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व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली

व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली
अधिकांश देश अब एक मौद्रिक मुद्रा प्रणाली का उपयोग करते हैं, लेकिन व्यक्ति अभी भी एक अन्य सहमत-मुद्रा प्रणाली को रोक सकते हैं या अपना सकते हैं। इन विकल्पों का उपयोग राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली के प्रतिस्थापन के रूप में या इसके अलावा किया जा सकता है।

वस्तु विनिमय प्रणाली बनाम मुद्रा प्रणाली: क्या अंतर है?

वस्तु विनिमय और मुद्रा प्रणाली के बीच प्राथमिक अंतर यह है कि मुद्रा प्रणाली बार्टरिंग के माध्यम से सीधे व्यापारिक वस्तुओं और सेवाओं के बजाय एक विनिमय प्रणाली के रूप में कागज या सिक्का के रूप में एक सहमत-रूप का उपयोग करती है। दोनों प्रणालियों के फायदे और नुकसान हैं, हालांकि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा प्रणाली का अधिक व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

चाबी छीन लेना

  • स्थानीय समुदाय के भीतर बार्टरिंग सिस्टम का उपयोग किया गया था, लेकिन प्रौद्योगिकी और परिवहन में प्रगति आधुनिक समाज के लिए वैश्विक स्तर पर वस्तु विनिमय करना संभव बनाती है।
  • बार्टरिंग की अपनी सीमाएं हैं, जिसके कारण मुद्रा प्रणाली का निर्माण हुआ।
  • प्रारंभिक सभ्यताओं में, आम सहमति वाले सामान, जैसे कि जानवरों की खाल या नमक, एक मुद्रा के रूप में कार्य किया जाता है जो व्यक्ति वस्तुओं और सेवाओं के लिए विनिमय कर सकते हैं।

वस्तु विनिमय प्रणाली

ज्ञात इतिहास की शुरुआत के बाद से, मनुष्यों ने व्यापार प्रणाली में वस्तुओं और सेवाओं का एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान किया। बार्टरिंग का इतिहास 6000 ईसा पूर्व के सभी तरह से है। मेसोपोटामिया जनजातियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था, फोनेटर्स द्वारा बार्टरिंग को अपनाया गया था। Phoenicians समुद्र के पार विभिन्न अन्य शहरों में स्थित उन लोगों के लिए माल रोक दिया। परंपरागत रूप से, स्थानीय समुदाय के भीतर वस्तु विनिमय प्रणाली का उपयोग किया जाता था, लेकिन प्रौद्योगिकी और परिवहन में प्रगति आधुनिक समाज के लिए वैश्विक स्तर पर वस्तु विनिमय करना संभव बनाती है।

अंडे और दूध के साथ एक किसान उन्हें जन्मदिन का केक और रोटी के लिए स्थानीय बेकर के लिए व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली व्यापार कर सकता है। बेकर तब दूध और अंडे का उपयोग अधिक रोटी सेंकने के लिए करता है, जिसे वह अपने ओवन की मरम्मत के लिए भुगतान के रूप में उपकरण मरम्मत करने वाले को देता है। बार्टरिंग से बातचीत करना आसान हो जाता है लेकिन मुद्रा प्रणाली के लचीलेपन का अभाव है। कई छोटे व्यवसाय अपनी सेवाओं के लिए गैर-मौद्रिक भुगतान स्वीकार करते हैं और आईआरएस इन बार किए गए लेनदेन को कर-रिपोर्टिंग उद्देश्यों के लिए मुद्रा लेनदेन के समान मानते हैं।

मुद्रा प्रणाली

बार्टरिंग की अपनी सीमाएँ हैं। स्थानीय लोहार को दो रोटियों की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि बेकर को अपने घोड़े के लिए नए जूतों के बजाय नलसाजी सेवाओं की आवश्यकता होती है, तो लोहार को एक प्लम्बर ढूंढना चाहिए, जिसे व्यापार करने के लिए नए साधनों की आवश्यकता होती है। इस परेशानी को खत्म करने के लिए मुद्रा प्रणाली विकसित की गई। प्रारंभिक सभ्यताओं में, आम सहमति वाले सामान, जैसे कि जानवरों की खाल या नमक, एक मुद्रा के रूप में कार्य किया जाता है जो व्यक्ति वस्तुओं और सेवाओं के लिए व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली विनिमय कर सकते हैं।

जैसे-जैसे मुद्रा प्रणाली समय के साथ आगे बढ़ी, सिक्के और कागज के नोट अपनी अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने और क्षेत्र के भीतर व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित हुए। सिक्के में आमतौर पर तांबे, चांदी और सोने से बने विभिन्न मूल्यों के सिक्कों के कई रंग होते थे। व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली सोने के सिक्के सबसे मूल्यवान थे और इनका उपयोग बड़ी खरीद, सेना के भुगतान और राज्य की गतिविधियों के समर्थन के लिए किया जाता था। खाते की इकाइयों को अक्सर एक विशेष प्रकार के सोने के सिक्के के मूल्य के रूप में परिभाषित किया गया था। चांदी के सिक्कों का उपयोग मध्यवर्ती आकार के लेनदेन के लिए किया जाता था, और कभी-कभी खाते की एक इकाई को भी परिभाषित किया जाता था, जबकि तांबे या चांदी के सिक्कों या उनमें से कुछ मिश्रण को रोजमर्रा के लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।

व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली

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अपूर्ण अभिलेखों से खाते

श्री मेहता ने 01 अप्रैल 2016 क .

