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प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं?

प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं?

प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं?

हेलो दोस्तो आपका हमारे वेबसाइट www.gyan-ganga.com पर आपका स्वागत है यदि आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आप यह भली-भांति जानते होंगे कि भारत के सभी उच्च एवं निम्न स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तर पूछे जाते हैं सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सामान्य ज्ञान एक महत्वपूर्ण विषय है इसलिए वर्तमान समय में प्रत्येक विधार्थियों के लिए सामान्य ज्ञान के प्रश्नो का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है इसी को ध्यान में रखते हुए आज हम इस लेख में टॉपिक वाइज सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तर ( Topic Wise GK Question in Hindi 2022 ) उपलब्ध करवा रहे हैं ।

इसके साथ ही इस लेख में 300 महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तर भी उपलब्ध करवा रहे हैं अगर आप किसी भी केंद्रीय स्तरीय अथवा राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो यह लेख आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है इसलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

Top 500 General Knowledge Questions in Hindi 2022 Topic Wise

Top 50 प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं? Most Important Mix GK Question With answer in Hindi 2022

1. FM का विस्तारित नाय क्या है ?

उत्तर :- FM आ विस्तारित रूप Frequency Modulation ( फ्रिकवेंसी माड्यूलेशन ) है ।

2. भारत के किस शहर को वर्ष 1858 में केवल एक दिन के लिए भारत की राजधानी घोषित किया गया था ?

उत्तर :- उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित इलाहाबाद शहर जिसका वर्तमान नाम प्रयागराज है को वर्ष 1958 में केवल 1 दिन के लिए भारत की राजधानी घोषित किया गया था ।

3. PDF का पूर्ण रूप क्या है ?

उत्तर :- ( Portable document format ) पोर्टेबल डॉक्युमेंट फॉरमैट

4. कंप्यूटरीकृत भाषा में WWW का क्या अर्थ है ?

उत्तर :- World Wide Web

5. अंग्रेजों द्वारा शुरू किए गये किस कानून को काला कानून कहा जाता है ?

उत्तर :- रॉलेट एक्ट कानून

6. वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था ?

उत्तर :- लॉर्ड कर्जन

7. भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना किसने की थी ?

उत्तर :- लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव

8. किस पेशवा शासक ने अंग्रेजों के साथ बेसिन की संधि की थी ?

उत्तर:- बाजीराव द्वितीय

9. बंगाल व बिहार में स्थायी बंदोबस्त की शुरुआत किसने की थी ?

उत्तर :- लॉर्ड कॉर्नवालिस

10. राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित ‘ लोहगढ़ ‘ नामक किले का निर्माण किसने करवाया था ?

उत्तर :- बंदा बहादुर ने

11. संचार पद्धति की भाषा में एमटीएस ( MTS ) का पूर्ण रूप क्या है ?

उत्तर :- Mobile Telephone Service ( मोबाइल टेलिफोन सर्विस )

12. खट्टे फलों में मुख्यत: कौन सा अम्ल पाया जाता है ?

उत्तर :- साइट्रिक अम्ल

13. आंवला में कौन सा विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है ?

14. भारतीय संविधान में प्रथम संशोधन किस वर्ष हुआ ?

उत्तर :- वर्ष 1950 में

15. हमारे भारत के मूल संविधान में कुल कितनी भाषाएं हैं ?

उत्तर :- 14 भाषाएं लेकिन वर्तमान समय में भारतीय संविधान में कुल 22 भाषाएं शामिल है ।

16. राजस्थान के किस शहर को झीलों की नगरी कहा जाता है ?

17. ऐसी कौन सी धातु है जिसे चाकू के द्वारा आसानी से काटा जा सकता है ?

18. किस भारतीय क्रांतिकारी ने कहा था कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे प्राप्त करके रहेंगे ?

उत्तर :- बाल गंगाधर तिलक

19. भारत में सफेद क्रांति प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं? का जनक किसे कहा जाता है ?

