क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

Rupee Fall Impact: एक डॉलर के मुकाबले 85 के लेवल तक रुपये के गिरने के आसार, जानें क्या होगा असर
Rupee - Dollar Update: इस साल के शुरुआत में भारत के पास 640 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था. जिसमें 100 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ गई है. और अब 532 अरब डॉलर रह गया है.
By: ABP Live | Updated at : 11 Oct 2022 02:18 PM (IST)
Edited By: manishkumar
Rupee Fall Impact: डॉलर के मुकाबले रुपया हर दिन गिरावट का नया रिकॉर्ड बना रहा है. मंगलवार 11 अक्टूबर, 2022 को एक डॉलर के मुकाबले 82.42 के स्तर पर रुपया जा लुढ़का. पर भारत की मुश्किलें यही खत्म नहीं होने वाली. क्योंकि माना जा रहा है कि रुपया 84 से 85 के लेवल तक गिर सकता है. एलारा ग्लोबल रिसर्च ( Elara Global Reserach) के रिपोर्ट के मुताबिक कच्चे तेल के दामों में उछाल, बढ़ता व्यापार घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? के चलते रुपये में और कमी आ सकती है.
सोमवार को पहली बार रुपया 82.68 तक जा गिरा था जिसके बाद एलारा ग्लोबल रिसर्च ने ये रिपोर्ट जारी किया. एलारा की इकोनॉमिस्ट गरिमा कपूर ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मॉनिटरी पॉलिसी और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का खामियाजा रुपये को उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि व्यापार घाटे में बढ़ोतरी और कच्चे तेल के दामों में उछाल मुश्किलें बढ़ा रहा है. साथ ही उन्होंने आशंका जाहिर किया कि दिसंबर के आखिर तक रुपया एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 83.50 रुपये और मार्च 2023 तक 83 से 85 के लेवल तक आ सकता है. अमेरिका के जॉब डाटा के सामने आने के बाद रुपया एक डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर 82.68 के स्तर तक जा गिरा था.
अब सवाल उठता है कि गिरते रुपये का देश के विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापार घाटा, चालू खाते का घाटा, तेल के इंपोर्ट बिल पर क्या असर पड़ेगा.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट - देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखी जा रही है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 532.66 अरब डॉलर पर आ गया है. जो पिछले 2 सालों में सबसे कम है. दरअसल रुपये में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई को बार बार डॉलर बेचना पड़ रहा है जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है.
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Current Account Deficit - वैश्विक कारणों के चलते कमोडिटी प्राइसेज में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी के चलते इंपोर्ट महंगा हो चला है जिसका असर चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) के आंकड़े पर पड़ा है. मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून में चालू खाते का घाटा बढ़कर 23.9 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है जो कि जीडीपी का 2.8 फीसदी है. जबकि क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान चालू खाते का घाटा 13.4 अरब डॉलर था जो कि जीडीपी का 1.5 फीसदी है. जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट सरप्लस में 6.6 अरब डॉलर रहा था.
आरबीआई का मानना है कि 2022-23 में करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3 फीसदी रहने का अनुमान है जो इसके पहले वित्त वर्ष में जीडीपी का 1.2 फीसदी रहा था. सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि करंट अकाउंट डेफिसिट किसी भी हाल में 3 फीसदी के ऊपर ना जाए.
महंगे कच्चे तेल से बढ़ी मुश्किलें - रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही कच्चा तेल के दामों में उबाल है. कच्चा तेल 129 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा जो फिलहाल 97 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है. कच्चे तेल के दामों में उछाल और साथ में रुपये की कमजोरी और डॉलर की मजबूती के चलते भारत की तेल कंपनियों के इंपोर्ट करने के लिए ज्यादा कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है. भारत अपने खपत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. कच्चे तेल के दामों में उबाल से चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है. इससे ना केवल महंगाई बढ़ेगी बल्कि ज्यादा कीमत चुकाने के चलते विदेशी मुद्रा भंडार घटेगा.
आपको बता दें इस साल के शुरुआत में भारत के पास 640 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था. जिसमें 100 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ गई है. और अब 532 अरब डॉलर रह गया है. कई जानकारों का मानना है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 500 अरब डॉलर तक आ सकता है.
