चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर

इक्विटी बैलेंस्ड फंड
इक्विटी बैलेंस्ड फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो बाजार की स्थितियों के अनुसार इक्विटी, डेब्ट और कभी-कभी मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करता है। इसे एक अग्रेसिव हाइब्रिड फंड के रूप में भी जाना जाता है। एक संतुलित फंड एक एकल फंड में एक महान जोखिम डायवर्सिफिकेशन उपकरण के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह अपने ऋण घटक के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करते हुए इक्विटी से उच्च अपेक्षित रिटर्न का लाभ प्रदान करता है।
आम तौर पर बैलेंस्ड फंड इक्विटी में 65-80%, डेब्ट में 15-20% और कभी-कभी मनी मार्केट सिक्योरिटीज में 5% तक निवेश करते हैं। डेब्ट सिक्योरिटीज एक रक्षात्मक भूमिका निभाते हैं। एक अच्छी तरह से प्रबंधित संतुलित फंड इक्विटी में 80% निवेश करके इक्विटी फंडों को बाहर निकालता है जब बाजार में अच्छा प्रदर्शन होता है और ऋण में 35% तक होता है जब ऋण की उपज अधिक होती है और इक्विटी अधिक हो जाती है।
बैलेंस्ड फंड उन लोगों के लिए एक अच्छा मध्यम अवधि का निवेश है, जिनके पास शुद्ध इक्विटी फंड में निवेश करने के लिए उच्च जोखिम श्रमता नहीं है, लेकिन वे सुरक्षा, आय और मामूली पूंजी प्रशंसा के मिश्रण की तलाश में हैं।
यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो विविधीकरण प्राप्त करने के लिए विभिन्न फंडों में निवेश नहीं करना चाहते हैं और उन्हें ट्रैक करना चाहते हैं।
कर लगाना
इक्विटी बैलेंस्ड फंड्स में आम तौर पर उनके कॉर्पस (कम से कम 65%) का बड़ा हिस्सा शेयरों में निवेश किया जाता है और इक्विटी फंड के समान टैक्स ट्रीटमेंट के लिए क्वालिफिकेशन प्राप्त करता है।
यदि निवेश की तिथि से कम से कम 1 वर्ष की अवधि के लिए फंड रखा जाता है, तो लाभ लॉन्ग-टर्म पूंजीगत लाभ कर के अधीन होता है। 1 लाख रुपये तक के संतुलित फंड पर लॉन्ग-टर्म पूंजीगत लाभ (LTCG) कराधान से मुक्त होता है। इंडेक्सेशन के लाभ के बिना 10 लाख की दर से 1 लाख रुपये से अधिक का एलटीसीजी कर योग्य है।
यदि निवेश की तारीख से 1 वर्ष पहले इकाइयों को रिडीम किया जाता है, तो चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर लाभ लघु अवधि के पूंजीगत लाभ के अधीन होते हैं। बैलेंस्ड फंड्स से शॉर्ट टर्म गेन पर 15% टैक्स लगता है
अगर बैलेंस पीरियड 1 साल से ज्यादा और 3 साल से कम है तो बैलेंस्ड फंड्स आपको डेब्ट फंड पर टैक्सेशन का फायदा देंगे। डेब्ट फंड 3 साल से कम है, तो इंडेक्सेशन के लाभ के बिना, निवेशक के टैक्स स्लैब के बराबर कैपिटल गेन टैक्स आकर्षित करता है।
इक्विटी और डेब्ट दोनों में निवेश के कारण, संतुलित फंड 2 प्रमुख परिसंपत्ति वर्गों के बीच अच्छा डायवर्सिफिकेशन प्रदान करते हैं। इक्विटी घटक स्टॉक मूल्य प्रशंसा और लाभांश आय के माध्यम से पूंजी वृद्धि का लाभ प्रदान करता है, जबकि ऋण घटक निश्चित आय प्रतिभूतियों और बांड मूल्य प्रशंसा में निवेश के माध्यम से स्थिरता प्रदान करता है।
संतुलित फंड का प्रमुख लाभ उच्च आक्रामक अलॉटेड से अधिक अग्रेसिव ग्रोथ- ओरिएंटेड शेयरों के साथ स्विच करने की क्षमता है जब बाजार मंदी की स्थिति में अधिक रक्षात्मक शेयरों के साथ कम इक्विटी अलॉटेड के लिए तेज होता है।
यह शुद्ध इक्विटी फंडों की तुलना में कम अस्थिर है। बैलेंस्ड फंड में ज्यादातर लंबी अवधि के लिए स्थिर और लगातार रिटर्न होता है। सर्वश्रेष्ठ संतुलित म्यूचुअल फंडों ने इक्विटी रिटर्न की तुलना में लंबे समय में बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न की पेशकश की है। एक तुलना नीचे दी गई है।
