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क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है
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क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है

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Bonds का हिंदी मीनिंग: - संबंध, अनुबंध, आबन्ध, ऋणपत्र, कर्तव्य, कर्म, क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है बंधपत्र, बन्ध, मेल, संबंध, प्रतिज्ञा पत्र, अनुबंध, संबंध जोड़ना, प्रतिज्ञापत्र, आदि होता है।

Bonds Meaning Adjective in Hindi

संबंधित, अनुबंधित, बंधित, संबंधित, अनुबंधित, बंधित आदि होता है।

Bonds Meaning Verb in Hindi

अनुबंधित करना, जोड़ना, अनुबंधित करना, संबंध जोड़ना, बंधन लगाना, संबंधित करना

Bonds की हिंदी में परिभाषा और अर्थ, बांड एक IOU की तरह है, जब आप बांड खरीदते हैं, तो आप एक निर्धारित ब्याज दर पर एक निश्चित अवधि के लिए किसी कंपनी या सरकार को अपना धन ऋण देने के लिए सहमत होते हैं।

Bonds Definition in Hindi

Bonds एक ऋण Surety है जिसे एक फिक्स्ड आय Surety के रूप में भी जाना जाता है. Bonds किसी निगम, कंपनी या सरकार द्वारा जारी किया जाता है ये धन की आवस्यकता होने भी बाजार से धन जुटाने के लिए किया जाता है, ये भी शेयर बाजार की तरह ही होता है पर इसमें मुख्य अंतर ये है की Bonds में Company या निगम बाजार से पैसा ऋण के रूप में लेता है जिसपर की उन्हें एक फिक्स्ड व्याज देना पड़ता है जबकि शेयर बाजार में Company अपनी हिस्सेदारी को बेचती है, Bonds जारी करने वाली Company या निगम के Bonds को एक्सचेंज के द्वारा ही बेचा जाता है. निवेश में कम रिस्क लेने वाले लोग या टैक्स बचने के लिए अपना पैसा Bonds में निवेश करना पसंद करते है क्यों की इसमें एक फिक्स्ड आय की गारेंटी होती है। और निवेश किये गए पैसो पर किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं होता है।

Bond एक ऋण निवेश प्रमाण पत्र या उधार पत्र होता है जो किसी देश की सरकार या कॉर्पोरेट हाउस द्वारा निवेशकों के लिए जारी किये जाते है. जैसा की हम जानते है, सरकार या कंपनी पूंजी जुटाने के उद्देश्य से Market से पैसा उधार लेने के लिए बांड जारी करती है बांड Issuer निवेशकों से उधार लिए गए धन के बदले में निवेशकों को उधार पत्र के रूप में बांड जारी करता है. यानि बांड(bond) Issuer एक निश्चित ब्याज दर पर निर्धारित अवधि के लिए धनराशि उधार लेता है. सरल शब्दों में- Issuer परिपक्वता की निर्धारित तारीख पर Investors की राशि को चुकाने का वायदा करता है और इसके लिए उधार ली गयी राशि पर Investors को ब्याज का भुगतान करता है।

बॉन्ड कितने प्रकार के होते है?

आमतौर पर बॉन्ड को उनकी प्रवर्ति के अनुसार 7 प्रकार में विभाजित किया जा सकता है जो की निन्मलिखित है।

पब्लिक सेक्टर के उपक्रम बॉन्‍ड:

Public sector के उपक्रम बॉन्‍ड को Public sector कंपनियों के द्वारा जारी किये जाते है जो की माध्यम या लम्बी अवधि के हो सकते है. जिनकी Maturity अवधि काम से काम 5 साल से 7 साल या ऐसे ज्यादा हो सकती है. चुकी ये Public sector कंपनियों के द्वारा जारी किये जाते है जो की सरकार के अधीन रहती है, इसलिए लोग इस पर ज्यादा विश्वास जताते है।

कॉर्पोरेट बॉन्‍ड:

कॉर्पोरेट बॉन्‍ड एक Corporation (निगम) के द्वारा जारी किये जाते है इसमें एक सुविधा ये भी होती है, की इसमें आप को बीच बीच में एक समय अवधि का ब्याज Corporation द्वारा दिया जाता है बाकी का ब्याज और मूलधन को Corporation समय अवधि के अंत में देता है।

