सिग्नल कैसे काम करते हैं?

उपयोगी कॉन्टेंट से जुड़ा Google Search का अपडेट और आपकी वेबसाइट
Google Search के, उपयोगी कॉन्टेंट से जुड़े अपडेट में ऐसा सिग्नल जनरेट होता है जिसका इस्तेमाल, अपने-आप काम करने वाले हमारे रैंकिंग सिस्टम करते हैं. इससे यह पक्का करने में मदद मिलती है कि लोगों को खोज के नतीजों में ओरिजनल और दूसरों का लिखा हुआ उपयोगी कॉन्टेंट दिखे. इस पेज पर इस बारे में ज़्यादा जानकारी दी गई है कि यह अपडेट कैसे काम करता है. साथ ही, अपने कॉन्टेंट का आकलन करने और उसे बेहतर बनाने के तरीकों के बारे में भी बताया गया है.
उपयोगी कॉन्टेंट से जुड़ा अपडेट कैसे काम करता है
उपयोगी कॉन्टेंट से जुड़े अपडेट का मकसद, ऐसे कॉन्टेंट को बढ़ावा देना है जिससे लोगों को अच्छा अनुभव मिला. वहीं, जो कॉन्टेंट लोगों की उम्मीदों के मुताबिक नहीं होता है उसे पसंद नहीं किया जाएगा.
इस अपडेट से पूरी साइट के लिए एक सिग्नल जनरेट होता है. हम वेब पेजों की रैंकिंग के लिए इस सिग्नल के साथ-साथ कई अन्य सिग्नल का भी इस्तेमाल करते हैं. हमारे सिस्टम ऐसे कॉन्टेंट की पहचान अपने-आप कर लेते हैं जो कम अहमियत वाला होता है. इसके अलावा, वे ऐसे कॉन्टेंट को भी पहचान लेते हैं जिसमें कम जानकारी जोड़ी गई है या जो खोज करने वाले लोगों के लिए खास फ़ायदेमंद नहीं है.
आपकी साइटों पर मौजूद सिर्फ़ कम उपयोगी कॉन्टेंट ही नहीं, बल्कि कोई भी ऐसा कॉन्टेंट जिसमें ज़्यादातर जानकारी ग़ैर-ज़रूरी है, वह Search पर अच्छा परफ़ॉर्म नहीं कर पाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि वेब पर ऐसा दूसरा कॉन्टेंट मौजूद हो सकता है जिसे दिखाने से लोगों को ज़्यादा फ़ायदा मिले. इस वजह से, कम उपयोगी कॉन्टेंट को हटाने से आपके दूसरे कॉन्टेंट की रैंकिंग बेहतर होने में मदद मिल सकती है.
कॉन्टेंट की कैटगरी तय करने वाली यह प्रोसेस पूरी तरह अपने-आप काम करती है. इसके लिए, मशीन लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल किया जाता है. यह मैन्युअल ऐक्शन या स्पैम वाली कार्रवाई नहीं है. यह उन कई सिग्नल में से एक है जिनका इस्तेमाल Google, कॉन्टेंट की रैंकिंग तय करने के लिए करता है.
इसका मतलब है कि साइटों पर, लोगों की पसंद के हिसाब बनाए गए ऐसे कॉन्टेंट को अच्छी रैंकिंग मिल सकती है जिसे कम उपयोगी के तौर पर मार्क किया गया है. ऐसा तब होता है, जब किसी कॉन्टेंट के लिए ऐसे सिग्नल मौजूद हों जिनसे यह पता चले कि लोगों की पसंद के हिसाब बनाया गया कॉन्टेंट, किसी क्वेरी के हिसाब से उपयोगी और काम का है. सिग्नल की अहमियत भी सिग्नल कैसे काम करते हैं? मायने रखती है; ऐसी साइटों पर ज़्यादा असर पड़ सकता है जिन पर कम उपयोगी कॉन्टेंट ज़्यादा मौजूद है.
