इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या होता है? | ELSS Details in Hindi
भारत में इनकम टैक्स बचाने के कई तरीके हैं, जिनमें एक तरीका ELSS या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करने का भी है। लेकिन, ELSS को और उस पर टैक्स बचत को समझना थोड़ा मुश्किल काम है। इस लेख में हमने सरल भाषा में इन बातों को समझाने की कोशिश की है। इस लेख में हम जानेंगे कि टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या होते हैं? इनकी मदद से टैक्स बचत कैसे होती है? What is Tax Saving Mutual Funds? How to save tax with the help of it?
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या है | What is Tax Saving Mutual Fund
सबसे पहले तो हम स्पष्ट कर दें कि, ELSS यानी कि Equity Linked Saving Scheme को ही टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड कहते हैं। ये ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका अधिकांश हिस्सा (65% से अधिक), शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज मेें निवेश किया गया होता है। इनका कुछ हिस्सा ही fixed-income securities वगैरह में लगा होता है। इनका लॉक इन पीरियड 3 साल का होता है और इनमें निवेश किए गए पैसों पर सरकार Section 80 C के तहत टैक्स छूट देती है। इसलिए ELSS Mutual Funds को ही टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड कहते हैं।
उल्लेखनीय है कि, सेक्शन 80 C के तहत कई तरह के निवेश और खर्च आते हैं। जैसे कि EPF, PPF, NSC, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना, जीवन बीमा, ELSS वगैरह। इन सभी पर एक साल के दौरान 1.50 लाख रुपए तक के निवेश पर सरकार टैक्स छूट देती है।
इस लेख में, या इनकम टैक्स संबंधी किसी भी मामले में अगर ELSS का जिक्र आए तो उसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड ही समझिए। ये म्यूचुअल फंड क्या होते हैं? इसके बारे में विस्तार से जानकारी हमने अपने पिछले लेख (म्यूचुअल फंड क्या होता है? कितने प्रकार के होते हैं?) में दी है। टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या ELSS की मुख्य इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार विशेषताएं इस प्रकार हैं-
ये इक्विटी म्युचुअल फंड होते हैं
म्यूचुअल फंड एक ऐसी स्कीम होती है जिसमें ढेर सारे लोगों से पैसा collect करके invest किया जाता है। ये निवेश government bond, कंपनियों के fixed deposit, शेयर या फिर gold में हो सकता है। हर म्यूचुअल फंड स्कीम का एक fund manager होता है। यही शख्स तय करता है कि फंड का पैसा कहां लगाना है और कब निकाल लेना है।
जब किसी म्यूचुअल फंड स्कीम का पैसा ज्यादातर शेयरों में लगाया जाता है तो उसे Equity Mutual Fund माना जाता है। दरअसल इक्विटी का मतलब शेयर ही होता है। तो ऐसी ही सैकड़ों इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमें काम कर रही हैं और लोग उनमें अपना-अपना पैसा डालते हैं।
Tax Saving Mutual Fund भी ऐसी ही इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं। यानी ये स्कीम भी शेयरों में ही निवेश करती हैं। जी हां, शेयरों में निवेश के चलते ही आपको tax deduction का फायदा मिलता है।
ये म्यूचुअल फंड ज्यादातर बड़ी कंपनियों के शेयर ही खरीदते हैं। हालांकि इन पर कोई बंधन नहीं होता है लेकिन बड़ी कंपनियों में नुकसान की गुंजाइश कम होती है।
बेहतर कमाई की संभावना होती है
