चरण निर्देश

शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है

शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है
शेयर बाजार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह बाजार में आवश्यक मनी फ्लो को बनाए रखता है. दूसरे शब्दों में बाजार तथा अर्थव्यवस्था (Economy) की तरलता को बनाए रखने में शेयर बाजार का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है.

QuotesIn WordPress theme demo for Quotes

सेंसेक्स और निफ्टी में क्या अंतर है?

सेंसेक्स(Sensex) मुंबई स्थित शेयर बाज़ार S&P BSE का सूचकांक है। BSE का full form Bombay Stock Exchange है। जबकि SensEx – Sensitive IndEx से मिलकर बना है। Sensitive Index का अर्थ होता है संवेदी सूचकांक।

सेंसेक्स, मुंबई शेयर बाजार में रजिस्टर्ड और मार्केट कैप के हिसाब सबसे बड़ी 30 कंपनियों को ही इंडेक्स करता है। सेंसेक्स के घटने बढ़ने से ये पता चलता है की देश की बड़ी कंपनियों को profit हो रहा है या loss हो रहा है।

सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी, 1986 से हुयी थी। इसमें जो तीस कंपनियां शामिल होती है, वो बदलते रहती है, इन तीस कंपनियों को चुनने के लिए एक कमेटी बनाई गयी है। 30 companies को index करने के कारण इसे BSE 30 के नाम से भी जानते है।

निफ्टी क्या होता है?

निफ्टी(Nifty) दिल्ली स्थित शेयर बाज़ार NSE का सूचकांक है। NSE का full form National Stock Exchange of India है। निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती है। इसकी शुरुआत नवंबर 1994 को हुयी थी।

Nifty शब्द- National और Fifty से मिलकर बना है। यहाँ Fifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शामिल 50 कंपनियों के लिए है। ये पचासों कंपनिया देश के 12 अलग-अलग सेक्टर से चुनी जाती है, निफ्टी के घटने-बढ़ने से सेंसेक्स के तरह ही बाजार के रुख का पता चलता है। Nifty को Nifty 50 के नाम से भी जानते है।

सेंसेक्स और निफ्टी में क्या अंतर है?

  • सेंसेक्स की शुरुआत 1986 से हुई थी जबकि निफ्टी की शुरुआत 1994 को हुयी।
  • सेंसेक्स, बॉम्बे(मुंबई) स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स है जबकि निफ्टी,नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स हैं।
  • सेंसेक्स में 30 कंपनियां शामिल होती है, जबकि निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती हैं।
  • Sensex का base year 1978-79 है, जबकि Nifty का base year 1995 हैं।
  • Sensex का base value 100 है, जबकि Nifty का base value 1000 हैं।

सेंसेक्स और निफ्टी दोनों भारत के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को indices करते हैं।

इस आर्टिकल में हमने आपको सेंसेक्स और निफ्टी के बीच अंतर(difference) को बताया।

दोस्तों स्टॉक एक्सचेंज को ही शेयर बाजार या Stock Market कहते है। शेयर बाजार में निवेश कैसे करें और Share Bazar में निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखें, शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है इस पर एक complete guide पिछले आर्टिकल में हम सबने काफी शोध करके लिखा था, जिसे आप लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है।

सेंसेक्स क्या होता है: सेंसेक्स का अर्थ

हिंदी

अधिकांश लोगों को भारत में घरेलू शेयर बाजारों के संबंध में ‘ सेंसेक्स ‘ शब्द से परिचित होने की संभावना होती है , लेकिन ‘ सेंसेक्स क्या है ?’ सवाल के साथ सामना करने पर कुछ भी उचित जवाब नहीं दे सकता है। संक्षिप्त रूप से बीएसई सेंसेक्स , जिसका अर्थ है ‘ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स- विश्लेषक दीपक मोहनती द्वारा गढ़ा गया एक शब्द , जो आमतौर पर इस प्रकार है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क और देश का सबसे पुराना स्टॉक मार्केट इंडेक्स है , जिसे शुरुआत में 1986 में संकलित किया गया था। इसमें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 1978-79 के आधार वर्ष के साथ इसकी गणना के लिए ली गई सबसे बड़ी और सबसे अधिक कारोबार वाली 30 कंपनियां शामिल हैं। इसे कभी-कभी बीएसई 30 भी कहा जाता है। जून और दिसंबर में इंडेक्स की संरचना की समीक्षा की जाती है।

