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निजी निवेश

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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

पीपीपी परियोजना का अर्थ है किसी भी परियोजना के लिये सरकार या उसकी किसी वैधानिक संस्था और निजी क्षेत्र के बीच हुआ लंबी अवधि का समझौता। इस समझौते के तहत शुल्क लेकर ढांचागत सेवा प्रदान की जाती है। इसमें आमतौर पर दोनों पक्ष मिलकर एक स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) गठित करते हैं, जो परियोजना पर अमल का काम करता है। दोनों पक्षों के बीच जिस समझौते पर हस्ताक्षर होते हैं, उसे मॉडल कंसेशन एग्रीमेंट कहा जाता है।

आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया ने जब गति पकड़ी, तब देश के ढाँचागत क्षेत्र में बदलाव आना शुरू हुआ और इस क्षेत्र में विकास के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी का निवेश मॉडल काफी लोकप्रिय बनकर उभरा है। आज अवसंरचना के कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों, जैसे- सड़क, रेल, नवीकरणीय ऊर्जा, बंदरगाह, हवाई-अड्डा, पाइपलाइन और शहरी ढाँचागत क्षेत्र आदि में निवेश के लिये पीपीपी मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है।

लाभ-

  • पीपीपी मॉडल अपनाने से परियोजनाएँ सही लागत पर और समय से पूरी हो जाती हैं।
  • पीपीपी से काम समय से पूरा होने के कारण निर्धारित परियोजनाओं से होने वाली आय भी समय से शुरू हो जाती है, जिससे सरकार की आय में भी बढ़ोतरी होने लगती है।
  • परियोजनाओं को पूरा करने में श्रम और पूंजी संसाधन की प्रोडक्टिविटी बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
  • पीपीपी मॉडल के तहत किये गए काम की गुणवत्ता सरकारी काम के मुकाबले अच्छी होती है और साथ ही काम अपने निर्धारित योजना के अनुसार होता है।

हालाँकि कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में पीपीपी परियोजनाओं से जुड़ी कुछ नकारात्मक प्रवृत्तियाँ भी निजी निवेश हैं, जैसे- दोषपूर्ण रिस्क शेयरिंग, अयोग्य बिजनेस मॉडल और वित्तीय अस्थिरता आदि, जिसकी वजह से निजी कंपनियाँ कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के बाद निवेश बाहर निकाल देती हैं। पीपीपी के किसी भी प्रोजेक्ट के लिये काफी हद तक निजी क्षेत्र, बैंक कर्ज़ पर निर्भर रहते हैं। बैंकों का अपना क्षेत्रवार लक्ष्य होता है, जिसके पूरा हो जाने के बाद पीपीपी प्रोजेक्ट के लिये कर्ज़ मिलना मुश्किल हो जाता है।

महत्त्व

सार्वजनिक परियोजनाओं में पीपीपी के होने से मुख्य फायदा यह होता है कि निजी कंपनियाँ डिज़ाइन, निर्माण और संचालन की उत्कृष्ट कार्यकुशलता सार्वजनिक सेवा के लिये लाती हैं। ऐसा तर्क दिया जाता है कि निजीकरण से परियोजना संचालन में निजी निवेश ज्यादा कुशलता आती है जिससे परियोजना लागत में बचत और लाभ अधिकतम होता है।

पीपीपी मॉडल के पक्ष में एक प्रमुख दावा यह भी किया जाता है कि चूँकि इस मॉडल में निजी वित्तीय संसाधनों का उपयोग होता है जिससे परियोजना में सार्वजनिक संसाधन लगाने ही नहीं पड़ते हैं। ये बचे हुए सार्वजनिक संसाधन सरकार की दूसरी नीतिगत प्राथमिकताओं के लिये काम में लाए जा सकते हैं।

रेलवे में बेहतर सुविधाओं के लिए निजी निवेश जरूरी, जानें रेलवे के निजीकरण पर क्या बोले पीयूष गोयल

Indian Railway Privatisation: रेलवे प्राइवेटाइजेशन को लेकर पिछले कई दिनों से लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं और रेलवे को निजी हाथों में देने का आरोप भी लग रहे हैं। लेकिन रेलमंत्री पीयूष गोयल ने आज इसे लेकर स्पष्ट कर दिया निजी निवेश है कि रेलवे को निजी हाथों में कभी नहीं सौंपा जाएगा।

