लाभ 70% प्रति माह

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व्यवसाय शिक्षुओं को देय प्रतिमाह वृत्तिका की न्यूनतम दर निम्न प्रकार हैः
Online Maths Test for Competitive Exams in Hindi – गणित ऑनलाइन टेस्ट
Online Maths Test for Competitive Exams in Hindi – गणित ऑनलाइन टेस्ट, Online math test in hindi, is here. ये प्रश्न प्रतियोगिता परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं और इसी प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। आप इसमें से पीडीऍफ़ भी डाउनलोड कर सकते हैं और अन्य प्रश्न जैसे की सामान्य ज्ञान, हिंदी, तर्कशक्ति एवं सामान्य बुद्धिमता और गणित जैसे प्रश्न का अभ्यास कर सकते हैं।
Online Maths Test for Competitive Exams in Hindi – गणित ऑनलाइन टेस्ट
Ques 1: 53 + 63 + 73 +…..+103 का मान होगा
Ques 2: कोई व्यक्ति एक साइकिल रु1400 में खरीदता है तथा रु15% की हानि पर बेच देता है। उस साइकिल का विक्रय मूल्य होगा
- रु1202
- रु1190
- रु1160
- रु1000
Ques 3: अर्चना कुछ सामान रु220 में खरीदता है। यदि ऊपरी खर्च रु 15% हो तो वह सामान किस मूल्य से बेचे कि उसे 20% लाभ हो?
Ques 4: एक चुनाव में एक उम्मीदवार को 52% वोट मिले और वह 122 वोटों से जीता है। जीतने वाले उम्मीदवार को कुल कितने वोट मिले?
Ques 5: राम मोहन से 80% अधिक दक्ष है। यदि मोहन एक कार्य 54 दिनों में करता है, तो राम उस कार्य को कुल कितने दिनों में करेगा?
- 20 दिन में
- 30 दिन में
- 15.5 दिन में
- 11.2 दिन में
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Ques 6: एक सिनेमा के लिए दर्शकों से पहले दिन रु 20 दूसरे दिन रु 15 तथा तीसरे दिन रु 7 लिए गए। तीनों की उपस्थिति क्रमशः 3ः 5ः 12 थी। प्रति व्यक्ति औसत प्रवेश शुल्क क्या होगा?
Ques 7: 34.7×3.6-4.92/92.3×4.4-6.12 का मान है
Ques 8: किसी संख्या का 1/6 उसी संख्या के दोगुने से 44 कम है उस संख्या का 70% होगा।
Ques 9: 72+63+53….. श्रेणी में शून्य पद का स्थान कौन-सा होगा?
Ques 10: यदि √(1+27/169)=(1+x/13) हो तो x का मान होगा?
Ques 11: अजीत अपनी वास्तविक चाल की 3/5 चाल से चलकर जौनपुर से वाराणसी 20 मिनट देर से पहुँचता है। यदि अपनी वास्तविक चाल से चले तो उसे वाराणसी पहुचने में कितना समय लगेगा?
Ques 12: कोई राशि साधारण ब्याज द्वारा किसी दर से 3 वर्ष में स्वयं की 7/6 गुनी हो जाती है। ब्याज की प्रतिशत वार्षिक दर है
Ques 13: A एक व्यवसाय रु 3500 से लाभ 70% प्रति माह आरम्भ करता है। 5 महीने बाद B उसका साझीदार बन जाता है। एक वर्ष दोनों के बीच के लाभ को 2:3 के अनुपात में विभाजित कर दिया जाता है। B का पूजी निवेश होगा
- रु 8000
- रु 8500
- रु 9000
- रु 9500
Ques 14: एक संख्या को दूसरी संख्या से भाग दिया गया है। यदि भाजक, भागफल का 12 गुना तथा
शेषफल का 5 गुला हो तथा शेषफल 48 हो, तो भाज्य होगा।
Ques 15: संख्या (3127) 173 में इकाई का अंक है
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Ques 16: A एक कार्य को 18 दिन में पूरा करता है तथा B उसी कार्य को A के आधे समय में पूरा करता है। यदि दोनों साथ मिलकर कार्य करें, तो 1 दिन में काम का कितना भाग पूरा होगा?