वित्तीय संस्थाएं एवं बैंक:

वित्तीय संस्थाओं जैसे की बैंक, प्रतिभूति निगम, LIC आदि के Bond को इस Category में रखा जाता है. इस Category के Bond का विनिमय अच्छी तरह से होता है साथ ही ये उनकी गुणवत्ता अनुसार रेटिंग के साथ आते है, इसलिए बड़े निवेशक इस Category के Bond में पैसा लगाना पसंद करते है।

टैक्स सेविंग बॉन्‍ड:

टैक्स सेविंग बॉन्‍ड की परिपक्ता सीमा लम्बे समय की होती है, और आपको पता होना चाहिए की इसमें Bond धारक को इनकम टैक्स धरा 80C के तहत टैक्स में छूट दी जाती है. ये Personal कर डाटा जो की लम्बे समय के लिए निवेश करना चाहते है उनके लिए बिलकुल उपयोक्त है।

जीरो-कूपन बॉन्‍ड:

Zero-coupon Bond को एक बड़ी छूट के साथ बेचा जाता है जो की Face value से काफी काम होती है. इसके अलावा वापसी के समय ऐसे फेस वैल्यू पर ख़रीदा जाता है. जीरो कूपन बॉन्ड को जेड बॉन्ड के रूप में भी जाना जाता है।

परिवर्तनीय बॉन्‍ड:

परिवर्तनीय बॉन्‍ड बॉन्ड कम्पनी द्वारा जारी किये जाते है जिसका मूल्य और संख्या Convertible रहती है. जो की Equity shares के निवेश के अनुसार बदलती रहती है।

अंतर्राष्ट्रीय बॉन्‍ड:

अंतर्राष्ट्रीय बॉन्‍ड विदेशी मुद्रा में, विदेशों में जारी किये जाते हैं. जो कि बॉन्‍ड Investors के बड़ी क्षमता वाले बाजार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Example Sentences of Bonds In Hindi

उन्हें अपनी नई नौकरी के लिए जॉइन करने से पहले एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए बनाया गया था।

उनके बीच दोस्ती का बंधन बन गया था।

लोगों के बीच एक बंधन उनके बीच एक करीबी लिंक है, उदाहरण के लिए, प्यार की भावनाएं, या एक विशेष समझौता।

श्रम सदियों तक बंधन में रहता था।

एक बांड एक सरकार या कंपनी द्वारा जारी किया गया एक प्रमाण पत्र है जो दर्शाता है कि आपने उन्हें पैसा उधार दिया है और वे आपको ब्याज का भुगतान करेंगे।

जब चीजें एक साथ बंधती हैं, तो वे एक दूसरे से चिपक जाती हैं या किसी तरह से जुड़ जाती हैं।

जब लोग एक-दूसरे के साथ संबंध बनाते हैं, तो वे प्रेम या साझा अनुभवों के आधार पर संबंध बनाते हैं।

Bond को फिक्स income security भी कहा जाता है।

बॉन्ड जारी करने वाला बॉन्ड खरीदने वाले को ब्याज भुगतान करता है।

आमतौर पर विश्वसनीय अभिनेता एक जमानत दास के रूप में एक छोटी सी भूमिका है, लेकिन वह एक कार्टून के रूप में भूमिका निभाता है|

रिश्तेदारी या शादी या सामान्य रुचि के आधार पर एक कनेक्शन; "एक बड़े परिवार के भीतर स्थानांतरण;" "उनकी दोस्ती उनके बीच एक शक्तिशाली बंधन है"

ग्रीस को अपने पहले बंध पत्र इश्यू के लिए मजबूत मांग मिली।

प्रत्येक व्यक्तिगत बान्ड खरीद आवेदन के लिए निर्धारित बान्ड - फार्म भरना होगा।

बहनों के बीच एक मजबूत बंधन था।

Bonds को जारी करने का हक़ सरकार, म्यूनसीपालिटिस, अलग अलग इन्स्टीटूटस, तथा कोर्पोरेशन को दिया गया है।

