चलती औसत तुलना

जबकि टेक में राजस्व और नौकरियां अल्पावधि में प्रभावित होंगी, और निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावना है, तकनीक उद्योग के लंबे समय तक बढ़ने की उम्मीद है।
दुनिया की आबादी हो गई 800 करोड़, कैसे पता चला? कोई मीटर लगा है या कुछ और
इंसानों की आबादी 800 करोड़ हो गई है। इससे पहले 2011 में 700 करोड़ आबादी हुई थी। यानी, महज 11 साल में ही दुनिया की आबादी 100 करोड़ बढ़ गई है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 2030 तक दुनिया की आबादी 850 करोड़, जबकि 2050 तक 970 करोड़ पहुंचने का अनुमान है।
नई दिल्ली। धरती पर इंसानों की आबादी 800 करोड़ होने जा रही है। इस साल जुलाई में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि 15 नवंबर तक आबादी 800 करोड़ हो जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि 2030 तक आबादी बढ़कर 850 करोड़ और 2050 तक 970 तक पहुंच जाएगी। वहीं, 2100 तक एक हजार करोड़ के पार जाने का अनुमान है।
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इससे पहले 2011 में दुनिया की आबादी 700 करोड़ हुई थी, जबकि 1998 में 600 करोड़। वहीं, 11 जुलाई 1987 को 500 करोड़। इसी कारण हर साल 11 जुलाई को 'विश्व जनसंख्या दिवस' भी मनाया जाता है।
लेकिन ये पता कैसे चलता है कि आबादी कितनी बढ़ गई है और कितनी बढ़ जाएगी? क्या इसका चलती औसत तुलना कोई मीटर लगा होता है जो लगातार आबादी को गिनता रहता है? या फिर कोई और तरीका है जिससे आबादी के घटने-बढ़ने का पता चलता है। तो इसका सीधा सा जवाब है- आंकड़ेबाजी और उसका खेल।
कैसे चलता है पता?
संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एक संस्था है जो आबादी का अनुमान लगाती है। इसका नाम है यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (UNFPA)। ये अलग-अलग देशों और इलाकों से जुड़े आंकड़े जुटाती है और उसके आधार पर आबादी का अनुमान लगाती है।
कम निवेश से कर सकते हैं शुरुआत
निफ्टी 50 ईटीएफ की खास बात यह है कि बहुत कम राशि से भी इसकी शुरुआत की जा सकती है. ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड करता है. इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं.
आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के विचलन (deviation) का एक पैमाना है – 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है. सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितनी कम होती है, उतना ही बेहतर रहता है.
बड़ी कंपनियों में होता है निवेश
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (market capitalization) के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इसलिए निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण (excellent diversification) प्रदान करता है. यह सूचकांक की राह चलती औसत तुलना पर चलता है. आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं. ऐसे में निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टाक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती बिंदु में से एक है.
एक विविध पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है. किसी स्टाक में निवेश करने के मामले में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि यहां बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव कंपनियों के एक बास्केट की तुलना में किसी एक स्टाक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है. निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक (underlying index) में उतार-चढ़ाव की नकल करेगा. केवल ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.
सस्ता होता है निवेश
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से (passively) ट्रैक करता है और इंडेक्स घटकों (constituents) में सीमित या कोई मंथन नहीं होता है, इसलिए लागत कम होती है. खर्च अनुपात या दूसरे शब्दों में, जो फंड चार्ज करते हैं, वह सिर्फ 2 से 5 आधार अंक (0.02-0.05%) है. एक आधार अंक प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है.
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश करके आप बहुत अधिक जोखिम उठाए बिना वर्षों तक बाजार की गतिशीलता ( market dynamics) को समझना शुरू कर सकते हैं. जब चलती औसत तुलना आप बाजारों को चलाने वाले विभिन्न कारकों से खुद से परिचय कराते हैं तो आप अपनी जोखिम लेने की क्षमता (risk appetite), लक्ष्य, समय सीमा और निवेश करने योग्य सरप्लस के आधार पर छोटे और मिडकैप शेयरों या म्यूचुअल फंड का पता लगा सकते हैं. इस प्रकार आप निफ्टी-50 ईटीएफ के जरिये बाजार में निवेश की यात्रा शुरू कर सकते हैं.
