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निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक

निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक

हिमाचल के बाद अब गुजरात चुनाव में छाया पेंशन का मुद्दा, बीजेपी के लिए खड़ी हुई बड़ी मुश्किल

अटल सरकार के समय नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू हुई थी। लेकिन अब सबके सामने है कि यह और कुछ नहीं बल्कि जुआ या लॉटरी है। अगर स्टॉक मार्केट में गिरावट आई, तो पेंशन की कम राशि पाने का भार गरीब पेंशनर भोगेगा। पूरे देश में लोग ओपीएस लागू करने की मांग कर रहे हैं।

फोटोः GettyImages

सी श्रीकुमार

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) का मुद्दा छाया रहा। अब निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक गुजरात विधानसभा चुनावों में भी यह एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। वैसे भी, 2003 के दौरान बीजेपी के नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा लागू किए गए नो-गारंटी नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के खिलाफ देश भर के केन्द्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। अभी सितंबर में 3,000 से अधिक रक्षा नागरिक कर्मचारी निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक दिल्ली में जंतर मंतर पर जमा हुए। इन लोगों ने एनपीएस-विरोधी धरना दिया और एनपीएस खत्म करने तथा ओपीएस बहाल करने की मांग करते हुए सरकार को ज्ञापन सौंपा।

2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के दबाव और निर्देशों पर यह दावा करते हुए अंशदायी एनपीएस का कार्यान्वयन किया था कि चूंकि कर्मचारियों और सरकार- दोनों की पेंशन भागीदारी का स्टॉक मार्केट में निवेश किया जाएगा इसलिए कर्मचारियों को पेंशन के तौर पर बड़ी राशि मिलेगी। अब जबकि निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक एनपीएस को लागू हुए 18 साल हो गए हैं, उन दावों का सबके खोखलापन सामने आ चुका है।

एनपीएस में 18 साल की सेवाओं के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को वार्षिक वेतन के आधार पर 2,000 से 4,000 रुपये प्रति माह पेंशन की छोटी-सी राशि मिल रही है जो वे अपने खाते के पेंशन फंड की 40 प्रतिशत राशि से खरीद रहे हैं। पुरानी पेंशन स्कीम में न्यूनतम पेंशन राशि 9,000 रुपये थी और हर साल मूल्य वृद्धि के समायोजन के लिए पेंशनरों को महंगाई भत्ते (डीए) की दो किस्तें दी जाती थीं। एनपीएस के तहत पेंशन स्थिर रहती है और इसमें मूल्यवृद्धि के समायोजन का कोई प्रावधान नहीं है।

एनपीएस कुछ नहीं बल्कि जुआ या लॉटरी है। अगर स्टॉक मार्केट में गिरावट आएगी, तो पेंशन की कम राशि पाने का भार गरीब पेंशनर भोगेगा। विभिन्न वैश्विक अध्ययनों में पाया गया है कि अधिकांश निजी पेंशन फंड गहरे आर्थिक संकट में खत्म ही हो गए। 2003 में वाजपेयी सरकार ने तर्क दिया था कि देश के बजट का 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पेंशनरों को चला जाता है। लेकिन यह तथ्य है कि आय कर या पेंशनर बाजार से जो भी खरीदते हैं, उस पर लिए जाने वाले जीएसटी से आने वाली राशि सरकार बहुत कुछ वापस पा जाती है।

ब्रिटिश शासन के दौरान लागू पेंशन कानून, 1871 के तहत पेंशन उपहार है जो नियोक्ता सदायशता से अपने कर्मचारी को देते हैं। 1971 में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि पेंशन सरकार की सदाशयता और इच्छा से दिया जाने वाला उपहार नहीं है बल्कि पेंशन का अधिकार सरकारी कर्मचारी को दिया गया बहुमूल्य अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पेंशन संपत्ति है।

17 दिसंबर, 1981 को सुप्रीम कोर्ट की प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति वी डी तुल्जापुरकर, न्यायमूर्ति निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक डी ए देसाई, न्यायमूर्ति ओ चिन्नप्पा रेड्डी और न्यायमूर्ति बहरुल इस्लाम की पांच सदस्यीय पीठ ने आदेश दिया कि पेंशन न तो उपहार है और न ही नियोक्ता की सदाशयता पर दिया जाने वाला इनाम है; और कि यह 1972 के नियमों में निहित अधिकार है जो वैधानिक है और जो संविधान में धारा 309 और धारा 148 के उपबंध (5) के तहत दिया गया है; कि पेंशन अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं है बल्कि यह पिछले समय दी गई सेवाओं का भुगतान है; और यह उनलोगों को दिया जाने वाला सामाजिक-आर्थिक न्याय के तहत सामाजिक कल्याणकारी उपाय है जिन्होंने नियोक्ता को अपने जीवन के जवानी के दिनों में इस आश्वासन पर निरंतर सेवा दी है कि बुढ़ापे में वे असहाय छोड़ नहीं दिए जाएंगे। इस किस्म के ऐतिहासिक निर्णयों के बावजूद सरकारी कर्मचारियों को अपने बुढ़ापे की सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए कुछ भी देने की जरूरत नहीं है। कोई कर्मचारी जिसने अर्हक (क्वालिफाइंग) सेवा में कम-से-कम दस साल की सेवा दी हो, अंतिम तौर पर मिले वेतन का 50 प्रतिशत मिलने का अधिकारी होता है और यह राशि कम-से-कम 9,000 रुपये प्रति माह से कम नहीं होगी। मूल्यवृद्धि को समायोजित करने के खयाल से महंगाई राहत की दो किस्तें भी पेंशन में हर साल जुड़ जाती है। पेंशन का 40 प्रतिशत हिस्सा अग्रिम के तौर पर निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक लिया जा सकता है जो 15 साल के बाद फिर से चालू हो जाएगा। अभी केन्द्र सरकार के कर्मचारियों ने मांग की है कि यह अवधि 15 साल की जगह 12 साल कर दी जाए। गुजरात विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, तो वहां की राज्य सरकार ने इस अवधि को 15 साल से घटाकर 13 साल कर दिया है।