फंड श्रेणी | 5-वर्षीय रोलिंग रिटर्न | जोखिम आधारित एसटीडी डेविएशन |
Balanced Funds | 13.20% | 2.9 |
Large-Cap Funds | 12.90% | 3.47 |
Mid-Cap and Large-Cap Funds | 13.96% | 3.82 |
Diversified Funds | 14.91% | 3.96 |
नुकसान
जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही संतुलित धन के भी अपने नुकसान होते हैं। बैलेंस्ड फंड्स के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं
संतुलित फंडों का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है। जिसका अर्थ है, कि यह कम जोखिम वाला निवेश नहीं है
एक संतुलित फंड में निवेश करने का दूसरा नुकसान यह है कि आपके पास परिसंपत्ति आवंटन पर नियंत्रण नहीं है। ऐसे सभी निर्णय पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा किए जाने हैं जो फंड का प्रबंधन कर रहे हैं।
लंबे समय में इक्विटी फंड की तुलना में बैलेंस्ड फंड का रिटर्न कम है।
यदि आप अल्पावधि में निवेश कर रहे हैं तो प्रबंधन शुल्क ऋण योजनाओं के मामले में अधिक है।
सही बैलेंस्ड फंड कैसे चुनें?
सही संतुलित फंड का चयन करने से पहले विचार करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पैरामीटर निम्नलिखित हैं।
फंड का पिछला प्रदर्शन - ऐसा फंड चुनें जो लगातार अच्छा प्रदर्शन दे रहा हो।
रेटिंग जांच - एक विश्वसनीय स्रोत से एक बैलेंस्ड फंड की रेटिंग की जांच कर सकते हैं।
रिस्क रिटर्न अनुपात - शार्प अनुपात और मानक विचलन जैसे जोखिम रिटर्न अनुपात पोर्टफोलियो में निहित जोखिम के अच्छे संकेतक हैं।
कुल व्यय अनुपात (टीईआर) - एक फंड का चयन करते समय यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पैरामीटर है। अधिक व्यय अनुपात फंड के अपेक्षित रिटर्न को कम करेगा। हालाँकि, किसी को उच्च व्यय अनुपात निधि को एकमुश्त अस्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि फंड प्रबंधक बेहतर हो सकता है, और इससे उच्च रिटर्न प्राप्त हो सकता है।
पोर्टफोलियो मैनेजर का अनुभव - एक फंड मैनेजर फंड के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक फंड मैनेजर एक अंतिम निर्णय लेने वाला होता है और उसका दृष्टिकोण बहुत मायने रखता है। इसलिए निवेश चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर करने से पहले फंड मैनेजर के अनुभव और पिछले प्रदर्शन को सत्यापित करना चाहिए।
फंड का एयूएम - एक फंड में काफी एयूएम होना चाहिए। किसी भी योजना में कम एयूएम बहुत जोखिम भरा है क्योंकि यह बताना मुश्किल है कि निवेशक कौन हो सकते हैं। किसी भी बड़े निवेशक का किसी भी म्यूचुअल फंड से बाहर निकलना उसके समग्र प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, और इस योजना में शेष निवेशकों को प्रभाव को सहन करना होगा। बड़े एयूएम वाली योजनाओं में, यह जोखिम कम से कम हो जाता है।
निष्कर्ष
एक इक्विटी संतुलित फंड अच्छी तरह से विविध है और उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनके पास एक मध्यम जोखिम प्रोफ़ाइल है। यह लंबे समय में उनके लिए महान संपत्ति बनाने की क्षमता रखता है।
Investment Advice: डेट और इक्विटी दोनों का एक साथ फायदा दिलाता है बैलेंस्ड फंड
बैलेंस्ड फंड में निवेश के कई फायदे हैं। यह सिंगल स्ट्रक्चर में एसेट एलोकेशन मॉडल का लाभ देता है।
Edited चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर By: Alok Kumar @alocksone
Published on: September 27, 2022 15:10 IST
Photo:INDIA TV Investment Advice: Balanced funds
Highlights
- इससे जोखिम तो कम होता है
- छोटे निवेशक इसमें निवेश कर मोटा रिटर्न पा सकते हैं
- मौजूदा समय निवेश के लिए सबसे बेहतर विकल्प