श्री मेहता ने 01 अप्रैल 2016 को 50,000 रुपये की पूँजी लगाकर तैयार वस्त्र का व्यापार आरम्भ किया तथा अपनी पुस्तकों को द्विप्रविष्टि प्रणाली के अंतर्गत नहीं रखा। वर्ष के दौरान 15,000 रूपये की अतिरिक्त पूँजी व्यापार में निवेश की गई । अपने निजी उपयोग के लिए 10,000 रु. का आहरण किया। 31 मार्च 2017 को उसकी स्थिति निम्न प्रकार है।
कुल लेनदार 90,000 रु., कुल देनदार 1,25,600 रु., रहतियां 24,750 रु., बैंक रोकड़ 24,980 रु. अवस्था विवरण विधि के द्वारा श्री मेहता के व्यापार का वर्ष के दौरान लाभ अथवा हानि की गणना करें

इकहरा लेखा प्रणाली | Single Entry System In Hindi

व्यवसाय बड़ा हो या छोटा एक व्यापारी के मन में यह सवाल अवश्य आता है आखिर व्यवसाय में कितना लाभ हुआ, बिजनेस की आर्थिक स्थिति कैसी है, हिसाब किताब रखने के लिए इकहरा लेखा प्रणाली या द्वि- अंकन प्रणाली ठीक रहेगा या कोई अन्य प्रणाली। ऐसे तमाम सवाल उसके चारों तरफ घूमते रहते हैं। आज इस पोस्ट में आप इकहरा लेखा प्रणाली अर्थात अपूर्ण लेखा प्रणाली के बारे में विस्तार से जानेंगे।

वैसे प्रणाली जो दोहरा लेखा व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली प्रणाली पर पूर्णत आधारित नहीं होती है जिसमें व्यवसाय में हुए वित्तीय लेनदेन को एक पक्ष में या द्वि पक्ष या फिर किसी भी पक्ष में लेखा ही नहीं किया जाता हैं ‘इकहरा लेखा प्रणाली’ कहलाता हैं।

इस प्रणाली को लोगों के द्वारा कई अलग- अलग नाम से जाना जाता हैं जैसे कि अपूर्ण लेखा प्रणाली, इकहरी लेखा प्रणाली तथा सिंगल एंट्री सिस्टम।

विभिन्न विद्वानों के द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण परिभाषाएं-
कोहलर – अपूर्ण लेखा प्रणाली बहीखाता कि वह प्रणाली है जिसमे नियम अनुसार रोकड़ और व्यक्तिगत खाते रखे जाते हैं यह हमेशा अपूर्ण दोहरा लेखा प्रणाली है जो परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशील होती हैं।

इकहरा लेखा प्रणाली की विशेषता तथा लक्षण

  • यह प्रणाली Personal Account को सबसे अधिक महत्व देता है। जिसके अंतर्गत Debtors और Creditors के ही खाते खोले जाते हैं।
  • इकहरा लेखा प्रणाली छोटे आकार के व्यवसाय के लिए उपयुक्त हैं।
  • इसमें लेखा अलग-अलग तरीकों से किया जाता हैं। इकहरा लेखा प्रणाली में लेखा दोनों साइड ( Dr. और Cr.), कुछ में एक साइड तथा कुछ लेनदेन ऐसे भी होते हैं जिनका बिल्कुल लेखा नहीं किया जाता हैं।
  • इसमें व्यापारिक और निजी वित्तीय सौदों के लिए रोकड़ बही (Cash Book) रखा जाता हैं।
  • इस प्रणाली में द्वि- अंकन की भांति ही सहायक पुस्तकों का इस्तेमाल किया जाता हैं।
  • अपूर्ण लेखा प्रणाली में सूचनाओं की जानकारी बिल, Voucher आदि की सहायता से रखी जाती हैं।
  • अपूर्ण लेखा प्रणाली को छोटे स्तर के व्यवसाय जैसे कि एकाकी व्यापार व साझेदारी व्यापार द्वारा रखा जाता हैं।
  • इसमें मजदूरी, ब्याज, वेतन आदि से संबंधित किसी भी तरह के खाते नहीं रखे जाते हैं।

क्यों महत्त्वपूर्ण है अपीलीय प्राधिकरण?