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Published at : 11 Oct 2022 02:18 PM (IST) Tags: Indian Economy trade deficit Crude oil Price foreign exchange reserves Current account deficit RBI Rupee - Dollar Update India Forex Reserves Rupee Fall Impact हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
भारत के विदेशी मुद्रा क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी, 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के आसार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 23 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में 8.134 अरब डॉलर घट गया. इससे पिछले हफ्ते भी फॉरेक्स रिजर्व गिरा था. आरबीआई लगातार रुपये की साख बचाने का प्रयास कर रहा है जिसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated : October 01, 2022, 08:22 IST
हाइलाइट्स
भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8 अरब डॉलर घटकर 540 अरब डॉलर से नीचे आया.
पिछले हफ्ते भी इसमें गिरावट देखने को मिली थी और ये 546 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया था.
केवल डॉलर ही नहीं गोल्ड रिजर्व में भी 30 करोड़ डॉलर की गिरावट देखी गई.
नई दिल्ली. देश के विदेशी मुद्रा भंडार क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? में गिरावट का सिलसिला जारी है. 23 सितंबर को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया. आरबीआई ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी. इससे पिछले करोबारी हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व घटकर करीब 546 अरब डॉलर (545.54 अरब डॉलर) रह गया था.
बता दें कि आरबीआई लगातार रुपये की गिरती वैल्यू को बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है और डॉलर बेच रहा है. हा ही में रॉयटर्स के एक सर्वे में इस बात का अंदेशा जताया गया था कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व 2 साल के निचले स्तर पर जा सकता है. केवल डॉलर की ही नहीं भारत का गोल्ड रिजर्व भी 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 अरब डॉलर पर आ गया है.
एफसीए में गिरावट
आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन करेंसी असेट (एफसीए) में गिरावट के कारण 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल, ओवरऑल रिजर्व का एक प्रमुख हिस्सा होता है. एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या गिरावट का प्रभाव शामिल है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 7.688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया.
500 अरब डॉलर तक जाएगा फॉरेक्स रिजर्व
रॉयटर्स द्वारा कराए गए सर्वे में 16 अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया था. जिनका कहना था कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व दिसंबर तक गिरकर 523 अरब डॉलर तक रह सकता है. इसी तरह का स्थिति 2008 के आर्थिक संकट के समय भी बनी थी. तब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 20 फीसदी तक लुढ़क गया था. भारत फिलहाल 2013 के टेपर ट्रेन्ट्रम काल से अधिक तेजी से अपना फॉरेक्स रिजर्व खर्च कर रहा है.
हस्तक्षेप का असर नहीं
भले ही आरबीआई लगातार पैसे की साख बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है लेकिन मजबूत होते डॉलर के सामने फिलहाल कोई तरकीब असर करती नहीं दिख रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को अपने न्यूनतम स्तर 81.93 तक पहुंच गया था. हालांकि, उसके बाद इसमें थोड़ी तेजी देखने को मिली और कल ये बेहतर होकर 81.36 के स्तर पर बंद हुआ. हालांकि, जानकारों का मानना है कि डॉलर के मजबूत होने और मंदी की आहटों के कारण रुपया अभी और कमजोर होगा. यही हाल यूरो, येन व युआन समेत अन्य करेंसीज का भी है.
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Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से आई गिरावट, जानिए RBI के खजाने में अब कितना बचा है
Foreign Exchange Reserves: एकबार फिर से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है. 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया. रुपए को संभालने के लिए डॉलर रिजर्व को लगातार बेचा जा रहा है.
Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इससे पहले, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. इसमें इस साल अगस्त के बाद से पहली बार किसी साप्ताह में वृद्धि हुई थी. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
गिरते रुपए को संभालने के लिए डॉलर रिजर्व का इस्तेमाल
देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार कम हो रही है. दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है. आंकड़ों के अनुसार, 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 2.828 अरब डॉलर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? घटकर 468.668 अरब डॉलर रह गयीं. एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है.
गोल्ड रिजर्व में 1.35 अरब डॉलर का इजाफा
डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्य वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल होता है. स्वर्ण भंडार के मूल्य में सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.35 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी. जबकि 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 1.502 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 37.453 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 14.9 करोड़ डॉलर घटकर 17.433 अरब डॉलर रह गया है. वहीं, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि समीक्षाधीन सप्ताह में 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 4.813 अरब अमेरिकी डॉलर पर आ गई.
