निवेश करने के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म?

फाइनेंस प्रोडक्ट को लेकर पारदर्शिता भी बढ़ी है, क्योंकि Zerodha, Groww, TradeCred, Wint Wealth, kredx जैसे प्लेटफॉर्म निवेशकों को शिक्षित करने के लिए उनकी वेबसाइट पर वो सारी जानकारी मुहैया करा रहे हैं, जो पहले बड़े निवेशकों को तगड़ी फीस चुकाने के बाद मिलती थी.
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Mutual Fund में कैसे मिलेगा दमदार रिटर्न? निवेश से पहले जान लीजिए कुछ कॉमन सवालों के जवाब
Mutual Fund Investment tips: म्यूचुअल फंड में निवेश आज के समय में काफी आसान है. कई ऐसे अप्लीकेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जहां ऑनलाइन KYC पूरी कर निवेश शुरू किया जा सकता है. इसमें निवेशक महज 100 रुपये की SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) से भी निवेश शुरू कर सकते हैं.
Mutual Fund Investment: बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फंड में निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है. मार्च 2022 के दौरान इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Mutual Fund) में रिकॉर्ड 28,463 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ. यह इक्विटी फंड्स का ऑल टाइम हाई निवेश है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में लगातार 13वें महीने इक्विटी फंड्स में निवेश आया. म्यूचुअल फंड में निवेश आज के समय में काफी आसान है. कई ऐसे अप्लीकेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जहां ऑनलाइन KYC पूरी कर निवेश शुरू किया जा सकता है. इसमें निवेशक महज 100 रुपये की SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर कई तरह के ऊहापोह दिमाग में चलते हैं, जैसेकि रेग्युलर प्लान में जाएं या डायरेक्ट निवेश करें. एडलवाइस वेल्थ मैनेजमेंट के प्रेसिडेंट एंड हेड (पर्सनल वेल्थ) राहुल जैन से म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले के कॉमन सवालों के जवाब जानते हैं.
डायवर्सिफाइड या कन्संट्रेटेड स्कीम
कुछ फंड्स का पोर्टफोलियो 50-60 कंपनियों में फैला होता है. जबकि, कुछ स्कीम्स का काफी कॉम्पैक्ट होता है, उनके पोर्टफोलियो में 25-30 स्टॉक्स ही होते हैं. एक कन्संट्रेटेड पोर्टफोलियो बाजार की रैली में रिटर्न बढ़ा सकता है, लेकिन एक डायवर्सिफाइड फंड मार्केट की गिरावट में मुनाफे को प्रोटेक्ट करता है. बतौर निवेश करने के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म? निवेशक, आपको डायवर्सिफाइड फंड्स में अपनी कोर होल्डिंग रखनी चाहिए. साथ ही कन्संट्रेटेड फंड में अपना कुछ निवेश सप्लीमेंट्री तौर पर करना चाहिए. इस स्ट्रैटजी से आपको मार्केट की तेजी और गिरावट दोनों ही स्थिति के लिए आपका पोर्टफोलियो बेहतर साबित होगा.
सभी म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) में डायरेक्ट और रेग्युलर वेरिएंट्स हैं. डायरेक्ट प्लान में कोई इंटरमीडियरी नहीं होता है. इसलिए एक्सपेंश रेश्यो कम होता है. वहीं, रेग्युलर प्लान इससे अलग होता है. इसमें एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा हाता है, क्योंकि उसमें इंटरमीडियरीज शामिल होता है. लॉन्ग टर्म में कम एक्सपेंश रेश्यो निवेश करने के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म? हायर रिटर्न ट्रांसलेट होता है. इसके साथ ही कम्पाउंडिंग के चलते लो एक्सपेंश रेश्यो से डायरेक्ट प्लान में गेन्स ज्यादा होता है. हालांकि, डायरेक्ट प्लान में तभी निवेश करना चाहिए, जब आपको मार्केट की समझ अच्छी हो और मार्केट के टर्म को अच्छी तरह समझते है. वर्ना, रेग्युलर प्लान में निवेश करना चाहिए.
