होल्डिंग और मार्जिन ट्रेडिंग

Options Trading: क्या होती है ऑप्शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्या हो आपकी रणनीति
Options Trading: निश्चित ही ऑप्शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.
By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)
ऑप्शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )
डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.
क्या है ऑप्शंस ट्रेडिंग?
Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्तेमाल किया जाता है स्ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्स को भविष्य में जाता हुआ देखते हैं.
जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.
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धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.
ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.
जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.
इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.
होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.
ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.
ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
- समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
- अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
- प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा होल्डिंग और मार्जिन ट्रेडिंग बेहतर होता है.
नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्त किया जा सकता है.
(डिस्क्लेमर : प्रकाशित विचार एक्सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्य लें.)
Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
zerodha margin calculator 2022: ट्रेडिंग ब्रोकरेज शुल्क से हैं परेशान, तो आज ही जुड़े भारत की सबसे बड़ी कंपनी के साथ
zerodha margin calculator 2022:- ज़ेरोधा क्या है? संक्षिप्त विवरण जाने: अगर आप शेयर मार्केटिंग या स्टॉक मार्केटिंग में जुड़कर कार्यों को करना चाहते हैं या आप एक अपना demat account open करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि Zerodha Kya Hai?
हिंदुस्तान में बहुत ही कम दर पर ट्रेडिंग खाते और डीमेट खाते की सुविधा प्रदान करने वाली बहुत सारी कंपनियां मौजूद है| बस उन्हीं कंपनियों में से एक कंपनी ज़ेरोधा है| ज़ेरोधा की सर्विस से सबसे फास्ट है इसके अलावा यहां पर बड़ी डिस्काउंट ब्रोकर इन सेवा भी मिलती है| इसके अतिरिक्त ज़ेरोधा छोटे निवेशक को या बड़े निवेशकों के लिए बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म मुहैया कराता है|
इस पोस्ट में क्या है?
Zerodha margin calculator kya HAi?
zerodha margin calculator 2022:- क्या आप ज़ेरोधा के पुराने अथवा ने ग्राहक हैं और आप काफी दिनों से परेशान भी है की स्टॉक मार्केटिंग, मैचुअल फंड वगैरा-वगैरा कैसे कार्य करते हैं या फिर क्या मुनाफा है, क्या घाटा लग रहा है |
तो आप घबराएं नहीं इसके लिए हम और आप मिलकर zerodha margin calculator के बारे में जानकारी लेंगे | जिसके माध्यम से आप किसी भी स्टॉक मैचुअल फंड या zerodha के अन्य किसी भी प्रोडक्ट में क्या बेनिफिट आपको मिल रहा है! और कैसे आपको पैसे इन्वेस्ट करना है|
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इसके संबंधित सभी जानकारी आप लोग जीरोधा मार्जिन कैलकुलेटर के माध्यम से निकाल सकते हैं | वैसे zerodha margin calculator 2022 काफी प्रचलित मार्जिन कैलकुलेटर में से एक है | मार्जिन कैलकुलेटर इस्तेमाल करना बेहद आसान है | इस mis in zerodha पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़ें! अगर आप भी एक ही बार में zerodha margin calculator 2022 को सीखना चाहते हैं तो|
