वास्तविक खाता

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वास्तविक खाता
बैंक खाताधारकों को अनजान लोगों के साथ अपनी पर्सनल डिटेल साझा करते समय ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि, जालसाज लोग वभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत पैसे मिलेंगे का लालच देकर ग्रामीणों और आदिवासियों के नाम पर फर्जी अकाउंट खोलते हैं।
खुलासा हुआ है कि इन अकाउंट का उपयोग वास्तविक अकाउंट होल्डर्स की जानकारी से परे विभिन्न साइबर अपराधों में अवैध धन के लेनदेन वास्तविक खाता के लिए किया जाता है।
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने ग्राहकों को बैंक खाता वास्तविक खाता खोलने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति के मोबाइल नंबर का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है। इसके अलावा कहा है कि लेन-देन की वास्तविकता को जाने बिना न तो कोई पैसा रिसीव करें और न ही भेजें।
ग्राहकों को यह भी वास्तविक खाता सलाह दी गई है कि वे अपने आईपीपीबी अकाउंट की डिटेल को नौकरी की पेशकश करने वाले लोगों या सोशल मीडिया के जरिए आसानी से पैसे कमाने के अवसर प्रदान करने वाले लोगों के साथ साझा न करें। ग्राहकों को लेन-देन करने वास्तविक खाता या पैसा भेजने से पहले कंपनी और व्यक्ति को सत्यापित करना चाहिए।
अधिकारियों के मुताबिक, वास्तविक खाता आईपीपीबी अकाउंट खोलने के बाद ग्राहक पहचान डेटा को समय-समय पर अपडेट करता है और ऐसे धोखेबाजों के दुरुपयोग से बचाने के लिए उनके लेनदेन की निगरानी भी करता है।
गौरतलब है कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को 1 सितंबर 2018 को प्रधान मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। बैंक को भारत में आम आदमी के लिए सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बैंक बनाने की ²ष्टि से इसे स्थापित किया वास्तविक खाता गया।
भारतीय डाक भुगतान बैंक ने अपने ग्राहकों को साइबर धोखाधड़ी से सावधान किया
कई धोखाधड़ी गतिविधियों में वृद्धि के कारण जहां जालसाज ग्रामीणों, आदिवासियों और कम पढ़े-लिखे लोगों के नाम पर, यह प्रलोभन देकर कि खाताधारकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत वास्तविक खाता मौद्रिक लाभ मिलेगा, फर्जी खाते खोलते हैं, बैंक खाताधारकों को अज्ञात व्यक्तियों के साथ अपना व्यक्तिगत विवरण साझा करते समय सावधान रहने की आवश्यकता है। इन खातों का उपयोग वास्तविक खाताधारकों की जानकारी से अलग विभिन्न साइबर अपराधों में अवैध धन के लेनदेन के लिए किया जाता है।
भारतीय डाक भुगतान बैंक आगे सलाह देता है कि,
- ग्राहक बैंक खाता खोलने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति के मोबाइल नंबर का उपयोग न करें।
- ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे लेन-देन की वास्तविकता को जाने बिना कोई पैसा स्वीकार न करें या न भेजें।
- ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने बैंक खाते का नियंत्रण साझा न करें जैसे कि उनकी ओर से लेन-देन करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के साथ अपने मोबाइल बैंकिंग विवरण साझा न करें।
- ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने भारतीय डाक भुगतान बैंक खाते का विवरण नौकरी की पेशकश का लालच देने वाले या सोशल मीडिया के माध्यम से आसानी से पैसे कमाने का मौका देने वाले लोगों के साथ साझा न करें।
ग्राहकों को लेन-देन करने या पैसा भेजने से पहले कंपनी और व्यक्ति को सत्यापित करना चाहिए।
भारतीय डाक भुगतान बैंक खाता खोलने के बाद ग्राहक पहचान डेटा को समय-समय पर अपडेट करता है और ऐसे धोखेबाजों द्वारा दुरुपयोग से बचाने के लिए उनके लेनदेन की निगरानी भी की जाती है।
भारतीय डाक भुगतान बैंक के बारे में
भारत सरकार के स्वामित्व वाली 100 प्रतिशत निवेश के साथ संचार मंत्रालय के डाक विभाग के अंतर्गत भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) की स्थापना की गई है। आईपीपीबी को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 सितंबर, 2018 को शुरू किया गया था। बैंक की स्थापना भारत में आम आदमी के लिए सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बैंक बनाने की परिकल्पना के साथ की गई वास्तविक खाता है। भारतीय डाक भुगतान बैंक का मौलिक जनादेश बिना बैंक खाता वाले और कम बैंक खाता वाले लोगों के लिए बाधाओं को दूर करना और 155,000 डाकघरों (ग्रामीण क्षेत्रों में 135,000) और 300,000 डाक कर्मचारियों वाले डाक नेटवर्क का वास्तविक खाता वास्तविक खाता लाभ उठाते हुए देश के हर कोने तक पहुंचना है।