Investment Advice: आम तौर पर भारतीय निवेशक शेयर बाजार में तब पैसे लगाते हैं जब बाजार ऊपर जा रहे होते हैं और वे बाजार से तब पैसे निकालते हैं, जब बाजार का प्रदर्शन खराब होता है। यह तरीका निवेश के लिए अच्छा नहीं है। यही नहीं, कई बार यह देखा जाता है कि बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव आने की स्थिति में कुछ निवेशक या तो बाजार से बाहर रहते हैं या फिर घबरा कर अपने निवेश से बाहर निकल जाते हैं।
इक्विटी के बारे में कम समझ की वजह से यह स्थिति उत्पन्न होती है। यहां यह उल्लेख करना अहम है कि लंबी अवधि के लिए पूंजी सृजन करने के लिए इक्विटी एक उपयुक्त निवेश विकल्प होता है। निवेशकों को बाजार में छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव के समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे लंबी अवधि में अपनी पूंजी की संभावित बढ़ोतरी का फायदा ले सकें।
क्यों हैं बैलेंस्ड फंड जरूरी
शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, लेकिन अभी भी निवेशकों का एक समूह ऐसा है जो इसका लाभ लेने से खुद को वंचित महसूस कर रहे होंगे। ऐसे निवेशकों के लिए यह बुद्धिमानी होगी कि वे अपने पोर्टफोलियो में बैलेंस्ड फंड को शामिल करें। जब बाजार गिर रहे होते हैं, तो यह फंड इक्विटी में अपना एलोकेशन बढ़ा कर इसकी भविष्य की संभावित तेजी का फायदा उठाने की कोशिश करता है, दूसरी ओर जब बाजार चढ़ रहे होते हैं तो इक्विटी में अपना एक्सपोजर कम कर ये फंड गिरावट की संभावना को सीमित कर लेते हैं। इस तरह आप देख सकते हैं कि ऐसे फंड की कार्यशैली रिटेल निवेशकों की कार्यशैली के ठीक उल्टी होती है।
क्या हैं बैलेंस्ड फंड में निवेश के लाभ
बैलेंस्ड फंड में निवेश के कई फायदे हैं। यह सिंगल स्ट्रक्चर में एसेट एलोकेशन मॉडल का लाभ देता है। अपनी एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी का पालन करते हुए यह फंड अपनी पूंजी को एक से अधिक एसेट क्लास में बांट देता है, इससे जोखिम तो कम होता ही है, पूरे पोर्टफोलियो के प्रदर्शन पर किसी एक एसेट क्लास का प्रदर्शन हावी भी नहीं होता। इसके अलावा बैलेंस्ड फंड न केवल निवेश में अनुशासन लाता है, बल्कि उस प्रवृत्ति पर रोक भी लगाता है जब निवेशक बाजार नीचे जाने की स्थिति में इससे बाहर निकल जाते हैं और इसके ऊपर जाने पर इसमें पैसे लगाते हैं।
महंगे बाजार और उतार-चढ़ाव वाले माहौल में इस फंड ने दिया 34 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न
आंकड़े बताते हैं कि आदित्य बिरला सन लाइफ (Aditya Birla Sun Life) बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (Balanced Advantage Fund) ने एक साल में 34.58 फीसदी और तीन साल में 12.88 फीसदी का रिटर्न (Return) दिया है। 10 हजार रुपए महीने की एसआईपी (SIP) अगर किसी ने बिरला सन लाइफ के बैलेंस एडवांटेज फंड (BAF) में अप्रैल 2000 में किया होगा तो उसका वैल्यू आज 1.03 करोड़ रुपए हो गया है।
ऐसे माहौल में किस म्यूचुअल फंड में निवेश है बेहतर
हाइलाइट्स
- इस समय शेयर बाजार अपने ऐतिहासिक उंचाई पर है
- साथ ही उतार-चढ़ाव भी दिख रहा है
- आपको पता है कि ऐसे में आपको किस म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए
- इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में म्यूचुअल फंड की बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (बैफ) स्कीम में निवेश करना चाहिए
मुंबई
इस समय शेयर बाजार (Stock Market) अपने ऐतिहासिक उंचाई पर है। साथ ही उतार-चढ़ाव भी दिख रहा है। आपको पता है कि ऐसे में आपको किस म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करना चाहिए। इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में म्यूचुअल फंड की बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (BAF) स्कीम में निवेश करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि यह स्कीम उतार-चढ़ाव वाले बाजार में अच्छा प्रदर्शन करती है।
