चरण निर्देश

मुद्रा विनिमय पर व्यापार

मुद्रा विनिमय पर व्यापार

विदेशी विनिमय का अर्थ

विदेशी मुद्रा बाजार, विश्व की मुद्राओं के क्रय-विक्रय (व्यापार) का बाजार है जो विकेन्द्रित, चौबीसों घंटे चलने वाला, काउन्टर पर किया जाने वाले (over the counter) कारोबार है। अन्य वित्तीय बाजारों की अपेक्षा यह बहुत नया है और पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक में आरम्भ हुआ। फिर भी सम्पूर्ण कारोबार की दृष्टि से यह सबसे बड़ा बाजार है। विदेशी मुद्राओं में प्रतिदिन लगभग 4 ट्रिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य कामकाज होता है। अन्य बाजारों की तुलना में यह सबसे अधिक स्थायित्व वाला बाजार है।

1 विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार का इतिहास

2 अचल (Fixed) विदेशी मुद्रा दरें

3 चल (FLOATING) विदेशी मुद्रा दरें

4 इन्हें भी देखें

विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार का इतिहास

1970 से पहले तक विदेशी मुद्रा विनिमय दरें स्थायी रूप से तय रहा करती थीं। 70 के दशक से ही लगातार परिवर्तन होने वाली चल (मुद्रा विनिमय पर व्यापार FLOATING) विनिमय दरों का प्रचलन शुरू हुआ।

अचल (Fixed) विदेशी मुद्रा दरें

अचल विदेशी मुद्रा दरों का चलन,विश्व युद्ध के पहले (Pre World war) समय में जारी आर्थिक भेदभाव के मुद्दों की वजह से हुआ, जहां कुछ देशों के पास दूसरे देशों की तुलना में अधिक व्यापारिक अधिकार होते थे। स्वतंत्र व्यापार को बढ़ावा देने के लिये, अलग - अलग मुद्राओं के बीच स्वतंत्र परिवर्तन का होना ज़रूरी समझा गया और इसीलिए अचल विदेशी मुद्रा दर प्रणाली अस्तित्व में आई। इससे संदर्भित नियम, 44 सहयोगी राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के सम्मेलन में जुलाई 1944 के पहले तीन हफ्तों के दौरान तय किए गए थे। इस सम्मेलन का आयोजन, ब्रैटनवुड्स न्यू हैम्पशायर (Bretton Woods, New Hampshire, US) में किया गया था और इसलिए इस प्रणाली या नियमों को ब्रैटनवुड्स प्रणाली कहा जाता है।

चल (FLOATING) विदेशी मुद्रा दरें

चल विदेशी मुद्रा दर प्रणाली में किसी भी देश की मुद्रा के मूल्य में परिवर्तन, विदेशी मुद्रा बाजार में जारी व्यापार, मांग व पूर्ति (Demand Supply) या अन्य संदर्भित कारणों की वजह से होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से होता रहता है

मुद्रा विनिमय

एक मुद्रा विनिमय एक लाइसेंस प्राप्त व्यवसाय है जो अपने ग्राहकों के लिए एक मुद्रा का दूसरे के लिए विनिमय करने का कानूनी अधिकार है। भौतिक मुद्रा (सिक्के और कागज के बिल) का मुद्रा विनिमय, आमतौर पर टेलर स्टेशन पर एक काउंटर पर किया जाता है। ये अक्सर हवाई अड्डों और कॉल के अन्य विदेशी बंदरगाहों पर स्थित होते हैं। बैंक, होटल और रिसॉर्ट भी मुद्रा-बदलने वाली सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। मुद्रा विनिमय मामूली शुल्क लगाकर और मुद्रा में फैल बोली-पूछ के माध्यम से पैसा बनाते हैं ।

ब्यूरो डे बदलाव या कासा डे कैंबियो के रूप में भी जाना जाता है, एक मुद्रा विनिमय विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा) बाजार के लिए भ्रमित नहीं होना चाहिए जहां व्यापारी और वित्तीय संस्थान मुद्राओं में लेनदेन करते हैं।

