बाजार में शिवलिंग

गमले में शिवलिंग रखना चाहिए या नहीं
भक्ति में भावना प्रधान होती है और जब हम मन में श्रद्धा रखते हैं तो निश्चित रूप से यह ध्यान रखेंगे कि जिस देव की पूजा कर रहे हैं, उनकी सही विधि से पूजा करें और उनकी मूर्ति को भी उचित सम्मान के साथ रखें। और जब बात देवो के देव महादेव, भगवान शिव की भक्ति के बारे में हो तो हमें प्राचीन शास्त्रों, विशेषकर शिव पुराण से जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए।
आइये जानते हैं कि भगवान शिव के बारे में लिखे गए पौराणिक ग्रन्थ शिवपुराण में शिवलिंग को उचित जगह रखने के बारे में क्या लिखा गया है। पूजा पाठ के मामलों में हमें अपने धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों से उचित मार्गदर्शन लेना ही चाहिए।
शिवलिंग को घर में रखने का सही तरीका
सबसे पहले तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि शिव पुराण के अनुसार, किसी भी देव प्रतिमा, विशेषकर कि शिवलिंग को कभी भी ऐसे स्थान पर नहीं रखना चाहिए जहाँ आप उसकी पूजा ना कर सकें। इसलिए शिवलिंग को पूजा घर में ही रखा जाना उचित है। पूजाघर से इतर, इसको कहीं भी रखने का कोई अलग से स्थान नहीं हो सकता। पूजा में ईश्वर के प्रति श्रद्धा और सम्मान का विशेष महत्त्व होता है।
इसलिए शिवलिंग को गमले में कदापि नहीं रखना चाहिए। शिवलिंग को उचित सम्मान के साथ रखने के लिए ध्यान रखें कि उस को कभी भी ज़मीन पर या मिट्टी में ना रखें और जब भी रखें तो उसके धारक पात्र में ही रखें जिसे अरघा कहा जाता है। यदि आपके पास शिवलिंग का अरघा ना हो तो किसी भी पूजा की दुकान से आपको शिवलिंग के लिए तांबे का पात्र मिल जायेगा।
शिवलिंग पर नित्य जल अर्पित करें
शिवलिंग के पास शिव परिवार, जिसमे भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी तथा कार्तिकेय जी की फोटो भी लगायें तो उसके मंगल प्रभाव से पूजा करने के वक्त आपका मन और भी अधिक शुद्ध होगा। यह भी ध्यान रखें कि शिवलिंग के ऊपर आप रोज़ जल अर्पित करें और हो सके तो उसके ऊपर एक छोटा सा जल का स्रोत बांध दें जैसे आपने अवश्य मंदिरों के शिवलिंग पर देखा होगा।
इसके बहुत से पौराणिक काल से प्रचलित कारण हैं जिनको तर्क की कसौटी पर भी खरा पाया गया है। प्राचीन शास्त्रों में बताया गया है कि शिवलिंग से एक विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्सर्जित होती रहती है। इस कारण यह गर्म हो जाता है और इस पर जल प्रवाहित करते रहना चाहिए।
वैसे भी हम सबको पता है कि भगवान शिव ने मानवता की रक्षा के लिए हलाहल जैसा महा भयंकर और अचूक जहर अपने कंठ में धारण किया था। शिव शंकर भोले भंडारी हैं, वो अभी भी निरंतर समाज में फ़ैल रहे जहर को पीते रहते हैं। जब हम शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं तो वह शिव जी के आज्ञा चक्र पर अर्पित होता है और जहर के कारण होने वाली गर्मी को शांत करता है।
सबसे अच्छी बात है की घर में जो शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं, उसे पौधों में डाल दिया जाता है और इसलिए यह पर्यावरण के लिए भी एक लाभकारी बात है। पूजाघर के मंदिर में विभिन्न प्रकार के शिवलिंग रखने के अलग-अलग प्रभाव होते हैं। इस बारे में हमारे पौराणिक ग्रंथों में, विशेष रूप से शिवपुराण में, अच्छी जानकारी दी हुई है। तो पूजाघर के मंदिर में हमें कौन सा शिवलिंग रखना चाहिए और उसके क्या क्या प्रभाव हो सकते हैं, हमें इसकी जानकारी रखनी चाहिए।
शिवलिंग को गमले में क्यों नहीं रखना चाहिए
जैसा कि अभी हमने आपको बताया की पुराणों के अनुसार, शिवलिंग को कभी भी ज़मीन पर या मिट्टी में नहीं रखना चाहिए। गमले में मिटटी होती है और यह पूजा स्थल पर भी नहीं रखा जाता। इन वजहों से शिवलिंग को गमले में रखना सर्वथा अनुचित होगा।
जिस ईश्वर की पूजा हम कर रहे हैं, उस ईश्वर के प्रतीक यानी मूर्ति, फोटो इत्यादि की गरिमा का हमें ध्यान रखना ही चाहिए। शिवलिंग को गमले में रखने का तो विचार भी करना गलत होगा क्योंकि शिवलिंग कोई दिखावे की वस्तु नहीं है और इसे इस तरह से रखा गया तो यह एक तरह से शिवलिंग का अपमान होगा। इस तरह से शिवलिंग को सम्मान से पूजा घर में रखें और भगवान शिव की पूजा के विज्ञान को समझते हुए सही विधि के साथ उनकी पूजा-अर्चना करें।
कैसे करें असली पारद शिवलिंग की पहचान
29 Jul
पारद शिवलिंग
आधुनिक समय में शुद्ध किए गए पारा शिवलिंग को चमत्कार, साधना का सर्वोत्तम रूप और सफलता प्राप्त करने का एक अद्भुत मार्ग माना जा सकता है।
सोने, चांदी, हीरे के गहनों का प्रयोग सभी करते हैं। मानव शरीर पर इन गहनों का अपना महत्व और प्रभाव है। लेकिन पारा जिसे हम तरल रूप में जानते हैं , अब दशकों की मेहनत के कारण, हमारे पास पारा ठोस रूप में है जो अन्य महंगी धातुओं की तरह महंगा नहीं है, लेकिन जीवन में अत्यधिक मूल्य है और कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक बीमारी के इलाज में उपयोगी है।
पारद शिवलिंग का अर्थ
पारद - पारा (Mercury)
शिव - भगवान शिव
लिंग - जननांग
कैसे करें असली पारद शिवलिंग की पहचान (how to identify original parad shivling?)
पारा प्राकृतिक रूप से काफी जहरीला होता है। अष्ट के संस्कारी होने पर ही वह नित्य पूजा के योग्य बनता है। पारद शिवलिंग असली है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए निम्नलिखित विधि का प्रयोग करें:
- पारद शिवलिंग असली है या नहीं इसको जांचने का सबसे अच्छा तरीका है सोने के साथ रख कर देखना। अगर पारद शिवलिंग असली है तो वो धीरे धीरे सोने को खा जायेगा या उसको सफ़ेद कर देगा।
पारद शिवलिंग के प्रति फैली हुई भ्रांतिया
1. आजकल इंटरनेट पर ये बात बड़ी ही तेजी से फेल रही है कि असली पारद शिवलिंग को अगर ऊँगली पर रब करते है तो वो अपने पीछे कालापन नहीं छोड़ता है। जबकि ये बात एकदम गलत है। पारद शिवलिंग असली हो या नकली वो कालापन छोड़ेगा ही।
2. सूरज कि रौशनी में पारद शिवलिंग गोल्डन दिखाई देना। इंटरनेट पर ऐसी वीडियो देखने को मिलती है जिसमे दिखाया जाता है कि अगर पारद शिवलिंग को पानी में रखे तो थोड़ी देर में वो ऊपर से गोल्डन दिखाई देने लग जाता है। जो कि बिलकुल गलत है। पारद कभी भी अपना रंग नहीं बदलता है। ये बस एक ट्रिक वीडियो है जो लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए बनाई गयी है ।
बाजार में कौन कौन से पारद शिवलिंग मिलते है ?
1. बाजार में पारद के नाम पर काफी तरफ के शिवलिंग मिलते है जिनमे रांगे का शिवलिंग प्रमुख तोर पर बिकता है ये सबसे सस्ता होता है जो सामान्य रूप से 4-5 rs प्रति ग्राम मिल जाता है। ये शिवलिंग लेड का बना होता है जो पारद शिवलिंग बोलकर बेचा जाता है इसके ऊपर एक सिल्वर रंग की परत चढ़ी होती है जो धीरे धीरे अपने आप उतर जाती है और ये नीचे से काला निकल आता है।
2. दूसरे नंबर पर आता है कलई का बना हुआ शिवलिंग। कलई लगभग सभी लोग जानते होंगे जो बर्तनो को सफ़ेद करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। जिसे इंग्लिश में tarnish बोलते है। रांगे के बाद सबसे जायदा बिकने वाला शिवलिंग कलई का है। पारद शिवलिंग और कलई से बने शिवलिंग में कोई भी फर्क पता नहीं चलता है दोनों एक जैसे दिखाई देते है। लेकिन इनके रेट में बहुत बड़ा अंतर है कलई से बना शिवलिंग बाजार में 8-10 rs प्रति ग्राम मिल जाता है।
3. रांगे और कलई के बाद जो शिवलिंग बाजार में बिक रहा है वो है एल्युमीनियम से बना हुआ शिवलिंग। ये पहले बाजार में नहीं बिकता था लेकिन जब से पारे के रेट हद से ज्यादा बढे है तब से इसकी सेल भी काफी बढ़ गयी है।
4. सबसे आखिर में आते है असली पारद शिवलिंग पर। इसका रेट इसकी शुद्धता के आधार पर तय होता है जितनी शुद्धता बढ़ती बाजार में शिवलिंग जाएगी उतनी ही इसकी कीमत बढ़ती जाएगी। इसकी कीमत पारे की कीमत के आधार पर बदलती रहती है।
पारद शिवलिंग किस रेट पर मिलता है ? (Parad shivling price)
जैसा कि हमने बताया असली पारद शिवलिंग का रेट बाजार में मिलने वाले तरल पारे के रेट के हिसाब से बदलता रहता है आजकल इसका रेट 15 से 50 rs ग्राम तक चल रहा है।
पारद शिवलिंग के फायदे ( Parad Shivling benefits in hindi )
1. यह घर परिवार के वातावरण को सुखमय और समृद्ध बनाता है।
2. पारद शिवलिंग कि पूजा करने से सिर्फ भगवान शिव की किरपा ही प्राप्त नहीं होती बल्कि माता लक्ष्मी की भी कृपा बरसती है।
3. इसकी निरंतर पूजा करने से कुंडली में मौजूद सभी तरह के गृह दोष समाप्त हो जाते हैं।
4. पारद शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति का द्वार अपने आप खुल जाता है ।
5. चरक सहिंता समेत अन्य कई पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि असली पारद शिवलिंग तंत्र-मंत्र, नकारात्मक और बुरी शक्तियों के प्रभावों को समाप्त कर देता है।
6. जिस घर में पारद शिवलिंग होता है वहां भगवान शिव, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता तीनों का वास माना जाता है।
7. पारद शिवलिंग अपने आप बाजार में शिवलिंग में शुद्ध होता है इसे शुद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है
क्या घर में पारद शिवलिंग रख सकते है ?
जी हाँ, आप घर के अंदर पारद शिवलिंग को रख सकते है। पारद शिवलिंग अपने आप में शुद्ध होता है और इसे किसी प्राण प्रतिष्ठा की जरुरत नहीं होती है। इसे रखने से घर में सुख शांति बानी रहती है।
असली पारद शिवलिंग की कीमत क्या है ?
असली पारद शिवलिंग 15 से 50 rs प्रति ग्राम मिल जाता है। अगर पारे का रेट बढ़ेगा तो इसका रेट भी बढ़ जायेगा। क्यों की इसका आधार पारा ही है।
पारद शिवलिंग कहा से ख़रीदे ?
यदि आप असली पारद शिवलिंग खरीदने के इच्छुक है तो आप हमारी वेबसाइट www.gemshub.in से खरीद सकते है।
क्या पारद शिवलिंग पर जल चढ़ा सकते है ?
पारद शिवलिंग भगवन शिव का अंश माना जाता है इसके दर्शन होना ही अपने आप में एक बड़ी बात होती है शास्त्रों में पारद शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए मना किया गया है क्यों कि पारद शिवलिंग सिर्फ दर्शनीय होता है। लेकिन श्रद्धालु इसके ऊपर जल चढ़ाये बिना रह नहीं पाते है तो ऐसे में आप एक बात ध्यान रखे। जल चढाने के तुरंत बाद ही पारद शिवलिंग को सूती कपडे से साफ़ कर दे। इसके ऊपर किसी तरह की पानी की बूँद नहीं रेहनी चाहिए।
घर में पारद शिवलिंग कितना बड़ा रखना चाहिए ?
आप घर के अंदर जितना बड़ा चाहे उतना बड़ा पारद शिवलिंग रख सकते है। आप छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा पारद शिवलिंग रख सकते है। पारद शिवलिंग वजन में काफी भारी होता है । जिस वजह से 2 इंच का आकार भी 450 - 500 ग्राम के आस पास होता है। सामान्य रूप से श्रद्धालु हमसे पूछते है कि घर के लिए किस साइज का पारद शिवलिंग लेना चाहिए ! तो हमारा बस यही बाजार में शिवलिंग उत्तर होता है जितना बड़ा आप लेना चाहे उतना बड़ा आप ले सकते है। ये किसी भी शास्त्र में नहीं लिखा है कि पारद शिवलिंग अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए या छोटा नहीं होना चाहिए। आप अपनी श्रद्धा अनुसार पारद शिवलिंग रख सकते है।
घर में पारद शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करे ?
पारद शिवलिंग अपने आप में शुद्ध होता है शास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती है।
इस वजह से सावन के महिने में टूटे- फूटे शिवलिंग की पूजा कर रहे लोग
बलौदाबाजार. सावन माह प्रारंभ होने के बाद आज सावन महीने का प्रथम सोमवार है। इसके चलते नगर समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों के शिवमंदिरों में सुबह से ओम नम: शिवाय की गूंज रहेगी। लोगों शिव मंदिरों में भगवान शिव का पूजन अर्चना करेंगे।
बलौदा बाजार के भक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र सोनपुरी स्थित बाबा भूतेश्वर शिव मंदिर है। जहां सावन माह में प्रत्येक दिन श्रावणी रामायण का पाठ किया जा रहा है। सोमवार के दिन मंदिर में सहस्त्रजलधारा अभिषेक, रूद्राभिषेक का भी आयोजन किया जा रहा है। सोनपुरी के साथ भक्तों द्वारा रामपुर शिव मंदिर, पलारी स्थित सिद्धेश्वर महादेव, खरौद स्थित लक्ष्मणेश्वर महादेव, ग्राम जारा जाकर भगवान शिव का पूजन किया जा रहा है। नगर के दर्जनों भक्त टोलियों सहित देवघर बोलबम, उज्जैन महाकाल, काठमांडू पशुपतिनाथ शिव मंदिरो के दर्शनों के लिए रवाना हो चुके हैं।
जिला मुख्यालय सीमा से बिलासपुर रोड पर नगर से महज 17-18 किमी दूर शिवनाथ नदी के किनारे रामपुर गांव में प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। रामपुर गांव के प्रहलाद यादव ने बताया कि 25 दिसंबर सन् 2002 को जब वे गाय चरा रहे थे, तब उन्हें जमीन पर कुछ गोल पत्थर दबा मिला था। गोल पत्थर जमीन में गड़ा हुआ था। जब प्रहलाद उसे खोदने लगे तब जाकर पता चला कि वो असल में शिवलिंग है। प्रत्येक वर्ष सावन माह में बड़ी संख्या में शिवभक्त रामपुर पहुंचकर भगवान शिव का दर्शन करते हैं।
शासन-प्रशासन को सूचना देकर गांववालों ने शिवलिंग की स्थापना की। स्थापना के बाद वहां एक शिव मंदिर भी बनाया गया है। रिकॉर्ड अनुसार नदी किनारे रामपुर का प्राचीन मंदिर है, इसकी स्थापना के बारे में गांव के बुजुर्गोंं तक को किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। मंदिर के भीतर आज भी कई दुर्लभ प्राचीन मंदिर हैं, जो रखरखाव न होने से गंदगी का आलम है। ग्रामीणों के अनुसार मंदिर से कुछ प्रतिमाएं चोरी हो चुकी है। अरसा पूर्व मंदिर की तीन प्रतिमाओं को चोर ले गए थे जिसमें से एक प्रतिमा राजनांदगांव-महाराष्ट्र सीमापार करते समय मिली। दूसरी प्रतिमा मस्तुरी थाना क्षेत्र से पकड़ी गई थी। एक प्रतिमा आज तक नहीं मिली है। मंदिर में मौजूद कई दुर्लभ प्रतिमाओं पर चोरों की आजा भी नजर है।
Today in Jabalpur : शिवलिंग निर्माण की शोभायात्रा निकाली जाएगी
Today in Jabalpur : जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर में आज कई धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहेगा। हमारी आपको सलाह है कि आप कार्यक्रमों में उमंग और उत्साह के साथ शामिल हों, लेकिन सावधानी भी रखें। अगर आपने कोरोना का टीका नहीं लगवाया है तो जल्द लगवाएं घर से निकलें तो सावधानी जरूर रखें और कोरोना गाइड लाइन का पालन करें, क्योंकि जीवन की सुरक्षा भी जरूरी है।
नर्मदा रोड पर बिग बाजार के पास सुबह 9 बजे से शिवलिंग निर्माण की शोभायात्रा निकाली जाएगी।
ग्वारीघाट में मां नर्मदा की आरती :
ग्वारीघाट में मां नर्मदा की आरती रोज शाम साढ़े सात बजे आयोजित की जाती है। इस आरती भव्य आरती में हिस्सा लेकर मां का आशीष पाया जा सकता है। इसके प्रति लोगों की आस्था इतनी है कि लोग पहले से ही घाट पर एकत्र होकर आरती की प्रतीक्षा करते नजर आते हैं। यहां पर घाटों पर कई मंदिर बने हुए हैं, जहां पर लोग अपनी आस्था के मुताबिक आरती करते नजर आते हैं।
गुप्तेश्वर महादेव :
अगर आप शहर में हैं तो गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन करने भी जा सकते हैं। यहां भोले नाथ की महिमा अपरंपार है। यहां सुबह से शाम तक अनवरत अभिषेक किया जाता है। यहां भोले बाबा पहाड़ पर प्राकृतिक गुफा में विराजे हैं, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे रामेश्वरम का उपलिंग भी कहा जाता है। कई भक्त ऐसे हैं, जो प्रतिदिन अभिषेक और दर्शन करने पहुंचते हैं। यहां प्रतिदिन सुबह 8 बजे भगवान की मंगला आरती की जाती है।
गायत्री परिवार करता है प्रतिदिन यज्ञ :
गायत्री परिवार को संस्कारों के लिए जाना जाता है। दमोह रोड स्थित मनमोहन नगर गायत्री शक्तिपीठ में सुबह से रात तक धार्मिक आयोजन होते हैं। यहां नियमित रूप से सुबह 8 बजे यज्ञ किया जाता है। इसके साथ ही मां गायत्री की आराधना की जाती है। शहर में इस मंदिर की स्थापना 40 वर्ष पहले आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा ने की थी। अगर आप शहर में हैं तो यहां दर्शन करने के लिए पहुंचे आपको आनंद और आत्मिक सुख की प्राप्ति होगी।
पाटबाबा मंदिर में श्रीहनुमान आरती :
जीसीएफ की पहाड़ी पर स्थित पाट बाबा मंदिर में श्री हनुमान जी की विशेष आरती हर मंगलवार को शाम साढ़े सात बजे की जाती है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि हनुमानजी जिस तरह से जीसीएफ के बनने में सारी अड़चनों को दूर किया था, वैसे ही उनकी बाधाओं को भी दूर करते हैं।
श्रीकृष्ण भक्ति :
आइए हम चलते हैं श्री गोपाल मंदिर घमापुर में यहां प्रतिदिन सुबह 7.30 बजे से सामूहिक देवपूजा कर भगवान की भक्ति की जाती है। मंदिर समिति द्वारा भगवान श्रीकृष्ण का नित्य पूजन किया जाता है। स्वामी कृष्ण राज आराध्य के नेतृत्व में यहां भगवान की सेवा करने की अलग ही परंपरा है।
श्री सुप्तेश्वर मंदिर में भगवान श्रीगणेश की आरती :
रतन नगर स्थित श्री सुप्तेश्वर मंदिर में विशालकाय चट्टान पर बने भगवान श्री गणेश की आरती रोज सुबह साढ़े सात बजे और शाम को साढ़े छह बजे होती है। ऐसी मान्यता है कि अगर यहां 40 दिन तक रोज आकर भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाए तो मनोकामना पूरी होती है।