अब आप इस बात को तो समझते ही होंगे कि देश सभी अमीर लोगों ने उद्योग लगाकर ही पैसा बनाया है। दरअसल industry ही आज के जमाने में सबसे तेजी से grow करने का तरीका है। और ये शेयर बाजार आपको भी ऐसी ही इंडस्ट्री में पैसा लगाने का मौका देता है। शायद आप इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार नहीं जानते हों कि 1980 से लेकर आज तक शेयर बाजार ने औसतन 15% सालाना का return दिया है।
चूंकि आपका टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी शेयरों में ही निवेश करता है इसलिए इसमें से भी सबसे ज्यादा पैसा बनने की संभावना है। पिछले 15 साल में इन funds ने average 21% सालाना का return दिया है। अब इतनी कमाई कहीं और तो होती नहीं है। Gold हो या Property लंबे वक्त में ये सभी शेयरों को रिटर्न के सामने हार गए हैं।
इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके tax saving investment से सबसे ज्यादा कमाई हो तो टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड यानी ELSS में पैसे लगाएं।
SIP के जरिए किस्तों में भी निवेश कर सकते हैं
Tax Saving Fund हो या फिर कोई दूसरा म्यूचुअल फंड, ये सभी SIP की सुविधा देते हैं। SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका है। इस तरीके में आप एक ‘निश्चित रकम’ (Fixed Amount) एक ‘निश्चित अंतराल’ (Fixed Interval) पर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। आम तौर पर ये निश्चित अंतराल एक महीना का होता है।
जब आप एक तय रकम किसी एक म्यूचुअल फंड स्कीम में हर महीने की किसी एक तारीख को लगाएंगे तो ये SIP माना जाएगा। SIP का फुल फॉर्म है Systematic Investment Plan। इसके फुल फॉर्म को जानने से कुछ चीजें और साफ हो गईं होंगी। आजकल तो SIP का तरीका चुनने पर पैसा आपके खाते से हर महीने अपने आप कट जाता है। इससे आपको और म्यूचुअल फंड कंपनी दोनों को सुविधा हो जाती है।
SIP के तरीके से निवेश करने पर एक फायदा और होता है। हर महीने आपको म्यूचुअल फंड की यूनिट अलग-अलग भावों पर मिलती है। कभी भाव ऊंचा होता है तो कभी नीचा। ऐसे में कुल मिलाकर आप एक औसत भाव में म्यूचुअल फंड की यूनिट्स पाने में कामयाब रहते हैं। यानी आपको बाजार के उतार-चढ़ाव की फिक्र नहीं करनी होती है। दरअसल एसआईपी बैंक के recurring deposit की तरह होती है बस इसमें खरीदी जाने वाली इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार यनिट्स की संख्या कम ज्यादा होती रहती है।
लेकिन, तीन साल तक पैसा नहीं निकाल सकते
अभी तक मैंने आपके टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के फायदे बताए हैं। आइए अब बता देते हैं कि फूल के साथ कांटे भी हैं। दरअसल सरकार ने इन फंड्स को tax deduction benefit एक शर्त के साथ दिया है। और वो शर्त है तीन साल के लिए पैसे पर ताला। अगर आपने इस फंड में पैसा लगा दिया है तो तीन साल के लिए भूल जाइए। इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार फिर ये पैसा आप तीन साल से पहले किसी भी कीमत पर नहीं निकाल सकते हैं।
क्या? आपको तीन साल Lock-in की ये शर्त बड़ी मुश्किल लग रही है? जनाब, ये सभी Tax Saving Options में सबसे छोटा लॉक-इन है। बीमा, एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी, पीपीएफ, ईपीएफ सबमें लॉक-इन पांच साल या उससे ज्यादा है।
Note: जब आप ELSS में एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं तो हर मासिक किस्त एक अलग निवेश मानी जाती है। और इसीलिए हर किस्त पर अलग से तीन साल का लॉक इन लगता है।
शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम जुड़े होते हैं
शेयर का नाम सुनते ही बहुत से लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। गुजरात, कोलकाता और मुंबई को छोड़ दें तो ज्यादातर जगहों पर लोग शेयर बाजार को सट्टा बाजार जैसा ही समझते हैं। लेकिन ऐसी बात नहीं है। दुनिया भर में ज्यादातर investor और pensioner अपना पैसा शेयरों में ही लगाते हैं।