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि रेलवे भारत की संपत्ति है और इसका कभी भी निजीकरण नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही रेल मंत्री ने ये भी कहा है कि यात्रियों को अच्छी सुविधाएं मिलें, रेलवे के कामकाज को सुचारु बनाने के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा।

रेलमंत्री ने आगे कहा कि, सड़कें भारत की संपत्ति हैं लेकिन क्या कोई कहता है कि सड़क पर सिर्फ सरकारी गाड़ियां चलेंगी? क्योंकि प्राइवेट और सरकारी वाहन दोनों ही आर्थिक गतिविधि को आगे बढ़ाते हैं। तो क्या रेलवे लाइन पर कोशिश नहीं होनी चाहिए? उसमें निजी निवेश आता है, तो उसका स्वागत होना चाहिए।

आज लोकसभा में वर्ष 2021-22 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा के दौरान रेलमंत्री ने कहा कि देश में यह भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है कि रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है। मैं सभी सांसदों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय रेल प्राइवेटाइज नहीं होगी और भारत सरकार की ही रहेगी।

Google Finance की मदद से, पोर्टफ़ोलियो बनाना और उसे मैनेज करना

Google Finance में पोर्टफ़ोलियो की मदद से, अपने निवेश की परफ़ॉर्मेंस को ट्रैक करें और उसे समझें. अपना पूरा निवेश देखें, उसकी परफ़ॉर्मेंस की तुलना अन्य स्टॉक और इंडेक्स से करें. साथ ही, अपने निवेश से जुड़े आंकड़े और समाचार देखें.

पोर्टफ़ोलियो बनाना

पसंद के मुताबिक बनाए गए आपके पोर्टफ़ोलियो की मदद से, समय-समय पर किए गए आपके निजी निवेश को मैनेज और ट्रैक करने की सुविधा मिलती है.

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  1. दाईं ओर, नया पोर्टफ़ोलियो पर क्लिक करें.
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  1. “आपके पोर्टफ़ोलियो” में जाएं और जिस पोर्टफ़ोलियो का नाम बदलना या मिटाना है उसे चुनें.
  2. सबसे ऊपर दाईं ओर, ज़्यादा पर क्लिक करें.
  3. नाम बदलें या मिटाएं चुनें.

पोर्टफ़ोलियो की सेटिंग मैनेज करना

सेटिंग अपडेट करके, अपने स्टॉक की कीमतों पर नज़र रखी जा सकती है या अपने पोर्टफ़ोलियो में मुद्रा अपडेट की जा सकती है.

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  1. दाईं ओर, “आपके पोर्टफ़ोलियो” में जाकर, पोर्टफ़ोलियो चुनें.
  2. सबसे ऊपर दाईं ओर, "पोर्टफ़ोलियो की हाइलाइट" के ऊपर, ज़्यादा वॉचलिस्ट के रूप में देखें पर क्लिक करें.

अहम जानकारी: अपने पोर्टफ़ोलियो को वॉचलिस्ट में शामिल करने से, उसकी वैल्यू पर कोई असर नहीं पड़ता है. किसी भी समय अपने निवेश की समीक्षा करने के लिए, उसे एक पोर्टफ़ोलियो के तौर पर देखा जा सकता है.

अहम जानकारी: आपके पोर्टफ़ोलियो में शामिल मुद्रा को बदला जा सकता है. उदाहरण के लिए, अपने पोर्टफ़ोलियो को डॉलर से यूरो में बदलने पर, आपके पोर्टफ़ोलियो और होल्डिंग की वैल्यू अपने-आप यूरो में बदल जाएगी.

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  1. दाईं ओर, “आपके पोर्टफ़ोलियो” में जाकर, पोर्टफ़ोलियो निजी निवेश चुनें.
  2. सबसे ऊपर दाईं ओर, "पोर्टफ़ोलियो की हाइलाइट" के ऊपर, ज़्यादा मुद्रा अपडेट करें पर क्लिक करें.
  3. जिस मुद्रा में आपको अपने पोर्टफ़ोलियो की वैल्यू देखनी है उसे चुनें.