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ज़ेरोधा की आधिकारिक zerodha.com वेबसाइट में zerodha margin calculator 2022 को चार भागों में विभाजित किया गया है:
नीचे दिए गए लिंक की मदद से आप डायरेक्टली zerodha होल्डिंग और मार्जिन ट्रेडिंग के आधिकारिक https://zerodha.com/margin-calculator/Futures/ वेबसाइट पर जाकर जीरोधा मार्जिन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं|
Zerodha Broking Limited Information related highlights
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Tag: share market me collateral kya hai
अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड करते है तो आपका स्टॉकब्रोकर आपको लोन की सुविधा भी प्रदान करता है जिसके अंतर्गत आप अपने ट्रेडिंग मार्जिन को बढ़ा ज़्यादा ट्रेडिंग कर सकते है। लोन में मिले हुए अमाउंट को कोलैटरल मार्जिन कहा जाता है। इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो यहाँ पर collateral meaning in hindi में जाने की कब और कैसे होल्डिंग और मार्जिन ट्रेडिंग ये अमाउंट शेयर बाजार में ट्रेड करने में लाभदायक है।
Collateral Meaning in Share Market in Hindi
जैसे की ऊपर बताया गया है collateral amount एक तरह का लोन है जो आप अपने होल्डिंग और शेयर्स के आधार पर अपने स्टॉकब्रोकर से प्राप्त कर सकते है ।
लोन लेने की प्रक्रिया को pledge of shares कहा जाता है और मिले हुए अमाउंट को कोलैटरल मार्जिन कहा जाता है । इस मार्जिन अमाउंट से आप अपनी ट्रेडिंग लिमिट के साथ ज़्यादा ट्रेड कर अपने मुनाफा कमाने के मौके को भी कई गुना तक बढ़ा सकते है।
इस अमाउंट के बदले स्टॉकब्रोकर आपसे एक निर्धारित इंटरेस्ट रेट प्राप्त करते है ।
अब जब भी आप अपने शेयर pledge करते है तो वह होल्डिंग और मार्जिन ट्रेडिंग शेयर्स कोलैटरल की तरह अकाउंट में होल्ड कर अस्थायी रूप से ब्लॉक कर दिए जाते है ।
यहाँ पर जब तक आप मार्जिन का भुगतान नहीं करते है तब तक आप ब्लॉक शेयर को बेच नहीं सकते । और यहाँ पर अगर आप मार्जिन अमाउंट वापिस करने में असफल होते है तो स्टॉकब्रोकर आना अमाउंट वापिस पाने के लिए प्लेज़ शेयर्स को बेच कर अपने अमाउंट की वसूली करता है।
कोलैटरल मार्जिन कैसे काम करता है?
Collateral meaning को समझने के बाद अब जानते है कि ये किस तरह से काम करता है । मान लेते है कि आपका एक डीमैट खाता है जिसमे 1,00,000 रुपए के शेयर्स है। अब आप एक कंपनी के 100 शेयर में ट्रेड करना चाहते है जिसकी वैल्यू 1000 रुपये प्रति शेयर है, लेकिन आपके पास अभी इतना फण्ड नहीं है।
यहाँ पर अब अपने शेयर्स को प्लेज़ कर ट्रेडिंग कर सकते है, तो मान लेते है की आपने अपने 80,000 रुपये के शेयर प्लेज़ करने का आवेदन किया ।
अब यहाँ पर स्टॉकब्रोकर प्लेज़ शेयर का मूल्यांकन कर एक वैल्यू निर्धारित करेगा जिसका मूल्य करंट मार्केट प्राइस से थोड़ा कम होता है । ये स्टॉकब्रोकर नुकसान से बचने के लिए करता है, जिससे की अगर स्टॉक का प्राइस आगे चलकर कम भी हो जाए तो ब्रोकर को उसका नुकसान न उठाना पड़े।
इस अमाउंट को स्टॉक मार्केट में हेअरकट (haircut in share market) कहा जाता है । ये स्टॉक कुछ प्रतिशत होता है और स्टॉक के वर्तमान प्रदर्शन और अस्थिरता के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
मान लेते है की आपकी होल्डिंग्स पर 5 % हेअरकट लगा यानी की 4000 रुपये तो यहाँ पर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में ₹76000 collateral मार्जिन ऐड हो जायेगा ।
यहाँ पर अगर आप अपने ट्रेड में सफल होते है तो आप collateral margin का भुगतान कर अपने होल्डिंग्स को अन-प्लेज़ कर सकते है ।
लेकिन अगर आपको नुकसान होता है या किसी कारणवश आप अपने होल्डिंग को अन-प्लेज़ होल्डिंग और मार्जिन ट्रेडिंग करने में असमर्थ होते है तो वहां पर ब्रोकर एक सीमित अवधि के बाद आपके शेयर्स को बेच अपनी रकम को वसूलेगा ।
कोलैटरल मार्जिन के फायदे
स्टॉक मार्केट में कोलैटरल मार्जिन के साथ ट्रेड करने से बहुत सारे फायदे जुड़े हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
- एक कोलैटरल मार्जिन आपके खरीदने की लिमिट को बढ़ाता है।
- यह आपको आपने ऑनलाइन डीमैट में अच्छे उपयोग के लिए निष्क्रिय (Idle) शेयर रखने की अनुमति देता है।
- कोलैटरल मार्जिन आपके कैपिटल पर रेट ऑफ़ रिटर्न बढ़ा सकता है।
- यह आपको बाजार में शार्ट-टर्म कीमत के उतार-चढाव से लाभ कमाने की अनुमति देता है ।
निष्कर्ष
कोलैटरल अमाउंट आपको कई लाभ प्रदान करता है लेकिन आपको यह होल्डिंग और मार्जिन ट्रेडिंग ध्यान रखना चाहिए की यदि आप वापस भुगतान करने में असमर्थ हो जाते है, तब आप उस स्थिति में अपने प्लेज्ड किए हुए शेयर खो सकते हैं ।
डीमैट अकाउंट में कोलैटरल अमाउंट एक लोन की तरह उपयोग किया जाता है जैसाकि यह डीमैट अकाउंट में यह निष्क्रिय (Idle) संपत्ति की तरह है ।
यह ब्रोकर और निवेशक के लिए संपत्ति बनाने के लिए अच्छा’ जरिया हो सकता है ।
कोलैटरल मार्जिन से जुड़े हुए आवश्यक तथ्य
अब आप अपने ऑनलाइन डीमैट अकाउंट में कोलैटरल अमाउंट के अवधारणा (Concept) को समझ चुके हैं । आइए अब कोलैटरल मार्जिन से जुड़े आवश्यक चीजों के बारे में समझते हैं ।
1. कोलैटरल मार्जिन का लाभ उठाने के लिए क्या कोई शर्त है?
एक निवेशक के तौर पर अपने स्टॉकब्रोकर से कोलैटरल मार्जिन का लाभ लेने के लिए कुछ विशेष शर्तों का पालन करने की जरुरत होती है । कई स्टॉकब्रोकर यह ऑफर देते हैं और इसके लिए आपको आपने ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन मूल्य के विशेष प्रतिशत को बनाए रखने की आवश्यकता होती है ।
2. कोलैटरल मार्जिन का उपयोग आप किन चीजों के लिए कर सकते हैं?
आप अपने स्टॉकब्रोकर द्वारा ऑफर की गयी गई कोलैटरल मार्जिन का उपयोग स्टॉक मार्केट में इक्विटी शेयर (equity meaning in hindi) खरीदने के लिए कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त आप डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स (derivative meaning in hindi) में ट्रेड करने के लिए कर सकते हैं जैसेकि स्टॉक खरीदने और बेचने के लिए।
New Margin क्या है? आइये जाने SEBI के इस नये नियम के बारे में
What is New Margin Rule of SEBI in HINDI
What is New Margin: यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट (invest) और ट्रेड (trade) करते हैं तो सेबी (SEBI – Security Exchange Board of India) के न्यू मार्जिन( New Margin) के इस नए नियम के बारे में जानना बेहद जरूरी है, जिससे इन्वेस्ट करने के दौरान जोखिम को कम किया जा सके। न्यू मार्जिन के अनुसार स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) द्वारा अपने क्लाइंट को ट्रेडिंग (trading) के लिए उपलब्ध करवाया जाता है, जिसे अब सेबी (SEBI) ने 25% 50%, 75% और 100% के कुल 4 चरणों में खत्म करने का नियम बनाया है। यानी कि अब इन्वेस्ट (invest) करने के लिए खुद का पैसा अपने डिमैट अकाउंट (Demat Account) में रखना अनिवार्य होगा नही तो आप शेयर मार्केट (share market) में trade नही कर सकेंगे।
अब शेयर मार्केट में ट्रेड करने के लिए खुद का मार्जिन खुद के डिमैट अकाउंट में होना जरूरी है।
ऐसे में यह Retail Trader के लिए एक चुनौती भरा काम साबित हो सकता है, क्योंकि रिटेल ट्रेडर के पास पर्याप्त मात्रा में फंड (Fund) जुटा पाना आसान काम नहीं होता है। इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं।
यदि आपके पास ₹1000 है तब पहले स्टॉक ब्रोकर आपको शेयर मार्केट में ट्रेड करने के लिए 20 गुना मार्जिन प्रोवाइड कर देते थे। अर्थात यदि आपके पास ₹1000 है तो आप ₹20,000 तक की trading पहले कर सकते थे। लेकिन अब सेबी के इस न्यू मार्जिन रूल (New margin rule) आ जाने से ऐसा संभव नही होगा। यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो जितने शेयर sell करेंगे उतना फंड आपके डिमैट अकाउंट में होना अनिवार्य रहेगा।
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