FBS क्या है?

FPS क्या होता है | वीडियो कितने एफपीएस पर शूट करना चाहिए?
क्या आपको पता है कि कैमरे में दिए गए 24 / 30 / 60 / 120 FPS का क्या मतलब होता है ?
FPS का full form है Frames Per Second (फ्रेम प्रति सेकंड) जिसे Frame Rate (फ्रेम रेट) भी कहा जाता है|
देखा जाये तो फ्रेम रेट सिनेमा के इतिहास में सबसे पुराने शब्दों में से एक है |
यह आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पहले कैमरे के आविष्कार के समय था।
हालांकि आज के कैमरे इतने सक्षम हैं कि वह अपने आप से ही आटोमेटिक सेटिंग्स का उपयोग करके एक बढ़िया फुटेज कैप्चर कर सकते हैं |
पर frame rate को समझने से आपको यह पता चलने में मदद मिलेगी कि वीडियो शूटिंग के दौरान FPS कब बढ़ाना और घटाना चाहिए |
आज के दौर में एफपीएस केवल वीडियो कैमरा और फिल्म प्रोजेक्टर से ही संबंधित नहीं रह गया हैं, बल्कि इससे भी कहीं आगे पहुँच कर इसका उपयोग वीडियो गेम, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग, एनिमेशन या टीवी प्रसारण जैसी तकनीक FBS क्या है? में FBS क्या है? भी होने लगा है |
FPS के कांसेप्ट को समझने के लिए आपको यह जानना होगा कि कोई कैमरा या अन्य वीडियो कैप्चरिंग डिवाइस कैसे किसी फुटेज को रिकॉर्ड करता है|
आइये आज हम आपको बताएंगे कि एफपीएस क्या होता है और कैसे काम करता है ?
वीडियो में एफपीएस क्या है | FPS Full Form & Meaning in Hindi
FPS Full Form – Frames Per Second
FPS meaning in Hindi – फ्रेम प्रति सेकंड या फ्रेम रेट
एफपीएस जिसे हम फ्रेम रेट के नाम से भी जानते हैं एक ऐसी आवृति (frequency) है जिसपर किसी स्क्रीन पर अलग अलग तस्वीरें दिखाई जाती हैं | |
सुनने में थोड़ा तकनीकी लगा हो तो आइये इसे और सरलता से समझते हैं |
बचपन में हम सबने रंग बिरंगी कॉमिक्स तो ज़रूर पढ़ी होंगी जिसके हर पन्ने पर तस्वीरें होती थीं |
यदि हम इसी कॉमिक्स के पन्नों को तेज़ी से पलटते जाएँ तो अंदर बनी हुई तस्वीरें चलती हुई सी लगेंगी या यूँ कहें एक एनिमेटेड फिल्म जैसी लगेंगी |
वीडियो की तकनीक भी कुछ ऐसी ही है जो तस्वीरों की एक श्रंखला (series) के सामान है जिसे अगर एक सामान गति में देखा जाये तो तस्वीरें चलती हुई सी लगेंगी |
उदहारण के तौर पर मान लें कि हर एक तस्वीर एक फ्रेम है और अगर किसी वीडियो को 20 fps पर शूट करके दिखाया जा रहा है इसका मतलब एक सेकंड में हमें 20 फ्रेम दिखाई जा रही है |
यदि आप किसी वीडियो का frame rate बढ़ाते हैं तो शॉट में सब्जेक्ट का मूवमेंट धीमा हो जायेगा और फ्रेम बढ़ने के कारण ‘slow motion ‘ या ‘motion blur ‘ जैसा इफ़ेक्ट आएगा |
इसके उलट यदि आप fps कम करते हैं तो शॉट में सब्जेक्ट तेजी से आगे बढ़ेंगे, यह उसी तरह से होगा जैसे हम कोई पुरानी चार्ली चैपलिन की फिल्मों में देखते हैं ।
यह बात जानने के लायक है कि हमारी आँखें लगभग 10 से 12 इमेज प्रति सेकंड देख सकती हैं और उन्हें अलग अलग समझ सकती है |
16 fps और उससे ऊपर की frame rate को हम एक ठीक-ठाक चलित फिल्म जैसा देख सकते हैं |
फ्रेम रेट कम रखने पर फिल्म रुक-रुक कर और तेजी से चलती हुई लगती है (क्योंकि प्रत्येक सेकंड में दिखाने के लिए कम फ्रेम हैं ) |
शटर स्पीड और एफपीएस में क्या अंतर है?