  • विदित है कि अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1995 में की गई थी और तब से अब तक विश्व व्यापार संगठन (WTO) के संज्ञान में तकरीबन 500 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विवाद लाए जा व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली चुके हैं एवं लगभग 350 से अधिक मामलों में निर्णय भी दिया है।
  • संगठन का विवाद निपटान तंत्र दुनिया में सबसे अधिक सक्रिय तंत्रों में से एक है और अपीलीय प्राधिकरण इन मामलों में सर्वोच्च प्राधिकारी है।
  • विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रवाह में सुगम सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
  • यदि विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय प्राधिकरण को निष्क्रिय घोषित कर दिया व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली जाता है तो WTO के समक्ष अपने अंतर्राष्ट्रीय विवादों को ले जाने वाले देशों को पैनल द्वारा लिये गए निर्णय को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा, चाहे उसमें किसी प्रकार भी प्रकार की त्रुटी क्यों न हो।
  • वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद को कम करने के लिये बीते कुछ वर्षों से चले आ रहे प्रयासों के मद्देनज़र प्राधिकरण की निष्क्रियता WTO के ढाँचे को कमजोर कर सकती है।
  • वर्तमान में व्यापार तनाव एक प्रमुख चिंता है। उदाहरण के लिये अमेरिका-चीन एवं अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है।
  • यदि यह प्राधिकरण समाप्त हो जाता है तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों में उलझे देशों को निस्तारण के लिये कोई मंच नहीं रह जाएगा।

भारत पर प्रभाव

  • WTO के अपीलीय प्राधिकरण की निष्क्रियता बिलकुल भी भारत के हित में नहीं है, क्योंकि इसके कारण भारत के कई विवाद अधर में रह जाएँगे।
  • ज्ञात हो कि वर्ष 1995 से अब तक भारत कुल 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है, जबकि 158 विवादों में तीसरे पक्ष के रूप में शामिल रहा है।
  • इसी वर्ष फरवरी में अपीलीय प्राधिकरण ने भारत और जापान के मध्य चल रहे एक विवाद में अपील के लिये कर्मचारी उपलब्ध कराने की असमर्थता व्यक्त की थी।
    • ध्यातव्य है कि यह विवाद भारत द्वारा लोहे और इस्पात उत्पादों के आयात पर लगाए गए कुछ सुरक्षा उपायों से संबंधित है।
    • विश्व व्यापार संगठन विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1995 में मराकेश संधि के तहत की गई थी।
    • वर्ष 1995 में WTO के अस्तित्व में आने के बाद से विश्व में व्यापक परिवर्तन आया है जिनमें से कई परिवर्तन गहन संरचनात्मक प्रकृति के रहे हैं। व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली नई प्रौद्योगिकियों ने हमारे सोचने, संवाद और व्यापार करने के तरीकों को बदल दिया है।
    • वर्ष 1995 में विश्व की 0.8 प्रतिशत से भी कम आबादी इंटरनेट का उपयोग कर रही थी, जबकि जून 2019 में यह संख्या लगभग 57 प्रतिशत है।
    • संचार प्रौद्योगिकियों और कंटेनराइज़ेशन (वस्तु परिवहन का सुगम साधन) ने लागत को कम कर दिया है तथा देश से आयात-निर्यात होने वाले घटकों की मात्रा में वृद्धि की है जिससे उत्पादन शृंखला के अंतर्राष्ट्रीयकरण में वृद्धि हुई है।
      • उदाहरण के लिये आईफोन (iPhone) में लगभग 14 मुख्य घटक होते हैं जिनका निर्माण 7-8 बहुराष्ट्रीय कंपनियों (40 से अधिक देशों में उनकी व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली शाखाओं में) द्वारा किया जाता है।

      आगे की राह

      • जब अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है तो इसमें WTO के सभी सदस्यों की आम सहमति ज़रूरी होती है। अगर इनमें सहमति नहीं बन पाती है तो मतदान का प्रावधान है। ऐसे में अमेरिका के हठ को देखते व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली हुए इस प्राधिकरण के पुनः कार्यान्वयित न होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
      • इस स्थिति को देखते हुए विवादों के निपटान हेतु कई राज्यों ने तदर्थ समाधान को अपनाने का प्रयास किया है।
        • इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे राष्ट्रों ने अग्रिम रूप से उन दोनों के बीच विवाद में पैनल के फैसले को अपील नहीं करने के लिये सहमति व्यक्त की है।
        • इसके अलावा यूरोपीय संघ (EU), नॉर्वे और कनाडा ने भी मध्यस्थता के माध्यम से डिस्प्यूट सेटलमेंट अंडरस्टैंडिंग (DSU) के अनुच्छेद 25 का उपयोग करते हुए किसी भी विवाद को हल करने हेतु एक अंतरिम अपील प्रणाली पर सहमति व्यक्त की है।
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