निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष

पूंजीगत लाभ योजना टाइप बी (सावधि जमा) 1988 योजना के तहत खोले गए वरिष्ठ नागरिकों की जमा खाता इस लाभ के लिए पात्र नहीं है। इसी प्रकार एचयूएफ के नाम पर सावधि जमा के मामले में एचयूएफ का कर्ता उच्च ब्याज दर के लिए पात्र नहीं है, भले ही वह एक वरिष्ठ नागरिक हो, क्योंकि जमा का लाभार्थी स्वामी एचयूएफ है, न कि व्यक्तिगत रूप से एचयूएफ का कर्ता।
भारत में निवेश के ins और बहिष्कार
These articles, the information therein and their other contents are for information purposes only. All views and/or recommendations are those of the concerned author personally and made purely for information purposes. Nothing contained in the articles should be construed as business, legal, tax, accounting, investment or other advice or as an advertisement or promotion of any project or निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष developer or locality. Housing.com does not offer any such निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष advice. No warranties, guarantees, promises and/or representations of any kind, express or implied, are given as to (a) the nature, standard, quality, reliability, accuracy or otherwise of the information and views provided in (and other contents of) the articles or (b) the suitability, applicability or otherwise of such information, views, or other contents for any person’s circumstances.
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
भारत सरकार ने सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम की जगह ‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ अधिनियमित किया है। किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए, यह अधिनियम नागरिकों को सामान्य प्रकृति की सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक “सार्वजनिक प्राधिकरण” हैं।
अधिनियम के तहत उपलब्ध सूचना
जहां तक बैंकों का संबंध है, संबंधित प्रावधान यथा धारा 4(1), निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष 5(1) और 5(2) पहले ही लागू हो चुके निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष हैं। सूचना के अधिकार के तहत उस सूचना को प्राप्त किया जा सकता है जो सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में बैंक के पास या उसके नियंत्रण में है तथा इसमें कार्य, दस्तावेज, अभिलेखों का निरीक्षण करने, टिप्पणियों, दस्तावेजों/अभिलेखों के उद्धरणों या प्रमाणित प्रतियों और तथ्यों के प्रमाणित नमूने लेने तथा इलेक्ट्रॉनिक रूप निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष में भी संग्रहीत सूचना को प्राप्त करने का अधिकार शामिल है।
जानिए Nominee को क्यों नहीं होता संपत्ति पर पूरा अधिकार, इस कानून से फंस सकता है मामला
जानिए Nominee को क्यों नहीं होता निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष संपत्ति पर पूरा अधिकार
भारतीय रिजर्व बैंक, एलआईसी और एम्फी (Association of Mutual Funds) की ओर से नॉमिनी रजिस्ट्रेशन को लेकर दिए गए विज्ञापनों को अपने टीवी पर अक्सर देखा या फिर रेडियों में सुना होगा। इन विज्ञापनों में जोर देकर कहा जाता है कि आप अपने निवेश, बीमा पॉलिसी में नॉमिनी का रजिस्ट्रेशन जरूर कराए।
नॉमिनी के अर्थ होता है मनोनीत व्यक्ति। यानी ऐसा व्यक्ति, जिसे आप अधिकारिक तौर पर किसी कार्य को करने के चुनते हैं। नॉमिनी की भूमिका ट्रस्टी या अभिभावक या संपत्ति के संरक्षक की होती है। नॉमिनी उत्तराधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है।
क्या नॉमिनी और उत्तराधिकारी के समान अधिकार है?