रुपया 82.75 के स्तर पर बंद हुआ
इधर अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया शुक्रवार को चार पैसे की तेजी के साथ 82.75 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ. रुपए में शुरू में गिरावट आई थी लेकिन घरेलू शेयर बाजार में तेजी के साथ क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? यह बढ़त में बंद हुआ. अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.89 पर खुला और बाद में 82.59 के उच्च स्तर तथा 82.91 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में गुरुवार के बंद भाव के मुकाबले चार पैसे मजबूत होकर 82.75 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. गुरुवार को रुपया अपने सर्वकालिक निम्न स्तर से उबरकर 21 पैसे की तेजी के साथ 82.79 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?
बिज़नेस न्यूज डेस्क - देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है और दो साल के निचले स्तर पर आ गया है। 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी आंकड़ों से मिली है। इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। देश के मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार की मदद ले रहा है। अक्टूबर 2021 से अब तक, रुपये के मूल्यह्रास के कारण, आरबीआई ने घरेलू मुद्रा के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए $ 100 बिलियन से अधिक का निवेश किया है।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई। आंकड़ों के मुताबिक देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के लिहाज से 247 मिलियन डॉलर घटकर 37,206 बिलियन डॉलर हो गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार की मदद से कोई भी देश जरूरत पड़ने पर अपनी मुद्रा में गिरावट को रोकने के लिए उचित कदम उठा सकता है। आयात पर निर्भर देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। वास्तव में, मुद्रा में गिरावट से आयात महंगा हो जाता है और माल के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। भुगतान करने की क्षमता पर प्रभाव के कारण आयात रुक जाता है और देश में माल की कमी हो सकती है।
बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है, क्या है आईएमएफ़ की आपत्ति?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने कहा है कि बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार का जिस तरह हिसाब लगाया जा रहा है वह सही नहीं है. आईएमएफ़ जिस तरीके से हिसाब लगाने को कह रहा है उसके मुताबिक़ देश का मौजूदा भंडार 26 अरब डॉलर है. बांग्लादेश बैंक के गवर्नर अब्दुर रऊफ़ तालुकदार ने बीते नौ नवंबर को आईएमएफ़ के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के बाद कहा कि देश में फ़िलहाल विदेशी मुद्रा भंडार की मात्रा 34.3 बिलियन डॉलर है. उसमें से आठ बिलियन डॉलर घटा कर जो रक़म बचेगी वही नेट विदेशी मुद्रा भंडार है. इस लिहाज से नेट भंडार की मात्रा 26.3 बिलियन डॉलर है. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ''आईएमएफ़ ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार की मात्रा ग्रॉस की बजाय नेट में दिखाने को कहा है. हमें इसमें आपत्ति नहीं है.''
विदेशी मुद्रा भंडार का हिसाब कैसे किया जाता था?
दुनिया के तमाम देशों में केंद्रीय बैंक के पास मौजूद विदेशी मुद्रा के भंडार को ही देश का नेट भंडार माना जाता है. लेकिन बांग्लादेश में अब तक भंडार का हिसाब लगाते समय नेट भंडार के साथ ही विभिन्न मद में निवेश या भंडार से क़र्ज़ के तौर पर दिए गए डॉलर को भी जोड़ लिया जाता था. बांग्लादेश बैंक के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, देश में सकल विदेशी मुद्रा भंडार की मात्रा 34.23 अरब डॉलर है. आईएमएफ़ ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक़, बांग्लादेश बैंक को भंडार के तौर पर वही रक़म दिखानी चाहिए जो उसके पास इस्तेमाल के लिए रखी है. ऐसा नहीं होने की स्थिति में भंडार के मुद्दे पर सही संदेश नहीं जाएगा. बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता अबुल कलाम आज़ाद ने रविवार को बीबीसी बांग्ला से कहा, "हम तो ग्रॉस और नेट, दोनों तरीकों से हिसाब रखते थे. लेकिन भंडार को ग्रॉस के रूप में दिखाया जाता था. अब संबंधित विभाग इसे नेट भंडार के तौर पर दिखाने की दिशा में काम कर रहे हैं. फ़िलहाल यह प्रक्रिया जारी है." बांग्लादेश बैंक के गवर्नर ने बीते बुधवार को पत्रकारों से कहा था, “हमने कई मदों में लगभग आठ अरब डॉलर का निवेश किया है. उसे घटा देने पर नेट भंडार 26.3 बिलियन डॉलर हो जाएगा. जब हमारा भंडार 48 बिलियन डॉलर था, तब भी हमने इसी तरीके से हिसाब लगाया था.”