ये बात सही है कि शेयर बाजार की चाल बेढंगी है। इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार ये कभी आसमान छूता है तो कभी पाताल में गोते लगाता है। ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जिन्होने शेयर बाजार में अपना सबकुछ गंवा दिया है। कई दफा तो लोगों का मूलधन (capital) भी नाम-मात्र का ही बचता है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब लोग बिना तैराकी सीखे ही इस समंदर में कूद जाते हैं।
अब आप कहेंगे कि ‘शेयर बाजार में तैरने की कला मैं नहीं सीख सकता’। दरअसल इसकी जरूरत भी नहीं है। म्यूचुअल फंड का मैनेजर आपका पैसा लेकर इस समंदर में तैरेगा और पैसे बनाएगा। म्यूचुअल फंड का concept ही यही है।
लेकिन ये सच है कि शेयर बाजार में जब तूफान आता है तो सबको नुकसान होता है। लेकिन बाद में मौसम बेहतर भी होता है और एक बार फिर लोग इसमें से ढेर सारा पैसा बनाते हैं।
निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में टैक्स की सबसे बड़ी बचत सेक्शन 80सी (Section 80C) की वजह से होती है। इनकम इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार टैक्स एक्ट के इस सेक्शन में उन निवेश और खर्चों का उल्लेख है जिनमें पैसा लगाकर आप टैक्स बचा सकते हैं। नियम के मुताबिक आप इन स्कीमों में जितना पैसा लगाएंगे उतना पैसा आपकी taxable income से घटा दिया जाएगा। अब टैक्सेबल इनकम घटेगी तो टैक्स अपने आप बच जाएगा। सेक्शन 80सी के तहत आप कुल 1.50 लाख रुपए तक की रकम को टैक्सेबल इनकम से घटवा सकते हैं। सेक्शन 80 C की छूट किन-किन स्कीमों पर लागू है, इसेके बारे में विस्तार से जानने के लिए देखें हमारा लेख- सेक्शन 80 C क्या है? इससे टैक्स बचत कैसे होती है?
तो दोस्तों ये थी ELSS या म्यूचुअल फंड के बारे जरूरी जानकारी। रुपयों-पैसों से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-
Focused Fund- फोकस्ड फंड
क्या होता है फोकस्ड फंड?
फोकस्ड फंड (Focused Fund) म्यूचुअल फंड निवेश का एक वर्ग होता है, जिसमें स्टॉक के छोटे प्रकार शामिल होते हैं। इस निवेश स्कीम के साथ, फंड विभिन्न इक्विटी पोजिशनों इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार के विविध मिक्स्चर की जगह केवल कुछ क्षेत्रों के सीमित वैरिएशन में केंद्रित होते हैं। ये फंड अधिकतर अपनी पोजिशन लगभग 20-30 कंपनियों में होल्ड करते हैं, जबकि अन्य फंड 100 से अधिक कंपनियों में अपनी पोजिशन होल्ड करते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार स्टॉक खरीदने के लिए सीमित संख्या में कंपनियों को चुनने के मैनडेट के कारण इन फंडों को ‘सर्वश्रेष्ठ आइडिया फंड' के नाम से भी जाना जाता है। फोकस्ड इक्विटी फंड निवेश आम तौर पर वरिष्ठ निवेशकों तथा उच्च जोखिम लेने वाले व्यक्तियों के लिए होते हैं।
फोकस्ड फंड का क्या उद्देश्य है?
साधारण म्युचुअल फंडों में निवेश करने के मुख्य लाभों में इक्विटी निवेशों में विविधता को बढ़ाना है। अधिकांश म्युचुअल फंड बड़ी संख्या में ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं जिनमें प्रत्येक सिक्योरिटी को चुनने के झंझट से निवेशकों को बचाने के लिए पूर्व-निर्धारित भारांक होते हैं। अब जहां यह विविधीकरण जोखिमों और अस्थिरता को कम करने के जरिए निवेशकों को उनके रिटर्न को अधिकतम बनाने में सहायता करता है, वहीं वे कुछ कमियां भी प्रस्तुत कर सकते हैं। उदाहरण के लिए जब निवेश विभिन्न सेक्टरों और कंपनियों में फैला रहता है, उनसे प्राप्त रिटर्न भी सीमित हो सकता है क्योंकि सभी कंपनियों का प्रदर्शन एक ही समय बहुत अच्छा नहीं हो सकता। फोकस्ड म्यूचुअल फंडों का मुख्य उद्देश्य सावधानीपूर्वक शोध किए गिए गए इक्विटी और डेट फंडों की सीमित संख्या के बीच अपनी होल्डिंग्स को आवंटित करना है।
