अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण

अवलोकन कई प्रकार का हो सकता है। यदि अवलोकनकर्त्ता स्वयं अपने ही व्यवहार का अवलोकन करता है तब यह स्व-अवलोकन (Self- Observation) कहलाता है तथा यदि वह अन्य व्यक्तियों या घटनाओं का अवलोकन करता है तब इसे वाºय अवलोकन (External-Observation) कहते हैं। जब अवलोकन किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु सुनियोजित तरीके से किया जाता है तब इसे नियोजित अवलोकन (Planned Observation) कहते हैं तथा जब यह बिना किसी उद्देश्य के किया जाता है तब अनियोजित अवलोकन (Unplanned अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण Observation) कहलाता है। जब अवलोकन कर्त्ता प्रत्यक्ष रुप से हो रहे व्यवहार को देखता है जिस रुप में वह हो रहा हो तो यह प्रत्यक्ष अवलोकन (Direct Observation) कहलाता है। तथा जब अवलोकनकर्त्ता अन्य व्यक्तियों से पूछ कर व्यवहार के अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण सम्बन्ध में निर्णय देता है तब यह अप्रत्यक्ष अवलोकन (Indirect Observation) कहलाता है। यदि अवलोकनकर्त्ता उस समूह या प्रक्रिया का अंग बन कर अवलोकन करता है तब यह सहभागिक अवलोकन (Participant Observation) कहलाता है जब कि असहभागिक अवलोकन (Non- participant Observation) में समूह के क्रिया कलापों से अलग रहते हुए अवलोकन कार्य किया जाता है।
अवलोकन तकनीक
में विपणन और सामाजिक विज्ञान, पर्यवेक्षणीय अनुसंधान (या क्षेत्र में अनुसंधान) एक सामाजिक अनुसंधान तकनीक है कि उनके प्राकृतिक सेटिंग में घटना का प्रत्यक्ष अवलोकन किया जाता है। यह इसे प्रायोगिक अनुसंधान से अलग करता है जिसमें नकली कारकों को नियंत्रित करने के लिए एक अर्ध-कृत्रिम वातावरण बनाया जाता है, और जहां कम से कम एक चर को प्रयोग के हिस्से के रूप में हेरफेर किया जाता है।
ऑब्जर्वेशनल रिसर्च डेटा संग्रह की एक विधि है जो गुणात्मक अनुसंधान से जुड़ी हुई है। [१] मात्रात्मक अनुसंधान और प्रायोगिक अनुसंधान की तुलना में , अवलोकन संबंधी शोध कम विश्वसनीय होते हैं लेकिन अक्सर अधिक मान्य होते हैं [ उद्धरण वांछित ] । अवलोकन संबंधी अनुसंधान का मुख्य लाभ लचीलापन है। शोधकर्ता आवश्यकतानुसार अपना दृष्टिकोण बदल सकते हैं। अवलोकन संबंधी शोध व्यवहार या इरादों की विषय की आत्म-रिपोर्ट के बजाय सीधे व्यवहार को मापता है। मुख्य अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण नुकसान यह है कि यह व्यवहार चर तक सीमित है। इसका उपयोग संज्ञानात्मक या भावात्मक चरों का अध्ययन करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
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अपने संलग्नक, संरचना और मुखौटा के लिए उच्चतम प्रदर्शन सुनिश्चित करना
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शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन की तकनीक
शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन का शिक्षण प्रक्रिया की गुणवत्ता के निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह केवल वर्तमान स्थिति की ही व्याख्या नहीं करता वरन भविष्य में होने वाले परिवर्तन की रूपरेखा भी तैयार करता है। चूंकि आज लिया जाने वाला कोई भी निर्णय तुरन्त कोई परिणाम नहीं देता बल्कि उसका असर भविष्य में दिखता है जिसमें एक छोटी सी चूक गम्भीर परिणाम प्रस्तुत कर सकती है, अत: शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन बहुत ही सूक्ष्मता तथा सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए। चूंकि शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन द्वारा प्राप्त परिणामों का प्रयोग प्राय: शैक्षिक नियोजन में दूरवर्ती कार्यक्रमों के निर्धारण में होता है, अत: विभिन्न शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन तकनीकों की जानकारी आवश्यक है।
- अवलोकन तकनीक
- स्व-आख्या तकनीक
- परीक्षण तकनीक
- समाजमितीय तकनीक
- प्रक्षेपी तकनीक
अवलोकन तकनीक