फ़िलहाल, यह अपडेट दुनिया भर में सिर्फ़ अंग्रेज़ी में की जाने वाली खोजों के लिए उपलब्ध है. आने वाले समय में, हम इसे अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं. हम कॉन्टेंट की कैटगरी तय करने वाली प्रोसेस को भी बेहतर बनाते रहेंगे. साथ ही, हम अपने रैंकिंग से जुड़े Google Search के अपडेट वाले पेज पर, होने वाले बड़े बदलावों के बारे में भी बताते रहेंगे.
मेरी साइट के लिए इस अपडेट का क्या मतलब है?
उपयोगी कॉन्टेंट से जुड़े अपडेट के लिए, कॉन्टेंट बनाने के तरीके के बारे में ज़्यादा जानने के लिए, सबसे पहले सर्च इंजन के बजाय, हमारे सहायता पेज पर जाएं. यहां आपको, लोगों के हिसाब से मददगार और भरोसेमंद कॉन्टेंट बनाने का तरीका पता चलेगा. इसमें कुछ सिग्नल कैसे काम करते हैं? ऐसे सवाल हैं जो कॉन्टेंट का आकलन करते समय खुद से पूछे जा सकते हैं.
आम तौर पर, यह एक स्वाभाविक सवाल है कि साइट से कम उपयोगी कॉन्टेंट हटाने पर, उसकी रैंकिंग बेहतर होने में कितना समय लगेगा? जिन साइटों की पहचान इस अपडेट से की गई है उनके लिए, कुछ महीनों में इस सिग्नल को लागू किया जा सकता है. कॉन्टेंट की कैटगरी तय करने वाली हमारी प्रोसेस लगातार काम करती रहती है. इससे, हाल ही में लॉन्च की गई साइटों और मौजूदा साइटों पर नज़र रखी जा सकती है. जैसे-जैसे यह पता चलता है कि कम उपयोगी कॉन्टेंट लंबे समय से नहीं दिखा है, तो कॉन्टेंट की कैटगरी तय करने वाली प्रोसेस लागू नहीं की जाएगी.
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Network Cell Info Lite & Wifi
नेटवर्क सेल इंफो लाइट एक व्यापक मोबाइल नेटवर्क और वाई-फाई मॉनिटरिंग ऐप है जिसमें माप और डायग्नोस्टिक टूल (5G, LTE+, LTE, CDMA, WCDMA, GSM) हैं। नेटवर्क सेल इंफो आपको अपने स्थानीय सेल कैरियर सिग्नल कैसे काम करते हैं? रेडियो फ्रीक्वेंसी परिदृश्य के बारे में जानकारी रखते हुए आपके स्वागत और कनेक्टिविटी समस्याओं के निवारण में मदद कर सकता है।
नेटवर्क सेल इंफो लाइट उन सभी के लिए है जो अपने मोबाइल अनुभव को बेहतर बनाना चाहते हैं और अपनी सबसे मजबूत सेलुलर और वाई-फाई सिग्नल शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को उनकी सिग्नल शक्ति (सेलुलर और वाई-फाई) के इतिहास के आंकड़ों के साथ-साथ यह भी दिखाता है कि वे किस सेलुलर टावर से जुड़े हैं। उपयोगकर्ता "खराब सिग्नल रिपोर्टर" सुविधा के माध्यम से खराब सिग्नल का अनुभव होने पर भी रिपोर्ट कर सकते हैं।
सुविधाओं की तुलना: https://m2catalyst.com/apps/network-cell-info/features
📡मुख्य विशेषताएं📡:
गेज और रॉ टैब्स (*) में सेलुलर कैरियर और वाईफाई सिग्नल की लगभग रीयल-टाइम (1 सेकंड) निगरानी
☆5G, LTE+, LTE, IWLAN, UMTS, GSM, CDMA सपोर्ट
वन-टैप वाईफाई/मोबाइल इंटरनेट परफॉर्मेंस स्पीड टेस्ट (डाउनलोड, अपलोड, पिंग और जिटर)
दोहरी सिम समर्थन (*)
☆2-3 सिम और वाईफाई (*) दोनों के लिए सिग्नल-मीटर गेज
सिग्नल प्लॉट, 2 सेल तक
बैंड नंबर (*)
सिम# वरीयता विकल्प, गेज टैब के अलावा अन्य के लिए
नेटवर्क सेलुलर जानकारी और सिग्नल-मीटर गेज के साथ मानचित्र
इतिहास लॉग, सेलुलर संकेतों का मापन (मानचित्र टैब में)
मोज़िला लोकेशन सर्विस (एमएलएस) से मैप में सेल लोकेशन (कैरियर सेल टावर नहीं) का संकेत, एक्सेल। सीडीएमए (*)