भले ही ये फंड वैसे लाभ प्रस्तुत नहीं करते जो फंडों के विविधीकरण के साथ आता है, वे उन लाभों पर भरोसा करते हैं जो सावधानीपूर्वक शोध किए गिए गए स्टॉक के साथ आते हैं। इस प्रकार, इन फंडों से रिटर्न को अधिक अस्थिर समझा जाता है। वे म्युचुअल फंडों की तुलना में अधिक जोखिम भरे होते हैं जो बड़ी संख्या में स्टॉक में निवेश करते हैं लेकिन वे उच्च रिटर्न भी प्रदान करते हैं। उन्हें ‘कंसंट्रेटेड फंड' या ‘अंडर-डायवर्सिफायड' फंड के नाम से भी जाना जाता है।
गजब का म्यूचुअल फंड: ₹10,000 मासिक SIP को बना दिया ₹9.39 करोड़, ₹46800 टैक्स बचत भी कराता है
टैक्स-बचत विकल्प इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक प्रकार का इक्विटी फंड है और यह एकमात्र म्यूचुअल फंड है, जिसमें आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है।
Mutual Fund: टैक्स-बचत विकल्प इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक प्रकार का इक्विटी फंड है और यह एकमात्र म्यूचुअल फंड है, जिसमें आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है। इसके अलावा ईएलएसएस फंड विविध इक्विटी फंड हैं जो लार्ज, मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों सहित कई मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश करते हैं। यही वजह है कि इस फंड को काफी पंसद किया जाता है।
फाइनेंस एक्सपर्ट इस फंड में लंबे समय तक निवेश को बनाए रखने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि लाॅन्ग टर्म में यह फंड हाई रिटर्न देने की क्षमता रखता है। आपको बता दें कि ईएलएसएस फंड (equity-linked savings scheme (ELSS)) से टैक्सपेयर्स सालाना 46,800 रुपये तक की बचत कर सकते हैं। यहां, हमने एचडीएफसी टैक्ससेवर फंड को एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया है, जिसने अपनी स्थापना के 26 साल पूरे कर लिए हैं और इसके निवेशक करोड़पति बन गए हैं।
एचडीएफसी टैक्ससेवर फंड
HDFC Taxsaver Fund को 31 मार्च, 1996 को लॉन्च किया गया। यानी एचडीएफसी टैक्ससेवर फंड रेगुलर प्लान-ग्रोथ ऑप्शन को अब लगभग 26 साल हो गए हैं। 31 मार्च, 2022 तक, फंड ने 21.27% के एसआईपी रिटर्न दिया है। फंड की स्थापना के बाद से एचडीएफसी टैक्ससेवर में किए गए ₹10,000 के मासिक निवेश यानी ₹31.20 लाख का कुल निवेश 31 मार्च, 2022 तक ₹9.39 करोड़ बन गया।
निवेशकों को तगड़ा रिटर्न
फंड ने 31 मार्च, 2022 तक 26.05% का 1 साल का रिटर्न दिया है, जो 22.29% के बेंचमार्क परफार्मेंस से अधिक है। पिछले तीन सालों में 11.64% का रिटर्न और पिछले पांच वर्षों इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार में 9.44% का रिटर्न दिया है। फंड की स्थापना के बाद से, इसने 22.24% का वार्षिक रिटर्न दिया है, जो 14.25% के बेंचमार्क प्रदर्शन से अधिक है, इसलिए फंड के शुरुआती चरण से किए गए 10,000 रुपये का निवेश इस समय ₹1,857,705 होता।
म्यूचुअल फंड के रिटर्न पर कैसे लगता है टैक्स?
म्यूचुअल फंड में निवेश से अच्छा रिटर्न मिल सकता है. लेकिन, इसमें टैक्स के पहलुओं को भी समझना महत्वपूर्ण है. म्यूचुअल फंड में निवेश से किसी को दो प्रकार की इनकम होती है. पहली है डिविडेंड और दूसरी है कैपिटल गेंस/लॉस. दोनों मामलों में टैक्स अलग-अलग तरह से लगता है. स्कीम के प्रकार पर भी टैक्स निर्भर करता है. इसमें देखा जाता है इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार कि स्कीम इक्विटी है या नॉन-इक्विटी. इसके अलावा निवेश को होल्ड करने की अवधि से भी तय होता है कि टैक्स कितना लगेगा.
