व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक

40 हजार टन से ज्यादा अनार का निर्यात
अब कोई नहीं कह सकेगा कि एक अनार और सौ बीमार क्योंकि इस साल अनार की अच्छी फसल .
सरकारी सहयोग नहीं
इस संदर्भ में एक अन्य फल व्यापारी सर्जेराव मोहिते ने बताया कि अंगूर निर्यात की ही तरह अनार के निर्यात के लिए भी राज्य सरकार की तरफ से इसके पंजीकरण की योजना स्वीकार नहीं की गई है। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि अधिकृत तौर पर यह पता ही नहीं चल पाता है कि एक कलेंडर वर्ष में अनार का कुल कितना निर्यात किया गया। इससे अनार उत्पादक किसानों के शोषण का खतरा और भी बढ़ जाता है।
उत्तरी भारत के दलालों के माध्यम से होता है निर्यात
नाशिक जिले के अनार उत्पादक किसान एस.ए पाटील कहते हैं कि सही जानकारी के अभाव में किसानों को यह पता ही नहीं होता है कि निर्यात करने के लिए कहां और किससे संपर्क करें। हमें विदेशों में बैठे ग्राहकों की भी जानकारी नहीं होती है। इससे हम पूरी तरह से दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार व उत्तर प्रदेश से आने वाले व्यापारी दलालों के रहमोकरम पर निर्भर होते हैं।
70-80 फीसदी अनार का होता है निर्यात
नाशिक जिले में उत्पादित होने वाले अनार के कुल उत्पादन का करीब 70-80 फीसदी विदेशों में भेज दिया जाता है। यही हाल अनार उत्पादक अन्य पड़ोसी जिलों अहमद नगर, व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक पुणे व कुछ और जिलों का भी है। बेहतर व अनुकूल मौसम होने से इन जिलों में उत्तम दर्जे के अनार का उत्पादन होता है। निर्यात लायक अनारों की छंटाई के बाद उन्हें 400 ग्राम के छोटे पैक में भर दिया जाता है और फिर उसे विदेशों में भेज दिया जाता है।
200-300 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा का घाटा
इस समय खुले देशी बाजार में अनार की कीमत 70 से 80 रुपये प्रति किलो है। विदेशों में भेजा जाने वाला अनार 50 से 70 रुपये प्रति किलो की दर से भेजा जाता है। इस तरह देखें तो समूचे देश भर से अनार के निर्यात से करीब 200 से 300 करोड़ रुपये के समकक्ष विदेशी मुद्रा का घाटा होता है। किसानों के साथ होने वाले अन्याय को रोकने के लिए पश्चिम महाराष्ट्र के अनार उत्पादक किसानों ने सहकारी संस्था की स्थापना कर ली है। इस संस्था के माध्यम से वे संगठित होकर अनार का निर्यात करेंगे।
मेडिकवर अस्पताल, नासिको
मेडिकवर अस्पताल, नासिक बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी, रुमेटोलॉजी, स्त्री रोग, मानसिक स्वास्थ्य, दंत चिकित्सा और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी, आपातकालीन चिकित्सा, न्यूनतम पहुंच सर्जरी, अंग प्रत्यारोपण, मूत्रविज्ञान और नेफ्रोलॉजी, सर्जिकल और चिकित्सा ऑन्कोलॉजी, नेत्र विज्ञान, ईएनटी, एनेस्थिसियोलॉजी के लिए एक प्रमुख स्वास्थ्य सुविधा है। आंतरिक चिकित्सा, प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी, नैदानिक हेमेटोलॉजी, पल्मोनोलॉजी, त्वचाविज्ञान, नैदानिक पोषण और आहार विज्ञान, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, नियोनेटोलॉजी, मधुमेह और चयापचय संबंधी विकार, मधुमेह पैर क्लिनिक, एंडोक्रिनोलॉजी, फिजियोथेरेपी, आईवीएफ और बांझपन और महत्वपूर्ण और गहन देखभाल।
यह सेवाएं प्रदान करता है, एंडोस्कोपी, 24 * 7 आपातकालीन और आघात, फार्मेसी, पैथोलॉजी, एम्बुलेंस और रेडियोलॉजी।