क्या आपको लगता है कि कैमरे की शटर स्पीड और वीडियो का FPS एक ही होता है ?
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है कि shutter speed और frame rate बराबर नहीं होते हैं |
FPS का meaning होता है कि हर एक सेकंड में कितनी तस्वीरें दिखाई जाएगी
किसी फोटो को एक्सपोज करने के लिए जितने समय तक शटर खुला रहता है उस समय को Shutter Speed से मापते हैं जो सेकंड्स में होता है |
अब आप यह जानना चाहेंगे कि बेहतरीन सिनेमैटिक वीडियो के लिए एफपीएस और शटर स्पीड की क्या सेटिंग रखना चाहिए ?
आइये जानते हैं – The 180° Shutter Rule के बारे में जो फिल्म जगत में एक स्टैण्डर्ड है |
देखना न भूलें!
- वीएफएक्स क्या है | VFX का इस्तेमाल क्यों और कैसे किया जाता है?
- गोप्रो कैमरा क्या है | GoPro एक्शन कैमरा क्यों खरीदें?
- मोबाइल से शानदार यात्रा वीडियो कैसे शूट करें[12 प्रैक्टिकल टिप्स]
180° Shutter Rule क्या है?
180° Shutter Rule एक मानक है, जो वीडियो रिकॉर्डिंग करते समय FPS और Shutter Speed के बीच के सम्बन्ध को बताता है |
जिस तरह से हमारी आँखें देख सकती हैं उसी तरह के मोशन को एक कैमरे में रिकॉर्ड करने के लिए 180° Shutter Rule कहता है कि :-
Shutter Speed = 2 x Frame Rate
इसका मतलब है कि एक सिनेमैटिक वीडियो शूट करने के लिए आप शटर स्पीड को हमेशा एफपीएस का दोगुना रखें |
उदहारण के लिए यदि हम 30 fps पर शूट कर रहें हैं तब शटर स्पीड 1/60 सेकण्ड्स रखें |
यदि आप 24 एफपीएस पर वीडियो शूट कर रहे हैं तब शटर स्पीड 1/50 सेकण्ड्स रखें (क्योंकि 1/48 सेकंड तो होता नहीं है )
अब आप पूछेंगे कि हमें हमेशा ही अपने शटर स्पीड को एफपीएस का दोगुना ही रखना है |
मैंने पहले ही बताया कि cinematic video (जैसा हमारी आँखें देखती हैं) के लिए आप ऐसा कर सकते हैं जिसमें एक बढ़िया मोशन ब्लर भी मिलेगा |
यदि आपको कोई फ़ास्ट एक्शन शूट करना है तब आप शटर स्पीड को बढ़ा सकते हैं पर अधिक नहीं क्योंकि इससे वीडियो में जर्क आने लगेगा |
वहीँ और अधिक मोशन ब्लर पाने के लिए आप शटर गति कम कर सकते हैं जिससे आपका कैमरा शटर अधिक देर तक खुला रहेगा |
आप शटर स्पीड, अपर्चर या ISO जैसे कई फोटोग्राफी के बेसिक शब्दों के बारे में अधिक जानकारी इस पोस्ट में पा सकते हैं |
वीडियो में Frame Rate की क्या ज़रुरत है?