डिविडेंड इनकम
तमाम लोग डिविडेंड इनकम के लिए डिविडेंड ऑप्शन में निवेश करते हैं. यह इनकम टैक्स-फ्री होती है. हालांकि, इसमें डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) लगता है. डिविडेंड का एलान करते वक्त फंड हाउस इसका भुगतान करता है. इक्विटी फंडों के मामले में डीडीटी 10 फीसदी प्लस सरचार्ज और सेस होता है. नॉन-इक्विटी स्कीमों के लिए लागू टैक्स करदाता पर निर्भर करता है.
कैपिटल गेन- इक्विटी फंड
म्यूचुअल फंड निवेश की बिक्री पर होने वाले मुनाफे को कैपिटल गेन कहा जाता है. इक्विटी स्कीमों के लिए अगर निवेश को 12 महीने या कम समय तक रखा जाता है तो उसे शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस कहते हैं. इस पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. अगर निवेश को 12 महीनों से ज्यादा समय के लिए रखा जाता है तो उससे होने वाले मुनाफे को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) कहा जाता इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार है. इस पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. यह टैक्स एक साल में एक लाख रुपये से ज्यादा के एलटीसीजी पर लगता है.
कैपिटल गेन - नॉन-इक्विटी
नॉन-इक्विटी स्कीमों के मामले में अगर निवेश को 36 महीने या इससे कम समय के लिए रखा जाता है तो उसे शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस कहते हैं. इस पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. अगर निवेश को 36 महीने से ज्यादा समय के लिए रखा जाता है तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है. इस पर उसी हिसाब से टैक्स लगता है कि जिस स्लैब में निवेशक आता है.
इंडेक्सेशन बेनिफिट
नॉन-इक्विटी स्कीमों के लिए एलटीसीजी के मामले में निवेशक इंडेक्सेशन का फायदा ले सकते हैं. इंडेक्सेशन का मतलब खरीद मूल्य को दोबारा कैलकुलेट करने से है. इस प्रक्रिया में खरीद मूल्य में इनफ्लेशन को अडजस्ट किया जाता है. इससे कैपिटल गेंस घट जाते हैं. इससे टैक्स देनदारी कम हो जाती है.
किन बातों रखें ध्यान
1-नोटिफाइड इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीमों में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. हालांकि, इन स्कीमों में 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है. 2-सिप के मामले में सिप की हर किस्त को अलग निवेश के तौर पर लिया जाता है. होल्डिंग पीरियड निवेश की तारीख से मानी जाती है.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या होता है? | ELSS Details in Hindi
भारत में इनकम टैक्स बचाने के कई तरीके हैं, जिनमें एक तरीका ELSS या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करने का भी है। लेकिन, ELSS को और उस पर टैक्स बचत को समझना थोड़ा मुश्किल काम है। इस लेख में हमने सरल भाषा में इन बातों को समझाने की कोशिश की है। इस लेख में हम जानेंगे कि टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या होते हैं? इनकी मदद से टैक्स बचत कैसे होती है? What is Tax Saving Mutual Funds? How to save tax with the help of it?