उत्तर :- डॉ वर्गीज कुरियन

20. सफेद क्रांति का संबंध किससे है ?

उत्तर :- सफेद क्रांति जिसे दुग्ध क्रांति और ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है का संबंध दूध से है इस क्रांति का मुख्य उद्देश्य भारत में दूध की कमी को दूर करना था ।

21. विश्व की एकमात्र झील कौन सी है जो प्रत्येक 12 वर्ष बाद में मीठे व खारे पानी में परिवर्तित होती रहती है ?

उत्तर :- तिब्बत की उरोतसो झील

22. किसी भी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल होने पर भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है ?

उत्तर :- अनुच्छेद 356

23. किस संविधान संशोधन के द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी गई ?

उत्तर :- 86 वा संविधान संशोधन 2002

24. किस संविधान संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे विधिक अधिकार घोषित किया गया था ?

उत्तर :- 44 वें संविधान संशोधन

25. वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल कितनी अनुसूचियां हैं ?

उत्तर :- 12 अनुसूचियां

26. किस संविधान संशोधन के द्वारा भारत में पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया ?

उत्तर :- 73वें संविधान संशोधन 1992 के तहत

27. किस संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द को जोड़ा गया ?

उत्तर :- 42 वें संविधान संशोधन

28. भारत में पहला सफल परमाणु परीक्षण कब तथा कहां किया गया ?

उत्तर :- 14 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण में

29. भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित पन्ना की खाने किसके लिए प्रसिद्ध है ?

30. संतोष ट्रॉफी का संबंध किस खेल से है ?

31. भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय कौन थे ?

उत्तर :- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन

32. ज्ञानपीठ पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता है ?

उत्तर :- साहित्य के क्षेत्र में

33. कंचनजंगा पर्वत श्रृंखला किस भारतीय राज्य में स्थित है ?

34. गिद्धा और भांगड़ा किस भारतीय राज्य का प्रमुख लोक नृत्य है ?

35. ‘ पोंगल ‘ किस भारतीय राज्य का एक प्रसिद्ध त्यौहार है ?

36. हॉर्नबिल महोत्सव किस राज्य का एक प्रसिद्ध त्यौहार है ?

37. किस प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं? भारतीय राज्य में कंचनजंगा पर्वत शिखर स्थित है ?

38. किस भारतीय राज्य को मंदिरों की पुण्य भूमि कहते हैं ?

39. भोजन के द्वारा प्राप्त होने वाली ऊर्जा को किसमें मापा जाता है ?

उत्तर :- कैलोरी में

40. अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है ?

उत्तर :- 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है ।

41. भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किसने की थी ?

उत्तर :- डॉ. ए. ओ. ह्यूम

42. हमारे भारत में सर्वाधिक क्षेत्र पर किस प्रकार के वन पाए जाते हैं ?

उत्तर :- उष्णार्द्र पतझड़ वन

43. तीन बीघा कॉरिडोर भारत और किस देश को आपस में जोड़ता है ?

44. राजा राममोहन राय ने किस समाज की स्थापना की थी ?

उत्तर :- ब्रह्म समाज

45. भारत का एकमात्र प्रधानमंत्री कौन है जिन्होंने भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान दोनों प्राप्त किया ?

उत्तर :- मोरारजी देसाई

46. अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा किस सागर से होकर गुजरती है ?

उत्तर :- आर्कटिक सागर एवं प्रशांत महासागर

47. संपूर्ण विश्व में कुल कितने समय जोन ( Time Zone ) में विभाजित है ?

48. आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव भारत में किस वर्ष पड़ी ?

उत्तर :- 1835 में

49. भारत का कौन सा राज्य चंदन की लकड़ी के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है ?

भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति को लेकर निश्चिंत होकर बैठ जाना सही नहीं होगा

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा-ख़ासा है, लेकिन बीते कुछ सप्ताह से इसमें धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है. 9 अप्रैल को ख़त्म हुए हफ्ते में भारत के रिज़र्व बैंक के मुद्रा भंडार में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई और यह गिरकर 606 अरब डॉलर का रह गया. The post भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति को लेकर निश्चिंत होकर बैठ जाना सही नहीं होगा appeared first on The Wire - Hindi.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा-ख़ासा है, लेकिन बीते कुछ सप्ताह से इसमें धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है. 9 अप्रैल को ख़त्म हुए हफ्ते में भारत के रिज़र्व बैंक के मुद्रा भंडार में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई और यह गिरकर 606 अरब डॉलर का रह गया.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

कोरोना महामारी के बाद वैश्विक उत्पादन के धीरे-धीरे सामान्य होने की कोशिशों को बढ़ रही खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति का तगड़ा झटका लगा है. खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख ने विश्व अर्थव्यवस्था के लिए स्पष्ट और साक्षात खतरा करार दिया है.

यूक्रेन संघर्ष से हुए नुकसान का पूरा आकलन किया जाना अभी बाकी है. सच यह है कि भारत समेत ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष के समाधान से ऊर्जा और खाद्य कीमतों में नरमी आने की उम्मीद के आसरे बैठी हैं.

सरकारों में ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों का पूरा बोझ उपभोक्ताओं पर लादने को स्थगित करने की प्रवृत्ति होती है. यह एक प्रेशर कुकर को पूरी आंच पर ज्यादा समय तक रखे रहने जैसा है. दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका की छोटी अर्थव्यवस्थाएं पहले ही विदेशी मुद्रा संकट के मुहाने पर पहुंच चुकी हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर ऊर्जा और खाद्य की शुद्ध आयातक है.

खुशकिस्मती से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा-खासा है, लेकिन पिछले लगातार चार हफ्ते से इसमें धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है. 9 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में भारत के रिजर्व बैंक के मुद्रा भंडार में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई और यह गिरकर 606 अरब डॉलर का रह गया.

यूक्रेन युद्ध के वास्तविक प्रभाव सामने आने से पहले ही पांच महीने में इसमें 35 अरब डॉलर की गिरावट आई थी. भारत का विदेशी क्षेत्र फिलहाल स्थिर नजर आ सकता है, लेकिन यह मानकर नहीं बैठ जाना चाहिए कि यह संकटों से अछूता रहेगा.

पहली बात, कई अर्थशास्त्री वर्तमान वित्त वर्ष में भुगतान संतुलन के नकारात्मक रहने का अनुमान लगा रहे हैं. हाल के वर्षों में भारत का चालू खाते का घाटा 1-1.5 फीसदी के आसपास (मोटे तौर पर 40 अरब अमेरिकी डॉलर) रहा है, जिसकी पर्याप्त से अधिक भरपाई कहीं ज्यादा विदेशी पूंजी प्रवाह से हो गई.

दमदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और स्टॉक मार्केट में सकारात्मक विदेशी संस्थागत निवेशकों के पोर्टफोलियो निवेश का इसमें हाथ रहा. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता चला गया. लेकिन इस वित्तीय वर्ष में समीकरण बदल गया है.

विदेशी निवेशक अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्डों में सुरक्षित शरणस्थली तलाश रहे हैं. अमेरिकी फेडरल रिजर्व अैर ओईसीडी देशों के अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनी आसान पूंजी की नीति को धीरे-धीरे वापस लेने से स्थिति और गंभीर हो गई है.

याद कीजिए, लगभग शून्य ब्याज दरों पर यह आसान पूंजी 2020-21 में भारत के टेक (तकनीक) और ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) क्षेत्र की और बड़े पैमाने पर मुखातिब थी, जो विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी वृद्धि कर रहा था. इन सुहाने दिनों का अंत हो गया है.

अगर मौजूदा रुझानों के हिसाब से देखें, तो 2022-23 में पूंजी के आगमन में तेज गिरावट आएगी और व्यापार घाटा लगभग दोगुना हो जाएगा. ऊंची ऊर्जा और वस्तु (कमोडिटी) कीमतों के कारण भारत का आयात निर्यात की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ रहा है.