एक्टिव या पैसिव फंड्स
एक्टिव फंड्स अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. दूसरी ओर, पैसिव फंड्स बामुश्किल से निवेश करने के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म? अपने बेंचमार्क इंडेक्स के बराबर रिटर्न दे पाते हैं. एक्टिव फंड्स की फीस ज्यादा होती है, जबकि पैसिव फंड्स में फंड मैनेजर्स की जरूरत नहीं होती है. अगर सबकुछ ठीक रहता है, तो एक्टिव फंड्स बेहतर रिटर्न दे सकते हैं. हालांकि, जब मार्केट कंडीशन बेहतर न हो, तो इनका रिटर्न बेंचमार्क इंडेक्स से कम रहता है. हालांकि, इस कौन-सा फंड चुनें इस बात का फैसला आपके इन्वेस्टमेंट गोल पर तय होता है.
अगर आप दमदार रिटर्न जेनरेट करना चाहते हैं तो एक्टिव फंड चुनें. दूसरी ओर, अगर आप किसी इंडेक्स के बराबर परफॉर्मेंस चाहते हैं, तो पैसिव फंड बेहतर ऑप्शन हैं. डायवर्सिफिकेशन के लिए निवेशक को पोर्टफोलियो में एक्टिव और पैसिव दोनों ही फंड रखने चाहिए.
बड़ा या छोटा फंड
फंड कितना बड़ा है या छोटा, यह कोई मायने नहीं रखता है. इसकी बजाय निवेश से पहले लॉन्ग टर्म में फंड की परफॉर्मेंस कैसी रही है, इसका एनॉलसिस जरूर करना चाहिए. अगर काई फंड लंबी अवधि में हाई रिस्क एडजस्टेड रिटर्न देता है, तो वह निवेश के लिए बेहतर च्वाइस हो सकता है. दूसरी ओर, अगर फंड का लॉन्ग टर्म रिटर्न अच्छा नहीं है, तो उसमें निवेश से बचना चाहिए. कई ऐसी स्माल म्यूचुअल फंड स्कीम्स है, जिनकी परफॉर्मेंस बड़े फंड्स से बेहतर रही है.
अगर आप किसी ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आप किसी भी समय एंट्री या एग्जिट कर सकते हैं. आप जरूरत पर आसानी से आंशिक रूप से निकासी कर सकते हैं या अपना निवेश अमाउंट बढ़ा सकते हैं. हालांकि, क्लोज-एंडेड फंड्स में आप ऐसा नहीं कर सकते हैं. इसमें निवेशकों को एकमुश्त निवेश करना होता है.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश संबंधी फैसला लेने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
मोबाइल से कैसे करें Mutual Fund में निवेश? अपनाएं ये शानदार Tips
म्यूचुअल फंड में निवेश काफी आसान हो गया है. अब घर बैठे भी निवेशक म्यूचुअल फंड में पैसा लगा सकता है. पेटीएम जैसे वॉलेट तक म्यूचुअल फंड में निवेश की सुविधा देते हैं.
निवेशकों के लिए मोबाइल के जरिए निवेश करना बेहद आसान है. (फोटो: PTI)
म्यूचुअल फंड में निवेश काफी आसान हो गया है. अब घर बैठे भी निवेशक म्यूचुअल फंड में पैसा लगा सकता है. पेटीएम जैसे वॉलेट तक म्यूचुअल फंड में निवेश की सुविधा देते हैं. जल्द ही वॉट्सऐप के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश की बात की जा रही है. हालांकि, अभी भी कई ऐसे ऐप हैं, जिनके म्यूचुअल फंड में आसानी से निवेश किया जा सकता है. दरअसल, लोग म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें, कौन सा फंड चुनें, किसके अपना फाइनेंशियल पार्टनर बनाए जैसे सवालों में घिरे रहते हैं. ऐसे ही निवेशकों के लिए मोबाइल के जरिए निवेश करना बेहद आसान है.
ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर काम करना
व्यापार मंच तकनीकी और सॉफ्टवेयर उपकरण का एक संयोजन है जो वित्तीय बाजारों में स्थिति के बारे में जानकारी , जो उपयोगकर्ताओं को (व्यापारियों) प्रदान करते हैं.
वे कार्यक्षमता में काफी समान हैं, लेकिन NetTradeX जो मंच MetaTrader 4 और 5 से भेद सुविधाओं निवेश करने के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म? की एक संख्या है। IFC मार्केट्स के ग्राहकों NetTradeX, MetaTrader 4 और MetaTrader 5 प्लेटफार्मों पर एक ही.
इनवॉइस डिस्काउंटिंगः
सेबी-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर और निजी बैंक के EXIM विभाग के हेड की जिम्मेदारी निभा चुके धर्मेश कुमार भट्ट बताते हैं कि, “बिल डिस्काउंटिंग वैसे तो बैंक और NBFC के निवेश का प्रोडक्ट है.
इसमें क्विक कैश चुकाना होता है, इसलिए बड़े वित्तीय संस्थान और मुख्य रूप से NBFC ही इसमें काम कर सकते हैं.” लेकिन, Tradecred जैसे फिनटेक प्लेटफॉर्म इस प्रोडक्ट को छोटे निवेशकों तक ले आए हैं.
इसमें 90 दिन जितनी छोटी अवधि के लिए बड़ी कंपनियों के वेंडर को फाइनेंस करना होता है, जिसके बदले में आपको 13-15 फीसदी तक प्री-टैक्स यील्ड मिलती है.
अभी जो प्रोडक्ट उपलब्ध है उनके टिकिट साइज 50,000 रुपये से शुरू होते हैं. इंवेस्टमेंट साइज छोटा होने के कारण कोई भी व्यक्ति, HUFया NRI निवेश कर सकता है.
कवर्ड बॉन्डः
रिटेल इंवेस्टर डेट में इंवेस्टमेंट करके उनका पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाय रख सके इस इरादे से शुरू हुई विंट वेल्थ 10,000 रुपये जितने कम टिकिट साइज के डेट प्रोडक्ट के साथ रिटेल निवेशकों को खींचने का प्रयास कर रही है.
विंट वैल्थ ने कवर्ड बॉन्ड लांच किए हैं, जिसमें पहले बैंक या वित्तीय संस्थान ही निवेश करते थे. सिक्योर्ड बॉन्ड की सिक्योरिटी सवालो के घेरे मे है, ऐसे हालात में कवर्ड बॉन्ड को बेहतरीन प्रोडक्ट माना जा रहा है.
क्योंकि इसमें निवेशको को दिवालियापन से बचाने का इंतजाम किया गया है. कवर्ड बॉन्ड का वॉल्यूम FY2020 में 400 करोड़ रुपये था, जो FY2021 में 2,200 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
विंट वेल्थ ने रिटेल इंवेस्टर के लिए लॉन्च किए प्रोडक्ट की अवधि 18 महीने की है, जिसमें 9-11% प्री-टैक्स रिटर्न मिल रहा है.
एक्सपर्ट की रायः
एक्सपर्ट कहते हैं कि जिस एसेट या प्रोडक्ट में निवेश करना चाहते हैं, उसका रेटिंग चेक करना चाहिए. आपकी रिस्क-कैपेसिटी के अनुसार निवेश का निर्णय लेना चाहिए.
इंवेस्टर प्वाइंट (Investor Point) के फाउंडर और AMFI-रजिस्टर्ड म्यूच्युअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर जयदेव सिंह के मुताबिक, “सरल और समझ में आने वाले प्रोडक्ट में ही निवेश करना चाहिए.
प्रोडक्ट जितने जटिल होंगे उतना ही उसका एक्स्पेंस ज्यादा होगा. फिनटेक प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश करने से पहले ऐसे प्लेटफोर्म के साथ जुड़ी ब्रान्ड की विश्वसनीयता चेक करनी चाहिए.
ऐसे प्लेटफॉर्म की साख कैसी है और उसके फाउंडर या प्रमोटर का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है, वो जान लेना चाहिए. ”