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कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा?

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दीपक प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

नेता की तरह बात न करें गवर्नर : राजेश ठाकुर

टर्म इंश्योरेंस के बारे में आपको जो जानकारी होनी चाहिए

संभव है आपके माता-पिता ने इसके बारे में बात की हो। आस-पड़ोस में संभवत: कोई हो जो इंश्योरेंस पॉलिसी बेचता होगा। और निश्चित रूप से, टीवी विज्ञापनों को कौन भूल सकता है जिसमें एक परेशान पत्नी होती है और एक तोंदुल सा पति। पत्नी को चिंता है कि वह मर जाएगा तो उसका क्या होगा? उन्हें एक इंश्योरेंस प्लान मिलता है और सब ठीक हो जाता है …

क्या आपको ठीक से पता है कि टर्म इंश्योरेंस कैसे काम करता है? क्या यह तभी जरूरी है जब आपको मरने का खतरा हो? जब आप बूढ़े और बीमार हों? यह तस्वीर का सिर्फ एक हिस्सा है। टर्म इंश्योरेंस वास्तव में किसी भी आयु वर्ग के लिए एक बेहद उपयोगी इन्वेस्टमेंट विकल्प हो सकता है। आइए कुछ मिथकों को दूर करें और पूरी जानकारी प्राप्त करें कि टर्म इंश्योरेंस कैसे काम करता है।

टर्म इंश्योरेंस क्या है?

टर्म इंश्योरेंस एक प्रकार का इंश्योरेंस है जिसमें आप एक पूर्व निर्धारित अवधि के लिए इन्वेस्टमेंट करते हैं, जिसके बाद आपको या आपके प्रियजनों को पॉलिसी की किस्म के आधार पर आपकी इन्वेस्टमेंट की गई पूंजी का भुगतान होता है।

इसी में भ्रम होता है। बहुत से लोगों गलत जानकारी है कि, मेडिकल इंश्योरेंस की तरह टर्म इंश्योरेंस की सारी पॉलिसी में कोई पैसा नहीं मिलता यदि पॉलिसी की अवधि के भीतर पॉलिसी धारक की मृत्यु नहीं होती है। लेकिन यह बिल्कुल गलत है। टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी दो तरह की होती हैं- एक किस्म लाइफ कवर से जुड़ी होती है। इस प्रकार का टर्म इंश्योरेंस आपकी मृत्यु के मामले में आपके आश्रितों को कवर करता है। यह विशेष रूप से उपयोगी है यदि आप परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं और यदि आप सबसे बड़े हैं तो यह अधिक फायदेमंद है।

दूसरे प्रकार का टर्म इंश्योरेंस है जिसमें यदि पॉलिसी अवधि के दौरान आपकी मृत्यु हो जाती है तो आपके आश्रितों को इंश्योरेंस का भुगतान मिलता है। हालांकि यदि आप पॉलिसी की अवधि से अधिक जीवित रहते हैं तो आपको अपनी इच्छानुसार खर्च करने के लिए पहले से इन्वेस्ट की गई पूंजी मिलती है। छुट्टी लें, कार खरीदें, घर का डाउन पेमेंट करें, विदेश कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा? में पढ़ाई करें, राजसी तरीके से शादी करें - आपकी मर्ज़ी!

टर्म इंश्योरेंस के क्या फायदे हैं?

