FOMC क्या है?

FOMC की बैठक से पहले डॉलर इंडेक्स में मजबूती, जानिए किस Commodity में निवेश करना होगा मुनाफे का सौदा
सोने-चांदी की चमक दिनों दिन फीकी पड़ रही है। सोना 5 महीने के निचले स्तरों पर फिसल गया है
सोने-चांदी की चमक दिनों दिन फीकी पड़ रही है। सोना 5 महीने के निचले स्तरों पर फिसल गया है। घरेलू बाजार में वो 46000 के नीचे कारोबार कर रहा है । इधर चांदी ने भी 60,000 अहम लेवल तोड़ दिया है। दरअसल FOMC की बैठक से पहले डॉलर इंडेक्स मजबूत हो रहा है जिसकी वजह से इसकी कीमतें लुढ़क रही है। 22 सितंबर को US Fed की पॉलिसी आ रही है। इसके अलावा बैंक ऑफ इंग्लैंड और जापान की भी बैठक है इसकी वजह से भी निवेशक नर्वस है।
सोना 5 हफ्ते के निचले स्तर पर फिसला है। डॉलर में मजबूती से सोने की चमक फीकी पड़ी है। इधर कॉमैक्स में सोना 1750 डॉलर के नीचे फिसला है जबकि घरेलू बाजार में सोना 46,000 के नीचेआया है। पिछले हफ्ते सोने में 2.3 फीसदी की गिरावट आई है।
सोने में दबाव क्यों?
FOMC की बैठक से पहले डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है। डॉलर इंडेक्स 93 के पार निकला है। अमेरिका में बढ़ती ट्रेजरी यील्ड से भी सोने में दबाव बना हुआ है जबकि 10 साल की US बॉन्ड यील्ड चढ़कर 1.36% पर नजर आ रही है।
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US Fed Rate Hike: अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में फिर 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की, भारत पर होंगे ये 5 असर
इस बढ़ोतरी के बाद भारत में भी ब्याज दर में और बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है। RBI की 3 नवंबर यानी आज से मौद्रिक समिति की विशेष बैठक हो रही है।
US फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने के फैसले के बाद Share Market में लगातार दूसरे दिन गिरावट, सेंसेक्स 337 अंक टूटा
US फेडरल रिजर्व उम्मीद के विपरीत अधिक आक्रामक हुआ है और उसने नीतिगत दर साल के अंत तक बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत करने का संकेत दिया है।
US Fed के झटके के बाद भारतीय Share Market की कमजोर शुरुआत, सेंसेक्स टूटकर 59,200 के करीब पहुंचा
US Fed: बीएसई सेंसेक्स 93.81 टूटकर 59,362.97 पर कारोबार कर रहा है। वहीं, एनएसई निफ्टी भी 27.75 अंक लुढ़कर 17,690.60 अंक पर पहुंच गया है।
Economic Crisis: अमेरिका को मंदी से बचाने की कोशिशें भारत का करेंगी बंटाधार, पॉवेल की घोषणा ने बढ़ाई टेंशन
यूरोप में यूक्रेन और रूस के बीच लंबे खिंचते युद्ध ने भी कच्चे तेल को स्थाई रूप से 100 डॉलर के पार पहुंचा दिया है। महंगे क्रूड के आयात के कारण इसी सप्ताह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 6 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है।
US Federal Reserve ने ब्याज दरों में की 28 साल में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी, जानिए आपकी जेब पर पड़ेगा क्या असर
US Federal Reserve : अमेरिका में Inflation के 40 साल में रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने पर मार्च से अब तक American Fed ने ब्याज दरों में 225 besis Point की बढ़ोतरी कर दी है।
US Fed की बैठक के पहले Share Market में उतार-चढ़ाव, लाल निशान में खुलने के बाद अब Sensex में 260 अंकों की तेजी
US Fed: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व आज रात तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकता है। लेकिन 0.75 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी के अनुमान को बाजार ने पहले ही आत्मसात कर लिया है।
US Federal Reserve ने ब्याज दरों में की 28 साल में सर्वाधिक 0.75% की वृद्धि, जानिए भारत पर असर
ब्याज दरों में यह बढ़ोत्तरी अमेरिका में महंगाई को जरूर थाम सकती है, लेकिन इससे भारत में कीमत वृद्धि का नया दौर शुरू हो सकता है।
US Fed Meeting: 28 सालों की सबसे बड़ी रेट हाइक कर सकता है यूएस फेड, FOMC क्या है? 40 साल के शीर्ष पर महंगाई
अगर फेड ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी करता है तो दुनियाभर के बाजारों में और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25% की बढ़ोतरी की, भारत पर पड़ेंगे ये 5 बड़े असर
अमेरिकी केंद्रीय बैंक के इस फैसले का असर दुनिया भर के FOMC क्या है? शेयर बाजारों पर देखने को मिलेगा।
अमेरिका में फूटा महंगाई बम, फेडरल रिजर्व के प्रमुख पॉवेल बोले- इसी महीने बढ़ेंगी ब्याज दरें
अमेरिका में मुद्रास्फीति के बढ़ते स्तर से परेशान फेडरल रिजर्व के इस कदम की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी।
US Federal Reserve : अमेरिकी केंद्रीय बैंक के फैसले का जानिए आपकी जेब पर क्या होगा असर?