हमने देखा होगा कि फिल्मों में अलग अलग सीन हमारे मष्तिष्क पर अलग अलग प्रभाव डालते हैं |
जैसे कोई स्लो FBS क्या है? मोशन वाला सीन हो या फिर ज़रुरत से तेज़ और मोशन ब्लर वाला सीन हो, इन सबका अलग प्रभाव पड़ता है |
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यहाँ पर फ्रेम रेट कितना आवश्यक है |
कहा जाता है कि 2 4 fps पर वीडियो शूट करने से एक बहुत ही अच्छा सिनेमैटिक लुक मिलता है |
2 4 एफपीएस वही फ्रेम रेट होता है जिससे हम इस दुनियां को देखते हैं |
इसलिए अधिकतर सिनेमा इसी फ्रेम रेट पर शूट किये जाते हैं |
जब बहुत अधिक डिटेल की आवश्यकता होती है जैसे कोई खेल की शूटिंग, तब अधिक फ्रेम रेट पर लेना बेहतर है |
Gopro जैसे बेहतरीन एक्शन कैमरे तो 60 एफपीएस 4K वीडियो, 120 एफपीएस 2K से लेकर 240 एफपीएस FHD वीडियो शूट कर सकते हैं |
सैमसंग गैलेक्सी S10/20 में तो आप 960 FPS सुपर स्लो मोशन HD विडियो तक शूट कर सकते हैं |
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पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर (पीपीबीएस): यह क्या है, सामान्य सीमा और कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
पोस्ट-प्रांडियल ब्लड शुगर लेवल भोजन के बाद किसी व्यक्ति के शुगर लेवल को दर्शाता है। यह आपके संपूर्ण ग्लाइसेमिक नियंत्रण (overall glycemic control) को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसको आम तौर पर भोजन करने के 2 घंटे बाद कॅल्क्युलेट किया जाता है जब आपके ब्लड में मौजूद ब्लड शुगर का स्तर अपने चरम (peak)पर होता है। इस आर्टिकल में, हम आपके शरीर में पोस्ट-प्रैन्डियल ब्लड शुगर, इसके महत्व और इसकी सामान्य सीमा का परिचय देंगे।
Let's talk about a few symptoms. Are you feeling thirsty a lot? Do you have a frequent urge to urinate? Have you gained or lost weight suddenly? If you answered yes, chances are that your blood glucose levels might be abnormal. Schedule a post-prandial blood sugar and fasting blood sugar testing to confirm the suspicions. Don't take the clinical signs for granted.
Diabetes Screening Test / Blood Sugar Test
- Total no.of Tests - 12
- Quick Turn Around Time
- Reporting as per NABL ISO guidelines
पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर (पीपीबीएस) क्या है? (What is Post Prandial Blood Sugar (PPBS)?)
पोस्ट-प्रैन्डियल ब्लड शुगर (पीपीबीएस)टेस्ट एक ग्लूकोज टेस्ट है जो भोजन करने के लगभग 2 घंटे बाद आपके ब्लड में मौजूद शुगर के स्तर को निर्धारित करता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (एडीए-ADA) के अनुसार, फास्टिंग और पोस्ट-प्रैन्डियल ब्लड शुगर के स्तर की प्रतिदिन जांच की जानी चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां एचबीए1सी टेस्ट (Hb1Ac test) रिपोर्ट में ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि या कमी दिखाई गई है। आम तौर पर, डायबिटीज नहीं होने वाले लोगों के लिए पोस्टप्रैन्डियल ब्लड शुगर का स्तर 140 मिलीग्राम / डीएल से कम है और डायबिटीज वाले लोगों के लिए 180 मिलीग्राम / डीएल से कम है।
पीपीबीएस का महत्व क्या है? (What is the importance of PPBS?)
पीपीबीएसटेस्ट डायबिटीज मैनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है। आमतौर पर खाना शुरू करने के 10 मिनट बाद ब्लड शुगर लेवल बढ़ना शुरू हो जाता है और यह आपके खाने के लगभग 2 घंटे बाद अपने चरम (peak) पर होता है। पीपीबीएस ब्लड टेस्ट डॉक्टरों को यह एनालाइज करने में मदद करता है कि आपका शरीर आपके द्वारा सेवन की जाने वाली चीनी और स्टार्च के प्रति कैसे रेस्पॉन्ड करता है। पीपीबीएस का स्तर यह मूल्यांकन करने में मदद करता है कि आप अपने डायबिटीज को कितनी अच्छी तरह मैनेज करने में सक्षम हैं। इससे यह भी पता चलता है कि भविष्य में शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। पीपीबीएस दीर्घकालिक लक्ष्यों ( long-term goals) को प्राप्त करने में मदद करता है। यह विभिन्न हृदय रोगों के लिए एक इंडिपेंडेंट रिस्क FBS क्या है? फैक्टर के रूप में भी कार्य करता है।
पीपीबीएस की सामान्य सीमा क्या है? (What is the normal range of PPBS?)