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इनमें निर्यातकों को विभिन्न सामग्रियों के निर्यात की सुविधा देने के लिए विदेशी मुद्रा में क़र्ज़ लेने की ख़ातिर एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फ़ंड (ईडीएफ़) में 60 करोड़ डॉलर, पर्यावरण मित्र उद्योगों में निवेश के लिए गठित ग्रीन ट्रांसफ़ॉर्मेशन फ़ंड (जीटीएफ़) में 20 करोड़ डालर, लॉन्ग टर्म फ़ाइनेंशियल फ़ैसिलिटी फ़ंड में 3.85 करोड़ डॉलर और सोनाली बैंक के ज़रिए बांग्लादेश विमान को दिए गए 5.80 करोड़ डालर की रक़म को भी बांग्लादेश के सकल विदेशी मुद्रा भंडार के हिस्से के तौर पर दिखाया गया है. गवर्नर ने कहा है कि 'हम ईवीएफ़ के तहत 120 दिनों के लिए क़र्ज़ देते हैं. इसे जब चाहें वापस ले सकते हैं.' आर्थिक संकट से निपटने के लिए वर्ष 2021 के अगस्त में बांग्लादेश के रिज़र्व से श्रीलंका को 20 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ दिया गया था. पहले इसे लगातार तीन मासिक किस्तों में लौटाने की बात थी. लेकिन बाद में यह समय-सीमा बढ़ा दी गई थी. इस बारे में उनका कहना था, "हम श्रीलंका को दिए गए 20 करोड़ डॉलर के क़र्ज़ की वापसी की दिशा में काम कर रहे हैं. श्रीलंका के गवर्नर के साथ बैठक हुई है. उन्होंने इस क़र्ज़ को लौटाने का भरोसा दिया है." लेकिन निवेश किए गए कोष की रक़म या कर्ज की वापसी नहीं होने के कारण बांग्लादेश के भंडार की मात्रा 26.3 अरब डॉलर रहेगी. ब्रिटेन से बड़ी हुई भारत की अर्थव्यवस्था, लेकिन क्या ये ख़ुश होने की बात है?
26 क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? अरब डॉलर के रिज़र्व का क्या मतलब है?
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निर्यात और रेमिटेंसेज़ ही बांग्लादेश की विदेशी मुद्रा आय के प्रमुख स्रोत हैं. लेकिन बीते अक्तूबर से इन दोनों मदों में होने वाली आय में गिरावट आई है. अक्टूबर में रेमिटेंसेज़ के जरिए 164.70 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा देश में आई जो बीते डेढ़ वर्षो में सबसे कम है. इसके साथ ही बीते साल की इसी अवधि के मुक़ाबले निर्यात से होने वाली आय भी 7.85 प्रतिशत घट कर 4.35 बिलियन डॉलर हो गई. इसके कारण बैलेंस ऑफ़ पेमेंट का घाटा और बढ़ गया है. बांग्लादेश बैंक के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, जुलाई से सितंबर तक के तीन महीनों के दौरान विदेशी लेन-देन का चालू व्यापार संतुलन घाटा 3.61 करोड़ डॉलर रहा. यानी जितनी रक़म की चीजों का निर्यात हुआ उससे 3.61 बिलियन डॉलर ज़्यादा की वस्तुओं का आयात किया गया. लेकिन कुल व्यापार घाटा 7.55 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. यानी इस दौरान बांग्लादेश के निर्यात और रेमिटेंसेज़ से 1180 करोड़ डॉलर की आय हुई. लेकिन आयात का ख़र्च और विदेश जाने वाली मुद्रा की कुल मात्रा 1935 करोड़ डॉलर रही. यानी कुल व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है. वर्ष 2022-2023 का वित्त वर्ष 18.70 अरब डॉलर के बड़े भुगतान संतुलन घाटे के साथ शुरू हुआ था. हालांकि विदेशी क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? क़र्ज़ क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? और आर्थिक सहायता मिलने और आयात खर्च घटने पर कुछ हद तक इस घाटे की भरपाई हो जाती है. लेकिन बांग्लादेश का व्यापार घाटा जिस तरह लगातार बढ़ रहा है उससे अर्थशास्त्रियों को इस घाटे की भरपाई की संभावना नहीं नज़र आ रही है. बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने बीते छह नवंबर को कहा था, "हमारे पास जितना भंडार है उससे कम से कम पांच महीने तक आयात के ख़र्च का भुगतान संभव है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक़ तीन महीने के आयात ख़र्च के बराबर भंडार रहना ही पर्याप्त है."