अस्पताल में चिकित्सा स्टाफ समर्पित और उच्च प्रशिक्षित है। वे अपने क्षेत्रों में प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं और उत्कृष्ट नैदानिक परिणामों के लिए जाने जाते हैं।
मेडिकवर अस्पताल, नासिको में शीर्ष डॉक्टर
डॉ. राजेंद्र बेदमुथा
स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, 32 साल का अनुभव
डॉ. तुषार संकलेचा
मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, 11 साल का अनुभव
डॉ शेखर चिरमाडे
न्यूरोसर्जन , 25 साल का अनुभव
डॉ नागेश अघोरी
नेफ्रोलॉजिस्ट, 25 साल का अनुभव
डॉ. योगेश चौधरी
हड्डी रोग और संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जन, 18 साल का अनुभव
डॉ प्रणिता महेंद्र बोरा संघवी
स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, 12 साल का अनुभव
डॉ. तेजस सकले
न्यूरोलॉजिस्ट, 9 साल का अनुभव
डॉ महेश पाटिली
मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, 8 साल का अनुभव
डॉ. राधेश्याम चौधरी
यूरोलॉजिस्ट , 9 साल का अनुभव
इंफ्रास्ट्रक्चर
मेडिकवर हॉस्पिटल, नासिक, एक 350-बेड की सुविधा है, जिसमें 70 ICCU बेड, 10 लैमिनार एयरफ्लो कोरियन ओटी, 2 हाई-एंड डिजिटल कैथ लैब, 14-बेड डायलिसिस यूनिट, 128 स्लाइस सीटी स्कैन, MRI, BMD / TMT / 2D इको है। . इनके अलावा, अस्पताल में कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, न्यूरोसाइंसेस, बाल रोग, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और सामान्य सर्जरी के लिए उत्कृष्टता के समर्पित केंद्र भी हैं।
नासिक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, नासिक से मेडिकवर अस्पताल नासिक तक यात्रा का समय लगभग 45 किमी के लिए लगभग 30 मिनट है, जो कि लिए गए मार्ग पर निर्भर करता है। कोई किराए की कैब का विकल्प चुन सकता है या वैकल्पिक रूप से, स्थानीय परिवहन विकल्प भी अच्छे हैं।
अस्पताल का दौरा करते समय चुनने के लिए बहुत सारे स्थान हैं। ठहरने के विकल्प अर्ध-लक्जरी हैं और थोड़ा दूर स्थित हैं।
देश में ही बने कागज पर छपेंगे 1000 रुपए के नोट
आपकी आँखों मे चमक और जेब मे वजन लाने वाले हजार और पांच सौ रूपये के नोट अब देशी कागज पर छप कर मिलेंगे। आज होशंगाबाद में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सिक्योरिटी पेपर मिल मे इस पेपर को तैयार करने वाली यूनिट का उद्घाटन किया और इस खास पेपर की पहली खेप नासिक के लिए रवाना की जहाँ पांच सौ और हजार रूपये के नोट इस स्वदेशी कागज पर छ्पेंगें।
अब देश में ही बने कागज पर छपेंगे 1000 रुपये के नोट (फोटो: भाषा)
आपकी आँखों मे चमक और जेब मे वजन लाने वाले हजार और पांच सौ रूपये के नोट अब देशी कागज पर छप कर मिलेंगे। आज होशंगाबाद में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सिक्योरिटी पेपर मिल मे इस पेपर को तैयार करने वाली यूनिट का उद्घाटन किया और इस खास पेपर की पहली खेप नासिक के लिए रवाना व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक की जहाँ पांच सौ और हजार रूपये के नोट इस स्वदेशी कागज पर छ्पेंगें।
अब तक ये बड़े नोट विदेश से आयात कागज पर छपते थे जिनके आयात पर बड़ा पैसा खर्च होता था. होशंगाबाद के प्रतिभूति कागज कारखाना मे आज सुबह जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब नए बैंक नोट कागज लाईन की यूनिट का उदघाटन किया तो उनके चेहरे पर संतोष दिख रहा था।
करीब 500 करोड़ रूपये की इस यूनिट से हर साल दस हजार टन बेहतरीन कागज बनेगा जिसका उपयोग हजार और पांच सौं के नोट छापने मे किया जायेगा।
