोखिम कंपनी के भविष्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
4 धन का उपयोग
यह जांचना आवश्यक है कि आईपीओ से जुटाई गई राशि का प्रयोग कैसे किया जाएगा। यदि कंपनी आईपीओ फंड का उपयोग केवल अपने ऋण का भुगतान करने या कम करने के लिए करेगी, तो यह निवेशकों के लिए आकर्षक या लाभदायक विकल्प नहीं हो सकता है। लेकिन कंपनी अगर अपने ऋण के भुगतान के लिए धन जुटा रही है और बाकी पूंजी निवेश या व्यापार के विस्तार के लिए, तो यह निवेशकों के लिए लाभदायक होगा।
5 व्यापार का भविष्य / संभावनाएं
निवेशकों को कंपनी के व्यापार – क्षेत्र में उसके भविष्य को समझने के लिए व्यवसाय की क्षमता का विश्लेषण करना चाहिए। जिन निवेशकों ने कंपनी के व्यापार में निवेश किया है, उन्हें लाभ तभी होगा जब कंपनी आईपीओ के बाद लगातार अच्छा प्रदर्शन करेगी। उसका व्यवसाय लम्बी अवधि के अनुमान से टिकाऊ व सुदृढ़ होना चाहिए और निवेशकों को लाभान्वित होने के लिए व्यापार में अच्छे भविष्य की संभावनाएं होनी चाहिए।
6 निवेश की समय – स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? सीमा
निवेशकों को अपने निवेशित रहने की समय – सीमा के विषय में स्पष्टता होनी चाहिए। यदि उनका उद्देश्य लिस्टिंग के दिन तुरंत लाभ कमाना है, तो उन्हें इस रणनीति पर बने रहना चाहिए। यदि उनकी योजना लंबी अवधि के लिए शेयरों को रख कर लाभ कमाने की है, तो निवेश के मूल सिद्धांतों, जैसे – कंपनी के व्यापार का प्रदर्शन, उसके उत्पादों के लिए उपयुक्त बाज़ार, लाभप्रदता, प्रतिस्पर्धी कंपनियों का आकलन आदि लाभदायक रहेगा।
आईपीओ – प्रमुख शब्दावली
आईपीओ से जुड़ी कुछ प्रमुख शब्दावली को समझते हैं –
आईपीओ लाने वाली कम्पनी को क्या कहा जाता है और ये किस बाज़ार में आता है?
जो कंपनी अपने शेयर प्रदान करती है, उसे ‘जारीकर्ता’ (issuer) के रूप में जाना जाता है और आईपीओ प्राथमिक बाज़ार (Primary market) में लाया जाता है।
आईपीओ के बाद कंपनी के शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध (list) किया जाता है और आम निवेशकों द्वारा इनमें कारोबार किया जा सकता है।
सूचीबद्ध होने के पश्चात इन शेयरों का द्वितीयक बाज़ार (Secondary market) में लेन – देन किया जा सकता है।
प्राथमिक बाज़ार और द्वितीयक बाज़ार (Primary market & Secondary market)
क्या हैं?
प्राथमिक बाज़ार
आईपीओ के माध्यम से पहली बार जिस बाज़ार में आम जनता को नए शेयर खरीदने की पेशकश की जाती है, वह ‘प्राथमिक बाज़ार’ है। इसे ‘आईपीओ बाज़ार’ के रूप में भी जाना जाता है।
विशेषताएं :
-प्राथमिक बाज़ार कंपनी की पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करता है
-इसमें शेयर्स की कीमत जारी करने से पहले तय होती हैं
-निवेशक सीधे जारीकर्ता से शेयर खरीदते हैं
-कंपनी (या जारीकर्ता) को शेयर्स की बिक्री से लाभ होता स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? है
-प्राथमिक स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? बाज़ार में आईपीओ से प्राप्त राशि कंपनी की पूंजी बन जाती है
द्वितीयक बाज़ार
जब कंपनी किसी एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो जाती है और उसके शेयरों का निवेशकों के बीच कारोबार होता है, तो इस बाज़ार को द्वितीयक बाज़ार कहा जाता है।
बीएसई और एनएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज जहां शेयरों का कारोबार होता है ‘द्वितीयक बाज़ार’ हैं।
विशेषताएं :
-लिस्टिंग के बाद ट्रेडिंग द्वितीयक बाज़ार में ही होती है
-द्वितीयक बाज़ार में शेयर्स की कीमतें बदलती रहती हैं
-द्वितीयक बाज़ार में निवेशक आपस में शेयर्स खरीदते और बेचते हैं
-इस बाज़ार में पूंजी निवेशकों की होती है
आईपीओ लाने की क्या प्रक्रिया है?