मौजूदा कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के उत्तराधिकारी का फैसला केवल उसकी वसीयत या फिर मरने वाले व्यक्ति के धर्म पर आधार पर जन्म के वक्त लागू उत्तराधिकारी कानून के मुताबिक ही किया जाता है। ऐसे में नॉमिनी और उत्तराधिकारी का कार्य बिल्कुल अलग- अलग हो जाता है।
Kapoor Family Education: सबसे ज्यादा एजुकेटेड हैं रणबीर की बहन रिद्धिमा, जानिए कितना पढ़ी लिखी है कपूर फैमिली
Kapiva का दावा- 18000 फीट ऊंचाई वाले क्षेत्रों से 100% शुद्ध हिमालयी शिलाजीत लाते हैं हम, जानिए जबर्दस्त ताकत के लिए कैसे कारगर होता है यह हर्बल फार्मूला
भारत में बढ़ता लावारिस धन
Recoversy के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 31 दिसंबर 2020 तक लगभग 1,59,000 करोड़ रुपये का लावारिस धन था। इसमें निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष में 28,800 करोड़ रुपये, म्यूचुअल फंड में 24,000 करोड़ रुपये, कॉर्पोरेट लाभांश में 5,454 करोड़ रुपये, पीपीएफ खातों 48,000 करोड़ रुपये, यूटीआई योजनाओं में 11,700 करोड़ रुपये, बैंक खातों में 25, 860 करोड़ रुपये और बीमा पॉलिसियों में 15,166 करोड़ रुपये में लावारिस पड़े हुए हैं। इन पैसों के लावारिस होने की बड़ी वजह इन निवेशों में नॉमिनी का ना होना है, जिस कारण इस घन को किसी भी व्यक्ति की ओर से क्लेम नहीं किया गया है।
बजट 2019: शिक्षा, स्वच्छता, महिला सुरक्षा पर बढ़ाया जाए खर्च
सामाजिक क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने बजट पूर्व बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आगामी बजट में शिक्षा, स्वच्छता, महिला सुरक्षा और बच्चों के निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष पोषण पर ध्यान देने का सुझाव दिया है।
उन्होंने वित्त मंत्री को मीठे और नमकीन उत्पादों पर ऊंचा शुल्क लगाने , चिकित्सा उपकरणों निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष पर करों को तर्कसंगत बनाने और स्वास्थ्य सेवा ढांचे के लिए विशेष कोष, दवाओं के साथ - साथ डायग्नॉस्टिक सुविधाएं मुफ्त करने का भी सुझाव दिया है। बैठक की शुरुआत में सीतारमण ने कहा कि समावेशी विकास के लिए मौजूदा सरकार शैक्षिक मानकों में सुधार लाने, युवाओं का कौशल बढ़ाने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, बीमारी के बोझ को कम करने, महिलाओं को सशक्त बनाने और मानव विकास में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वच्छ भारत,
स्वच्छ राष्ट्र के लिए।
स्वच्छ भारत मिशन अक्टूबर 2014 के दौरान निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष करने के लिए शुरू किया गया था। इसके अलावा, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से स्वच्छता के स्तर में सुधार और गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ), स्वच्छ और स्वच्छ बनाना।
इस यात्रा की ओर, सीपीसीएल ने विभिन्न हितधारकों यानी कर्मचारियों और समुदाय के लोगों के बीच जागरूकता निर्माण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से स्थायी स्वच्छता प्रथाओं और सुविधाओं को अपनाने के लिए व्यवहार परिवर्तन लाने पर ध्यान केंद्रित किया था। इसका उद्देश्य लोगों के बीच स्वच्छता अभ्यास और सुविधा के प्रति वांछित व्यवहार परिवर्तन को विकसित करना और आत्मसात करना था।
आधार स्थापित करते हुए, सीपीसीएल ने व्यक्तिगत घरों, स्कूलों, निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष आंगनवाड़ियों, अस्पतालों और सामुदायिक मण्डली के स्थानों में स्वच्छता सुविधाएं प्रदान की थीं। इस यात्रा में एक छलांग के साथ, स्वच्छता को नमामि गंगे, स्वच्छता कार्य योजना, स्वच्छता पखवाड़ा, स्वच्छ भारत कोष, स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थान इत्यादि जैसी कई पहलों और परियोजनाओं के माध्यम से प्रत्येक की जिम्मेदारी बना दिया गया था। भले निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष ही स्वच्छता सीपीसीएल का गैर-प्रमुख क्षेत्र है, सीपीसीएल अपने वार्षिक सीएसआर बजट में से सबका साथ सबका विकास को ध्यान में रखते हुए स्वच्छता के लिए धन आवंटित करता रहा है। तदनुसार, सीपीसीएल अपने गहन ध्यान के साथ अपनी नवीन पहलों और परियोजनाओं के माध्यम से स्वच्छता के लिए लगातार काम कर रहा है।