व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ सिग्नल खोजक मानचित्र परत स्थान के आधार पर आपके सिग्नल की शक्ति का इतिहास दिखाती है
क्राउडसोर्स्ड बेस्ट सिग्नल फाइंडर आपके कैरियर के निकटतम सर्वश्रेष्ठ सिग्नल दिखाता है
व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ सिग्नल खोजक इतिहास समय के साथ आपकी सिग्नल शक्ति को रेखांकन करता है
सिग्नल स्ट्रेंथ के अनुसार रूट कलरिंग (मैप में), और लोकेशन और सिग्नल की जानकारी के साथ मैप मार्कर
माप सेटिंग्स (न्यूनतम दूरी, न्यूनतम सटीकता, गति संवेदक, आदि)
KML 2.2, MLS Geosubmit v.2, CLF v.3, OpenCellID CSV, और CMWF डेटाबेस प्रकारों में डेटाबेस निर्यात इतिहास मापन
स्टेटस बार में नेटवर्क की जानकारी
वाहक नेटवर्क सेलुलर जानकारी का कच्चा दृश्य
कनेक्शन आँकड़े (2G/3G/4G/5G)
सिम और डिवाइस की जानकारी
डेटा सटीकता Android API के डिवाइस कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। सभी निर्माता/उपकरण पूरी तरह/सही ढंग से Android API लागू नहीं करते हैं।
Android आप अपने क्षेत्र में Mozilla MLS डेटाबेस को अद्यतन करने के लिए Mozilla Stumbler ऐप का उपयोग कर सकते हैं।
कृपया हमारे सशुल्क ऐप की अमीर सुविधाएं भी देखें: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.wilysis.cellinfo
बीटा, जब उपलब्ध हो: https://m2catalyst.com/apps/network-cell-info/beta-lite-testing
मैनुअल: https://m2catalyst.com/apps/network-cell-info/manual
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: http://m2catalyst.सिग्नल कैसे काम करते हैं? com/apps/network-cell-info/faq (एप्लिकेशन सेटिंग के अंदर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न / के बारे में)
आम डेटाबेस प्रारूप: https://m2catalyst.com/apps/network-cell-info/database
प्रो सदस्यता डेटाबेस प्रारूप: https://m2catalyst.com/apps/network-cell-info/database-pro
फ़ोन संबंधी समस्याएं: https://m2catalyst.com/apps/network-cell-info/android-issues
दोहरी सिम समस्याएं: सुनिश्चित करें कि आपने इसे ऐप सेटिंग में सक्षम किया है, https://m2catalyst.com/apps/network-cell-info/dual-sim-issues
माप डेटाबेस: आपके द्वारा MAP टैब में किए गए मापों को आपके डिवाइस पर स्थानीय रूप से सहेजा जा सकता है।
काम की बात! ट्रैवल करते समय फोन से गायब हो जाता है नेटवर्क, इन आसान तरीकों से बढ़ाएं सिग्नल
फोन में नेटवर्क की सिग्नल कैसे काम करते हैं? समस्या आना बेहद आम बात है. लेकिन, इससे लोगों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती है. अक्सर ये देखा जाता है कि गाड़ी चलाते समय फोन का नेटवर्क कम होता रहता है. ऐसे में कम्युनिकेशन रुक जाता है. हालांकि, कुछ आसान तरीके हैं जिनसे नेटवर्क को काफी हद तक स्टेबल किया जा सकता है.
- News18Hindi
- Last Updated : August 28, 2022, 16:37 IST
हाइलाइट्स
मोबाइल फोन के नेटवर्क को स्ट्रांग करने के लिए डिवाइस को रीस्टार्ट करें.
अगर मोबाइल फोन में एक सिग्नल शो कर रहा है तो एलटीई को डिजेबल कर दें.
फोन में नेटवर्क की समस्या आ रही है तो यह सुनिश्चित करें की फोन अप-टू-डेट है.