सर्वप्रथम शेयर बाज़ार के नियामक सेबी (SEBI) के साथ रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? होता है।आईपीओ लाने से पहले कंपनी को कुछ महत्वपूर्ण कार्य पूरे करने होते हैं, जैसे –
-निवेश बैंक (Investment Bank) का चयन
-स्टॉक एक्सचेंज की मंजूरी
आईपीओ – जागरूक निवेश
आधुनिक वित्त-व्यवस्था में व्यापार को बढ़ाने और उसके विस्तारीकरण का सबसे सरल तरीका है – पूंजी का आसानी से और समय पर उपलब्ध होना।
आईपीओ प्रमुख माध्यम है जिससे कंपनी अपने विकास और भविष्य की संभावनाओं में सार्वजनिक भागीदारी के साथ – साथ आवश्यक धन भी जुटा सकती है।
अपनी पसंद के व्यापार में शेयरधारक बनने के इच्छुक निवेशक ऐसे व्यापार को पूंजी प्रदान कर सकते हैं।
किन्तु निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता के आधार पर ही निर्णय लेना चाहिए – जागरूक और सतर्क निवेशकों की बाज़ारों में सफलता की संभावना निश्चित रूप से अधिक होती है।
अब शेयरों की तरह सोने का भी एक्सचेंज पर कर सकेंगे कारोबार, जानिए क्या है ईजीआर
मुंबई: अब आप आसानी से एक्सचेंज पर गोल्ड की ट्रेडिंग कर सकेंगे। स्टॉक एक्सचेंज BSE ने अपने प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिट (EGR) लॉन्च किया है। इसमें आप गोल्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा ठीक उसी तरह ले सकेंगे, जैसे आप शेयरों की ट्रेडिंग में लेते रहे हैं।
सेबी द्वारा एक्सचेंजेज को EGR की अनुमति दिए जाने के बाद बीएसई को अपने प्लेटफॉर्म पर दिवाली की मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान 95 और 999 शुद्धता के दो नए प्रॉडक्ट्स के साथ इसे लॉन्च किया। बीएसई ने बताया कि ट्रेडिंग 1 ग्राम के मल्टीपल में और डिलिवरी 10 ग्राम और 100 ग्राम के मल्टीपल में होगी। जा
नकारों का कहना है कि हालांकि दिवाली के दिन ईजीआर को शुभ मुहूर्त के हिसाब से शुरू कर दिया गया है, लेकिन इसमें तब तक सफलता नहीं मिल सकती, जब तक कि सरकार जीएसटी की मैकेनिज्म इसमें सॉल्व नहीं करती। धनतेरस के दिन 2000 इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिट जनरेट हुई और दिवाली के दिन इसमें निवेशकों ने ट्रेडिंग की।
इसमें गोल्ड कमोडिटी को सिक्योरिटी ईजीआर में कन्वर्ट करते हैं। जिसके पास फिजिकल गोल्ड का रिसपॉन्सिबल सोर्स है, वह उस गोल्ड को वोल्ट में जाकर जमा करवाएगा। वहां उसे इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिट मिलेगी। जिसे वह एक्सचेंज पर खरीद-बिक्री के लिए रखेगा। अब गोल्ड की कीमतों और डिमांड के आधार पर उसकी ट्रेडिंग होगी। एक्सचेंज पर निवेशकों को ये ईजीआर उपलब्ध स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? होगी। जिस तरह निवेशक बीएसई पर शेयरों की खरीद-बेच करते हैं, वैसे ही गोल्ड की इन रिसिट की ट्रेडिंग कर सकेंगे। जहां निवेशकों को बाय-सेल करने के लिए डिलिवरी लेने की जरूरत नहीं है। निवेशक डीमैट अकाउंट में अपनी ये ईजीआर रख सकेंगे।
EGR यानी इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट अन्य सिक्योरिटीज जैसा ही होगा। इसकी ट्रेडिंग क्लियरिंग और सेटलमेंट भी दूसरी सिक्योरिटीज की तरह किया जा सकेगा। अभी भारत में सिर्फ गोल्ड डेरिवेटिव्स और गोल्ड ईटीएफ का कारोबार होता है।
स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है?
