पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है

40 फीसदी की एन्युटी खरीदना जरूरी
सेवानिवृत्ति पर एनपीएस फंड से 60 फीसदी राशि एकमुश्त ले सकते हैं, लेकिन कम से कम 40 फीसदी राशि की एन्युटी खरीदना जरूरी होगा। इसी राशि के ब्याज से हर महीने पेंशन मिलती है। आप चाहें तो एन्युटी की पूरी राशि भी बाद में निकाल सकते हैं। पेंशन धारक की मृत्यु होने पर यह राशि नॉमिनी को मिल जाती है।
-संदीप जैन, निदेशक, ट्रेडस्विफ्ट
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –
- इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
- इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
- हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
- डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
काम की बात: एनपीएस में थोड़े जोखिम से बना सकते हैं ज्यादा पैसे
सेवानिवृत्ति के बाद की चिंता हर नौकरीपेशा को रहती है। इसके लिए वह अलग-अलग विकल्पों में निवेश करता है। एनपीएस इस दिशा में सबसे कारगर विकल्प माना जाता है, लेकिन यहां भी जोखिम और सुरक्षित निवेश के दो रास्ते होते हैं। अपनी उम्र और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर आप थोड़े निवेश से किस तरह भविष्य के लिए बड़ी पूंजी बना सकते हैं, पढ़ें प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट.
वित्तीय समझ है तो खुद बनाएं पोर्टफोलियो
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस सेवानिवृत्ति के बाद न सिर्फ एकमुश्त मोटी रकम दिलाता है, बल्कि हर महीने वेतन की तरह खर्च के लिए राशि भी देता है। यहां निवेश की गई राशि शेयर बाजार, सरकारी प्रतिभूतियों, कॉरपोरेट डेट फंड और रियल एस्टेट, कमोडिटी, हेज डेरिवेटिव जैसे अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) में लगाई जाती है। अगर आप वित्तीय मामलों की समझ रखते हैं, तो अपने एनपीएस का पोर्टफोलियो खुद बनाएं।
विस्तार
सेवानिवृत्ति के बाद की चिंता हर नौकरीपेशा को रहती है। इसके लिए वह अलग-अलग विकल्पों में निवेश करता है। एनपीएस इस दिशा में सबसे कारगर विकल्प माना जाता है, लेकिन यहां भी जोखिम और सुरक्षित निवेश के दो रास्ते होते हैं। अपनी उम्र और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर आप थोड़े निवेश से किस तरह भविष्य के लिए बड़ी पूंजी बना सकते हैं, पढ़ें प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट.
वित्तीय समझ है तो खुद बनाएं पोर्टफोलियो
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस सेवानिवृत्ति के बाद न सिर्फ एकमुश्त मोटी रकम दिलाता है, बल्कि हर महीने वेतन की तरह पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है खर्च के लिए राशि भी देता है। यहां निवेश की गई राशि शेयर बाजार, पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है सरकारी प्रतिभूतियों, कॉरपोरेट डेट फंड और रियल एस्टेट, कमोडिटी, हेज डेरिवेटिव जैसे अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) में लगाई जाती है। अगर आप वित्तीय मामलों की समझ रखते हैं, तो अपने एनपीएस का पोर्टफोलियो खुद बनाएं।
18 लाख निवेश पर 94 लाख का ब्याज
आप 30 साल की उम्र में एनपीएस खाता खोलते हैं और सेवानिवृत्ति (60 साल) तक 5 हजार रुपये हर महीने निवेश करते हैं, तो 30 साल में एनपीएस के तहत कुल निवेश की गई रकम 18 लाख रुपये होगी।
इस पर सालाना 10 फीसदी का औसत ब्याज लगाया जाए, तो कुल फंड 1 करोड़ 11 लाख 98 हजार 471 रुपये होगा। यानी आपने 93 लाख 98 हजार 471 रुपये ब्याज के रुपये में अर्जित किए। इसके अलावा 5.40 लाख रुपये की बचत टैक्स के रूप में भी होगी। इसे भी रिटर्न में जोड़ें तो करीब 1 करोड़ का फायदा होगा।
सालाना 2 लाख रुपये तक कर मुक्त निवेश
एनपीएस में कर मुक्त निवेश के भी दो विकल्प मिलते हैं। पहला आप आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख की पूरी रकम यहां लगा सकते हैं। दूसरा, 80 सीसीडी (1बी) के तहत 50 हजार का अतिरिक्त निवेश एनपीएस में किया जा सकता है, जो कर मुक्त होगा। 60 साल के बाद इससे मिलने वाले रिटर्न पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है। हालांकि, अगर आप बीच में ही खाता बंद कराते हैं, तो निकासी पर आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा।
अपने पोर्टफोलियो को किस आधार पर रीबैलेंस करना चाहिए? | How to Rebalance Your Portfolio?