भारतीय डाक भुगतान बैंक की पहुंच और इसका संचालन मॉडल इंडिया स्टैक के प्रमुख स्तंभों- सीबीएस-एकीकृत स्मार्टफोन और बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से ग्राहकों के दरवाजे पर सरल और सुरक्षित तरीके से पेपरलेस, कैशलेस और उपस्थिति-रहित बैंकिंग को सक्षम करने पर आधारित है। मितव्ययी नवाचार का लाभ उठाते हुए और जनता के लिए बैंकिंग में आसानी पर उच्च ध्यान देने के साथ,भारतीय डाक भुगतान बैंक 13 भाषाओं में उपलब्ध सहज ज्ञान युक्त इंटरफेस वास्तविक खाता के माध्यम से सरल और किफायती बैंकिंग समाधान प्रदान करता है।
भारतीय डाक भुगतान बैंक कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और डिजिटल इंडिया की परिकल्पना में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत तब समृद्ध होगा जब प्रत्येक नागरिक के पास आर्थिक रूप से सुरक्षित और सशक्त होने के समान अवसर होंगे। हमारा आदर्श वाक्य सच साबित होता है कि- प्रत्येक ग्राहक महत्वपूर्ण है; प्रत्येक लेन-देन महत्वपूर्ण है और प्रत्येक जमा पूंजी मूल्यवान है।
वास्तविक खाता
ईडी ने 108 करोड़ रुपये के ट्रेडिंग फ्रॉड मामले में चार लोगों को किया गिरफ्तार
नई दिल्ली, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि जनता से 108 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक निजी फर्म के तीन निदेशकों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
नई दिल्ली, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि जनता से 108 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक निजी फर्म के तीन निदेशकों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
अभियुक्तों की पहचान ब्लूमैक्स कैपिटल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशक आर अरविंद, एस गोपालकृष्णन, एस भारतराज और तूतीकोरिन के उनके सहयोगी जे अमरनाथ के रूप में की गई। उन्हें एक विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें 12 दिनों की हिरासत में भेज दिया है।
ईडी ने ब्लूमैक्स कैपिटल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की।
पुलिस को आम जनता से शिकायतें मिलीं कि उन्हें आरोपियों ने धोखा दिया, जिन्होंने उन्हें उच्च रिटर्न का वादा किया था और उन्हें विदेशी मुद्रा, वस्तुओं और सोने के व्यापार में अपनी मेहनत की कमाई का निवेश करने के लिए कहा था।
ईडी ने कहा कि पीड़ितों से करीब 108 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
जांच एजेंसी को पता चला कि निदेशकों ने नकली सुविधाओं के साथ कंपनी की एक वेबसाइट बनाई थी, जो निवेशकों के पैसे के साथ गलत रियल टाइम फॉरेक्स ट्रेडिंग दिखाती थी।
ईडी ने बताया कि, कंपनी की कार्यप्रणाली यह थी कि एक बार जब कोई व्यक्ति पैसे का निवेश करेगा, तो उन्हें एक खाता प्रदान किया जाएगा और कंपनी की वेबसाइट को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि, जब कोई व्यक्ति अपने खाते में लॉग इन करता है, तो उसके अंदर दिखाई गई सबी चीजें झूठी होती है। वेबसाइट को विदेशी मुद्रा में वास्तविक व्यापार, व्यापार चार्ट के माध्यम से वस्तुओं आदि का झूठा चित्रण करके निवेशकों को गुमराह करने के लिए डिजाइन किया गया था।
अक्टूबर 2019 में, निदेशकों ने जानबूझकर अपनी कंपनी के सर्वर की झूठी हैकिंग का मंचन किया और उसके बाद निवेशकों को सूचित किया कि उनका पैसा व्यापार में खो गया है।
उन्होंने तब कुछ निवेशकों को आंशिक धन का सांकेतिक पुनर्भुगतान किया था, दूसरों को परेशानी में डाल दिया था।
ईडी की जांच से पता चला है कि, निवेशकों के पैसे को किसी भी व्यापारिक गतिविधियों में निवेश नहीं किया गया था, जैसा कि वादा किया गया था और अब गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों ने विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं के माध्यम से एक बड़ा हिस्सा डायवर्ट किया था और उनके नाम या उनके नाम पर नए व्यवसायों में निवेश किया था। साथ ही उन्होंने पत्नियों के नाम और गुप्त रूप से क्रिप्टो करेंसी में निवेश भी किया।
यह भी देखा गया कि तीनों निदेशकों ने मिलकर मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग, बेलीज और यूके में अपतटीय स्थानों में ब्लूमैक्स ग्लोबल लिमिटेड के नाम से कंपनियां और बैंक खाते शुरू किए और उनमें पैसा जमा किया।
इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न व्यवसायों को भी शुरू किया था और धोखाधड़ी करने के लिए विदेशों में उनके नाम पर और अन्य असंबंधित व्यक्तियों के नाम पर बैंक खाते खोले थे।