Ques 17: एक विद्यार्थी ने किसी संख्या को 5/3 से गुणा करने के स्थान पर 3/5 से गुणा कर दिया। परिकलन में त्रुटि का प्रतिशत है
Ques 18: A और B एक ही दिशा मे क्रमशः 40 किमी/घण्टा तथा 50 किमी/घण्टा की गति से चलना प्रारम्भ करते है। यदि यात्रा पूरी करने में A को B से 15 मिनट अधिक लगे, तो यात्रा की कुल दूरी होगी
Ques 19: सोनल ने कुछ रूपये 25% चक्रवृद्धि ब्याज प्रतिवर्ष की दर से उधार लिए। यदि तीन वर्ष के अन्त में वह रु 2500 देती हैं, तो उसने कितने रूपये उधार लिए?
Ques 20: 2.8 मी व्यास का एक चक्का 320 चक्करों में कितनी दूरी तय करेगा?
Ques 21: एक सर्कस का तम्बू शंकु के आकार का है। उसके आधार की त्रिज्या 8 मी है। यदि उस तम्बू की ऊचाई 15 मी है, तो तम्बू के लिए कितनी तिरपाल चाहिए?
- 427 3/7 मी 2
- 188 4/7 मी 2
- 930 मी 2
- 203.34 मी 2
निर्देश (प्र.सं. 72-75) निम्नांकित तालिका में वर्ष 1996 से 2001 तक विभिन्न कम्पनियों के कारखानों में एयर लाभ 70% प्रति माह कण्डीशनरों की उत्पादन संख्या दर्शित है। इस तालिका का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए तथा इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
Ques 22: वर्ष 2000 से वर्ष 2001 में कम्पनी D के कारखानों में एयर कण्डीशनरों के उत्पादन में कितने प्रतिशत की कमी आई है?
Ques 23: वर्ष 2000 में कम्पनी A के कारखाने में उत्पादित एयर कण्डीशनरों में तथा वर्ष 1996 व वर्ष 1998 में इसी कम्पनी के कारखाने में उत्पादित एयर कण्डीशनरों के योग में क्या अनुपात हैं?
Ques 24: वर्ष 1996 में उत्पादित एयर कण्डीशनरों की कुल संख्या वर्ष (1996&2001) तक के औसत उत्पादन का कितने प्रतिशत है?
शिक्षुता प्रशिक्षण
मानव संसाधन विकास किसी राष्ट्र के औद्योगिक विकास के लिए निर्णायक होता है। कौशल उन्नयन मानव संसाधन विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। केवल संस्थानों में दिया गया प्रशिक्षण कौशल प्राप्ति के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि कार्यस्थल पर भी प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। शिक्षु अधिनियम, 1961 बनाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योग में उपलब्ध सुविधाओं का पूरा लाभ उठाया जा सके ताकि उद्योग की कुशल जनशक्ति की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। प्रारम्भ में इस अधिनियम में व्यवसाय शिक्षुओं का शिक्षुता प्रशिक्षण ही शामिल किया गया था। बाद में स्नातकों, तकनीशियनों, तकनीशियन (व्यावसायिक) तथा वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षुओं को भी इसके अंतर्गत लाने के लिए इसे क्रमशः 1973, 1986 तथा 2014 में संशोधित किया गया।
उद्देश्य
शिक्षु अधिनियम, 1961 निम्नलिखित उद्देश्यों से लाया गया थाः--
- उद्योग में शिक्षुओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम को विनियमित करना ताकि निर्धारित पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण की अवधि आदि को केन्द्रीय शिक्षुता परिषद द्वारा दिए गए अनुसार उसके समरूप बनाया जा सके।
- उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति की जरुरतों को पूरा करने के दृष्टिकोण से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु उद्योगों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना।
अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी
- कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के अंतर्गत प्रशिक्षण महानिदेशालय चैन्नई, फरीदाबाद, हैदराबाद, कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित छह क्षेत्रीय शिक्षुता लाभ 70% प्रति माह प्रशिक्षण निदेशालयों के माध्यम से चार या इससे अधिक राज्यों में केन्द्रीय सरकार के उपक्रमों तथा विभागों तथा व्यवसाय संचालित कर रहे संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के मामले में शिक्षु अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी रखता है।
- राज्य सरकार के उपक्रमों/विभागों तथा निजी संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के संबंध में अधिनियम के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य शिक्षुता परामर्शदाताओं की है।