  1. टर्म इंश्योरेंस एक फिक्स्ड इन्कम वाला उत्पाद है और इसलिए इसमें जोखिम कम होता है। यदि आपके पास बहुत अधिक जोखिम वाले इन्वेस्टमेंट हैं तो इस कम जोखिम वाले इन्वेस्टमेंट विकल्प के साथ अपने इन्वेस्टमेंट को डाइवर्सीफाय करना समझदारी हो सकती है।
  2. यह काफी किफायती इन्वेस्टमेंट है।
  3. पॉलिसी की मैच्योरिटी के बाद अपनी टर्म इंश्योरेंस राशि का मासिक भुगतान चुनने पर इंक्रीमेंटल/लगातार इन्कम हो सकती है। यही वजह है कि इस तरह का इन्वेस्टमेंट उन इन्वेस्टर के बीच बेहद लोकप्रिय है जो रिटायरमेंट के करीब होते हैं।
  4. टर्म इंश्योरेंस की पूंजी मैच्योर होने पर टैक्स फ्री होती है जबकि कई अन्य प्रकार के इन्वेस्टमेंट से होने वाले लाभ पर भारी कर लगाया जा सकता है।
  1. टर्म इंश्योरेंस में अक्सर 10 साल से अधिक की लॉक-इन अवधि होती है। स्टॉक और म्यूचुअल फंड जैसे इन्वेस्टमेंट कहीं अधिक लिक्विड हैं। यहां तक कि फिक्स्ड डिपॉजिट भी टर्म इंश्योरेंस के मुकाबले अधिक लिक्विड होते हैं।
  2. हालांकि टर्म इंश्योरेंस की पॉलिसी में अक्सर भुगतान राशि की गारंटी होती है और इस तरह, वे कम जोखिम वाली होती है और कई इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड और स्टॉक मिलने वाले बड़े मुनाफे के लिए थोड़ा-बहुत जोखिम झेलना बुरा नहीं मानते।
  3. टर्म इंश्योरेंस जटिल है और जिस प्रकार से आपको पॉलिसी से बाहर रहने पर कुछ भी नहीं मिलता है, वह युवा इन्वेस्टमेंटकों के लिए एक वास्तविक बर्बादी है।

टर्म इंश्योरेंस प्लान चुनते समय क्या देखें?

  1. सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात- देखें हमने अभी किस बारे में बात की है। क्या ऐसा भुगतान है जिसके लिए पॉलिसी टर्म तक बने रह सकते हैं?
  2. क्या इंश्योरेंस कंपनी आपको यह चुनने का विकल्प देती है कि आप प्रीमियम का भुगतान कब-कब करें? कुछ कंपनियां आपको एकमुश्त, वार्षिक और द्वि-वार्षिक प्रीमियम भुगतान करने की विकल्प देती हैं।
  3. क्या वे आपको अपनी प्रीमियम राशि चुनने/एडजस्ट करने देती हैं?
  4. क्या सम एश्योर्ड के भुगतान में लचीलापन है? कुछ कंपनियां आपको सम एश्योर्ड बढ़ाने या घटाने का का विकल्प देती हैं - निश्चित रूप से यह केवल तभी मायने रखता है जब यह आपके लिए ठीक हो।
  5. क्या इंश्योरेंस कंपनी आपको यह चुनने का विकल्प देती है कि पॉलिसी अवधि समाप्त होने पर आप पूंजीगत भुगतान कैसे प्राप्त करना चाहेंगे?
  6. पॉलिसी अवधि में कितने साल तक आपको इन्वेस्टमेंट करना होगा? कुछ नए दौर की पॉलिसियों में आपने पॉलिसी अवधि के एक हिस्से तक इन्वेस्ट करना होता है और फिर बाकी पॉलिसी अवधि के दौरान आपकी पूंजी बढ़ती रहती है।
  7. क्या पॉलिसी में कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा? कई कॉम्पोनेन्ट हैं? आजकल अधिक जटिल टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियां हैं जो इंश्योरेंस के साथ मार्केट-लिंक्ड ग्रोथ को जोड़ती हैं। इन उत्पादों में आपको मनचाहा लाइफ इंश्योरेंस, कुछ आय की गारंटी और एक वेरिएबल कॉम्पोनेन्ट की पेशकश होती है जो आकर्षक हो सकता है।

Cryptocurrency Ban में नहीं डूबेगा निवेशकों का पैसा?