नई दिल्ली: मौजूदा समय में हम कल्पना भी नहीं सिग्नल कैसे काम करते हैं? कर सकते हैं कि हमारे फोन नेटवर्क में समस्याएं हो क्योंकि ऐसा होने से कम्युनिकेशन रुक जाएगा और काम में बाधा आ सकती है. ज्यादातर लोगों के साथ ये ऐसे समय होता है कि जब वो गाड़ी से कहीं ट्रैवल कर रहे होते हैं. ट्रैवलिंग के समय नेटवर्क कम हो जाने को आम तौर की भाषा में कहते है- सिग्नल कम हो गया है. आइए जानते हैं की गाड़ी चलाते समय अपने नेटवर्क को कैसे बढ़ा सकते हैं.
1. एयरप्लेन मोड ऑन और ऑफ: फोन के नेटवर्क को फिक्स करने के लिए एयरप्लेन मोड ऑन और ऑफ करना बिल्कुल सरल उपाय माना जाता है. ज्यादातर लोग इस तरीके का इस्तेमाल करते हैं. एंड्रायड फोन में स्क्रीन के टॉप से क्वीक सेटिंग पैनल को एक्सेस कर सकते हैं. वहां एयरप्लेन मोड का ऑप्शन दिखेगा. आईफोन में एयरप्लेन मोड का ऑप्शन कंट्रोल सेंटर में दिखेगा.
2. फोन को रीस्टार्ट करें: फोन भी शॉर्ट कंप्यूटर की तरह होते हैं. इन्हें भी समय-समय पर ऑन-ऑफ करना बेहद आवश्यक होता है. अगर फोन में नेटवर्क गाड़ी चलाते समय आ जा रहा है तो इस फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह नेटवर्क को मजबूत करने काफी मदद करेगा. एंड्रायड और आईफोन में साइड बटन की इस्तेमाल से फोन को रीस्टार्ट कर सकते हैं.
3. नेटवर्क सेटिंग को रिसेट करें: कभी-कभी एनॉयिंग नेटवर्क समस्याओं से निपटने के लिए नेटवर्क सेटिंग को रिफ्रेश या रिसेट करना जरूरी होता है. इससे कई तरह के बग खत्म हो जाते हैं. एंड्रायड फोन में नेटवर्क सेटिंग को रिसेट करने के लिए सेटिंग के जेनरल ऑप्शन में जाएं. वहां रिसेट का ऑप्शन दिखेगा. उसे किल्क करें और फिर नेटवर्क सेटिंग को रिसेट कर लें. आईफोन में नेटवर्क रिसेट करने के लिए सेटिंग में जाएं. फिर जेनरल मैनजमेंट में. वहां रिसेट का ऑप्शन दिखेगा. याद रखें नेटवर्क सेटिंग को रिसेट करने से वाईफाई के पासवर्ड उड़ जाएंगे.
4. गाड़ी में नेटवर्क बूस्टर लगाएं: इन दिनों फोन में नेटवर्क की समस्या से हर कोई परेशान है. इन तीन विकल्प के अलावा आप चाहे तो अपनी गाड़ी में फोन नेटवर्क बूस्टर लगा सकते है. मोबाइल फोन बूस्टर का काम आपके फोन के नेटवर्क को बूस्ट करना होता है. अगर आप ट्रैवल कर रहे हो तो ये बूस्टर आसपास के टॉवर से नेटवर्क लेने में मददगार साबित होता है.
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आपके फोन में 5G सिग्नल कब तक आएगा, क्या खरीदना पड़ेगा नया सिम कार्ड? जानिए जवाब
5G SIM Card: क्या आपके फोन में 5G नेटवर्क आ रहा है? कुछ लोगों के फोन में इसका सिग्नल आने लगा है. आपको कब तक सर्विस मिलेगी? यह बात आप किस जगह पर रहते हैं और कौन से टेलीकॉम ऑपरेटर की सर्विस यूज करते इस पर निर्भर करती है. वहीं दूसरा सवाल है कि क्या आपको नया सिम कार्ड खरीदना होगा?