How to Rebalance Your Portfolio?: Today we are going to talk about one such thing which is one of the very important tools for risk management and it is called Portfolio Rebalancing. So let's learn how to rebalance portfolio? (How to Rebalance Your Portfolio?)
How to Rebalance Your Portfolio?: अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करना यह सुनिश्चित करने के प्रमुख कार्यों में से एक है कि आपका निवेश मिश्रण आपके लॉन्ग टर्म के लक्ष्यों के अनुरूप है। लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आपके पोर्टफोलियो को Rebalance करने के तरीके क्या हैं और सबसे बढ़कर, ट्रिगर क्या हैं? पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कैसे करें? (How to Rebalance Portfolio?) और पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग स्ट्रैटेजी क्या हैं? हमें पहले Portfolio Rebalancing के ट्रिगर्स को समझना होगा और फिर समझना होगा कि वास्तव में पोर्टफोलियो को कैसे रीबैलेंस किया जाए। आइए आपके पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने के 5 स्मार्ट तरीके देखें।
गलती खोजना
ट्रैकिंग त्रुटि एक पोर्टफोलियो के रिटर्न और उसके बेंचमार्क के बीच अंतर का एक उपाय है। ट्रैकिंग त्रुटि को कभी-कभी सक्रिय जोखिम कहा जाता है। यह संख्या जितनी कम होगी, बेहतर है, यदि ट्रैकिंग त्रुटि अधिक है तो फंड मैनेजर ने जोखिम का सही स्तर नहीं लिया है, यह अधिक या कम प्रदर्शन की परवाह किए बिना है। ट्रैकिंग त्रुटि ज्यादातर पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है निष्क्रिय निवेश वाहनों से जुड़ी होती है।
यह पता लगाने के लिए कि कौन सा फंड सबसे अच्छा ट्रैक करता है aआधारभूत सूचकांक, हम फंड की ट्रैकिंग त्रुटि की गणना कर सकते हैं।
ट्रैकिंग त्रुटि फॉर्मूला
ट्रैकिंग त्रुटि को मापने के दो तरीके हैं-
पहला है बेंचमार्क के संचयी रिटर्न को पोर्टफोलियो के रिटर्न से घटाना, इस प्रकार है:
कहा पे: p = पोर्टफोलियो i = इंडेक्स या बेंचमार्क
हालांकि, दूसरा तरीका अधिक सामान्य है, जो कि गणना करना हैमानक विचलन समय के साथ पोर्टफोलियो और बेंचमार्क रिटर्न में अंतर।
दूसरी विधि का सूत्र है:
ट्रैकिंग त्रुटि निवेशकों के लिए यह जानने का एक महत्वपूर्ण उपाय है कि पोर्टफोलियो कितनी अच्छी तरह सूचकांक की नकल कर रहा है।
ट्रैकिंग त्रुटि का निर्धारण करने वाले कारक
पोर्टफोलियो की ट्रैकिंग त्रुटि को निर्धारित करने वाले कई कारक हैं:
- में मतभेदमंडी पूंजीकरण, निवेश शैली, समय और पोर्टफोलियो की अन्य मूलभूत विशेषताएं और बेंचमार्क
- जिस हद तक पोर्टफोलियो और बेंचमार्क में प्रतिभूतियां समान हैं
- पोर्टफोलियो और बेंचमार्क के बीच परिसंपत्तियों के भार में अंतर
- बेंचमार्क की अस्थिरता
- प्रबंधन शुल्क, ब्रोकरेज लागत, हिरासत शुल्क और पोर्टफोलियो को प्रभावित करने वाले अन्य खर्च जो बेंचमार्क को प्रभावित नहीं करते हैं
- पोर्टफोलियो काबीटा
इसके अलावा, पोर्टफोलियो मैनेजर को निवेशकों से नकदी की आमद और बहिर्वाह एकत्र करना चाहिए, जो उन्हें समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करने के लिए मजबूर करता है। इसमें अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष लागत भी शामिल है।
क्या है म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो टर्नओवर पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है रेशियो, आपके निवेश पर कितना असर डालता है ये?
- Paurav Joshi
- Publish Date - November 16, 2021 / 03:56 PM IST
एक लो टर्नओवर रेशियो बताता है कि फंड मैनेजर अपनी स्टॉक खरीद के बारे में आश्वस्त है और लंबी अवधि के लिए इसे होल्ड करता है.
जब आप किसी म्यूच्युअल फंड में निवेश करते हैं तो आप देखते हैं कि उसके 1 साल या 5 साल के रिटर्न कैसे हैं. फंड का एक्सपेंस रेशियो कैसा है. फंड मैनेजर कौन है वगैरह. लेकिन, क्या आपने ध्यान दिया है कि जिस स्कीम में आप निवेश कर रहे हैं उस पोर्टफोलियो में कब-कब बदलाव हुए हैं. किसी भी फंड का पोर्टफोलियो एकसमान नहीं होता वो बदलता रहेता है. टर्नओवर रेशियो आपको ये बताता है कि पिछले एक साल में म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलियो कितना बदला है.