अवलोकन तकनीक किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना अथवा प्रक्रिया को देखकर या अवलोकित करके उसके व्यवहार के मापन की प्रविधि है। अवलोकनकर्ता स्वाभाविक व्यवहार या घटना को प्रभावित किये बिना निरपेक्ष रूप से व्यवहार के विभिन्न पहलुओं का मात्रात्मक विवरण प्राप्त करने का प्रयास करता है जिससे व्यक्ति के व्यवहार की सूक्ष्मता से वैज्ञानिक व्याख्या की जा अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण सके। इस कार्य हेतु अवलोकनकर्ता विभिन्न प्रकार के उपकरणों जैसे- चेक लिस्ट, अवलोकन चार्ट, अवलोकन अनुसूची, ऐनकडोटल रिकार्ड आदि का उपयोग करता है जिससे परिणामों की विश्वसनीयता तथा वैधता को सुनिश्चित किया जा सके। अवलोकन एक तकनीक के रूप में अधिक व्यापक है जबकि एक उपकरण के रूप में इसका क्षेत्र सीमित है। यद्यपि अवलोकन को मापन की वस्तुनिष्ठ विधि के रुप में स्वीकार नहीं किया जाता, फिर भी अनेक परिस्थितियों तथा विशिष्ट व्यवहारों के मापन में इसका प्रयोग सफलतापूर्वक किया जाता है। छोटे बच्चों, मानसिक विक्षिप्तों तथा मनोरोगियों के व्यवहारों के मापन हेतु अवलोकन प्रविधि काफी सफलतापूर्वक प्रयुक्त होती है। कक्षा-कक्षीय गतिविधियों में अध्यापक व्यवहार, अनुशासन, अभिप्रेरणा आदि के मापन में अवलोकन प्रविधि बहुतायत से प्रयुक्त की जाती है। व्यक्तित्व गुणों के मापन में, अनपढ़ व्यक्तियों, मानसिक रोगियों, तथा अन्य भाषा-भाषी लोगों के व्यवहार का मापन करने के लिए अवलोकन एक मात्र उपयोगी प्रविधि अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण है। अवलोकन की सहायता से ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक तीनों क्षेत्रों के व्यवहार का मापन सफलतापूर्वक किया जा सकता है। अवलोकन में अवलोकनकर्त्ता की मन:स्थिति, उपस्थिति तथा दुर्भाव अवलोकन के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
स्व-आख्या तकनीक
जब विषयी अपने स्वयं के व्यवहार के विषय में जानकारी देता है तब यह स्व-आख्या (Self-report) कहलाती है। स्व आख्या तकनीक में मापे जा रहे व्यक्ति से उसके स्वयं के व्यवहार के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जाती है। इसमें इस तथ्य का मापन नहीं होता है कि व्यक्ति के क्या गुण हैं? बल्कि यह मापने का प्रयास होता है कि व्यक्ति किन गुणों को होना अपने अन्दर स्वीकार करता है? चूँकि व्यक्ति स्वत: अपने विषय में सूचना देता है अत: प्राप्त परिणामों की विश्वसनीयता तथा वैधता उच्च होती है। किन्तु कभी-कभी सामाजिक वान्छनीयता के कारण परिणाम प्रभावित हो जाते हैं। विषयी प्राय: सामाजिक रुप से मान्य एवं वान्छनीय गुणों को न होते हुए भी उपस्थित बताता है जबकि अवान्छनीय गुणों को अभिव्यक्त नहीं करता है। स्वआख्या तकनीकि में प्रयोगकर्त्ता विषयी से सूचना प्राप्त करने हेतु प्रश्नावली, साक्षात्कार तथा अभिवृत्ति मापनियों का प्रयोग करता है। इस प्रकार प्राप्त परिणाम की वैधता विषयी की ईमानदारी पर निर्भर करती है। इसका प्रयोग छोटे बच्चों, पागलों, विक्षिप्तों पर करना सम्भव नहीं होता है। मानसिक रुप से स्वस्थ तथा सहयोगी विषयी हेतु यह प्रविधि सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
समाजमितीय तकनीक
विषयी के सामाजिक सम्बन्धों, समायोजन व अन्त:क्रिया के मापन हेतु समाजमिति का प्रयोग किया जाता है। कोई व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से कैसे सम्बन्ध रखता है तथा अन्य व्यक्ति उससे किस प्रकार सम्बन्ध रखते है जानने का प्रयास किया जाता है। विषयी से कहा जाता है कि वह दिये गये आधार पर एक या एक से अधिक व्यक्तियों का चयन करे जैसे- आप किससे बात करना चाहते है? आप किसे नेतृत्व सौंपना चाहेंगे? किससे दूरी रखना पसन्द करेंगे? आदि प्राप्त उत्तरों का समाजमितीय मैट्रिक्स (Sociometric Matrix), सोशियोग्राम, तथा समाजमितीय गुणांक (Sociometric Index) की सहायता समाजमितिय विश्लेषण किया जाता है। इस प्रकार के परिणाम चूँकि सामूहिक अभिव्यक्ति पर आधारित होते हैं इसलिये अधिक विश्वसनीय तथा वैध रहते है। सामाजिक गुणों के मापन की यह एक सर्वोत्तम विधि है जो सामाजिक गतिशीलता, लोकप्रियता, नेतृत्व तथा विभिन्न व्यक्तित्व गुणों के मापन में प्रयुक्त की जा सकती है।
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