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड क्या है | What is Tax Saving Mutual Fund
सबसे पहले तो हम स्पष्ट कर दें कि, ELSS यानी कि Equity Linked Saving Scheme को ही टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड कहते हैं। ये ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका अधिकांश हिस्सा (65% से अधिक), शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज मेें निवेश किया गया होता है। इनका कुछ हिस्सा ही fixed-income securities वगैरह में लगा होता है। इनका लॉक इन पीरियड 3 साल का होता है और इनमें निवेश किए गए पैसों पर सरकार Section 80 C के तहत टैक्स छूट देती है। इसलिए ELSS Mutual Funds को ही टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड कहते हैं।
उल्लेखनीय है कि, सेक्शन 80 C के तहत कई तरह के निवेश और खर्च आते हैं। जैसे कि EPF, PPF, NSC, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना, जीवन बीमा, ELSS वगैरह। इन सभी इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार पर एक साल के दौरान 1.50 लाख रुपए तक के निवेश पर सरकार टैक्स छूट देती है।
इस लेख में, या इनकम टैक्स संबंधी किसी भी मामले में अगर ELSS का जिक्र आए तो उसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड ही समझिए। ये म्यूचुअल फंड क्या होते हैं? इसके बारे में विस्तार से जानकारी हमने अपने पिछले लेख (म्यूचुअल फंड क्या होता है? कितने प्रकार के होते हैं?) में दी है। टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या ELSS की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
ये इक्विटी म्युचुअल फंड होते हैं
म्यूचुअल फंड एक ऐसी स्कीम होती है जिसमें ढेर सारे लोगों से पैसा collect करके invest किया जाता है। ये निवेश government bond, कंपनियों के fixed deposit, शेयर या फिर gold में हो सकता है। हर म्यूचुअल फंड स्कीम का एक fund manager होता है। यही शख्स तय करता है कि फंड का पैसा कहां लगाना है और कब निकाल लेना है।
जब किसी म्यूचुअल फंड स्कीम का पैसा ज्यादातर शेयरों में लगाया जाता है तो उसे Equity Mutual Fund माना जाता है। दरअसल इक्विटी का मतलब शेयर ही होता है। तो ऐसी ही सैकड़ों इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमें काम कर रही हैं और लोग उनमें अपना-अपना पैसा डालते हैं।
Tax Saving Mutual Fund भी ऐसी ही इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं। यानी ये स्कीम भी शेयरों में ही निवेश करती हैं। जी हां, शेयरों में निवेश के चलते ही आपको tax deduction का फायदा मिलता है।
ये म्यूचुअल फंड ज्यादातर बड़ी कंपनियों के शेयर ही खरीदते हैं। हालांकि इन पर कोई बंधन नहीं होता है लेकिन बड़ी कंपनियों में नुकसान की गुंजाइश कम होती है।
बेहतर कमाई की संभावना होती है
अब आप इस बात को तो समझते ही होंगे कि देश सभी अमीर लोगों ने उद्योग लगाकर ही पैसा बनाया है। दरअसल industry ही आज के जमाने में सबसे तेजी से grow करने का तरीका है। और ये शेयर बाजार आपको भी ऐसी ही इंडस्ट्री में पैसा लगाने का मौका देता है। शायद आप नहीं जानते हों कि 1980 से लेकर आज तक शेयर बाजार ने औसतन 15% सालाना का return दिया है।
चूंकि आपका टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी शेयरों में ही निवेश करता है इसलिए इसमें से भी सबसे ज्यादा पैसा बनने की संभावना है। पिछले 15 साल में इन funds ने average 21% सालाना का return दिया है। अब इतनी कमाई कहीं और तो होती नहीं है। Gold हो या Property लंबे वक्त में ये सभी शेयरों को रिटर्न के सामने हार गए हैं।
इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके tax saving investment से सबसे ज्यादा कमाई हो तो टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड यानी ELSS में पैसे लगाएं।
SIP के जरिए किस्तों में भी निवेश कर सकते हैं
Tax Saving Fund हो या फिर कोई दूसरा म्यूचुअल फंड, ये सभी SIP की सुविधा देते हैं। SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका है। इस तरीके में आप एक ‘निश्चित रकम’ (Fixed Amount) एक ‘निश्चित अंतराल’ (Fixed Interval) पर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। आम तौर पर ये निश्चित अंतराल एक महीना का होता है।