Cryptocurrency Ban: आज हम फिर से cryptocurrency ban को लेकर मची अफरा तफरी पर बात करेंगे…आज cryptocurrency के इंवेस्टर्स के लिए एक और राहत भरी खबर निकलकर आई है…बताया जा रहा है कि भारत सरकार नए कानून के जरिए cryptocurrency को नहीं बल्कि इसकी आड़ में होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए कानून में प्रावधान करेगी…यानी इसमें इंवेस्टर्स का ही भला होने वाला है….उन्हें पैसे डूबने की चिंता नहीं करनी चाहिए….

cryptocurrency ban की आशंकाओं के बीच एक नई बात निकलकर आई है कि कुछ कंपनियां या कहें cryptocurrency जारीकर्ता लोगों के पैसे लेकर रफूचक्कर हो चुके हैं…यानी आप इनकी cryptocoine खरीद तो सकते हैं पर बेच नहीं सकते। लोगों ने अच्छी रिटर्न की उम्मीद में करोड़ों रूपए ऐसी cryptocoin पर लगा दिए…पर जब उन्होंने अपनी cryptocoin को बेचना चाहा तो नहीं बेच पाए….कभी सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी दिखने लगी कभी कोई और ईश्यू आ गया और कुल मिलाकर यह हुआ कि इंवेस्टर्स इसमें से एक रूपया भी नहीं निकाल पाए… इस तरह की रिस्क वाली करेंसी में शामिल…एक COIN के बारे में बताया जाता है कि 2014 से 2017 के बीच इस पर दुनियांभर के लोगों ने करीब 15 अरब यूरो का निवेश कर दिया था…, इस COIN को लेकर दावा किया जाता था कि यह जल्द ही दुनियां में बिटकॉइन के वर्चस्व को खत्म कर देगा और लोगों को एक नए अर्थतंत्र की ओर लेकर जाएगा… बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में इस COIN की जारीकर्ता कंपनी की हेड महिला अंडरग्राउंड हो गई थीं. और इस तरह एक बड़े घोटाले का आरोप उन पर लगा है…इस कंपनी और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ लंदन की पुलिस ने जांच शुरू की थी लेकिन उसे कोई खास कामयाबी नहीं मिल सकी कारण साफ था इससे जुड़े लोग दुनियांभर फैले थे…तब 2019 में लंदन पुलिस ने एक बयान जारी करके कहा था कि, ‘उस COIN को चलाने वाली कंपनियां और लोग ब्रिटेन के न्यायिक अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं. हम ब्रिटेन में उनकी संपत्तियों की तलाश करने में नाकाम रहे हैं, जिन्हें ज़ब्त कर के ब्रिटेन के निवेशकों की भरपाई की जा सके….’ इसी तरह एक प्ले टू अर्न cryptocurrency के जारीकर्ता भी गायब हो गए हैं….इस cryptocurrency की कीमते कई हजार फीसदी बढ़ गई थीं और अचानक एक दिन उसने सारी बढ़त खो दी….

Postal Life Insurance: क्या है डाकघर की होल लाइफ एश्योरेंस पॉलिसी, कौन ले सकता है 50 लाख रुपये तक के सस्ते बीमा का फायदा

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Postal Life Insurance: क्या है डाकघर की होल लाइफ एश्योरेंस पॉलिसी, कौन ले सकता है 50 लाख रुपये तक के सस्ते बीमा का फायदा

होल लाइफ एश्योरेंस पॉलिसी में बानेस के साथ एश्योर्ड अमाउंट (Sum Assured) इंश्योरेंस कराने वाले व्यक्ति को 80 साल की उम्र पर पहुंचने के बाद मिलता है। अगर इस बीच इंश्योरेंस कराने वाले की मौत हो जाती है तो एश्योर्ड अमाउंट उसके कानूनी प्रतिनिधि/नॉमिनी को मिलता है। PLI होल लाइफ एश्योरेंस पॉलिसी के तहत एंट्री की न्यूनतम आयु 19 साल और अधिकतम आयु 55 साल है।

​मिनिमम और मैक्सिमम कितने तक का बीमा

पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस की होल लाइफ एश्योरेंस पॉलिसी के तहत मिनिमम सम एश्योर्ड 20000 रुपये और मैक्सिमम सम एश्योर्ड 50 लाख रुपये है। पॉलिसी के 4 साल पूरे होने के बाद इस पर लोन लिया जा सकता है। वहीं 3 साल पूरे होने के बाद पॉलिसी को सरेंडर किया जा सकता है। पॉलिसी सरेंडर किए जाने पर कम बीमित राशि पर आनुपातिक बोनस का कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा? भुगतान किया जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि अगर पॉलिसी को 5 साल पूरे होने से पहले सरेंडर किया जाता है, तो बोनस का भुगतान नहीं किया जाएगा।