अभिषेक मिश्रा
- नई दिल्ली,
- 04 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 04 अक्टूबर 2022, 12:10 PM IST)
5G नेटवर्क सिग्नल कैसे काम करते हैं? भारत में आधिकारिक रूप से लॉन्च हो गया है. भले ही सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स अभी 5G सर्विस प्रोवाइड नहीं कर रहे हों, लेकिन लोगों के फोन्स में 5G का सिग्नल आने लगा है. बहुत से ऐसे भी यूजर्स हैं, जिन्हें अपने स्मार्टफोन में 5G सिग्नल आने का इंतजार होगा. आपके फोन में कब तक 5G सिग्नल आएगा, ये बात कई पहलुओं पर निर्भर करती है.
मसलन आप किसी ऑपरेटर की सर्विस यूज करते हैं और कहां रहते हैं. शुरुआत में ये दो पॉइंट सबसे प्रमुख हैं. कई यूजर्स के फोन में 5G सिग्नल आने लगा है. वहीं कुछ यूजर्स के मन में यह भी आया होगा कि क्या इसके लिए उन्हें नया 5G SIM Card खरीदना होगा. ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं.
कब तक मिलेगा 5G सिग्नल?
सबसे पहले बात करते हैं कब तक आपको 5G सिग्नल मिलेगा. अगर आप सिग्नल कैसे काम करते हैं? दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में रहते हैं, तो आपको सबसे पहले 5G सिग्नल मिलेगा. हालांकि, इस मामले में अलग-अलग ऑपरेटर्स की अलग-अलग प्लानिंग है. 1 अक्टूबर को 5G लॉन्च होते ही 8 शहरों में Airtel यूजर्स को 5G सिग्नल मिलने लगा है.
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एयरटेल यूजर्स को मिलने लगा सिग्नल
Airtel 5G सिग्नल वाराणसी, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, सिलिगुड़ी, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद में आ रहा है. इसमें आपको पूरे शहर में फिलहाल सिग्नल नहीं मिलेगा.
कंपनी धीरे-धीरे सर्विस रोल आउट करेगी. टेलीकॉम ऑपरेटर ने अभी तक अपने प्लान्स की डिटेल्स शेयर नहीं की है. वहीं एयरटेल ने मार्च 2024 तक पूरे देश में अपनी 5G सर्विस रोलआउट की बात कही है.
Jio यूजर्स को कब तक सिग्नल कैसे काम करते हैं? मिलेगी सर्विस
देश के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर जियो की बात करें तो कंपनी दिवाली तक अपनी सर्विस लाइव कर सकती है. यानी अक्टूबर के अंत तक कई शहरों के सिग्नल कैसे काम करते हैं? जियो यूजर्स के फोन में 5G सिग्नल आने लगेगा. RIL चेयरमैन मुकेश अंबानी ने IMC 2022 में बताया कि अगले साल के अंत तक यानी दिसंबर 2023 तक पूरे देश में Jio 5G सर्विस रोलआउट हो जाएगी.
इससे पहले जियो ने जानकारी दी थी कि दिवाली तक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में सर्विस रोलआउट हो जाएगी. कंपनी ने अभी तक रिचार्ज प्लान्स पर जानकारी नहीं दी है. हालांकि, मुकेश अंबानी ने IMC 2022 में बताया था कि जियो की सर्विस अफोर्डेबल होगी.
Vi यूजर्स को करना होगा इंतजार
वोडाफोन आइडिया ने भी 5G रोलआउट की तैयारियों पर काम शुरू कर दिया है. हालांकि, कंपनी ने लॉन्च डेट की कोई जानकारी नहीं दी है. इससे पहले Vi ने कहा था कि वे अपनी 5G सर्विस को यूजकेस के हिसाब से लाइव करेंगे. वहीं लेटेस्ट रिपोर्ट्स की मानें तो कंपनी अगले कुछ साल में अपनी सर्विस लाइव करेगी.
क्या आपको नया सिम कार्ड खरीदना होगा?
फिलहाल ऐसा नहीं है. एयरटेल यूजर्स को मौजूदा सिम कार्ड पर ही 5G सिग्नल मिल रहा है. कंपनी ने पहले ही जानकारी दी थी कि यूजर्स को नए सिम कार्ड की जरूरत नहीं होगी, लेकिन एक 5G स्मार्टफोन की जरूरत जरूर होगी. जियो यूजर्स के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए.