सिंगापुर टेक छंटनी भारतीयों को कैसे प्रभावित कर रही
सिंगापुर: फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने घोषणा की है कि वह लगभग 11,000 कर्मचारियों या अपने वैश्विक कर्मचारियों के 13 प्रतिशत की छंटनी कर रही है। यह 18 वर्षीय सोशल मीडिया दिग्गज के लिए पहला सामूहिक अतिरेक अभ्यास है।
सिंगापुर में इसके एशिया-प्रशांत मुख्यालय को भी नहीं बख्शा गया। मीडिया रिपोर्टों ने अनुमान लगाया कि यहां अनुमानित 1,000 कर्मचारियों में से, शायद 100 तक, प्रभावित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश सॉफ्टवेयर इंजीनियरों सहित तकनीकी कर्मचारी हैं।
2021 के सिंगापुर मिनिस्ट्री ऑफ मैनपावर के आंकड़ों के आधार पर, 177,100 रोजगार पास धारकों में से लगभग एक चौथाई या लगभग 45,000 भारत से हैं। रोजगार पास धारक उच्चतम योग्य विदेशी पेशेवर हैं जिन्हें देश में काम करने की अनुमति है और उन्हें प्रति माह कम से कम SGD 5,000 (USD 3,700) अर्जित करना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इनमें से कई न केवल मेटा की छंटनी से प्रभावित हैं बल्कि तकनीकी क्षेत्र में होने वाली अन्य अतिरेक से भी प्रभावित हैं।
PLI स्कीम- सरकार पब्लिक का पैसा कंपनियों को दे रही, लेकिन रोजगार कम पैदा हो रहा
मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) चलती औसत तुलना वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव स्कीम या PLI योजना को फार्मास्यूटिकल्स और मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में अभी रफ्तार पकड़नी बाकी है.
उन्होंने एक वेबिनार में एक बड़े डेटा का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि अप्रैल 2020 में आत्मनिर्भर भारत के तहत शुरू की गई इस योजना के जरिए कितना निवेश हुआ और कितने रोजगार पैदा किए गए. नागेश्वरन ने जिन सरकारी आंकड़ों की जानकारी दी, वह DPIIT यानी डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडसल्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग) ने जमा किए हैं. इनसे पता चलता है कि स्पेशलिटी स्टील, ऑटोमोबाइल, ड्रोन और व्हाइट गुड्स में अब तक कोई चलती औसत तुलना निवेश नहीं किया गया है.
सभी क्षेत्रों में कमजोर होती रोजगार की स्थिति
निवेश करने की मर्जी रखने वाले लोगों, या निवेश करने की मर्जी न रखने वाले लोगों को सार्वजनिक रूप से इनसेंटिव या टैक्सपेयर का पैसा देकर लुभाना, भारतीय अर्थव्यवस्था के सेहतमंद होने का सबूत नहीं है. सोचिए- सिर्फ दो क्षेत्रों में विकास दर्शाया गया. पहला फार्मास्यूटिकल है जिसमें सरकारी आंकड़ों के हिसाब से, निवेश की राशि लक्ष्य का 107% है, लेकिन यहां रोजगार सृजन सिर्फ 13% है.
मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग को भी अच्छा बताया गया. लेकिन आंकड़े इस दावे को झुठलाते हैं. जितना निवेश हुआ है, वह लक्ष्य का 38% है, लेकिन रोजगार? सरकार के अपने लक्ष्य का चलती औसत तुलना सिर्फ 4%.
PLI: आत्मनिर्भरता के लिए भारत का दांव
PLI योजनाओं के बारे में अप्रैल 2021 में सरकार ने दावा किया था- "एक आत्मनिर्भर भारत को हासिल करने के लिए सरकार की एक चलती औसत तुलना आधारशिला. इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना और इस क्षेत्र में ग्लोबल चैंपियन तैयार करना है. इन योजनाओं के पीछे रणनीति यह है कि भारत में बनने वाले उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर कंपनियों को आधार वर्ष के बाद प्रोत्साहन दिया जाएगा. उन्हें विशेष रूप से सनराइज़ और रणनीतिक क्षेत्रों में घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने, सस्ते आयात पर अंकुश लगाने और आयात की लागत को कम करने, घरेलू स्तर पर बनी वस्तुओं की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने और घरेलू क्षमता और निर्यात बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है.”
इस योजना के लक्ष्य का जिक्र फरवरी 2021 के बजट में भी था. बजट में 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. इसका मकसद, "राष्ट्रीय उत्पादन चैंपियंस बनाना और देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना" था. यह कहा गया था कि, "PLI योजनाओं के नतीजे के तौर पर भारत में पांच वर्षों में न्यूनतम उत्पादन 500 बिलियन USD से अधिक होने की उम्मीद है".
आज दुनिया की आबादी हो जाएगी 8 अरब, जानें चीन से कब आगे निकल जाएगा भारत? सबसे अधिक आबादी वाला बन जाएगा देश
संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या संभावना 2022 के अनुसार, 2023 में भारत चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। साथ ही, 15 नवंबर को दुनिया की आबादी 8 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। इस समय वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद से सबसे धीमी दर से बढ़ रही है, जो 2020 में 1 प्रतिशत कम हो गई थी।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, विश्व की जनसंख्या 2030 में लगभग 8.5 अरब और 2050 में 9.7 अरब तक बढ़ सकती है। 2080 के दशक में जनसंख्या लगभग 10.4 अरब के शिखर पर पहुंचने और 2100 तक वहीं रहने का अनुमान है।