- स्नातकों, तकनीशियनों तथा तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षुओं के लाभ 70% प्रति माह मामले में अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करने की जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय में शिक्षा विभाग की है। यह निगरानी चैन्नई, लाभ 70% प्रति माह कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित चार शिक्षुता प्रशिक्षण बोर्डों के माध्यम से की जाती है।
केन्द्रीय शिक्षुता परिषद
- यह एक शीर्षस्थ सांविधिक निकाय है। गठन की दृष्टि से यह त्रिपक्षीय है जिसमें केन्द्र तथा राज्य दोनों सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों, नियोक्ताओं आदि से सदस्य होते हैं।
- यह शिक्षुता प्रशिक्षण के मामले में नीतियां निर्धारित करने तथा मानदंड और मानक निश्चित करने में सरकार को परामर्श देता है।
शिक्षुता प्रशिक्षण के क्षेत्र
शिक्षुता प्रशिक्षण निर्दिष्ट तथा वैकल्पिक दोनों व्यवसायों में दिया जा सकता है।
निर्दिष्ट व्यवसाय से अभिप्राय है सरकार द्वारा यथा अधिसूचित कोई व्यवसाय या पेशा।
वैकल्पिक व्यवसाय का मतलब है नियोक्ता द्वारा विनिश्चित कोई व्यवसाय या कारोबार
शिक्षुता कोटियां
शिक्षुता की पांच कोटियां हैं
- व्यवसाय शिक्षु
- स्नातक शिक्षु
- तकनीशियन शिक्षु
- तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षु
- वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षु
- 40 या इससे अधिक जनशक्ति तथा अधिनियम में यथा निर्धारित अपेक्षित प्रशिक्षण अवसंरचना रखने लाभ 70% प्रति माह वाले नियोक्ताओं के लिए यह अनिवार्य है कि शिक्षुओं को काम पर लगाएं।
- नियोक्ता, संस्थानों की कुल जनशक्ति जिसमें संविदा पर लगाए गए कर्मचारी शामिल हैं, के 2.5% से 10% के समूह में शिक्षु नियुक्त करेंगे।
- 2.5% से 10% के समूह में लगाए गए शिक्षुओं की कुल संख्या में संस्थान द्वारा लगाए गए सभी शिक्षुओं की कोटियां शामिल हैं।
- शिक्षुओं की कोटियां तथा व्यवसाय(यों) का निर्णय जिनमें शिक्षुओं को लगाया जाना है, संस्थान/नियोक्ता अपने पास उपलब्ध ऑन-दी-जाब प्रशिक्षण/कार्य स्थल पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने की सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
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व्यवसाय शिक्षुओं को देय प्रतिमाह वृत्तिका की न्यूनतम दर निम्न प्रकार हैः
राजस्थान में पोषण सुधार के लिए नवाचार
सितम्बर माह को पोषण माह के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने संपूर्ण राष्ट्र में पोषण अभियान के तहत कई लाभ 70% प्रति माह सामुदायिक गतिविधियां आयोजित होती हैं, जिससे समुदाय में पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ती है। राजस्थान नवीन पहलों एवं जन आंदोलन के लिए अग्रणी राज्य रहा है। मातृ व बाल पोषण को बढ़ावा देकर राज्य ने सुनिश्चित किया कि समुदाय पोषण-पथ पर स्वावलम्बी बनें।
2020 में राजस्थान सरकार ने पांच जनजातीय जिलों में इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना का शुभारंभ किया। अगस्त 2022 में इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया। योजना के तहत गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को दूसरी संतान के लिए ₹6,000 की राशि पांच किस्तों में मिल रही है। इस वित्तीय सहायता का लक्ष्य महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक रूप से सशक्त करना है ताकि वे पौष्टिक आहार प्राप्त कर सकें। पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार का सेवन करने से गर्भावस्था के समय महिला के वज़न में उचित वृद्धि हो सकती है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के सही विकास के लिए हितकारी है और बच्चे के स्वस्थ पैदा होने की संभावना को बढ़ाता है। शिशु के जीवन के पहले 1,000 दिन, यानी गर्भावस्था के आरम्भ से बच्चे के दो साल के होने तक का समय, अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। अतः राजस्थान सरकार की यह योजना शिशु के जीवन की इस बहुमूल्य नींव को मजबूत बनाने के लिए एक ठोस कदम है।