हालांकि, जियो ने अपनी 5G सर्विस को Jio True 5G नाम दिया है. कंपनी स्टैंड अलोन (SA) 5G नेटवर्क तैयार कर रही है. इसमें यूजर्स को बेहतर स्पीड और कनेक्टिविटी मिलेगी. जियो ने सिम कार्ड के मामले में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी है.
इलेक्ट्रिक ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम को 108 साल पूरे, जानिए कैसे हुई शुरूआत और संकेतों का मतलब
नई दिल्ली । आज हमने 108 साल पूरे कर लिए हैं जब पहला इलेक्ट्रिक ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम (Electric Traffic Signal System) लगाया गया था. 5 अगस्त, 1914 को यूक्लिड एवेन्यू (Euclid Avenue) के कोने पर और ओहियो के क्लीवलैंड में ईस्ट 105वीं स्ट्रीट पर लगाया गया था. इसे जेम्स होगे (James Hoe) द्वारा डिजाइन किया गया था और 1918 में पेटेंट कराया गया था. यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि उस समय इसमें केवल हरी और लाल रंग की लाइट ही लगाई गई थी, जिसमें एक रूकने के लिए थी और दूसरी चलने के लिए. बाद में इसमें सावधानी सूचक तीसरी पीली लाइट भी लगाई गई.
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सड़क पर चलते हुए आपने जगह जगह ट्रैफिक संकेत लगे देखे होंगे, जो छोटे-बड़े सभी वाहनों के चलने के लिए बेहद जरूरी है. वाहन चलाने वाले लोगों को इन सिग्नलों का खास ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि इनका पालन न करने पर जुर्माने का प्रावधान है. आइए आज हम ट्रैफिक संकेत के बारे में जरूरी बातें जानते हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
भारत में पांच तरह के ट्रैफिक संकेत हैं-
1. आदेशात्मक सड़क चिन्ह (Mandatory Road Signs)
2. सतर्क यातायात संकेत या सचेतक सड़क चिन्ह (Cautionary Road Signs)
3. सूचनात्मक यातायात संकेत (Informative Road Signs)
4. सड़क संकेत (Road Signs)
5. सड़क मार्किंग (Road Marking)
आने वाले वाहन को प्राथमिकता दें
सड़क पर यह संकेत यह बताता है कि पहले सामने से आने वाले वाहन को निकलेन का रास्ता दें. यह संकेत ऐसी जगहों पर लगा होता है जहां सड़क के एक संकरे भाग, जहां से आने व जाने वाले यातायात का एक साथ निकलपाना मुश्किल या अंसभव होता है. जिस ओर संकेत लगा हो वहां से आने वाला ट्रैफिक तभी निकल पाएगा जब आपके सामने से कोई वाहन नहीं आ रहा हो.
चौड़ाई सीमा (Width Limit)
यह संकेत वाहन की चौड़ाई दर्शाता है, जिसे चिन्ह के स्थान के पास जाने के क्षेत्र में प्रवेश के लिए अनुमित दी जाती है. इस क्षेत्र में 2 मीटर से ज्यादा चौड़ाई वाले वाहन की सिग्नल कैसे काम करते हैं? एंट्री पर रोक होती है. यह कोई पुल या संकरा रास्ता हो सकता है.
एक्सल भार सीमा (Axle Load Limit)
आमतौर पर किसी पुल से पहले यह चिन्ह लगाया जाता है. यह पुल द्वारा भार झेलने की क्षमता को दर्शाता है. इस चिन्ह की भार सीमा 4 टन है. यह दर्शाता है कि सिर्फ 4 टन या उससे कम एक्सल भार वाले वाहन ही इस पुल से गुजर सकते हैं.
फिसलन-भरी सड़क
इस चिन्ह का मतलब है कि आगे की सड़क फिसलन-भरी है. इन स्थितियों का कारण सिग्नल कैसे काम करते हैं? पानी का रिसाव या तेल फैलना आदि हो सकता है. यह चिन्ह दिखने पर ड्राइवर को हमेशा दुर्घटना से बचने के लिए अपने वाहन की स्पीड कम कर लेनी चाहिए.