अपने पोर्टफ़ोलियो में होल्डिंग मैनेज करना

  1. निवेश जोड़ें पर क्लिक करें.
  2. वह स्टॉक, म्युचुअल फ़ंड या आभासी मुद्रा डालें जिसे आपको जोड़ना है. साथ ही, टाइप करते समय दिखने वाले विकल्पों में से सही विकल्प चुनें.
  3. यह जानकारी डालें:
    • शेयर की संख्या
    • शेयर खरीदने की तारीख
    • निवेश करते समय खरीदे गए शेयर की कीमत
  4. अगर शेयर खरीदने की तारीखें अलग-अलग हों, तो [X] की अन्य खरीदारी पर क्लिक करें. जानकारी डालें.
  5. सभी शेयर डालने के बाद, सेव करें पर क्लिक करें या पोर्टफ़ोलियो में और निवेश जोड़ने के लिए, सेव करें और दूसरा जोड़ें चुनें.
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  1. दाईं ओर, “आपके पोर्टफ़ोलियो” में जाकर, पोर्टफ़ोलियो चुनें.
  2. निवेश पर क्लिक करें. अगर आपके निजी निवेश पास निवेश नहीं हैं, तो निवेश जोड़ें पर क्लिक करें.
  3. आपको जो इंडेक्स जोड़ना है उसे ढूंढें और चुनें.
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  1. दाईं ओर, “आपके पोर्टफ़ोलियो” में जाकर, पोर्टफ़ोलियो चुनें.
  2. वह निवेश चुनें जिसे आपको निजी निवेश हटाना है.
  3. ज़्यादा हटाएं पर क्लिक करें.
  4. हटाने की पुष्टि करें.

पोर्टफ़ोलियो की परफ़ॉर्मेंस को समझना

रीयल टाइम के आधार निजी निवेश पर, आपके पोर्टफ़ोलियो की वैल्यू का हिसाब लगाया जाता है. आपके पोर्टफ़ोलियो की वैल्यू के नीचे दिए गए चार्ट से, अलग-अलग समयावधि में, आपके पोर्टफ़ोलियो के बैलेंस में हुए बदलावों के बारे में पता चलता है.

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  2. पोर्टफ़ोलियो के नाम के नीचे, आपके पोर्टफ़ोलियो की वैल्यू दिखेगी. नीचे दिए गए चार्ट में, आपको अलग-अलग समयावधि के हिसाब से, अपने पोर्टफ़ोलियो का बैलेंस दिखेगा.
  3. अलग-अलग समयावधि के हिसाब से, अपने पोर्टफ़ोलियो का बैलेंस देखने के लिए, 1 महीना, 6 महीने, इस साल आज की तारीख तक या अन्य विकल्पों को चुनें.
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  2. स्क्रोल करके, “आपके पोर्टफ़ोलियो से जुड़ी खबरें” पर जाएं.

निवेश के पहले दिन (“कुल”) से लेकर आखिरी कारोबारी दिन (“1 दिन”) के आधार पर, आपके रिटर्न का हिसाब लगाया जाता है. कुल रिटर्न का हिसाब लगाने के लिए, निवेश की मौजूदा वैल्यू और रिपोर्ट में बताई गई लागत के आधार पर, दोनों के बीच का अंतर तय किया जाता है (यानी निवेश जोड़ते समय "खरीदारी की कीमत" में डाली गई रकम के आधार पर).

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  1. दाईं ओर, “आपके पोर्टफ़ोलियो” में जाकर, पोर्टफ़ोलियो चुनें.
  2. सबसे ऊपर दाईं ओर, “पोर्टफ़ोलियो की हाइलाइट” में, आपको “1 दिन” और “निजी निवेश कुल” रिटर्न दिखेगा.
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  1. दाईं ओर, “आपके पोर्टफ़ोलियो” में जाकर, पोर्टफ़ोलियो चुनें.
  2. सबसे ऊपर दाईं ओर, “पोर्टफ़ोलियो की हाइलाइट” में, आपको अलग-अलग मेट्रिक के हिसाब से अपना पोर्टफ़ोलियो दिखेगा.

पोर्टफ़ोलियो की तुलना, अलग-अलग समय पर निवेश के रिटर्न की दर के आधार पर की जाती है. इस तरह नकदी जोड़े जाने और हटाए जाने का हिसाब लगाना आसान हो जाता है और मानदंड के हिसाब से तुलना करके, ज़्यादा सटीक डेटा मिलता है.

भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत; रफ्तार पकड़ रहा है निजी निवेश : पनगढ़िया

 भारतीय अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.

भारतीय अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.

पनगढ़िया ने एक साक्षात्कार में कहा कि सरकार को जल्द से जल्द कोविड-19 महामारी पर निर्णायक तरीके से ‘जीत‘ हासिल करने की ज . अधिक पढ़ें

    निजी निवेश
  • भाषा
  • Last Updated : October 04, 2021, 05:30 IST

नई दिल्ली . भारतीय अर्थव्यस्था की बुनियाद मजबूत है और बीते वित्त वर्ष में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पहले ही महामारी-पूर्व के स्तर को पार कर चुका है. नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने रविवार को यह बात कही.

पनगढ़िया ने एक साक्षात्कार में कहा कि सरकार को जल्द से जल्द कोविड-19 महामारी पर निर्णायक तरीके से ‘जीत‘ हासिल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘टीकाकरण के मोर्चे पर खबर शानदार है. मैं निजी निवेश सिर्फ यह चाहूंगा कि हमारे नागरिक अपनी ओर से प्रयास करें तथा किसी अन्य के संपर्क में आने पर मास्क पहनें.’’

अर्थव्यवस्था सही दिशा में
उन्होंने कहा कि 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में वास्तविक जीडीपी पहले ही महामारी के पूर्व के स्तर को पार कर चुकी है. इन तथ्यों से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है.’’

इस बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इसकी वजह यह पिछले साल का कमजोर आधार प्रभाव है. कोविड-19 की दूसरी लहर के बावजूद विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों ने भी अच्छी वृद्धि दर्ज की है.

सबसे तेज वृद्धि हासिल करने की राह पर
विभिन्न विशेषज्ञों के अनुमानों के अनुसार भारत इस साल दुनिया में सबसे तेज वृद्धि हासिल करने की राह पर है. भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि दर के अनुमान को 10.5 से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है.

कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा कि आम धारणा के उलट भारत में निश्चित रूप से निजी निवेश बढ़ना शुरू हो गया है.

उन्होंने कहा, ‘‘बीते वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान सकल निश्चित पूंजी सृजन (जीएफसीएफ) जीडीपी के क्रमश: 33 प्रतिशत और 34.3 प्रतिशत पर रहा है, जो एक साल पहले की महामारी पूर्व की तिमाहियों से अधिक है.’’

भारत में ऊंचा रिटर्न
विदेशी पूंजी के प्रवाह पर एक सवाल के जवाब में पनगढ़िया ने कहा कि यह स्पष्ट है कि इसकी वजह सिर्फ मात्रात्मक सुगमता (क्यूई) नहीं है.

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से क्यूई से आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी का प्रवाह होता है, लेकिन इसमें इस बात की गारंटी नहीं है कि यह पूंजी सिर्फ भारत में ही आएगी और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नहीं जाएगी. उन्होंने कहा कि यह पूंजी भारतीय अर्थव्यवस्था में मिलने वाले ऊंचे रिटर्न की वजह से यहां आती है.

आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में प्रोत्साहनों को कम किए जाने के बीच पनगढ़िया ने कहा कि इससे चीजें कुछ पलट सकती हैं, लेकिन अंतिम नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत में कितना ऊंचा रिटर्न मिलता है.

शेयरों के मूल्य भविष्य के रिटर्न की उम्मीदों से निर्धारित होते हैं
ऐसे समय जबकि अर्थव्यवस्था की वृद्धि सुस्त है, शेयर बाजारों में तेजी पर उन्होंने कहा कि संभवत: यह इससे जुड़ा नहीं है, लेकिन ऐसा जरूरी भी नहीं है. उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि शेयरों के मूल्य भविष्य के रिटर्न की उम्मीदों से निर्धारित होते हैं.

हाल में इस तरह की चर्चाओं कि विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल बुनियादी ढांचा विकास तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुन:पूंजीकरण के लिए किया जाना चाहिए, पनगढ़िया ने कहा कि सामान्य तौर पर वह मौद्रिक नीति और आरबीआई के एफएक्स परिचालन को राजकोषीय नीति के साथ जोड़ने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक से सरकार को कोष के प्रवाह में पारदर्शिता होनी चाहिए.

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