एक साल में 34.58 फीसदी का रिटर्न
आंकड़े बताते हैं कि आदित्य बिरला सन लाइफ बैलेंस्ड एडवांटेज फंड ने एक साल में 34.58 फीसदी और तीन साल में 12.88 फीसदी का रिटर्न दिया है। 10 हजार रुपए महीने की एसआईपी अगर किसी ने बिरला सन लाइफ के बैलेंस एडवांटेज फंड में अप्रैल 2000 में किया होगा तो उसका वैल्यू आज 1.03 करोड़ रुपए हो गया है। जबकि कुल निवेश 25.20 लाख रुपए ही रहा होगा। लंबे समय के लिए एसआईपी के जरिए निवेश करने का ये एक अच्छा उदाहरण है।
इक्विटी और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज के बीच संंतुलन
आदित्य बिरला सन लाइफ बैलेंस एडवांटेज फंड पोर्टफोलियो (Balanced Advantage Fund) में इक्विटी (Equity) और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज (Fixed Income Securities) के बीच संतुलन मैनेज करता है। यह मार्केट के वैल्यूएशन (Market Valuation) पर आधारित होता है। इक्विटी में जहां ज्यादा रिटर्न की संभावना होती है वहीं इसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव भी होता है। जबकि फिक्स्ड इनकम (Fixed Income) में उचित रिटर्न और कम उतार-चढ़ाव होता है। इसका लक्ष्य गिरते हुए बाजार में जोखिम को सीमित करना होता है जबकि बाजार के ऊपर जाने पर उसके अवसर को भुनाने का काम करता है।
इस समय का माहौल बैफ के लिए बेहतर
बाजार के जानकार और समर्थ वेल्थ के अभिनंदन होनाले कहते हैं कि बाजार के अभी के उतार-चढ़ाव में के माहौल में बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (बैफ) निवेश के लिए बेहतर हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इक्विटी और डेट लेवल इसका डायनॉमिकली प्रबंधन करते हैँ। यह आपके पैसों का सही अलोकेशन करता है और जोखिम समायोजित रिटर्न मिलता है। आदित्य बिरला सन लाइफ बैलेंस्ड एडवांटेज फंड इस कैटेगरी में अच्छी क्वालिटी वाली इक्विटी और डेट पोर्टफोलियो की वजह से लगातार बेहतर प्रदर्शन अलग-अलग बाजार में किया है। क्योंकि ये फंड बाजार के वैल्यूएशन पर नजर रखते हैं तो जब बाजार सस्ता होगा तो शेयरों में निवेश ज्यादा करेगा और महंगा होगा तो इक्विटी में निवेश को कम कर देगा।
इक्विटी में घटता बढ़ता रहता है निवेश
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में इक्विटी में निवेश घटता बढ़ता रहता है। उदाहरण के लिए बिरला सन लाइफ बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में मई 2020 के दौरान इक्विटी में निवेश 80 फीसदी के करीब था यह मई 2021 में घट कर 39 फीसदी के करीब कर दिया गया। ऐसे डायनॉमिकली मैनेज करने की वजह से निवेशकों को बाजार के किसी भी माहौल में ये साथ देते हैं। विशेषज्ञ का कहना है कि बाजार के उतार-चढ़ाव को पीछे छोड़ने के लिए बैलेंस एडवांटेज फंड में लंबे समय तक निवेश करते रहना चाहिए।
अभी के माहौल में बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कितने असरदार साबित हो सकते हैं?
इन फंडों मकसद एक होता है. वह है बाजार की अस्थिरता से निपटना और कम जोखिम के साथ इक्विटी जैसे रिटर्न देना.
शुरू में बाजार के तेजी से लुढ़कने पर पूरी तरह पीई (प्राइस-टू-अर्निंग्स) और पीबीवी (प्राइस-टू-बुक वैल्यू) जैसे वैल्यूएशन मैट्रिक्स पर निर्भर करने वाले एसेट एलोकेशन फंडों ने लगा कि गलत जगह पांव रखे. ये फंड शेयर की कीमत घटने पर खरीदते और बढ़ने पर बिकवाली करते हैं. शेयर महंगे होने पर ये बॉन्ड में निवेश बढ़ाते हैं. वहीं, घटने पर बॉन्ड में निवेश कम किया जाता है.