मार्च में इसने 18.5 अरब अमेरिकी डॉलर के शीर्ष को छू लिया. वार्षिक तौर पर इसके 210 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है.

अगर विदेश में रह रहे भारतीयों द्वारा हर साल लगभग 90 अरब डॉलर के रेमिटेंस को आकलन में शामिल करते हुए कहा जाए, तो चालू खाते का घाटा 120 अरब डॉलर के अभूतपूर्व शिखर तक या जीडीपी के 3.5-4 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. भुगतान संतुलन के बने रहने के लिए भारत को इस पैमाने के पूंजी निवेश की दरकार होगी.

ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर बड़े केंद्रीय बैंक आसान पूंजी को वापस ले रहे हैं, क्या अगले दस महीनों में ऐसा हो पाना मुमकिन है? ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का आकलन है कि भुगतान संतुलन नकारात्मक रहेगा.

उदाहरण के लिए, अगर अपने चालू खाते के घाटे को पाटने के लिए भारत को 120 अरब डॉलर की जरूरत होती है, लेकिन शुद्ध पूंजी निवेश के तौर पर इसे सिर्फ 50 अरब डॉलर की ही प्राप्ति होती है, तो बचे हुए 70 अरब डॉलर के भुगतान के लिए आरबीआई के खजाने से पैसे लेने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा.

ऐसा निश्चित लगता है कि अगले 11 महीनों में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और नीचे आएगा. समस्या यह है कि ऐसा नकारात्मक माहौल बनने से पूंजी का पलायन और भी तेज हो सकता है.

मिसाल के लिए, भुगतान संतुलन के घाटे को पूरा करने के बाद भी आरबीआई के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद मुद्रा कमजोर हो सकती है और इसे समर्थन देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में हाथा डालना पड़ सकता है.

इन हालात में विश्वास दरक सकता है और जोखिम के दूसरे कारक खतरनाक नजर आने लग सकते सकते हैं. मिसाल के लिए, रेसिडुअल मैच्योरिटी आधार पर भारत का लघु आवधिक विदेशी कर्ज (जिनमें अगले 12 महीने में देय होनेवाली दीर्घावधिक कर्ज और एक साल से कम समय में देय छोटे मियाद वाले कर्ज की देनदारियां शामिल हैं) जून, 2021 के अंत में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का 41.8 फीसदी था. यानी जून, 2022 तक 250 अरब डॉलर के छोटे मियाद वाले कर्ज का भुगतान किया जाना है.

इस बात की संभावना है कि जून, 2022 तक देय होने वाले कुछ लघु आावधिक कर्ज का, अगर उन्हें आगे बढ़ाया जाना संभव न हुआ, भुगतान विदेशी मुद्राभंडार से किया जाएगा. सामान्य तौर पर इस तरह के कई कर्जों को आगे बढ़ा दिया जाता है, लेकिन यूक्रेन संकट के बाद हालात को सामान्य कतई नहीं कहा जा सकता है.

आईएमएफ ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को ‘जटिल नीतिगत दुविधाओं’ का सामना करना पड़ सकता है, जो नीतियों का जटिल मकड़जाल खड़ी कर सकती हैं.

एक साफ दुविधा यह है कि अगर विदेशी मोर्चा दबाव में आता है और अनिवार्य आयातों में कमी करने की जरूरत आन पड़ती है, तो भी ऐसा करने की एक सीमा है, क्योंकि गरीब और कमजोर आबादी का ख्याल रखना जरूरी है. श्रीलंका, पेरू, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि में हम यह देख रहे हैं.

कोई भी देश, खासकर जो मध्य आय वाले वर्ग में हैं, वे इससे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं. भारत की बुनियाद बेहतर नजर आती है, लेकिन भुगतान संतुलन की स्थिति पर नजर रखना जरूरी है, जिसमें हर 10-12 साल पर पीछे की ओर फिसलने की प्रवृत्ति होती है.