पीपीबीएस की सामान्य सीमा प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप डायबिटीज के रोगी हैं या नहीं। औसत सामान्य रक्त शुगर के स्तर को नीचे दिए गए चार्ट में संक्षेपित किया गया है:
पीपीबीएस का सामान्य स्तर भी आपकी उम्र पर निर्भर करता है। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति की आयु के अनुसार ब्लड शुगर का स्तर नीचे संक्षेप में दिया गया है:
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Can Type 2 Diabetes Be Reversed? Explains Dr Mythri Shankar
Diabetes The Bitter Truth: Can It Be Reversed Sweetly?
Written by Tavishi Dogra | Updated : November 17, 2022 11:09 PM IST
More than half of them don't even know they have diabetes and a higher risk of developing life-threatening complications. One in ten people lives with diabetes, which is a concern for every family. Common warning signs of complications of diabetes include blurred vision, excessive thirst, frequent urination, lack of energy, slow-healing wounds, recurring infections, and tingling or numbness.
Type II Diabetes Reversal
Dr Mythri Shankar, Lead Consultant - Nuclear Medicine, Lifestyle Medicine Physician, Aster CMI Hospital, Bangalore, says that risk factors for Type II Diabetes include a family history of diabetes, unhealthy eating habits, lack of physical activity, being overweight or obese, and high blood pressure. Fasting blood sugar levels (FBS) and HBA1C levels are standard blood tests used to diagnose diabetes. But once a diagnosis of diabetes is made, does one need to take medications to control sugar levels for the rest of their life? Is it a lifelong sentence? ABSOLUTELY NOT. It can be controlled with diet and other lifestyle modifications, reducing, or eliminating medication usage (oral hypoglycemics and insulin).
Twin Cycle Hypothesis
The "twin cycle hypothesis" is a revolutionary concept that has changed the game of diabetes. It is not just the sugar that is the culprit, but also the fat. Any calorie excess due to overconsumption tends to make the pancreas moody. The accumulation of fat inside the liver and pancreas cells leads to diabetes. Too much sugar in the blood can harm the body, causing imbalances (ketoacidosis), nerve diseases (neuropathy), eye diseases (retinopathy), and kidney diseases (nephropathy). It can also lead to foot ulcers and heart disease. International organisations like the ADA (American Diabetic Association) confirm that lifestyle modifications FBS क्या है? are the best way to treat pre-diabetes and early diabetes.
Also Read
Continuous Glucose Monitoring
- New technological advances like continuous glucose monitoring (CGM) have made it easier to understand the direct and immediate effects of food on our blood glucose levels by measuring them continuously (around the clock) by inserting a sensor (as a patch on the arm).
- The complex symphony of foods in the gut and blood sugar levels is still vaguely understood. But we know that the body responds well to food, and the sugar levels can be played just like a musical instrument by simply controlling the food on the plate.
- Physician-led structured programs around different phases (contemplation, preparation, action, maintenance, and relapse) are structured to handhold and help the patients in a gradual & sustainable way by which they can achieve glucose/sugar level control in a specific, measurable, attainable, relevant and time-bound way.
Health Goals
A Lifestyle Medicine Physician can help mentor/coach you in reaching your health goals in a step-by-step pattern. For example, not all millets have the same glycemic index or load. Resetting the mindset by motivational interviewing, behaviour modification can help make the right food choices and develop good healthy habits. Regular exercise and building muscle also increase the RMR (resting metabolic rate), which helps with sugar control.
- Insulin resistance (a primary cause of diabetes) can be combated well using the six pillars of lifestyle medicine (food, movement, sleep, stress, positive psychology, and avoidance of risky substances).
- Suppose your sugar levels are in the pre-diabetic or early diabetic range. In that case, you can reverse the diagnosis by turning back the clock by following a specific lifestyle medicine program that helps you control sugar levels better and faster by teaching simple and easy strategies.
- WFPB foods (whole food plant-based), which include fruits, vegetables, nuts, grains, and seeds, can do wonders. IF (intermittent fasting) can help reduce body weight or BMI.
Conclusion: Food and exercise are fundamental components of diabetes care and prevention. A lifestyle medicine program can teach people with diabetes how to eat healthily and exercise at home in simple, practical, and effective ways.
Prevention is always better than cure. But the reversal is possible when it cannot be cured.