चाबी छीन लेना

  • मुद्रा विनिमय ऐसे व्यवसाय हैं जो ग्राहकों को एक मुद्रा को दूसरे के लिए स्वैप करने की अनुमति देते हैं।
  • मुद्रा विनिमय भौतिक स्थानों में पाया जा सकता है, जैसे कि बैंकों या हवाई अड्डों पर, लेकिन ऑनलाइन तेजी से बढ़ रहे हैं।
  • मुद्रा विनिमय शुल्क इतना भिन्न होता है कि क्रेडिट कार्ड शुल्क समायोजित विनिमय दरों के माध्यम से भुगतान की गई फीस से कम हो सकता है।

मुद्रा विनिमय कैसे काम करता है

मुद्रा विनिमय व्यवसाय, दोनों भौतिक और ऑनलाइन, आप खरीद और बिक्री को निष्पादित करके एक देश की मुद्रा को दूसरे के लिए विनिमय करने की अनुमति देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास अमेरिकी डॉलर हैं और आप उन्हें ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के लिए स्पॉट रेट पर निर्भर होगी, जो मूल रूप से बैंकों के नेटवर्क द्वारा एक दैनिक परिवर्तन मूल्य है, जो व्यापार मुद्राएं हैं।

मुद्रा विनिमय स्टोर एक निश्चित प्रतिशत द्वारा दर को संशोधित करेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह लेनदेन पर लाभ कमाता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि अमेरिकी डॉलर को ऑस्ट्रेलियाई डॉलर में बदलने के लिए स्पॉट रेट को दिन के लिए 1.2500 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका मतलब है कि खर्च किए गए प्रत्येक अमेरिकी डॉलर के लिए, आप स्पॉट रेट पर कारोबार करने पर 1.25 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खरीद सकते हैं। लेकिन मुद्रा विनिमय स्टोर इस दर को मुद्रा विनिमय पर व्यापार 1.20 तक संशोधित कर सकता है, जिसका अर्थ है कि आप 1 अमेरिकी डॉलर में 1.20 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खरीद सकते हैं। इस काल्पनिक दर परिवर्तन के मुद्रा विनिमय पर व्यापार साथ, उनकी फीस प्रभावी रूप से डॉलर पर 5 सेंट होगी।

क्योंकि लेन-देन एटीएम या क्रेडिट कार्ड की फीस को कम करना महंगा है, बजाय इसके कि आगे एक्सचेंज सेवाओं का उपयोग करें समय। यात्रियों को यह अनुमान लगाने की सलाह दी जाती है कि वे यात्रा पर कितना पैसा खर्च करेंगे और विशिष्ट लेनदेन के माध्यम से बचाई गई राशियों की तुलना करेंगे।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में मुद्रा परिवर्तनीयता आवश्यक है और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य और वित्त के लिए महत्वपूर्ण है। एक मुद्रा जो असाध्य है, व्यापार, विदेशी निवेश और पर्यटन के लिए बड़ी बाधाएं खड़ी करती है।

मुद्रा विनिमय कहां खोजें

मुद्रा विनिमय व्यवसाय जो इस तरह के लेनदेन का संचालन करते हैं, उन्हें विभिन्न रूपों और स्थानों में पाया जा सकता है। यह एक स्टैंड-अलोन हो सकता है, एकल कार्यालय से बाहर संचालित होने वाला छोटा व्यवसाय, या हवाई अड्डों पर मुद्रा विनिमय पर व्यापार छोटे विनिमय-सेवा बूथों की एक बड़ी श्रृंखला हो सकती है, या यह अपने टेलर स्टेशनों पर मुद्रा विनिमय सेवाओं की पेशकश करने वाला एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय बैंक हो सकता है।