रुपये में गिरावट जारी, 38 पैसे टूटकर 81.64 प्रति डॉलर पर बंद

मुंबई, 17 नवंबर (भाषा) घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख और विदेशों में डॉलर के मजबूत होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 38 पैसे की गिरावट के साथ 81.64 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि अमेरिका के मजबूत खुदरा बिक्री के आंकड़ों के बाद वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा सख्त मौद्रिक नीति की गुंजाइश को देखते हुए डॉलर मजबूत हो गया।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.62 पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया 81.45 के दिन के उच्चस्तर और 81.68 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 38 पैसे की गिरावट के साथ 81.64 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह पिछले कारोबारी सत्र में 35 पैसों की गिरावट के साथ 81.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा विनिमय एवं सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा कि अक्टूबर में अमेरिकी खुदरा बिक्री में आठ महीनों की सबसे अधिक वृद्धि हुई। ब्रिटेन की मुद्रास्फीति बढ़कर 11.1 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई।

सोमैया ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि हाजिर बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 81.05 और 81.60 के दायरे में रहेगा।’’
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.26 प्रतिशत बढ़कर 106.55 हो गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.40 प्रतिशत घटकर 92.49 डॉलर प्रति बैरल रह गया।

वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 230.12 अंक की गिरावट के साथ 61,750.60 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बुधवार को 386.06 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Dollar vs Rupee: अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया 7 पैसे गिरा, जानिए क्या कहना है विशेषज्ञों का?

Dollar vs Rupee: विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में बीते शुक्रवार को 51.20 करोड़ रुपए के शेयरों की बिक्री की थी। वहीं, डॉलर सूचकांक 0.83 फीसदी उछाल के साथ बंद हुआ है।

Viren Singh

Dollar vs Rupee

Dollar vs Rupee: (सोशल मीडिया)

Dollar vs Rupee: भारतीय मुद्रा रुपए की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में 7 पैसे नीचे जाकर 81.81 प्रति डॉलर (अनंतिम) पर बंद हुआ। इससे पहले बीते दो लगातार कारोबारी सत्र में रुपया डॉलर की तुलना में गिरावट पर बंद हुआ था।

81.84 पर खुला रुपया

इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में आज शुरुआती कारोबार में स्थानीय इकाई 81.84 पर खुला था। उसके बाद कारोबार में रुपया 81.74 के उच्च स्तर और 81.91 के निचले स्तर पर गया है। बाद में 81.81 पर बंद हुआ, जोकि पिछले बंद के मुकाबले 7 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। बीते कारोबार के आखिरी दिन शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में 10 पैसे की गिरावट के साथ 81.74 पर बंद हुआ था।

गिरावट पर बाजार विशेषज्ञ का मत

भारतीय मुद्रा में आई गिरावट पर बीएनपी पारिबा के शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी का कहना है कि कमजोर घरेलू बाजारों और मजबूत डॉलर के वजह से स्थानीय मुद्रा में गिरावट आई है। साथ ही, एफआईआई के बहिर्वाह ने रुपये पर नकारात्मक दबाव डाला है।

उन्होंने कहा हम उम्मीद करते हैं कि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने के प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं? बीच अमेरिकी डॉलर में मजबूती पर रुपया एक नकारात्मक पूर्वाग्रह के साथ व्यापार करेगा। हालांकि, कमजोर कच्चे तेल की कीमतें रुपये को निचले स्तर पर समर्थन दे सकती हैं। इस सप्ताह आयोजित होने वाली बैठक के बाद हैं। ट्रेडर्स फेडरल ओपन मार्केट कमेटी आगे सतर्क रह सकते हैं।

डॉलर सूचकांक में वृद्धि

इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.83 फीसदी बढ़कर 107.19 पर बंद हुआ है। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.76% गिरकर 86.95 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