जब आप एक तय रकम किसी एक म्यूचुअल फंड स्कीम में हर महीने की किसी एक तारीख को लगाएंगे तो ये SIP माना जाएगा। SIP का फुल फॉर्म है Systematic Investment Plan। इसके फुल फॉर्म को जानने से कुछ चीजें और साफ हो गईं होंगी। आजकल तो SIP का तरीका चुनने पर पैसा आपके खाते से हर महीने अपने आप कट जाता है। इससे आपको और म्यूचुअल फंड कंपनी दोनों को सुविधा हो जाती है।
SIP के तरीके से निवेश करने पर एक फायदा और होता है। हर महीने आपको म्यूचुअल फंड की यूनिट अलग-अलग भावों पर मिलती है। कभी भाव ऊंचा होता है तो कभी नीचा। ऐसे में कुल मिलाकर आप एक औसत भाव में म्यूचुअल फंड की यूनिट्स पाने में कामयाब रहते हैं। यानी आपको बाजार के उतार-चढ़ाव की फिक्र नहीं करनी होती है। दरअसल एसआईपी बैंक के recurring deposit की तरह होती है बस इसमें खरीदी जाने वाली यनिट्स की संख्या कम ज्यादा होती रहती है।
लेकिन, तीन साल तक पैसा नहीं निकाल सकते
अभी तक मैंने आपके टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के फायदे बताए हैं। आइए अब बता देते हैं कि फूल के साथ कांटे भी हैं। दरअसल सरकार ने इन फंड्स को tax deduction benefit एक शर्त के साथ दिया है। और वो शर्त है तीन साल के लिए पैसे पर ताला। अगर आपने इस फंड में पैसा लगा दिया है तो तीन साल के लिए भूल जाइए। फिर ये पैसा आप तीन साल से पहले किसी भी कीमत पर नहीं निकाल सकते हैं।
क्या? आपको तीन साल Lock-in की ये शर्त बड़ी मुश्किल लग रही है? जनाब, ये सभी Tax Saving Options में सबसे छोटा लॉक-इन है। बीमा, एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी, पीपीएफ, ईपीएफ सबमें लॉक-इन पांच साल या उससे ज्यादा है।
Note: जब आप ELSS में एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं तो हर मासिक किस्त एक अलग निवेश मानी जाती है। और इसीलिए हर किस्त पर अलग से तीन साल का लॉक इन लगता है।
शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम जुड़े होते हैं
शेयर का नाम सुनते ही बहुत से लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। गुजरात, कोलकाता और मुंबई को छोड़ दें तो ज्यादातर जगहों पर लोग शेयर बाजार को सट्टा बाजार जैसा ही समझते हैं। लेकिन ऐसी बात नहीं है। दुनिया भर में ज्यादातर investor और pensioner अपना पैसा शेयरों में ही लगाते हैं।
ये बात सही है कि शेयर बाजार की चाल बेढंगी है। ये कभी आसमान छूता है तो कभी पाताल में गोते लगाता है। ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जिन्होने शेयर बाजार में अपना सबकुछ गंवा दिया है। कई दफा तो लोगों का मूलधन (capital) भी नाम-मात्र का ही बचता है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब लोग बिना तैराकी सीखे ही इस समंदर में कूद जाते हैं।
अब आप कहेंगे कि ‘शेयर बाजार में तैरने की कला मैं नहीं सीख सकता’। दरअसल इसकी जरूरत भी नहीं है। म्यूचुअल फंड का मैनेजर आपका पैसा लेकर इस समंदर में तैरेगा और पैसे बनाएगा। म्यूचुअल फंड का concept ही यही है।
लेकिन ये सच है कि शेयर बाजार में जब तूफान आता है तो सबको नुकसान होता है। लेकिन बाद में मौसम बेहतर भी होता है और एक बार फिर लोग इसमें से ढेर सारा पैसा बनाते हैं।
निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में टैक्स की सबसे बड़ी बचत सेक्शन 80सी (Section 80C) की वजह से होती है। इनकम टैक्स एक्ट के इस सेक्शन में उन निवेश और खर्चों का उल्लेख है जिनमें पैसा लगाकर आप टैक्स बचा सकते हैं। नियम के मुताबिक आप इन स्कीमों में जितना पैसा लगाएंगे उतना पैसा आपकी taxable income से घटा दिया जाएगा। अब टैक्सेबल इनकम घटेगी तो टैक्स अपने आप बच जाएगा। सेक्शन 80सी के तहत आप कुल 1.50 लाख रुपए तक की रकम को टैक्सेबल इनकम से घटवा सकते हैं। सेक्शन 80 C की छूट किन-किन स्कीमों पर लागू है, इसेके बारे में विस्तार से जानने के लिए देखें हमारा लेख- सेक्शन 80 C क्या है? इससे टैक्स बचत कैसे होती है?
तो दोस्तों ये थी ELSS या म्यूचुअल फंड के बारे जरूरी जानकारी। रुपयों-पैसों से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-