​एंडोवमेंट एश्योरेंस पॉलिसी में कन्वर्ट कराने की सुविधा

Postal life Insurance होल लाइफ एश्योरेंस पॉलिसी को इंश्योरेंस कराने वाले के 59 वर्ष की आयु तक पहुंचने तक एंडोवमेंट एश्योरेंस पॉलिसी (Endowment Assurance Policy) में कन्वर्ट कराया जा सकता है। लेकिन शर्त यह है कि कन्वर्जन की तारीख प्रीमियम पेमेंट की समाप्ति की तारीख या मैच्योरिटी की तारीख (Date of Maturity) के एक साल के अंदर नहीं होनी चाहिए।

​कौन ले सकता है PLI का फायदा

-pli-

पहले यह बीमा केवल सरकारी और सेमी-गवर्मेंट कर्मचारियों के लिए उपलब्ध था, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू), वित्तीय संस्थान और नेशनलाइज्ड बैंक शामिल हैं। साल 2017 से PLI के अंदर आने वाली लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजमेंट कंसल्टेंट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट, वकील, बैंकरों व कर्मचारियों आदि के लिए और NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) व BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) की लिस्टेड कंपनियों के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध करा दिया गया है।

Pariksha Pe Charcha 2022 Livei: पीएम मोदी बोले- बिना खेले कोई खिल नहीं सकता, मोबाइल गेमिंग को लेकर दी बड़ी सलाह

Pariksha Pe Charcha

Pariksha Pe Charcha 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के जरिए छात्रों से रू-ब-रू हो रहे है. जिसके लिए पीएम मोदी तालकटोरा स्टेडियम पहुंच गए हैं. ये कार्यक्रम आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हो रहा है जहां पर प्रधानमंत्री मोदी छात्रों को बताएंगे कि किस तरह से परीक्षा के दबाव को कम किया जाए. परीक्षा पर चर्चा का ये पांचवां एडिशन है. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 15 लाख से अधिक छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.

राज्यपाल एटम बम फोड़ें या टाइम बम, सरकार डरने वाली नहीं : अनूप सिंह

कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल (अनूप सिंह) ने बोला कि गवर्नर का बयान पूरी तरह से गैर जिम्मेदराना है । यह एक तरह से जनता को गुमराह करने और झारखंड को तितर बितर करके किसी एक पार्टी को लाभ पहुंचाने जैसा प्रतीत होता है । जनता इसका उत्तर भली–भाँति देगी । उन्होंने बोला कि निर्वाचन आयोग से जो पत्र उन्हें तीन माह पहले मिल चुका है, उसे उन्हें सार्वजनिक करते हुए कार्रवाई करना चाहिए । यदि उन्होंने दोबारा आयोग से मंतव्य मांगा है तो उन्हें इसका इन्तजार करना चाहिए । गवर्नर एटम बम फोड़ें या टाइम बम, उससे कोई भी चुनी हुई गवर्नमेंट डरने वाली नहीं है ।

लगता है, राज्यपाल दिल्ली के नुमाइंदे हैंः सुबोधकांत सहाय

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय का बोलना है कि ऐसा लग रहा है कि वे (राज्यपाल) दिल्ली के नुमाइंदे हैं । इस मुद्दे में अभी तक उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन अब बोलना पड़ रहा है । ऐसा इसलिए क्योंकि वे भी गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं और कई राज्यपालों को नियुक्त किया है लेकिन उनकी मर्यादा का ख्याल रखा है । दरअसल केंद्र गवर्नमेंट राष्ट्र के संवैधानिक पदों का मजाक बना कर रही है । निर्वाचन आयोग के मंतव्य को आए तीन महीने होने वाले हैं । इन तीन महीनों में अब उनका बयान आ रहा है और वो भी छत्तीसगढ़ से । यह दुर्भाग्य नहीं तो क्या है?

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