मुद्रा विनिमय के लिए हवाई अड्डे आम हैं जहां यात्री अपने यात्रा गंतव्य की मुद्रा खरीदते हैं या अपनी वापसी पर किसी भी अतिरिक्त धन को अपनी स्थानीय मुद्रा में वापस करते हैं। क्योंकि हवाई अड्डों को कॉल के अंतिम बंदरगाह के रूप में देखा जाता है, हवाई अड्डे के एक्सचेंजों में दरें, सामान्य रूप से प्रस्थान के शहर में एक बैंक की तुलना में अधिक महंगी होंगी।

कैशलेस होना अधिक आम होता जा रहा है क्योंकि कुछ बैंक कार्ड प्रदान करते हैं जो उन पर कई मुद्राओं को कम या बिना किसी शुल्क के लोड कर सकते हैं। इसके अलावा, अपतटीय एटीएम वैश्विक बैंक के साथ उन बैंकिंग के लिए एक व्यवहार्य विकल्प हैं। उदाहरण के लिए, एचएसबीसी एटीएम न्यूयॉर्क, लंदन और अधिकांश बड़े एशियाई शहरों में प्रचलित हैं।

मुद्रा विनिमय सेवाओं को उन व्यवसायों के माध्यम से भी पाया जा सकता है जो इन सेवाओं को ऑनलाइन प्रदान करते हैं। यह एक बैंक, विदेशी मुद्रा दलाल या अन्य वित्तीय संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के हिस्से के रूप में पेश किया जा सकता है । एक मुद्रा विनिमय व्यापार लाभ अपनी सेवाओं से विनिमय दर या चार्ज फीस या दोनों को समायोजित करके ।

अपने देश के बाहर यात्रा करते समय, देश-विशिष्ट शुल्क देखें। उदाहरण के लिए, क्यूबा जाने वाले अमेरिकी यात्रियों को संभवतः वहां जाने से पहले यूरो या कनाडाई डॉलर के लिए अपने अमेरिकी डॉलर का आदान-प्रदान करना फायदेमंद होगा क्योंकि क्यूबा अमेरिकी डॉलर के साथ क्यूबा परिवर्तनीय पीसो (CUC) खरीदने वाले पर्यटकों पर 10 प्रतिशत कर लगाता है।

खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली-पूछें फैलता है

मुद्रा विनिमय ग्राहकों को उनकी सेवाओं के लिए शुल्क लगाकर अपना पैसा कमाते हैं, लेकिन मुद्रा में फैल बोली-पूछ का लाभ उठाकर भी। बोली मूल्य क्या डीलर एक मुद्रा के लिए भुगतान करने के इच्छुक है, जबकि है पूछना कीमत दर, जिस पर एक डीलर एक ही मुद्रा बेच देंगे है।

उदाहरण के लिए, एलेन यूरोप जाने वाला एक अमेरिकी यात्री है। हवाई अड्डे पर यूरो खरीदने की लागत को निम्नानुसार उद्धृत किया जा सकता है:

उच्च मूल्य (USD 1.40) प्रत्येक यूरो खरीदने की लागत है। एलेन EUR 5,000 खरीदना चाहता है, इसलिए उसे डीलर को 7,000 USD का भुगतान करना होगा।

यह भी मान लें कि लाइन में अगला यात्री अभी अपनी यूरोपीय छुट्टी से लौटा है और यूरो को बेचना चाहता है जिसे उसने छोड़ दिया है। Katelyn को बेचने के लिए EUR 5,000 है। वह यूरो को 1.30 डॉलर (कम कीमत) की बोली मूल्य पर बेच सकती है और उसे यूरो के बदले में 6,500 अमरीकी डालर प्राप्त होंगे।

बोली-पूछने के प्रसार के कारण, कियोस्क डीलर इस लेनदेन से USD 500 का लाभ कमाने में सक्षम है (USD 7,000 और USD 6,500 के बीच का अंतर)।

जब एक मानक बोली का सामना करना पड़ता है और एक मुद्रा के लिए मूल्य पूछना होता है, तो उच्च कीमत वह है जो आप मुद्रा खरीदने के लिए भुगतान करेंगे और कम कीमत वह है जो आप मुद्रा को बेचने के लिए प्राप्त करेंगे।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य मुद्रा विनिमय पर व्यापार से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन मुद्रा विनिमय पर व्यापार मुद्रा विनिमय पर व्यापार करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता मुद्रा विनिमय पर व्यापार प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से मुद्रा विनिमय पर व्यापार बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