शेयर मार्केट क्या है (What is share market)?
शेयर बाजार एक ऐसा मंच है जहां खरीदार और विक्रेता दिन के निर्धारित घंटों के दौरान सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध शेयरों पर व्यापार करने के लिए एक साथ आते हैं। लोग अक्सर Share Market and Stock Market शब्दों का परस्पर उपयोग करते हैं। हालाँकि, दोनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर इस तथ्य में निहित है कि पूर्व का उपयोग केवल शेयरों के व्यापार के लिए किया जाता है, बाद वाला आपको विभिन्न वित्तीय प्रतिभूतियों जैसे बांड, डेरिवेटिव, विदेशी मुद्रा आदि का व्यापार करने की अनुमति देता है।
भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) हैं।
शेयर बाजार के प्रकार
Share Market Two Types Ke Hote Hai
प्राथमिक शेयर बाजार (Primary Share Market)
जब कोई कंपनी शेयरों के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? धन जुटाने के लिए पहली बार स्टॉक एक्सचेंज में खुद को पंजीकृत करती है, तो वह प्राथमिक बाजार में प्रवेश करती है। इसे एक आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) कहा जाता है, जिसके बाद कंपनी सार्वजनिक रूप से पंजीकृत हो जाती है और इसके शेयरों का बाजार सहभागियों के भीतर कारोबार किया जा सकता है।
द्वितीयक बाजार (Secondary Market)
एक बार जब कंपनी की नई प्रतिभूतियों को प्राथमिक बाजार में बेच दिया जाता है, तो उन्हें द्वितीयक शेयर बाजार में कारोबार किया जाता है। यहां निवेशकों को बाजार की मौजूदा कीमतों पर आपस में शेयर खरीदने और बेचने का मौका मिलता है। आमतौर पर निवेशक इन लेन-देन को एक दलाल या अन्य ऐसे मध्यस्थ के माध्यम से करते हैं जो इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकते हैं।
शेयर बाजार में क्या कारोबार होता है? (What Is Traded On The Share Market?)