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अब तक इन बड़े नोट छापने के लिए कागज आयत किया जाता था जिसमे बड़ी विदेशी मुद्रा खर्च होती थी. साथ ही नोट पर बनने वाले सुरक्षा निशान भी विदेशी कागज के अनुसार बनाना पड़ते थे। वित्त मंत्री ने कहा की अब बड़े नोटों पर दस नए सुरक्षा निशान भी भारतीय कागज के अनुसार बनेगें जिससे नकली मुद्रा के चलन पर भी रोक लगेगी।
अरुण जेटली ने इसे अपनी सरकार के मेक इन इंडिया पालिसी के तहत उठाया कदम बताया. नोट के कागज बनाने व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक के इस नए प्लांट मे अत्याधुनिक मशीनों से कअगज के निरीक्षण और गुणवत्ता पर नजर राखी जायेगी।
इससे बनने वाला कागज थ्री डी वाटर मार्क बैंक नोट कागज होगा जिसकी देश मे मांग 25 हजार मीट्रिक टन है मगर देश मे इसका उत्पादन बेहद कम है नई यूनिट ये कमी पूरी करेगी. वित्त मंत्री ने इस मोके पर इस खास कागज से भरे चार वेगन की ट्रेन को नासिक के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने अपनी मुद्रा निगरानी सूची से बाहर निकाल दिया भारत को
वाशिंगटन/नई दिल्ली । विभाग ने अन्य जिन देशों को इस सूची से बाहर निकाला है, उनमें व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक इटली, मैक्सिको, वियतनाम और थाईलैंड शामिल हैं। ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस को अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान अभी भी वर्तमान निगरानी सूची का हिस्सा हैं।
ट्रेजरी ने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की एक निगरानी सूची स्थापित की है, जो उनकी मुद्रा प्रथाओं और व्यापक आर्थिक नीतियों पर ध्यान देने योग्य हैं। अमेरिका ने ये कदम तब उठाया है, जब ट्रेजरी के सचिव जेनेट येलेन ने भारत का दौरा किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बातचीत की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 के अधिनियम में तीन मानदंडों में से दो को पूरा करने वाली अर्थव्यवस्था को निगरानी सूची में रखा गया है।रिपोर्ट में कहा गया है, “एक बार निगरानी सूची में एक अर्थव्यवस्था कम से कम दो लगातार रिपोर्टों के लिए बनी रहेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रदर्शन बनाम मानदंड में कोई भी सुधार टिकाऊ है और अस्थायी कारकों के कारण नहीं है।’
ट्रेजरी निगरानी सूची में किसी भी प्रमुख अमेरिकी व्यापारिक भागीदार को जोड़ेगी और बनाए रखेगी, जो कुल अमेरिकी व्यापार घाटे के एक बड़े और अनुपातहीन हिस्से के लिए जिम्मेदार है, भले ही वह अर्थव्यवस्था 2015 के अधिनियम के तीन मानदंडों में से दो को पूरा नहीं करती है।अमेरिकी ट्रेजरी ने कहा, ‘निगरानी सूची में चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान शामिल हैं। इटली, भारत, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को इस रिपोर्ट में निगरानी सूची से हटा दिया व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक गया है।’
उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में चीन की विफलता और व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक इसकी विनिमय दर तंत्र की प्रमुख विशेषताओं के आसपास पारदर्शिता की व्यापक कमी इसे प्रमुख व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक बाहरी बनाती है और ट्रेजरी की करीबी निगरानी की गारंटी देती है।