श्रीलंका ने चीन के साथ तीन साल के लिए 1.5 अरब डॉलर की मुद्रा विनिमय का किया समझौता

श्रीलंका ने चीन के साथ तीन साल के लिए 1.5 अरब डॉलर की मुद्रा विनिमय का किया समझौता |_40.1

श्रीलंका ने द्विपक्षीय व्यापार और दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य के साथ चीन के साथ 10 अरब युआन (लगभग 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की मुद्रा विनिमय डील पर हस्ताक्षर किए हैं. सेंट्रल बैंक ऑफ़ श्रीलंका और पीपल्स बैंक ऑफ़ चाइना के बीच हस्ताक्षरित समझौता तीन साल के लिए वैध है. चीन श्रीलंका के आयात का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है. 2020 में, चीन से आयात 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर या श्रीलंका के आयात मुद्रा विनिमय पर व्यापार का सिर्फ 22 प्रतिशत से अधिक था.

अमेरिका ने भारत को करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से किया बाहर, US ने चीन को नहीं हटाया

अमेरिका ने भारत को मुद्रा की मुद्रा विनिमय पर व्यापार निगरानी समिति से मंगलवार को बाहर कर दिया। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने प्रमुख व्यापार भागीदारों की विदेशी मुद्रा विनिमय नीतियों तथा वृहद आर्थिक कारकों पर कांग्रेस को मुद्रा विनिमय पर व्यापार भेजी.

अमेरिका ने भारत को करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से किया बाहर, US ने चीन को नहीं हटाया

अमेरिका ने भारत को मुद्रा की निगरानी समिति से मंगलवार को बाहर कर दिया। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने प्रमुख व्यापार भागीदारों की विदेशी मुद्रा विनिमय नीतियों तथा वृहद आर्थिक कारकों पर कांग्रेस को भेजी अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।

अमेरिका ने इस फैसले के पीछे भारत द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदमों का जिक्र किया। उसने कहा कि इन कदमों से मौद्रिक नीति को लेकर उसकी आशंकाएं दूर हुई हैं। भारत के अलावा स्विट्ज़रलैंड दूसरा देश है जिसे अमेरिका ने इस सूची से बाहर किया है। अमेरिका की इस सूची में अब चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, आयरलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और वियतनाम शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा, ''इस रिपोर्ट में भारत को निगरानी की सूची से बाहर किया जाता है। भारत को लगातार दो रिपोर्ट में सिर्फ एक कारक अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सरप्लस पर प्रतिकूल पाया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया, ''न तो भारत और न ही स्विट्जरलैंड को अक्टूबर 2018 की रिपोर्ट के साथ ही इस रिपोर्ट में भी एकतरफा दखल देने का जिम्मेदार पाया गया है। इस कारण भारत और स्विट्जरलैंड दोनों को मुद्रा की निगरानी सूची से बाहर किया जाता है। भारत को अमेरिका ने पहली बार मई 2018 में इस सूची में डाला था। भारत के साथ ही पांच अन्य देशों चीन, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड को भी इस सूची में शामिल किया गया था।

मंत्रालय ने कहा, भारत की परिस्थितियां उल्लेखनीय तरीके से बेहतर हुई हैं। वर्ष 2018 के पहले छह महीने में रिजर्व बैंक द्वारा की गई शुद्ध बिक्री से जून 2018 तक की चार तिमाहियों में विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद कम होकर 4 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद के महज 0.2 प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि, अमेरिका ने चीन को इस बार भी सूची में बनाए रखा है, लेकिन उसे मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला देश घोषित करने से इस बार भी इनकार किया है। मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में कहा कि कोई भी देश मुद्रा के साथ छेड़छाड़ की शर्तों पर गलत नहीं पाया गया है।

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