वित्तीय साधनों की चार श्रेणियां हैं जिनका स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है। इसमे शामिल है:
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शेयरों (Shares)
एक शेयर एक कंपनी में इक्विटी स्वामित्व की एक इकाई का प्रतिनिधित्व करता है। शेयरधारक किसी भी लाभ के हकदार हैं जो कंपनी लाभांश के रूप में कमा सकती है। वे कंपनी को होने वाले किसी भी नुकसान के वाहक भी हैं।
बांड (Bonds)
लंबी अवधि और लाभदायक परियोजनाओं को शुरू करने के लिए, एक कंपनी को पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। पूंजी जुटाने का एक तरीका जनता को बांड जारी करना है। ये बांड कंपनी द्वारा लिए गए “ऋण” का प्रतिनिधित्व करते हैं। बांडधारक कंपनी के लेनदार बन जाते हैं और कूपन के रूप में समय पर ब्याज भुगतान प्राप्त करते हैं। बांडधारकों के दृष्टिकोण से, ये बांड निश्चित आय के साधन के रूप में कार्य करते हैं, जहां वे निर्धारित अवधि के अंत में अपने निवेश के साथ-साथ उनकी निवेशित राशि पर ब्याज प्राप्त करते हैं।
म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds)
म्युचुअल फंड पेशेवर रूप से प्रबंधित फंड होते हैं जो कई निवेशकों के पैसे को जमा करते हैं और सामूहिक पूंजी को विभिन्न वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। आप कुछ नाम रखने के लिए इक्विटी, डेट, या हाइब्रिड फंड जैसे विभिन्न वित्तीय साधनों के लिए म्यूचुअल फंड ढूंढ सकते हैं।
प्रत्येक म्यूचुअल फंड योजना एक शेयर के समान एक निश्चित मूल्य की इकाइयाँ जारी करती है। जब आप ऐसे फंड में निवेश करते हैं, तो आप उस म्यूचुअल फंड स्कीम में यूनिट होल्डर बन जाते हैं। जब उस म्यूचुअल फंड योजना का हिस्सा होने वाले उपकरण समय के साथ राजस्व अर्जित करते हैं, तो यूनिट-धारक को वह राजस्व प्राप्त होता है जो फंड के शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य के रूप में या लाभांश भुगतान के रूप में परिलक्षित होता है।
संजात (Derivatives)
डेरीवेटिव एक वित्तीय अनुबंध है जो एक या अधिक अंतर्निहित परिसंपत्तियों से इसके मूल्य को प्राप्त करता है। डेरिवेटिव्स फॉरवर्ड,फ्यूचर्स,ऑप्शंस और स्वैप हो सकते हैं। डेरिवेटिव्स अत्यधिक लीवरेज्ड इंस्ट्रूमेंट्स हैं जो उनके संभावित जोखिम और रिवार्ड्स को बढ़ाते हैं।
Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा
Stock Market Trading: स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं तो सभी चार्जेज को आसानी से समझें ताकि मुनाफा बढ़ा सकें. मुनाफे के मामले में एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग में भी फर्क है.
स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)
Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है.
इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग
- Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
- Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
- Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
- Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.
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मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर
ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-
- मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा. स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है?
- अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.
- फ्यूचर के मामले में अगर आपने 400 शेयरों को 1000 रुपये में खरीदकर 1100 रुपये में बेचा है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर वाले इस ट्रांजैक्शन में 119.86 रुपये का टैक्स व चार्जेज चुकाने होंगे. इसमें 39880.14 रुपये का मुनाफा होगा.
- अगर ऑप्शंस के तहत 1 हजार रुपये के 400 शेयरों के लिए सौदा किया है जिसकी स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? बिक्री 1100 रुपये के भाव पर होती है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर के इस सौदे में 805.38 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इसमें 39194.62 रुपये का मुनाफा होगा.
(यह कैलकुलेशन ब्रोकरेज फर्म Zerodha के कैलकुलेटर से किया गया है और इसमें एनएसई- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का कैलकुलेशन है. सभी फर्मों के लिए ब्रोकरेज जैसे चार्जेज भिन्न होते हैं.)
F&O ट्रेडिंग में BSE पर NSE की तुलना में अधिक मुनाफा
Zerodha कैलकुलेटर के मुताबिक अगर आप एनएसई की बजाय बीएसई पर फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग करते हैं तो मुनाफा बढ़ सकता है. बीएसई पर F&O के लिए कोई एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगता है और इससे जीएसटी भी कम हो जाता है. ध्यान रहे कि इंट्रा-डे इक्विटी और डिलीवरी इक्विटी में बीएसई पर एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस एनएसई के बराबर ही चुकानी होती है.