इनके अतिरिक्त, पुरानी पेंशन योजना में 80 साल के बाद लेकिन 85 साल से पहले पेंशन में 20 प्रतिशत, 85 साल के बाद लेकिन 90 साल से पहले 30 प्रतिशत, 90 साल के बाद लेकिन 95 साल से पहले 40 प्रतिशत, 95 साल के बाद लेकिन 100 साल से पहले 50 प्रतिशत और 100 साल या उसके बाद निवेश के पहले क्या मेरे लिए स्टॉक 100 प्रतिशत वृद्धि का प्रावधान है। संसदीय प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि पेंशन में हर साल एक प्रतिशत की बढ़ोतरी की जानी चाहिए।

जब अटल सरकार ने 2003 में एनपीएस को लागू किया, तो पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा की वाम मोर्चा सरकारों ने इसे लागू करने से मना कर दिया और उन्होंने पुरानी पेंशन व्यवस्था जारी रखी। बाद में, जब केरल और त्रिपुरा में सरकारें बदलीं, तो वहां एनपीएस लागू हो गया। पश्चिम बंगाल में अब भी ओपीएस लागू है। एनपीएस की कमजोरियों के मद्देनजर राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में एनपीएस को वापस ले लिया गया है और यहां सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस को बहाल कर दिया है।

केन्द्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के कर्मचारियों के लिए एनपीएस के खिलाफ लगातार संघर्ष करने का यही सही समय है ताकि इसे 2024 आम चुनावों में प्रमुख मुद्दा बनाया जा सके। सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को निर्णय लेना चाहिए कि वे सिर्फ उन राजनीतिक दलों को ही वोट देंगे जो एनपीएस के विरोधी हैं और जो यह भरोसा दिला रहे कि अगर वे सत्ता में आए, तो ओपीएस बहाल करेंगे।

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जेके लक्ष्मी सीमेंट का शेयर इस महीने 28% चढ़ा

मुंबई स्टॉक मार्किट न्यूज़: JK Lakshmi Cement Share Price : जेके लक्ष्मी सीमेंट के शेयर बुधवार, 30 नवंबर को बीएसई पर इंट्राडे में लगभग 4 फीसदी की मजबूती के साथ 712.15 रुपये के स्तर पर पहुंच गए, जो उसका रिकॉर्ड हाई है। दोपहर 12.30 बजे शेयर 2.21 फीसदी मजबूत होकर 771 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। नवंबर महीने में अभी तक शेयर 28 फीसदी मजबूत हो चुका है। स्टॉक अपने 52 हफ्ते के हाई 683.85 रुपये से भी ऊपर निकल गया है, जो उसने 20 सितंबर, 2022 को छुआ था। उधर छह महीने में JK Lakshmi Cement का शेयर लगभग 57 फीसदी मजबूत हो चुका है और एक साल में शेयर ने 10 फीसदी का रिटर्न दिया है

सितंबर तिमाही में सेल्स बढ़ी, प्रॉफिट घटा

सितंबर, 2022 में समाप्त तिमाही के दौरान कंपनी की नेट सेल्स सालाना आधार पर 16 फीसदी बढ़कर 1,303 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, इनपुट कॉस्ट बढ़ने के कारण प्रॉफिट 22.7 फीसदी घटकर 59.62 करोड़ रुपये रह गया। कंपनी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर फ्यूल की कॉस्ट में बढ़ोतरी के कारण उसकी प्रॉफिटेबिलिटी पर दबाव रहा है। हालांकि, कंपनी अपनी ऑपरेशनल इफीशिएंसीज में सुधार, वॉल्यूम में बढ़ोतरी, प्रोडक्ट मिक्स में सुधार और प्रीमियम प्रोडक्ट की सेल बढ़ाकर इसकी भरपाई करने में कामयाब रही है।

क्या कहते हैं ब्रोकरेज:

हालांकि, एनालिस्ट्स का मानना है कि नतीजे अनुमान से बेहतर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह सालाना आधार प्राप्तियों के 17 फीसदी बढ़कर 5,651 रुपये प्रति टन (तिमाही वार 1.5 फीसदी ज्यादा) होने से सपोर्ट मिला है।

वहीं, ICICI Securities को सीमेंट स्टॉक्स में हलचल बढ़ने का अनुमान है। ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि वह JK Lakshmi Cement के शेयर पर पॉजिटिव है।

ब्रोकरेज के मुताबिक, फ्यूल की ऊंची कीमतों को देखते हुए हाल मे 10 मेगावट के डब्ल्यूएचआरएस (अब कुल क्षमता 33 मेगावाट हो गई है) की स्थापना से कंपनी को कॉस्ट का दबाव कम करने में मदद मिली है। हालांकि, शेयर की कीमत पर ब्रोकरेज के 640 रुपये के टारगेट से ऊपर निकल गई है।

डिस्क्लेमरः यहां दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। JANTA SE RISHTA यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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