एफआईआई की स्थिति

एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता थे, क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को 751.20 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे। वहीं, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11 नवंबर तक 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो अगस्त 2021 के बाद से सबसे तेज वृद्धि है।

सेंसेक्स 0.84 फीसदी लुढ़का

सोमवार को घरेलू इक्विटी बाजार के मोर्चे पर 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 518.64 अंक या 0.84% गिरकर 61,144.84 पर बंद हुआ, जबकि व्यापक एनएसई निफ्टी 147.70 अंक या 0.81% गिरकर 18,159.95 पर बंद हुआ है।

‘जी-20’ पर नरेंद्र भाई की फ़तह के क़सीदे

इंडोनेशिया के भारतवंशियों के सामने, नरेंद्र मोदी ने 2014 के पहले के भारत और 2014 के बाद के भारत में ‘बहुत बड़े फ़र्क़’ के बारे में भी ज्ञान-दान किया। कहा कि अब भारत छोटा सोचता ही नहीं है। स्टैच्यू बनाएगा तो दुनिया में सब से बड़ा। स्टेडियम बनाएगा तो दुनिया में सब से बड़ा। मीनमेखी कह सकते हैं कि नरेंद्र भाई को बताना चाहिए था कि दुनिया का कौन-सा सब से बड़ा कारखाना आठ साल में भारत में लगा, दुनिया का कौन-सा सब से बड़ा विश्वविद्यालय भारत में बना, दुनिया के कौन-से सब से बड़े रोज़गार-अवसर भारत में सृजित हुए? वग़ैरह-वग़ैरह। मगर ऐसी नकारात्मक सोच वालों के लिए किसे फ़ुरसत है?

इस एक दिसंबर से अगले तीस नवंबर तक के लिए हमारे नरेंद्र भाई मोदी ‘जी-20’ के अध्यक्ष बन गए तो आराधक इतने कुप्पा-कुप्पा हैं, गोया यह उनकी निजी उपलब्धि हो। उछल-उछल कर यह बताया जा रहा है कि अब दुनिया भर के उत्पाद के 80 प्रतिशत, विश्व व्यापार के 70 प्रतिशत, पुथ्वी के सकल भूभाग के 60 प्रतिशत और संसार की आबादी के दो तिहाई हिस्से के प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं? प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं? प्रमुख शिल्पी नरेंद्र भाई हो गए हैं। अगर ऐसा है तो बहुत अच्छा है। इस परिलब्धि पर रीझने का हक़ उपासकों को क्यों नहीं होना चाहिए?

मैं भी इस पर रीझा हुआ हूं कि जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में अपने बहुत ही संक्षिप्त उद्बोधन में नरेंद्र भाई ने सर्व-स्पर्शी, सर्व-समावेशी, मम-भाव, सम-भाव, शांति और सौहार्द जैसे पावन शब्दों की सरिता बहाई; ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का मंत्रोच्चार किया; भारत की अद्भुत विविधता, समावेशी परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि का गुणगान किया; और, ‘लोकतंत्र की मातृश्री’ प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं? -भारत- के विभिन्न शहरों और राज्यों में होने वाली जी-20 की बैठकों में सब से सहभागी बनने का अनुरोध किया।

मौका मिलते ही फौरन ‘मत चूके चौहान’ मुद्रा अपना लेने की नरेंद्र भाई की अदा भी मुझे रिझाती है। इंडोनेशिया की राजधानी बाली में भारतीय समुदाय के सामने जब वे बोले तो बताने लगे कि अभी जिस समय मैं यहां आप से बात कर रहा हूं, डेढ़ हज़ार किलोमीटर दूर उड़ीसा में बाली जात्रा का महोत्सव चल रहा है। उन्होंने इंडोनेशिया में हीरे-जवाहरात का कारोबार करने वाले गुजरातियों का गर्वीला ज़िक्र किया और मूर्तिकार बप्पा न्यूमन नुआर्ता को 2018 में पद्मश्री से सम्मानित करने का ज़ोरदार उल्लेख किया। इंडोनेशिया में लगी भगवान विष्णु की विश्व की सब से ऊंची प्रतिमा नुआर्ता ने बनाई है। नरेंद्र भाई ने इंडोनेशिया के मशहूर नर्तक वायन डिबिया और समाजसेवी अगुस इंद्र उदयन को पद्मश्री से नवाज़ने को भी रेखांकित किया। डिबिया ने रामायण के अलग-अलग कांडों को लोकनृत्य में संजोया है और उदयन इंडोनेशिया में गांधी के विचारों को प्रचारित करने के लिए भारत की सांस्कृतिक संबंध परिषद के सहयोग से चार आश्रम संचालित करते हैं।