जब 2020 में कोविड -19 ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया, तब अमेरिकी फेडरल रिजर्व वैश्विक मंदी को रोकने में सबसे आगे रहा था।
COVID-19 से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए US फेडरल ने उठाया बड़ा कदम, ब्याज दर घटाकर की शून्य
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व के फैसलों की घोषणा के बाद पॉवेल को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह वाकई में अच्छी खबर है, यह हमारे देश के लिए बहुत अच्छा फैसला है।
कोरोनावायरस संकट के बीच Federal Reserve ने ब्याज दरों में की 0.5 प्रतिशत की बड़ी कटौती
फेडरल रिजर्व ने पिछले साल के बाद पहली बार ब्याज दर में कटौती की है। पिछले साल उसने तीन बार ब्याज दरों में कटौती की थी।
2020 में डोनाल्ड ट्रंप को हराने की है योजना, पूर्व अधिकारी ने फेडरल रिजर्व से मांगी मदद
ट्रंप अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लिए अक्सर फेडरल रिजर्व पर निशाना साधते हैं।
Gold on Record High: सोने में रिकॉर्ड तेजी, भाव 930 रुपए उछलकर हुआ 35,800 रुपए/10 ग्राम
यूएस फेडरल रिजर्व चेयरमैन द्वारा ब्याज दर में कटौती का संकेत दिए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाजिर सोने का भाव एक हफ्ते के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में की 25 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी, 2.25 से बढ़कर हुई 2.5 प्रतिशत
अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल बैंक ने दो दिन चली बैठक के बाद ब्याज दरें बढ़ाने की घोषणा की है।
FPIs ने भारतीय बांड बाजार से निकाले 1,200 करोड़ रुपए, क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें रही मुख्य वजह
कच्चे तेल की अधिक कीमतों तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने के अनुमान के बीच इस महीने के पहले दो सप्ताह के दौरान विदेशी निवेशकों ने बांड बाजार से करीब 1,200 करोड़ रुपए की निकासी की। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले पांच महीनों में बांड बाजार से करीब 50 हजार करोड़ रुपए निकाले हैं।
अमेरिकी सेंट्रल बैंक Federal Reserve ने ब्याज दरें बढ़ाई, शेयर बाजार पर दिख सकता है दबाव
अमेरिका के सेंट्रल बैंक US Federal Reserve ने बुधवार रात को ब्याज दरों में बढ़ोतरी की की घोषणा की है जिसके बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों पर दबाव देखा जा रहा है और इसका असर आज भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख सकता है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि सेंसेक्स और निफ्टी आज कमजोरी के साथ शुरात कर सकते हैं
बजट से पहले अमेरिका से आई खुशखबरी, फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें यथावत रखी
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया गया है। फेडरल रिजर्व की मौजूदा अध्यक्ष जेनेट येलेन FOMC क्या है? के स्थान पर इस सप्ताह जेरोमी पॉवेल मोर्चा संभालेंगे।
राजन ने किया भारत का बचाव, कहा भारत को मुद्रा में गड़बड़ी करने वाला न कहे अमेरिका
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि अमेरिकी वित्त विभाग को भारत को ‘मुद्रा में गड़बड़ी करने वाला’ नहीं बताना चाहिए।
US Fed Meet : अमेरिकी केंद्रीय बैंक आज 0.75 फीसदी बढ़ा सकता है ब्याज दर, क्यों आई ऐसी नौबत और क्या होगा असर?
अमेरिका और आसपास के देशों में अभी महंगाई दर करीब 70 साल के शीर्ष पर चल रही है. इससे पार पाने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज अमेरिकी फेड रिजर्व भी अपनी ब्याज दरें बढ़ाने का ऐलान करेगा. इससे पहले ही दबाव में चल रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था का पहिया और सुस्त पड़ सकता है.
- News18Hindi
- Last Updated : July 27, 2022, 15:11 IST
हाइलाइट्स
अमेरिका में अभी खुदरा महंगाई की दर 42 साल के शीर्ष पर है.
अमेरिका में ब्याज दरें इस साल 3.75 फीसदी तक जा सकती हैं.