यदि किसी कंपनी को इंडेक्स के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है , तो यह निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करता है:

गणना:

किसी भी समय इंडेक्स के मूल्य को आधार अवधि के संबंध में गठित 30 शेयरों के मुक्त फ्लोट बाजार मूल्य को इंगित करता है। मूल रूप से 2003 तक पूर्ण बाजार पूंजीकरण पद्धति के माध्यम से इंडेक्स की गणना की गई थी। किसी कंपनी के बाजार पूंजीकरण की गणना उनके द्वारा जारी किए गए शेयरों की कुल संख्या से अपने स्टॉक मूल्य को गुणा करके की जाती है। इस पद्धति में कंपनी के सभी बकाया शेयर शामिल थे , जिसमें प्रतिबंधित शेयर जैसे कि एक संगठन के भीतर अंदरूनी सूत्रों को जारी किया गया थे , जिन्हें आसानी से खरीदा या बेचा नहीं जा सकता था।

सूचकांक अब के प्रश्न के उत्तर में नि: शुल्क फ्लोट पूंजीकरण विधि के माध्यम से गणना की जाती है ‘ क्या पर आधारित सेंसेक्स गणना कर रहा है ? यह एक कार्यप्रणाली है जिसके बाद दुनिया के अधिकांश प्रमुख सूचकांक जैसे एसएंडपी , डॉव जोन्स , एमएससीआई , एसटीओएक्स , और एफटीएसई शामिल हैं। जो उसके कुल बकाया शेयर के संबंध में है। नई निशुल्क फ्लोट विधि इनको छोड़कर केवल उन शेयरों का उपयोग करती है जो ट्रेडिंग के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। यह विधि मुक्त फ्लोट कारक के रूप में संदर्भित मूल्य का उपयोग करती है , जो किसी कंपनी द्वारा जारी किए गए फ्लोट किए गए शेयरों का अनुपात है जो उसके कुल बकाया शेयर के संबंध में है। इस मूल्य को बाजार पूंजीकरण से गुणा करने पर , आपको कंपनी का मुफ्त फ्लोट कैपिटलाइजेशन मिलता है जिसे सूचकांक पर कंपनी के प्रभाव को मापने के साधन के रूप में माना जा सकता है।

निष्कर्ष

समय के साथ सेंसेक्स का मूल्य बाजार के व्यवहार के साथ-साथ पोर्टफोलियो प्रदर्शन बेंचमार्किंग के लिए निवेश की तुलना करने और इंडेक्स फंड , इंडेक्स फ्यूचर्स या इंडेक्स ऑप्शंस के विश्लेषण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

विश्लेषकों , निवेशकों और व्यापारियों ने इसका उपयोग अर्थव्यवस्था की अर्थव्यवस्था के व्यवहार को मापने के लिए किया है , दोनों दिन-प्रतिदिन के साथ-साथ घरेलू या वैश्विक राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक घटनाओं से कैसे प्रभावित होते हैं। इस प्रकार , तंत्रिका आंखें कोविड – 19 के दौरान सेंसक्स के उतार-चढ़ाव पर स्थिर होती हैं , जो 23 मार्च 2020 को अपने इतिहास में पहले से ही सबसे खराब दुर्घटना का कारण बन गया है , जहां यह 3 , 935 अंक से गिर शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है गया था।

क्या है सेंसेक्स और कैसे घटता-बढ़ता है शेयर बाजार?

(Economy) और इससे जुड़े तथ्यों को आम जीवन से जोड़कर नहीं देख पाते. यही कारण है कि इन तथ्यों को बिजनेस की बातें समझकर हम ज्यादातर ध्यान नहीं देते हैं. हां, पर जब कोई न्यूज ब्रेकिंग न्यूज बनकर अखबारों, न्यूज चैनलों की सुर्खियों में होती है तो हम समझना जरूर चाहते हैं कि आखिर यह है क्या और इतना महत्वपूर्ण क्यों है? ऐसी ही खबरों में आजकल सेंसेक्स (Sensex) की खबर है. सेंसेक्स (Sensex) की खबरें यूं तो हर दिन होती हैं, किंतु आजकल लगभग हर अखबार और न्यूज चैनल पर इसकी खबरें प्रमुखता से आ रही हैं. रुपया गिरा तो सेंसेक्स गिरा, नारायण मूर्ति(Narayan Murthy) ने इंफोसिस (Infosys) दुबारा ज्वाइन किया तो सेंसेक्स उठा आदि. आखिर क्या है यह सेंसेक्स (Sensex) और इसके गिरने-उठने के कारण क्या हैं?