Bonds Meaning Detail In Hindi

एक बांड, जिसे निश्चित-आय सुरक्षा के रूप में भी जाना जाता है, पूंजी जुटाने के उद्देश्य से बनाया गया एक ऋण साधन है. वे अनिवार्य रूप से बॉन्ड जारीकर्ता और एक निवेशक के बीच ऋण समझौते हैं, जिसमें बॉन्ड जारीकर्ता को क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है निर्दिष्ट भविष्य की तारीखों में एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य किया जाता है।

सरकार और निगमों द्वारा बांड तब जारी किए जाते हैं जब वे धन जुटाना चाहते हैं. एक बॉन्ड खरीदकर, आप जारीकर्ता को एक ऋण दे रहे हैं, और वे आपको एक विशिष्ट तिथि पर ऋण के अंकित मूल्य का भुगतान करने के लिए सहमत होते हैं, और आपको समय-समय पर ब्याज भुगतान का भुगतान करने के लिए, आमतौर पर एक वर्ष में दो बार।

बांड कंपनियों या सरकारों द्वारा जारी किए जा सकते हैं और आमतौर पर एक ब्याज दर का भुगतान करते हैं. बॉन्ड का बाजार मूल्य समय के साथ बदलता है क्योंकि यह संभावित खरीदारों के लिए कम या ज्यादा आकर्षक हो जाता है. उच्च गुणवत्ता वाले बांड (समय पर भुगतान होने की अधिक संभावना) आम तौर पर कम ब्याज दर प्रदान करते हैं. जिन बांडों की परिपक्वता अवधि (पूर्ण पुनर्भुगतान तक लंबाई) कम ब्याज दर की पेशकश करते हैं।

बॉन्ड कैसे काम करते हैं?

जब कोई निवेशक एक बॉन्ड खरीदता है, तो वे बॉन्ड जारी करने वाले को उस पैसे (मूलधन) को "लोनिंग" करते हैं, जो आमतौर पर कुछ प्रोजेक्ट के लिए पैसा जुटाता है. जब बांड परिपक्व हो जाता है, तो जारीकर्ता निवेशक को मूलधन चुकाता है. ज्यादातर मामलों में, निवेशक बांड जारी करने तक जारीकर्ता से नियमित ब्याज भुगतान प्राप्त करेगा।

विभिन्न प्रकार के बॉन्ड निवेशकों को अलग-अलग विकल्प प्रदान करते हैं. उदाहरण के लिए, ऐसे बांड हैं जिन्हें उनकी निर्दिष्ट परिपक्वता तिथि से पहले भुनाया जा सकता है, और बांड जिन्हें किसी कंपनी के शेयरों के लिए एक्सचेंज किया जा सकता है, अन्य बांडों में जोखिम के विभिन्न स्तर होते हैं, जो इसकी क्रेडिट रेटिंग द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं।

मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) जैसी बॉन्ड रेटिंग एजेंसियां मौजूदा शोध के आधार पर निश्चित आय प्रतिभूतियों को ग्रेड करके निवेशकों को एक सेवा प्रदान करती हैं. रेटिंग प्रणाली इस संभावना को इंगित करती है कि जारीकर्ता ब्याज या पूंजीगत भुगतान पर डिफ़ॉल्ट होगा।

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है

केंद्र सरकार जल्द ही सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी कर सकती है. वित्त मंत्रालय ने ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने की रूपरेखा को अंतिम रूप दे क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है दिया है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी है. सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के बीच ग्रीन बांड जारी करके 16,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है. यह दूसरी छमाही के लिए उधार कार्यक्रम का एक हिस्सा है.

सूत्रों ने कहा कि रूपरेखा तैयार है और इसे जल्द ही मंजूरी दी जाएगी. बजट में ऐसे बांड जारी करने की घोषणा की गई थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए संसाधन जुटाने की खातिर सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने का प्रस्ताव रखती है. उन्होंने बजट 2022-23 में कहा था, ”इस राशि को सार्वजनिक क्षेत्र की उन परियोजनाओं में लगाया जाएगा, जो अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद करती हैं.”

बजट में किया था ऐलान

सरकार की चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-मार्च अवधि के दौरान कुल 5.92 लाख करोड़ रुपये का उधार लेने की योजना है. 2022-23 के बजट में सरकार ने 14.31 लाख करोड़ रुपये के सकल बाजार लोन का अनुमान लगाया था. इसमें से उन्होंने इस वित्त वर्ष के दौरान 14.21 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का फैसला किया है, जो बजट अनुमान से 10,000 करोड़ रुपये कम है.

विदेशी निवेशकों को लुभाना चाहती है सरकार

इस ग्रीन बॉन्ड के जरिए सरकार का मकसद विदेशी निवेशकों को लुभाने की है. अभी कई घरेलू निवेशक और विदेशी ऐसे हैं, जो बॉन्‍ड में पैसा लगाना क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है चाहते हैं. ऐसे निवेशक खासतौर पर ग्रीन सिक्‍योरिटीज में पैसा लगाना चाहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने ग्रीन बॉन्ड जारी करने के लिए विश्व बैंक और दानिश फर्म CICERO Shades of Green के साथ मिलकर काम पूरा कर लिया है. इस बॉन्‍ड को लेकर निवेशक भी खासा उत्‍साहित नजर आ रहे हैं.

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय)

मुख्य पृष्ठ

गरीबी दूर करने के लिए भारत सरकार ने वित्तीय समावेशन को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। यदि लोग बड़ी संख्या में वित्तीय सेवाओं से वंचित रहेंगे तो यह हमारे देश के विकास में बाधा बनेगा। नागरिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इस योजना की आवश्यकता थी जिससे सभी इससे होने वाले लाभ और विकास का हिस्सा बन सकें।

विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) की घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को ऐतिहासिक लाल किले से की थी जिसका शुभारम्भ 28 अगस्त 2014 को पूरे देश में किया गया। योजना के शुभारम्भ के समय माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसे गरीबों की इस दुष्चक्र से मुक्ति के त्योहार के रूप में मनाने का अवसर बताया।

माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक प्राचीन संस्कृत श्लोक -सुखस्‍य मूलम धर्मः , धर्मस्‍य मूलम अर्थः, अर्थस्‍य मूलम राज्‍यम का सन्दर्भ दिया जिसके अनुसार आर्थिक गतिविधियों में लोगों को शामिल करने की ज़िम्मेदारी राज्य की है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि "सरकार ने यह ज़िम्मेदारी उठा ली है"। प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए तक़रीबन 7.25 लाख बैंक कर्मचारियों को ईमेल भेजा था जिसमें उन्होंने 7.5 करोड़ बैंक खातों को खोलने के लक्ष्य को प्राप्त करने और वित्तीय अस्पृश्यता को समाप्त करने में मदद करने का आग्रह किया था।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है ने भी प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) के तहत प्राप्त उपलब्धियों को सराहा है। इसमें यह कहते हुए प्रमाण-पत्र जारी किया गया "वित्तीय समावेशन अभियान" के एक भाग के रूप में एक सप्ताह में जो सबसे अधिक बैंक खाते खोले गए, उसकी संख्या है - 18,096,130 और भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग ने 23 से 29 अगस्त 2014 के बीच यह उपलब्धि हासिल की। केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) को अर्थव्यवस्था का एक जबर्दस्त परिवर्तन बताया एवं कहा कि इससे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिए एक मंच मिला है जिससे सब्सिडी में आ रही खामियों को दूर करने में मदद मिलेगी एवं राजकोष में बचत को बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना क्या है?

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है जिसका उद्देश्य बैंकिंग/बचत, जमा खाता, प्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन इत्यादि वित्तीय सेवाओं को प्रभावी ढंग से सभी तक पहुँचाना है।

इस योजना के अंतर्गत मैं कहाँ खाता खोल सकता हूँ?

खाता किसी भी बैंक शाखा अथवा व्यवसाय प्रतिनिधि (बैंक मित्र) आउटलेट में खोला जा सकता है।

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  • राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर : 1800 11 0001 और 1800 180 1111

  • यदि आधार कार्ड/आधार नंबर उपलब्ध है तो किसी अन्य प्रलेख की आवश्यकता नहीं है। यदि आपका पता बदल गया है तो वर्तमान पते का स्वप्रमाणन पर्याप्त है।
  • यदि आधार कार्ड उपलब्ध नहीं है तो उस स्थिति में मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाईसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट तथा नरेगा कार्ड जैसे सरकारी रूप से वैध प्रलेखों (ओवीडी) में से किसी एक की आवश्यकता होगी। यदि इन दस्तावेजों में आपका पता भी मौजूद है तो ये पहचान तथा पते के प्रमाण के रूप में कार्य करेगा।
  • यदि किसी व्यक्ति के पास कोई भी "वैध सरकारी प्रलेख" नहीं हैं, लेकिन इसे बैंक द्वारा 'कम जोखिम' की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है तो वह व्यक्ति निम्नलिखित में से कोई एक प्रलेख जमा करके बैंक खाता खुलवा सकता/सकती है:
    • केंद्र/राज्य सरकार के विभाग, वैधानिक / विनियामक प्राधिकरण, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और लोक वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किये गए पहचान पत्र जिसमे आवेदक की तस्वीर लगी हो;
    • व्यक्ति की सत्यापित तस्वीर के साथ राजपत्रित अधिकारी द्वारा जारी किया गया पत्र।

    क्या चेकबुक उपलब्ध कराई जाएगी?

    प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) में खाते शून्य जमा राशि के साथ खोले जा रहे हैं। यदि खाता धारक को चेकबुक चाहिए तो उसे संबंधित बैंक के न्यूनतम शेष राशि से संबंधित मानदंड मानने होंगे।

    क्यों हो रहा है चुनावी बॉन्ड को लेकर हंगामा, क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड

    सदन के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया। कॉन्ग्रेस ने इस मुद्दे को दोनों सदनों में उठाया। इसकी वजह से राज्यसभा की कार्रवाई एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा में कांग्रेस की तरफ से मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि ये बॉन्ड जारी करके सरकारी भ्रष्टाचार को स्वीकृति दे दी गई है। उन्होंने ये तक कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सियासत में पूंजीपतियों का दखल हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इसका पलटवार करते हुए कहा है कि विपक्षी दल इसे बेवजह का मुद्दा बना रहे हैं।

    इस मुद्दे को पूरा जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड। दरअसल, किसी भी राजनीतिक दल को मिलने वाले चंदे को इलेक्टोरल बॉन्ड कहा जाता है। वैसे तो ये एक तरह का नोट ही होता है, जो एक हजार, 10 हजार, 10 लाख और एक करोड़ तक का आता है। कोई भी भारतीय इसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से खरीद कर राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकता है। इन बॉन्ड्स को जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत वे राजनीतिक पार्टियां ही भुना सकती हैं, जिन्होंने पिछले आम चुनाव या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट हासिल किए हों। चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित बैंक खाते में ही इस धन को जमा किया जा सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड 15 दिनों के लिए वैध रहते हैं केवल उस अवधि के दौरान ही अपनी पार्टी के अधिकृत बैंक खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके बाद पार्टी उस बॉन्ड को कैश करा सकती है।

    केंद्र सरकार ने देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू करने का ऐलान किया था। चुनावी बॉन्‍ड का इस्तेमाल व्यक्तियों, संस्थाओं और भारतीय व विदेशी कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जाता है। नियम के मुताबिक, कोई भी पार्टी नकद चंदे के रूप में दो हजार से बड़ी रकम नहीं ले सकती है। बॉन्‍ड पर दानदाता का नाम नहीं होता है, और पार्टी को भी दानदाता का नाम नहीं पता होता है। सिर्फ बैंक जानता है कि किसने किसको यह चंदा दिया है। इस चंदे को पार्टी अपनी बैलेंसशीट में बिना दानदाता के नाम के जाहिर कर सकती है।

    विपक्ष इन इलेक्टोरल बॉन्ड को भ्रष्टाचार का तरीका बता रही है। लोकसभा में गुरुवार को मनीष तिवारी ने कहा कि 2017 से पहले इस देश में एक मूलभूत ढांचा था। उसके तहत जो धनी लोग हैं उनका भारत के सियासत में जो पैसे का हस्तक्षेप था। उस पर नियंत्रण था। लेकिन 1 फरवरी 2017 को सरकार ने जब यह प्रावधान किया कि अज्ञात इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाएं जिसके न तो दानकर्ता का पता है और न जितना पैसा दिया गया उसकी जानकारी है और न ही उसकी जानकारी है जिसे दिया गया। उससे सरकारी भ्रष्टाचार पर अमलीजामा चढ़ाया गया है।

    इस बारे में कई लोगों ने आरटीआई भी डाली है। एक आरटीआई के जवाब से पता चलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है और चुनाव आयोग ने इस योजना पर आपत्तियां जताई थीं, लेकिन सरकार द्वारा इसे खारिज कर दिया गया था। आरबीआई ने 30 जनवरी, 2017 को लिखे एक पत्र में कहा था कि यह योजना पारदर्शी नहीं है और मनी लांड्रिंग बिल को कमजोर करती है और वैश्विक प्रथाओं के खिलाफ है। इससे केंद्रीय बैंकिंग कानून के मूलभूत सिद्धांतों पर ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा। चुनाव आयोग ने दानदाताओं के नामों को उजागर न करने और घाटे में चल रही कंपनियों को बॉन्‍ड खरीदने की अनुमति देने को लेकर चिंता जताई थी।

    हाल ही में आई रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले एक साल में इलेक्टोरल बॉन्डस के जरिए सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी को मिला है। एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पार्टियों को मिले चंदे में 91% से भी ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड एक करोड़ रुपये के थे। इन बॉन्ड्स की क़ीमत 5,896 करोड़ रुपये थी। 1 मार्च 2018 से लेकर 24 जुलाई 2019 के बीच राजनीतिक पार्टियों को जो चंदा मिला उसमें, एक करोड़ और 10 लाख के इलेक्टोरल बॉन्ड्स का लगभग 99.7 हिस्सा था।

    इलेक्टोरल बॉन्ड्स में पारदर्शिता की कमी को लेकर चुनाव आयोग लगातार सवाल उठाता आया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो इस तरह की फंडिंग के खिलाफ नहीं लेकिन चंदा देने वाले शख्स की पहचान अज्ञात रहने के खिलाफ है। इसी साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में चुनावर बॉन्ड्स पर तत्काल रोक लगाए बगैर सभी पार्टियों से अपने चुनावी फंड की पूरी जानकारी देने को कहा था।

    बॉन्ड यील्ड चढ़ा और गिरने लगे बाजार, निवेशकों पर क्या होगा असर?

    गवर्नमेंट या सरकारी बांड्स को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है.

    बॉन्ड यील्ड चढ़ा और गिरने लगे बाजार, निवेशकों पर क्या होगा असर?

    दुनिया भर के शेयर बाजारों में 26 फरवरी को बड़ी गिरावट देखी गई. भारत में भी सेंसेक्स और निफ्टी बेंचमार्क इंडेक्स करीब 3.75% टूटे. US, जापान जैसे विकसित देशों के लांग टर्म बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण मार्केट में काफी प्रॉफिट बुकिंग हुई. जब-जब बॉन्ड यील्ड बढ़ती है तो शेयर बाजार लड़खड़ाने लगता है. आइए समझते हैं क्या है बॉन्ड यील्ड? शेयर बाजार से इसका क्या है संबंध और आगे क्या है उम्मीद?

    क्या होते हैं बॉन्ड?

    बॉन्ड बाजार से पैसे जुटाने के लिए प्रयुक्त फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं. आमतौर पर सरकारें विभिन्न जरूरतों के लिए पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं. साथ ही अनेक कंपनियां भी कॉर्पोरेट बांड्स की मदद से पैसे जुटाती हैं. लोन की तरह ही सरकार या कंपनियां बॉन्ड पर तय ब्याज देती है. बॉन्ड की अवधि 3 महीने से लेकर 10 वर्ष या उससे ज्यादा भी हो सकती है.

    बॉन्ड यील्ड का क्या है मतलब?

    बॉन्ड से मिलने वाले ब्याज को बॉन्ड यील्ड कहा जाता है. कूपन बांड्स यानी सालाना ब्याज वाले बॉन्ड के अलावा कुछ बॉन्ड फेस वैल्यू की तुलना में डिस्काउंट यानी छूट पर भी जारी किए जाते हैं. उदाहरण के लिए 1000 रूपये के बॉन्ड को 800 की दर पर जारी किया जा सकता है. मेच्योरिटी पर निवेशक को फेस वैल्यू यानी 1000 रुपये लौटाए जाते हैं. इस तरह निवेशकों को एक खास दर पर पैसे में वृद्धि मिलती है.

    एक बार सरकार या बॉन्ड जारी करने वाली संस्था से खरीद क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है के बाद ऐसे बांड्स का व्यापार सेकेंडरी बॉन्ड मार्केट में भी किया जा सकता है. विभिन्न फैक्टरों के आधार पर इनके भाव खरीद बिक्री की प्रक्रिया में बढ़ते घटते रहते हैं. इसका स्वाभाविक तौर पर प्रभाव बॉन्ड से मिलने वाले रिटर्न पर भी होता है.

    बॉन्ड के दाम अगर बढ़ते हैं तो निवेशकों को मिलने वाले रिटर्न में कमी आती है. यह स्थिति बॉन्ड यील्ड कम होने की स्थिति होती है. इसके विपरीत अगर बॉन्ड मार्केट में बॉन्ड सस्ते हो जाते हैं तो यह बॉन्ड यील्ड में इजाफा होता है.

    शेयर बाजार से क्या है संबंध?

    निवेशक सर्वाधिक मुनाफे के लिए सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना पसंद करते हैं. इक्विटी यानी शेयर मार्केट में रिस्क के साथ ही रिटर्न की भी अच्छी संभावना होती है. वहीं डेट या बॉन्ड मार्केट में रिस्क नहीं या काफी कम होता है और निवेशक एक तय रिटर्न प्राप्त करते हैं. कोरोना से उबरने के माहौल में निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में बड़ा भरोसा जताया गया है.

    कुछ जानकारों के अनुसार इस ट्रेंड के कारण बाजार अपने सही वैल्यूएशन से काफी आगे निकल गया है. बॉन्ड मार्केट में यील्ड के बढ़ने से भी इस तर्क को ज्यादा जोर मिला है. इससे क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है पता चलता है कि निवेशक बॉन्ड और अन्य मार्केट में भरोसा ना जताते हुए इक्विटी की तरफ बेहताशा आए हैं. साथ ही अब बांड्स में अच्छे रिटर्न के कारण निवेशक शेयर बाजार से डेब्ट मार्केट की तरफ जा सकते हैं. इस तरह बॉन्ड यील्ड और इक्विटी मार्केट में विपरीत संबंध होता है.

    आने वालों दिनों में इसका क्या होगा बाजार पर असर?

    विकसित देशों जैसे US, जापान में बॉन्ड यील्ड बढ़ने से विदेशी निवेशकों (FII) द्वारा भारत जैसे बाजारों क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है से पैसे निकाले जा सकते हैं. बाजार की हालिया तेजी में FII निवेश का बड़ा योगदान रहा है. हाल में भारत का 10 वर्षों का बॉन्ड यील्ड भी 5.76% से 6.20% पे आ गया है. विदेशी निवेशक अगर भारतीय बाजार में रहते हुए भी अगर अपने पैसे को डेट मार्केट में डालते हैं तब भी शेयर बाजार पर नकारात्मक असर दिखेगा.

    2013 में US में ‘टेपर टैंटरम’ की घटना का उदाहरण देकर भी लोग इस स्थिति को बताने की कोशिश कर रहे हैं. इस दौरान US में ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी का मार्केट पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव हुआ था.

    RBI से क्या करें उम्मीद?

    रिजर्व बैंक लांग टर्म बॉन्ड यील्ड को 6% के पास रखने की कोशिश करेगा. बॉन्ड क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है यील्ड के बढ़ने से सरकार के बाजार से पैसे जुटाने की योजना पर बड़ा असर पड़ेगा. बजट में इस वर्ष और आने वाले वर्षों में सरकार द्वारा बॉन्ड मार्केट से बड़ी रकम उठाने का ऐलान किया गया है. हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों संबंधी बदलाव की संभावना कम है. RBI ओपन मार्केट ऑपरेशन और ऑपरेशन ट्विस्ट की सहायता से बॉन्ड यील्ड में कटौती की कोशिश कर सकता है. ऑपरेशन ट्विस्ट के अंतर्गत केंद्रीय बैंक बिना लिक्विडिटी को प्रभावित किए लांग टर्म बॉन्ड यील्ड में कमी लाने की कोशिश करता है.

    निवेशकों के लिए सरकारी बॉन्ड मार्केट खुलने का मतलब, आपके लिए क्या?

    निवेशकों के लिए सरकारी बॉन्ड मार्केट खुलने का मतलब, आपके लिए क्या?

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