योजना द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक लाभ की किस्तों की शर्तें महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बंधी व्यवहार का अनुपालन करने में मदद करती हैं। इस प्रकार महिलाएं निर्धारित सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ 70% प्रति माह लाभ समय पर प्राप्त कर सकती हैं। योजना की किस्तों की संरचना गर्भावस्था का शीघ्र पंजीकरण, समय से प्रसव पूर्व जांच, संस्थागत प्रसव, बच्चे का टीकाकरण, परिवार नियोजन, आदि सुनिश्चित करती है।
यह योजना सरकार की एक अनूठी पहल है, जिसमें महिलाओं को लाभ प्राप्त करने के लिए किसी भी आवेदन की बाध्यता नहीं है। इस कारण योजना का लाभ उठाना बहुत सरल है। किस्तों की निर्धारित शर्तों की पूर्ति होने की स्थिति में महिलाएं स्वतः लाभ के लिए योग्य हो जाती हैं और किस्त की रकम सीधे उनके खाते में क्रेडिट हो जाती है। योजना का लाभ प्राप्त कारने के लिए राज्य सरकार द्वारा आवंटित व्यक्तिगत जन-आधार पर्याप्त है।
इस योजना के लिए लागू की गई कागज-रहित प्रणाली राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी महिला व बाल विकास विभाग की है।
योजना में आर्थिक लाभ के साथ व्यवहार परिवर्तन संचार के लिए भी प्रावधान है। यह सुनिश्चित करता है कि परिवार और समुदाय में पोषण को प्राथमिकता मिले और वित्तीय सहायता की राशि का प्रयोग केवल मातृत्व व बाल पोषण हेतु हो। व्यवहार परिवर्तन संचार के तहत राजस्थान पारस्परिक व सामूहिक परामर्श, ‘ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण समिति’ तथा ‘सहभागी सीख और क्रियान्वयन’ के माध्यम से सामुदायिक लामबंदी, सामुदायिक स्थलों में चित्र व पोस्टर, डिजिटल मीडिया, इत्यादि का उपयोग कर रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के एएनएम और आशा सहयोगिनी पोषण-संबंधी परामर्श प्रदान करते हैं।
व्यवहार परिवर्तन केवल माताओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे परिवार व समुदाय के लिए लक्षित है। सामान्यत: घर में पति या सास खाना खरीदते हैं या गृहस्थी-संबंधित निर्णय लेते हैं। पितृ सत्ता के कारण प्रायः महिलाएं भोजन का सेवन घर के सब सदस्यों को खिला के करती हैं। कुछ रूढ़िवादी परम्पराएं, जैसे मां को गर्भावस्था के समय दूध-दही से वंचित रखना और नवजात शिशु को जन्म-घुट्टी पिलाना, आदि आज तक चली आ रही हैं और सुपोषण के पथ पर बाधाएं डाल रही हैं। इन समस्याओं के निवारण के लिए पोषण हेतु जन भागीदारी आवश्यक है। इससे मातृत्व व बाल पोषण को लेकर सभी हित धारकों की धारणा एवं सही आचरण सुनिश्चित किया जा सकता है और जच्चा-बच्चा के प्रति अपना कर्तव्य निभाने हेतु प्रेरित किया जा सकता है।
इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना के लागू होने से राजस्थान की 70% से अधिक महिलाओं को वित्तीय सहायता मिल सकता है। इस योजना से पूर्व यह आंकड़ा लगभग 35% था। इस प्रकार राज्य ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत महिलाओं के लिए ₹6000 की आर्थिक सहायता के प्रावधान को प्रत्यक्ष करने की ओर कदम बढ़ाया है।
वित्तीय सहायता और व्यवहार परिवर्तन संचार के इस अनूठी पहल से राजस्थान मातृत्व व बाल पोषण हेतु जन आंदोलन को मजबूत कर रहा है और जनभागीदारी बढ़ा रहा है। हम आशा करते हैं कि पूरा देश राजस्थान की इस पहल का अनुसरण करे एवं महिलाओं हेतु वित्तीय सहायता व पोषण-संबंधी सामुदायिक गतिविधियों को बढ़ावा दे ताकि घर-परिवार खुशहाल, स्वस्थ व सुपोषित हों।
Bihar Labour Card Online Apply 2022
Short Detail : बिहार सरकार के द्वारा अब बिहार के श्रमिक, मजदुर, कामगार, का लेबर कार्ड ऑनलाइन बनाया जायेगा पहले इस योजना में ऑफलाइन आवेदन होता था परन्तु अब ऑनलाइन होगा एवं लेबर कार्ड जिनको जारी किया जायेगा उन श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं का लाभ भी दिया जायेगा |
Bihar Labour Card Online 2022
Bihar Shramik Card Online 2022
Bihar Labour Card Registration 2022
बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
लेबर कार्ड कौन कौन बनवा सकता है
लेबर कार्ड धारक को किस योजना में कितना पैसा मिलता है
Intrested Candidate for More Details Please Download Official Notification And Read All Details Before Apply Online.