सेंसेक्स क्या है शेयर बाजार में Sensex घटता बढ़ता कैसे है (Sensex In Hindi)

अगर आपको शेयर बाजार में रूचि है या फिर आप घर में न्यूज़ चैनल पर शेयर मार्केट से जुडी ख़बरें सुनते होंगे तो Sensex के बारे में आपने जरुर सुना होगा. न्यूज़ चैनल में आप अक्सर सुनते होंगे कि आज सेंसेक्स इतना उछला, आज सेंसेक्स में इतनी गिरावट आई, तब कहीं न कहीं आपके मन में ख्याल आता होगा कि आखिर ये Sensex Kya Hai In Hindi.

आपके इसी सवाल के जवाब में हमने आज का यह लेख लिखा है, हमने इस लेख में आपको सेंसेक्स के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश है. अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करके पैसे कमाना चाहते हैं तो सेंसेक्स बारे में आपको जानकारी होना भी आवश्यक है.

तो चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और विस्तार से जानते हैं Sensex क्या होता है.

सेंसेक्स क्या है (What is Sensex in Hindi)

Wikipedia के अनुसार सेंसेक्स (Sensex) भारत के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज Bombay Stock Exchange (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स या संवेदी सूचकांक है. BSE ने सेंसेक्स की शुरुवात 1986 में की थी. Sensex दो शब्दों sensitive और index से मिलकर बना है. Sensex में BSE में रजिस्टर सर्वश्रेष्ठ 30 कंपनियों को शामिल किया जाता है.

सेंसेक्स क्या है और शेयर बाजार में Sensex घटता – बढ़ता कैसे है – BSE Sensex In Hindi

सेंसेक्स घटता – बढ़ता कैसे है

अगर Sensex में लिस्टेड 30 कंपनियों के शेयर के प्राइस मार्केट में बढ़ रहे हैं तो इसका मतलब होता है कि Sensex बढ़ रहा है. जब Sensex बढ़ता है तो BSE के निवेशकों को भी मुनाफा होता है.

तथा जब Sensex में लिस्टेड शीर्ष 30 कंपनियों के शेयर प्राइस मार्केट में घट रहे हैं तो इसका मतलब होता है कि Sensex घट रहा है. अगर Sensex घटता है तो BSE के निवेशकों को नुकसान होता है. Sensex में सूचीबद्ध शीर्ष 30 कंपनियों के मार्केट में शेयर प्राइस बढ़ने और घटने पर सेंसेक्स बढ़ता और घटता है.

Sensex क्या है?

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसीलिए इसे बीएसई सेंसेक्स भी कहा जाता है. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.

  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. इसके लिए कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या को शेयर के भाव से गुणा करते हैं. इस तरह जो आंकड़ा मिलता है, उसे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या हिंदी में बाजार पूंजीकरण भी कहते हैं.
  • अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह परसेंटेज यानी हिस्सा है जो बाजार में शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे. यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
  • बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा करके कंपनी के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को जोड़कर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.

निफ्टी 50 क्या है ?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है. निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाने से बना है. नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.

  • निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
  • निफ्टी की गणना के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है, जिसके लिए आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या को वर्तमान भाव से गुणा करते हैं.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (RWF) से गुणा किया जाता है. RWF पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंडिविजुअल स्टॉक को एसाइन किए हुए वेटेज से गुणा किया जाता है.
  • निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.

इतने खास क्यों हैं Nifty और Sensex ?

भारतीय शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं. इसके अलावा भी तमाम इंडेक्स मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने के लिए किया जाता है. इनमें ज्यादातर शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की औसत चाल का संकेत देने वाला Bank Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU Bank Index, स्टील, एल्यूमीनियम और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों के शेयरों का फार्मा इंडेक्स, वगैरह-वगैरह.

ये सभी इंडेक्स बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों या उन्हें मशविरा देने वाले ब्रोकर्स या सलाहकारों के लिए बेहद काम के होते हैं. लेकिन अगर एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान समझना हो या उसके भविष्य की दशा-दिशा का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स पर ही गौर किया जाता है. इन्हें मोटे तौर पर मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है.

रेटिंग: 4.54
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 726
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *