एक ब्रोकर का चयन

I Am Adv. Jagdish Kumawat. Founder of Financeplanhindi.com . Here We Are Share Tax , Finance , Share Market, Insurance Related Articles in Hindi.
ट्रेडिंग खाते: संचालन की प्रणाली और होने के फायदे
ट्रेडिंग खातों ने लोगों के शेयर बाजार में काम करने के तरीके में क्रांति ला दी है। शेयरों को बनाए रखने का यह नया तरीका ओपन आउटरी की पुरानी प्रणालियों की तुलना में अधिक सुविधाजनक और तेज साबित हुआ है। ट्रेडिंग खातों की सहायता से, भौतिक संपर्क और उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे दोनों पक्षों के लिए समय की बचत होती है।
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शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान
1. डिस्काउंट ब्रोकर पर दांव!
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद एक ब्रोकर का चयन फरोख्त करते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. इसलिए यदि आप बाजार की उथल-पुथल और हलचल को समझते हैं, जो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं. अन्यथा फुल सर्विस ब्रोकर ही बेहतर है.
2. फोन या ऑनलाइन कारोबार की सेवा
आप कारोबार के लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. ब्रोकर का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है. हालांकि, हाइब्रिड ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं.
How To Choose Best Stock Broker In Hindi – एक अच्छा शेयर ब्रोकर कैसे चुने ?
Best Stock Broker – बहुत से ऐसे लोग है जो शेयर मार्केट ( Share Market ) में निवेश तो करना चाहते है लेकिन स्टॉक मार्केट की ज्यादा समझ नहीं होने के कारण वे स्टॉक ब्रोकर ( Stock Broker ) की तलाश में रहते जो उन्हें अच्छा रिटर्न दिला सके ! दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे कि कैसे आप एक अच्छा स्टॉक ब्रोकर चुन सकते है तो आइये शुरू करते है How To Choose Best Stock Broker In Hindi-
यदि आप शेयर बाजार में अच्छा पैसा कमाना चाहते है तो आपके लिए सही दलाल का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है ! शेयर ब्रोकर के मामले में विश्व के सबसे बड़े निवेशक वोरेन बफे की कहावत है – “ शेयर ब्रोकर आपका दोस्त नहीं है ! वह एक डॉक्टर की तरह होता है , जो मरीज से दवा के बदले शुल्क लेता एक ब्रोकर का चयन है ! अब यदि आप सही डॉक्टर के पास नहीं पहुंचेंगे तो खामियाजा आपको ही भुगतना होगा !” हालाँकि यह बात सही है निवेशक इसे मानते है , लेकिन बावजूद इसके उनके व्यवहार में यह नहीं झलकता है कि वे ब्रोकर को लेकर संजीदा है ! ज्यादातर निवेशक तो अपने शेयर ब्रोकर का नाम , उसकी फर्म तथा उसके फोन नंबर से ज्यादा कुछ नहीं जानते और शेयर की खरीद – बिक्री के लिए पूरी तरह से ब्रोकर पर ही निर्भर रहते है और सोचते की ब्रोकर सब हमारे लाभ के लिए ही कर रहा है !
ट्रैक रिकॉर्ड देखना
जब भी कभी आप स्टॉक ब्रोकर का चयन करना चाहते है तो सबसे पहले आप उसके पीछे के ट्रैक रिकॉर्ड को देखे अर्थार्त आपको देखना चाहिए कि उस ब्रोकर या ब्रोकर फर्म ने पिछले सालो में अपने clints को कितना रिटर्न दिया है ! आपको उस ब्रोकर के ट्रैक रिकॉर्ड को अच्छे से विश्लेषण करना आना चाहिए ताकि आप अच्छा दलाल चुन सके !
एक अच्छे और सही ब्रोकर की पहचान होती है कि वह आपको अच्छी तथा हर प्रकार की सेवा प्रदान करे ! इसलिए शेयर ब्रोकर का चयन करते समय यह जरुर ध्यान रखे कि वह हमें कोन – कोनसी सुविधाए प्रदान कर रहा है और उसके द्वारा प्रदान की गई सेवा की गुणवता का प्रतिशत कितना है !
रिसर्च की सुविधा
बहुत सी ऐसी ब्रोकिंग फर्म होती है जिनके पास रिसर्च करने की सुविधा होती है , जो अन्य ब्रोकर के पास नहीं होती है ! यदि आप शेयर बाजार का अच्छा ज्ञान हासिल करना चाहते है तो आपको मिलने वाली रिसर्च की सुविधा काफी मददगार साबित हो सकती है ! इसलिए एक अच्छे ब्रोकर का चयन करते समय यह जरुर ध्यान रखे की उसके पास रिसर्च की सुविधा है या नहीं !
एक अच्छे ब्रोकर का चुनाव करते समय आपको उस ब्रोकरेज फर्म की सेवा शुल्क अर्थार्त ब्रोकरेज शुल्क कितना है इस बात का भी ध्यान रखना बहुत आवश्यक है ! यदि किसी ब्रोकर की फ़ीस बहुत अधिक है तो उसकी अधिक फ़ीस को देखकर आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि यह ब्रोकर फर्म तो अच्छी होगी ! तथा बहुत कम शुल्क को देखकर भी किसी ब्रोकर का चयन ना करे ! अतः आपको शुल्क के अलावा अन्य fectors को भी ध्यान में रखना चाहिए !
ब्रोकर का व्यवहार
एक अच्छे ब्रोकर का व्यवहार ही होता है कि वह आपको हमेशा सही और सटीक जानकारी दे ! तथा आपके हर सवालों का जवाब दे ! इसलिए ब्रोकर का चुनाव करते समय हमेशा उसके व्यवहार को भी ध्यान में रखे !
एक अच्छा ब्रोकर हमेशा आपको Customer Care Services की सुविधा भी प्रदान करता है !एक ब्रोकर का चयन
यदि आपका ब्रोकर आपकी जरुरत , वित्तीय स्थिति व् व्यक्तिगत इच्छाओ को जाने बिना आपके लिए ट्रेड करता है तो आपको जोखिम व् हानी उठानी पड़ सकती है ! एक अच्छे ब्रोकर को यह पता होता है कि उसका ग्राहक किस तरह का निवेशक है ! यदि निवेशक को ब्रोकर से शिकायत हो तो शेयर बाजार के सर्विस विभाग के अतिरिक्त सेबी से भी संपर्क किया जा सकता है !
BSE व् NSE की वेबसाइट पर ब्रोकरों की सूची उपलब्ध है ! इसके अलावा अलावा ब्रोकर भी अपनी जानकारियां अन्य माध्यमो एक ब्रोकर का चयन द्वारा प्रकाशित करवाते है ! लेकिन ब्रोकर का चयन करते समय उसका ट्रैक रिकॉर्ड अवश्य देखे ! आपके घर या ऑफिस के पास स्थित ब्रोकर आपके लिए सुविधाजनक होता है ! आजकल अनेक बैंक भी ब्रोकिंग का कारोबार कर रहे है ! इसलिए आप जिस बैंक में अपना डी – मेट अकाउंट खुलवा रहे है , यदि वह बैंक ब्रोकिंग कारोबार में भी है तो वही अपना ब्रोकिंग अकाउंट खुलवाना ठीक रहता है !
Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.
ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.
अपने मार्जिन पर ट्रेड करें
सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट एक ब्रोकर का चयन मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.
वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से एक ब्रोकर का चयन ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.
फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा
अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.
ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.
एक ब्रोकर का चयन
Written by Web Desk Team | Published :November 17, 2022 , 12:46 pm IST
महंगाई का मुकाबला करने के लिए, शेयर बाजारों और अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश और ट्रेडिंग पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. यदि आप अपनी गाढ़ी कमाई को केवल फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे ट्रेडिशनल फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (traditional financial instrument) में सेव करते हैं, तो आप अपने फाइनेंशियल गोल को पूरा करने से पीछे रह सकते एक ब्रोकर का चयन हैं.
एक बिगिनर के रूप में आपको शेयर बाजार चुनौतीपूर्ण लग सकता है, हालांकि हम आपको आश्वस्त करते हैं कि ऑनलाइन ट्रेडिंग सीखना बहुत आसान है. ऑनलाइन ट्रेडिंग के आने से पहले, जो व्यक्ति बॉन्ड, शेयर, या अन्य सिक्योरिटीज जैसे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट को खरीदना या बेचना चाहते थे, उन्हें अपनी ब्रोकरेज फर्मों से संपर्क करना पड़ता था और उन्हें उनकी ओर से लेनदेन की व्यवस्था करने के लिए कहना पड़ता था. इसके बाद, प्राइस चेक करने, कॉन्ट्रैक्ट वेरीफाई करने और अंत में ट्रेड की पुष्टि करने की एक लंबी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता था. हमें उस फीस को नहीं भूलना चाहिए जो ये ट्रेडिशनल ब्रोकर सर्विस के लिए मांगते थे. फिर आया डिस्काउंट ब्रोकर्स या ऑनलाइन ब्रोकर्स का युग, जिसने एक ब्रोकर का चयन खेल को पूरी तरह से बदल दिया. इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग जो पहले कुछ चुनिंदा लोगों के लिए विशेष रूप से उपलब्ध थी अब बहुत बड़ी संख्या में आम लोगों के लिए उपलब्ध कराया गया है.