नरेंद्र भाई ने गुजरात और इंडोनेशिया के ख़ास सांस्कृतिक संबंधों का बखान करने में भी कोई कसर नहीं रखी। उन्होंने याद किया कि कैसे जब वे पिछली बार जकार्ता आए थे तो राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ उन्होंने खूब पतंग उड़ाई थी। बोले कि मुझे तो गुजरात में संक्रांति पर पतंग उड़ाने का बहुत अभ्यास रहा है और यहां इंडोनेशिया में भी संक्रांति पर खूब पतंग उड़ाई जाती है। फिर बोले कि मैं तो द्वारकाधीश भगवान कृष्ण की धरती गुजरात में पला-बढ़ा हूं। मेरा तो जीवन वहीं बीता है। कहा कि बाली में ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जिसकी अभिलाषा नहीं होगी कि अपने जीवन में एक बार अयोध्या और द्वारका के दर्शन करे। लोग भले कहें, लेकिन मैं नहीं मानता कि यह सब उन्होंने गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनाव की वजह से कहा होगा। बाली की भूमि को नरेंद्र भाई ने महर्षि मार्कंडेय और महर्षि अगस्त्य के तप से पवित्र हुआ बताया। कहा कि भारत में गंगा है तो इंडोनेशिया में तीर्थगंगा है; भारत में हम हर कार्य गणेश जी को स्मरण कर के आरंभ करते हैं और इंडोनेशिया के घर-घर में भी गणेश जी विराजे हुए हैं; बाली का जन-जन महाभारत की गाथाओं के साथ बड़ा होता है।

अब बताइए, नरेंद्र भाई की इतनी अच्छी-अच्छी बातों की बलैयां लेने का मन किसे नहीं होगा? नरेंद्र भाई के साथ इस फुलवारी में टहलते हुए आप को अपने देश की भीतरी चिंताओं से मुक्ति का गुलाबी अहसास ख़ुद के भीतर नहीं भरना तो मत भरिए। उन्होंने तो इंडोनेशिया के भारतवंशियों के सामने, 47 बरस पहले आई फ़िल्म ‘ज़ख़्मी’ का गाना ‘आओ तुम्हें चांद पे ले जाएं, प्यार भरे सपने सजाएं‘ गाने में कोई कसर बाकी रखी नहीं। ऐसा करते हुए उन्होंने 2014 के पहले के भारत और 2014 के बाद के भारत में ‘बहुत बड़े फ़र्क़’ के बारे में भी ज्ञान-दान किया। कहा कि अब भारत छोटा सोचता ही नहीं है। स्टैच्यू बनाएगा तो दुनिया में सब से बड़ा। स्टेडियम बनाएगा तो दुनिया में सब से बड़ा। मीनमेखी कह सकते हैं कि नरेंद्र भाई को बताना चाहिए था कि दुनिया का कौन-सा सब से बड़ा कारखाना आठ साल में भारत में लगा, दुनिया का कौन-सा सब से बड़ा विश्वविद्यालय भारत में बना, दुनिया के कौन-से सब से बड़े रोज़गार-अवसर भारत में सृजित हुए? वग़ैरह-वग़ैरह। मगर ऐसी नकारात्मक सोच वालों के लिए किसे फ़ुरसत है?