शेयर कीमतें लुढ़कने पर इंडेक्स वैल्यूएशन मल्टीपल भी घटे. इसने वैल्यूएशन केंद्रित मॉडलों पर निर्भर रहने वाले फंडों को इक्विटी निवेश बढ़ाने पर उकसाया. लेकिन, हर दिन सूचकांक लुढ़क रहे थे. ऐसे में धीरे-धीरे इक्विटी निवेश बढ़ जाने से इन फंडों को नुकसान हुआ. मार्च 2020 के निचले स्तर पर पीबीवी केंद्रित आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बैलेंस्ड एडवांटेज फंड ने अपना इक्विटी एलोकेशन बढ़ाकर 80 फीसदी कर दिया था. यह इक्विटी में इसके निवेश की अंतिम सीमा है. आदित्य बिड़ला सन लाइफ बैलेंस्ड एडवांटेज के वैल्यूएशन आधारित मॉडल के कारण उसने भी इक्विटी एलोकेशना बढ़ाकर 90 फीसदी तक कर दिया था. हालांकि, अप्रैल से बाजार की तेज वापसी ने ऐसे कई फंडों को फायदा उठाने की स्थिति में ला दिया.
कुछ फंड प्रो-साइक्लिकल रुख अपनाते हैं. इसका मतलब है कि बाजार बढ़ने पर वे इक्विटी में एलोकेशन बढ़ाते हैं और टूटने पर घटाते हैं. निप्पॉन इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड एसेट एलोकेशन तय करने में वैल्यूएशन और मोमेंटम इंडिकेटर्स का मिलाजुलाकर इस्तेमाल करता है.
एडलवाइज बैलेंस्ड एडवांटेज फंड मार्केट ट्रेंड की पहचान करने के लिए मोमेंटम और वोलेटिलिटी दोनों फैक्टर्स को मिलाजुलाकर देखता है. बिकवाली के दौर में इस फंड ने इक्विटी निवेश को बहुत कम करीब 35 फीसदी रखा था. लेकिन, बाजार में तेजी आने के साथ ही इस मॉडल के कारण इक्विटी में तेजी से निवेश बढ़ा. इसने फंड को फायदा पहुंचाया.
एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट कंपनी की सीईओ राधिका गुप्ता कहती हैं, ''पिछले कुछ सालों में मोमेंटम बहुत सफल रणनीति रही है. हम इसका फायदा उठाने में कामयाब रहे हैं.''
बाजार के वापसी करने पर एसेट एलोकेशन एप्रोच अच्छा करती है
लेकिन, इन फंडों के रिस्क प्रोफाइल में अलग-अलग तरह की रणनीतियों के कारण निवेशकों को थोड़ा सावधानी से स्कीम का चुनाव करना चाहिए.
अब जब मार्केट का वैल्यूएशन बहुत ज्यादा है तो इस सेगमेंट में ट्रेडिशनल काउंटर-साइक्लिकल फंडों ने इक्विटी में निवेश घटा दिया है. अगर बाजार गिरा तो ये फंड ज्यादा बेहतर तरह से उसे संभाल सकेंगे. लेकिन, जोखिम यह है कि इक्विटी में रैली लंबी चली तो ये बढ़े फायदे को उठाने से चूक जाएंगे.
वहीं, प्रो-साइक्लिकल एप्रोच रखने वाले फंडों का इक्विटी में निवेश अब भी ज्यादा है. वे बाजार के बढ़ते जाने पर फायदा उठाते रहेंगे. लेकिन, हवा का रुख पलटा तो देखना होगा कि ये किस तेजी से चीजों को बदलते हैं. कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऐसे समय में वैल्यू आधारित काउंटर साइक्लिकल मॉडल अच्छा काम करेगा.
साइक्स एंड रे इक्विटीज के चीफ फाइनेंशियल प्लानर कीर्तन शाह कहते हैं, ''साबित हो चुका है कि वैल्यू ओरिएंटेड एप्रोच बाजार के शिखर पर पहुंचने के बाद बेहतर काम करती है.''
खैर, रणनीति कोई भी हो, इन फंडों मकसद एक होता है. वह है बाजार की अस्थिरता से निपटना और कम जोखिम के साथ इक्विटी जैसे रिटर्न देना. चाहे 'प्रो' हो या 'काउंटर' साइक्लिकल एप्रोच, दोनों एक ही जगह पहुंचने के अलग-अलग रास्ते हैं. अस्थिरता को लेकर घबराने वाले निवेशक इन फंडों के साथ चैन की सांस ले सकते हैं.
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