इससे पहले बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी.
नई दिल्ली. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व आज 27 जुलाई को होने वाली बैठक में अपनी ब्याज दरों को एक बार फिर बढ़ाएगा. एक्सपर्ट का अनुमान है कि इस बार ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि ज्यादा दबाव को देखते हुए फेड रिजर्व 1 फीसदी की बढ़ोतरी का भी फैसला कर सकता है.
अमेरिका में अभी खुदरा महंगाई की दर 42 साल के शीर्ष पर है और इस पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक को ताबड़तोड़ ब्याज दरें बढ़ानी पड़ रहीं. माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें इस साल 3.5 फीसदी से 3.75 फीसदी तक जा सकती हैं. इससे पहले बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. हालांकि, इसके बावजूद महंगाई दर में नरमी के बजाए और तेजी आती दिखी.
इसलिए बढ़ रही ब्याज दर
महंगाई में हो रही बेतहाशा वृद्धि का कारण सप्लाई पर असर पड़ना है. इसके अलावा कमोडिटी की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्लोबल सप्लाई FOMC क्या है? चेन पर काफी असर पड़ा है. उत्तरी अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों में इस समय महंगाई 7 दशक के शीर्ष पर दिख रही है. यही कारण है कि इन देशों केंद्रीय बैंक ताबड़तोड़ ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं.
भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर ज्यादा दबाव नहीं
एक तरफ अमेरिकी और यूरोपीय देश महंगाई से बुरी तरह प्रभावित हैं तो भारत, चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर इसका ज्यादा असर नहीं दिख रहा है. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में राजकोषीय घाटा उनकी जीडीपी का 14 से 25 फीसदी पहुंच गया है. भारत में यह 6 फीसदी के दायरे में चल रहा है. इससे आने वाले समय में यहां और मांग बढ़ेगी. साथ ही सरकार के पास भी ज्यादा फंड खर्च करने की गुंजाइश बनी रहेगी.
सुस्त हो जाएगी अमेरिका की विकास दर
अमेरिक फेड रिजर्व महंगाई पर तत्काल प्रभाव FOMC क्या है? से काबू पाने के लिए ब्याज दरें तो बढ़ा देगा लेकिन इसका असर उसकी विकास दर पर पड़ेगा. इस साल की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में अमेरिका की विकास पहले ही शून्य से 1.6 फीसदी नीचे जा चुकी है और इसके बाद से लगातार दो बार ब्याज दरें भी बढ़ाई जा चुकी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल-जून तिमाही में भी विकास दर माइनस में ही रहेगी. ऐसा होता है तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था तकनीकी तौर पर मंदी में चली जाएगी और इसका यूरोप सहित पूरे एशिया की विकास दर पर असर दिखेगा.
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US Federal Reserve Meeting: अमेरिका ने नहीं दिया झटका, केवल इतनी बढ़ाई ब्याज दर
US Federal Reserve Meeting Outcome: अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने नीतिगत ब्याज दरों में 2018 के बाद पहली बार बढ़ोत्तरी कर दी है. हालांकि अमेरिका के इस फैसले ने रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) से पहले ही उथल-पुथल का सामाना कर रहे ग्लोबल मार्केट को कोई बड़ा झटका नहीं दिया है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 17 मार्च 2022,
- (अपडेटेड 17 मार्च 2022, 10:37 AM IST)
- 8-1 के वोट से हुआ फैसला
- महंगाई नियंत्रण में मिलेगी मदद
- 2018 के बाद पहली बढ़ोत्तरी
अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Fed) ने ग्लोबल इकोनॉमी को कोई बड़ा झटका तो नहीं दिया, लेकिन अमेरिका में बीते 40 साल की सबसे अधिक महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मौद्रिक नीति (Tighter Monetary Policy) का रास्ता अपना लिया है. फेडरल रिजर्व ने 2018 के बाद पहली बार नीतिगत ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोत्तरी कर दी है. साथ ही आगे इसे और बढ़ाने के भी संकेत दिए हैं.
8-1 के वोट से हुआ फैसला
भारत के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तरह ही फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (Federal Open Market Committee-FOMC) ने 8-1 के वोट से नीतिगत ब्याज दरों को बढ़ाने पर सहमति दी. कोरोना महामारी के काल में ये ब्याज दरें लगभग शून्य के स्तर पर बनी हुई थीं ताकि अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके. अभी भी फेडरल रिजर्व के सामने आर्थिक वृद्धि और महंगाई नियंत्रण के बीच संतुलन बनाने की चुनौती थी. लेकिन उसने महंगाई नियंत्रित करने के लिए ऋण को महंगा कर दिया है.
बदलेगा ग्लोबल मार्केट का हाल?
एफओएमसी की बैठक के बाद फेडरल रिजर्व के प्रमुख जीरोम पॉवेल ने मीडिया को इसके फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है और ये कड़ी मौद्रिक नीति को संभाल सकती है. ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक फेडरल रिजर्व ने इस साल बची हुई 6 बैठकों में ब्याज दरों को और बढ़ाए जाने के साफ संकेत दिए हैं.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2022 के अंत तक ये 1.9% पर पहुंच सकती हैं, जबकि 2023 में इनके 2.8% तक जाने की संभावना है. ग्लोबल मार्केट में इसका व्यापक असर दिख सकता है. ये रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) और चीन में लगे नए कोविड-19 लॉकडाउन से भी ज्यादा अनिश्चिता लाने वाली स्थिति है.
भारत पर इस फैसले का असर
अभी इस फैसले का भारतीय बाजार पर कोई बड़ा असर नहीं दिख रहा है. इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ इंडियन मार्केट को भी ब्याज दरों में इतनी बढ़ोत्तरी की उम्मीद थी. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि फेडरल रिजर्व आने वाले समय में अगर ब्याज दरें और बढ़ाएगा तो बाजार पर इसका व्यापक असर दिखेगा. क्योंकि अमेरिका के नीतिगत ब्याज दर और बढ़ाने से एफआईआई (FII) का रुख अमेरिका की तरफ हो सकता है और इससे वो भारतीय बाजार से बड़े पैमाने पर निकासी कर सकते हैं.
US Fed Meet: दरों में हो सकती है तेज बढ़त, क्या होगा अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इसका असर
अमेरिका में महंगाई दर फिलहाल 4 दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. जिसकी वजह से दरों में करीब एक प्रतिशत की बढ़त की आशंका जताई जा रही है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Jul 27, 2022 | 4:47 PM
आज दुनिया भर के निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर है. दरअसल आज फेड ब्याज दरों को लेकर अपना फैसला सुनाएगा. बाजार के जानकार मान रहे हैं कि दरों में बढ़ोतरी होना तय है लेकिन वो ये देखना चाहते हैं कि दरो में कितनी बढ़ोतरी हो सकती है. फिलहाल अमेरिका में महंगाई दर रिकॉर्ड स्तरों पर है इसी वजह से एक्सपर्ट मान रहे हैं कि फेड दरों को लेकर सख्त रुख रख सकता है और दरों में 0.75 से एक प्रतिशत की बढ़त कर सकता है. माना जा रहा है कि अगर फेड तेज बढ़त का फैसला लेता है तो बाजारों में इससे सेंटीमेंट्स गिरेंगे और दरें बढ़ने से ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ेगा. भारतीय समय के अनुसार 27 जुलाई रात 11.30 बजे मीटिंग शुरू होगी और इसके आधे घंटे के बाद फेडरल रिजर्व फैसले का ऐलान कर सकता है.
क्यों है दरों में तेज बढ़त का अनुमान
फेडरल रिजर्व ने इस साल की शुरुआत के साथ दरों में बढ़ोतरी शुरू की थी . फेड ने ये कदम महंगाई दर पर नियंत्रण के लिए उठाया था और पिछली बैठक में दरों में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की थी हालांकि इस कदम FOMC क्या है? के बावजूद महंगाई दर पर कोई खास असर नहीं पड़ा और वो रिकॉर्ड ऊंचाई पर ही बनी हुई है. फेडरल रिजर्व पहले ही संकेत दे चुका है कि उसकी प्राथमिकता महंगाई पर नियंत्रण की है ऐसे में पूरी संभावना है कि फेडरल रिजर्व इस बार दरों में तेज बढ़त कर सकता है.
4 दशक के रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई
अमेरिका में मुद्रास्फीति मई महीने में चार दशकों के रिकॉर्ड स्तर 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. गैस, खानपान और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से अमेरिका में महंगाई काफी बढ़ गई है. अमेरिकी श्रम विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2022 में उपभोक्ता कीमतें FOMC क्या है? एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत बढ़ गईं. इसके एक महीने पहले अप्रैल में उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 8.3 प्रतिशत बढ़ी थीं.
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क्या होगा दरों में बढ़ोतरी का असर
दरें बढ़ने से दुनिया भर के बाजारों से रकम निकालने की रफ्तार तेज हो सकती है इससे शेयर बाजारों पर असर पड़ सकता है. दूसरी तरफ इससे संकेत जाएगा कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक भी दरें बढ़ा सकते हैं. सिस्टम से नकदी घटने से ग्रोथ पर सीधा असर पड़ेगा और संभावना है कि अगले कुछ समय तक अर्थव्यवस्थाओं की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है.