जिसे नहीं मानना, न माने, मगर जी-20 का अध्यक्ष बनने के बाद नरेंद्र भाई की कलगी में सुर्ख़ाब का एक पंख और लग गया है। आप कहते रहिए कि उस में उन का क्या है? जी-20 के अध्यक्ष तो क्रमवार बनते हैं, इस बार भारत की बारी थी तो भारत बना और नरेंद्र भाई प्रधानमंत्री हैं तो वे बने। कोई और होता तो वह बनता। यह सही है कि इस बार चार देशों के जिस समूह की अध्यक्षता की बारी आई थी, उस में भारत भी था। इस समूह के चार में से दो देश – रूस और टर्की – पहले अध्यक्ष बन चुके हैं। दक्षिण अफ्रीका और भारत बचे थे। इस बार भारत पर बाकी तीन की सहमति हुई। इस समूह की बारी जब कभी फिर आएगी तो ज़ाहिर है कि दक्षिण अफ्रीका को यह मौक़ा मिलेगा। सो, तब सिरिल रामफोसा वहां के राष्ट्रपति होंगे तो वे बन जाएंगे। नहीं तो जो होगा, वह बनेगा। अब इसी (कु)तर्क पर जिन्हें टिके रहना है, टिके रहें। नरेंद्र भाई तो अपने ऐरावत पर सवार हो गए हैं।

अपने जिन उत्पादों को आप अच्छा समझते हैं, अगर उनकी रंग-बिरंगी आकर्षक पैकेजिंग और धुआंधार मार्केटिंग आपको नहीं आती है और दूसरा कोई अपने गए-गुज़रे उत्पादों को भी देश-दुनिया के बाज़ार में ज़ोर-शोर से बेच आता है तो इस में किस का दोष है? अगर नरेंद्र भाई को हर बात के लिए नेहरू जी को कु़सूरवार ठहराने की लत पड़ी हुई है तो क्या यह ज़रूरी है कि आप भी अपनी हर नाकामी के लिए नरेंद्र भाई पर तोहमत लगाने की आदत डाल लें? अगर आप झक्कू देने के कदाचार में अपने को नहीं सानना चाहते हैं तो यह तो आप की समस्या है न? इस में नरेंद्र भाई क्या करें? क्या आप के चक्कर में वे अपना कर्म-सुख त्याग दें? क्या आप को नहीं मालूम कि जो पुनर्जन्म के पुजारी होते हैं, वे मोक्ष-प्राप्ति के साधन नहीं खोजा करते!

बात-बेबात चिल्ल-पों मचाना बंद कीजिए। सप्रयास आए या अप्रयास, छीना-झपटी से आए या पुण्य-फल से, बैठे-ठाले आए या हाथ-पैर मार कर, आयोजित तरीकों से आए या प्रायोजित तरीकों से, निरर्थक हो या सार्थक – अपनी झोली में आई हर चीज़ को उत्सव नहीं, महोत्सव बनाना सीखिए। इस कला की साधना के लिए नरेंद्र भाई लिखित सियासी संहिताओं का सहारा लीजिए। कलियुग में सतयुग की शास्त्रोक्त राह पर चलने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। इसलिए हर रोज़ बुक्का फाड़ कर रोने में क्या रखा है? इतने मासूम मत बने रहिए कि ‘एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है’ गुनगुनाते-गुनगुनाते ही ज़िंदगी बीत जाए। वरना एक वक़्त आएगा कि सदियों से जगी आप की थकी आंखों से बहते आंसू पोंछने कोई और तो आएगा नहीं और आप की हथेलियां भी ख़ुद निढाल पड़ी होंगी। तो आइए, भारत के नहीं, नरेंद्र भाई के, माथे पर बंधी ताजा पगड़ी का ज़श्न धूमधाम से मनाइए और उस की तरंग में सब-कुछ भूल जाइए। (लेखक न्यूज़-व्यूज़ इंडिया और ग्लोबल इंडिया इनवेस्टिगेटर के संपादक हैं।)

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